तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास*

यूनेस्को ने 7 नवंबर 1965 में ये फैसला किया कि अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर वर्ष 8 सितंबर को मनाया जायेगा जोकि पहली बार 1966 से मनाना शुरु हुआ। व्यक्ति, समाज और समुदाय के लिये साक्षरता के बड़े महत्व को ध्यान दिलाने के लिये पूरे विश्व भर में इसे मनाना शुरु किया गया। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये वयस्क शिक्षा और साक्षरता की दर को दुबारा ध्यान दिलाने के लिये इस दिन को खासतौर पर मनाया जाता है।

*अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस समारोह*

शिक्षा पर वैश्विक निगरानी रिपोर्ट के अनुसार ये ध्यान देने योग्य है कि हर पाँच में से एक पुरुष और दो-तिहाई महिलाएँ अनपढ़ है। उनमें से कुछ के पास कम साक्षरता कौशल है, कुछ बच्चों की पहुँच आज भी स्कूलों से बाहर है और कुछ बच्चे स्कूलों में अनियमित रहते हैं। लगभग 58.6% की सबसे कम वयस्क साक्षरता दर दक्षिण और पश्चिम एशिया के नाम है। बुरकिना फासो, माली और नाइजर वो देश है जहाँ सबसे कम साक्षरता दर है।

 

*अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस*

यह पूरे विश्व में शिक्षा की खास विषय-वस्तु, कार्यक्रम और लक्ष्य से साथ मनाया जाता है। वर्ष 2007 और 2008 में इस दिन की विषय-वस्तु साक्षरता और स्वास्थ्य था (टीबी, कॉलेरा, एचआईवी और मलेरिया जैसी फैलने वाली बीमारी से लोगों को बचाने के लिये महामारी के ऊपर मजबूत ध्यान देने के लिये)। वर्ष 2009 और 2010 का मुद्दा साक्षरता और महिला सशक्तिकरण था जबकि 2011 और 2012 के इस उत्सव का विषय साक्षरता और शांति था।

समाज की साक्षरता दर को बढ़ावा देने के लिये असाधारण मूल्य के लिखित शब्द और जरुरत के बारे सार्वजनिक चेतना को बढ़ावा देने के लिये इस दिन को मनाने का खास महत्व है। साक्षरता सुधार की मदद करने के लिये कुछ लेखकों ने लेख लिखे हैं वो हैं- मारगरेट एटवुड, पॉलो कोहेलहो, फिलीप डेलर्म, पॉल ऑस्टर, फिलीप क्लॉडेल, फैटेउ डियोम आदि और भी बहुत सारे। कुछ कंपनियाँ, दानी संस्थाएँ, वैश्विक विकास शोध केन्द्र, रोटरी अंतर्राष्ट्रीय, मौंटब्लैंक और राष्ट्रीय साक्षरता संस्थान भी सामाजिक साक्षरत को बढ़ावा देने में शामिल हैं। साक्षरता इंसान के जीवन को आकार देने के साथ ही उनकी सांस्कृतिक पहचान को भी बनाता है।

*अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता है*

मानव विकास और समाज के लिये उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। सफलता और जीने के लिये खाने की तरह ही साक्षरता भी महत्वपूर्णं है। गरीबी को मिटाना, बाल मृत्यु दर को कम करना, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना, लैंगिक समानता को प्राप्त करना आदि को जड़ से उखाड़ना बहुत जरुरी है। साक्षरता में वो क्षमता है जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकता है। ये उत्सव लगातार शिक्षा को प्राप्त करने की ओर लोगों को बढ़ावा देने के लिये और परिवार, समाज तथा देश के लिये अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिये मनाया जाता है।

*अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का विषय (थीम*

बहुत सारे देशों में पूरे विश्व की निरक्षरता से संबंधित समस्याओं को सुलझाने के लिये कुछ सामरिक योजनाओं के कार्यान्वयन के द्वारा इसे प्रभावशाली बनाने के लिये हर वर्ष एक खास विषय पर अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस उत्सव मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का कुछ सालाना विषय यहाँ दिया गया है।

सामाजिक प्रगति प्राप्ति पर ध्यान देने के लिये 2006 का विषय “साक्षरता सतत विकास” था।
महामारी (एचआईवी, टीबी और मलेरिया आदि जैसी फैलने वाली बीमारी) और साक्षरता पर ध्यान देने के लिये 2007 और 2008 का विषय “साक्षरता और स्वास्थ्य” था।
लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण पर ध्यान देने के लिये “साक्षरता और सशक्तिकरण” 2009-10 का मुद्दा था।
2011-12 का लक्ष्य “साक्षरता और शांति” था जो शांति के लिये साक्षरता के महत्व पर ध्यान देना है।
2013 का विषय “21वीं सदी के लिये साक्षरता” थी वैश्विक साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये था।
“साक्षरता और सतत विकास” 2014 का लक्ष्य था, जो पर्यावरणीय एकीकरण, आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास के क्षेत्र में सतत विकास को प्रोत्साहन देने के लिये है।
2015 का विषय-वस्तु था “साक्षरता एवं सतत सोसायटी”।

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