*✴️अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार आम आदमी के लिए नुकसान की तुलना में फायदेमंद अधिक है*

डॉ. भरत झुनझुनवाला, (लेखक वरिष्ठ अर्थशास्त्री एवं आइआइएम बेंगलुरु के पूर्व प्रोफेसर हैं )

अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री लैरी समर्स ने कहा है कि अमेरिका और चीन के बीच मंडरा रहे ट्रेड वार के कारण वैश्विक मंदी आ सकती है। हाल के दौर में अमेरिका ने चीन से आयातित माल पर आयात शुल्क बढ़ा दिए और इसकी प्रतिक्रिया में चीन ने भी यही करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क में इजाफा कर दिया। आयात कर बढ़ाने से घरेलू बाजार में आयातित माल के दाम बढ़ जाते हैं। जैसे अमेरिका में चीन में निर्मित फुटबॉल का आयात हो रहा था तो उस पर अमेरिका ने आयात कर बढ़ा दिया। इससे अमेरिका में वह फुटबॉल महंगी हो जाएगी। समर्स जैसे कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस प्रकार के ट्रेड वार से उद्यमियों और उपभोक्ता दोनों का आत्मविश्वास कम होगा और वैश्विक मंदी आ सकती है। इन अर्थशास्त्रियों के अनुसार, प्रथम चरण में अमेरिका द्वारा आयात कर बढ़ाने से कच्चा एवं आयातित माल महंगा हो जाएगा। इससे अमेरिकी उपभोक्ता को उसी माल को खरीदने में अधिक मूल्य अदा करना पड़ेगा। उसकी क्रय शक्ति घटेगी। परिणामस्वरूप बाजार में कुल मांग घटेगी। कच्चा माल महंगा होने से अमेरिकी कंपनियों के लिए माल का उत्पादन करना कठिन हो जाएगा। इसके बाद चीन द्वारा प्रतिक्रिया में अमेरिकी माल पर आयात कर बढ़ाने से एप्पल जैसी अमेरिकी कंपनियों के लिए चीन को माल का निर्यात करना कठिन हो जाएगा।

एप्पल द्वारा अमेरिका में निवेश और रोजगार दोनों का हनन होगा। तीसरे बिंदु पर अमेरिकी उद्यमियों एवं उपभोक्ताओं का आत्मविश्वास कम होगा और वे कोमा में चले जाएंगे। इससे कुल मिलाकर वैश्विक मंदी की आशंकाएं ही बढ़ेंगी। अब इस घटनाक्रम की दूसरी संभावना पर विचार करें। अमेरिका में आयातित माल महंगा होने से घरेलू उद्यम की गाड़ी भी जोर पकड़ सकती है। जैसे चीन में बनी फुटबॉल पर अमेरिका में आयात कर अधिक लगने से वे अमेरिका में महंगी हो जाएंगी, लेकिन अमेरिका में फुटबॉल बनाने वाली इकाई के कारोबार में तेजी आएगी। अमेरिका में उत्पादित फुटबॉल के दाम अवश्य ऊंचे होंगे, परंतु अमेरिका में फुटबॉल बनाने वाली कंपनी में निवेश बढ़ेगा। इससे रोजगार के अवसरों में भी इजाफा होगा। घटनाक्रम के दूसरे बिंदु पर यह सही है कि चीन द्वारा प्रतिक्रिया में अमेरिकी माल पर आयात कर बढ़ाने से अमेरिका द्वारा एप्पल फोन जैसे माल का निर्यात कम होगा, लेकिन अमेरिका द्वारा चीन से माल आयात अधिक किया जा रहा है और निर्यात कम किया जा रहा है। परिणामस्वरूप अमेरिका के निर्यातकों को नुकसान कम होगा, क्योंकि निर्यात वैसे ही कम है।

इसकी तुलना में आयात कम होने से लाभ अधिक होगा, क्योंकि आयात अधिक हैं। चीन के साथ माल का व्यापार कम होने से अमेरिका को लाभ होगा। घटनाक्रम का तीसरा बिंदु है कि समर्स जैसे अर्थशास्त्रियों के अनुसार अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं का विश्वास कम होगा, क्योंकि उन्हें महंगा माल खरीदना होगा, लेकिन मेरे आकलन में अमेरिकी कंपनियों का आत्मविश्वास बढ़ सकता है, क्योंकि वहां फुटबॉल की फैक्ट्रियां लगाने का अवसर मिलेगा। अमेरिकी उपभोक्ताओं का भी आत्मविश्वास बढ़ सकता है, क्योंकि उन्हें फुटबॉल कारखानों में रोजगार मिलेंगे। ट्रंप वास्तव में अमेरिकी जनता की परिस्थिति को समझ रहे हैं और उन्होंने एक सोची समझी रणनीति के तहत ही यह ट्रेड वार शुरू किया है जिससे अमेरिका को फायदा होने की उम्मीद है। प्रश्न है कि फिर तमाम अर्थशास्त्रियों द्वारा ट्रेड वार के कारण वैश्विक मंदी की बात को क्यों कहा जा रहा है? मेरा मानना है कि ट्रेड वार उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए नुकसानदेह होगा जिन्होंने चीन में फैक्ट्रियां लगा रखी हैं। इनका चीन में धंधा चौपट हो जाएगा।

यह ट्रेड वार चीन के लिए भी नुकसानदेह होगा। अमेरिका में फुटबॉल पर आयात कर बढ़ाने से अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए चीन में निवेश करने के अवसर कम होंगे और चीन में भी मंदी आ सकती है। इससे चीन में रोजगार भी घटेंगे। अब इस घटनाक्रम का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव देखें। ट्रेड वार का अमेरिका पर सुप्रभाव पड़ेगा जबकि चीन पर कुप्रभाव। दोनों जोड़ देंगे तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव शून्यप्राय होगा।

अंतर यह होगा कि जो रोजगार एवं उत्पादन आज चीन में हो रहा है वह आने वाले समय में अमेरिका को स्थानांतरित हो जाएंगे। ट्रेड वार के वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव का एक और पक्ष है। सामान्य रूप से बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा माल ऑटोमेटिक मशीनों द्वारा उत्पादित किया जाता है जबकि छोटे घरेलू उद्यमों द्वारा इसमें श्रम का उपयोग ज्यादा होता है। इससे रोजगार ज्यादा बनते हैं। जाहिर है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सिकुड़ने एवं घरेलू कंपनियों के बढ़ने से कुल रोजगार बढ़ेंगे।

नकारात्मक प्रभाव यह होगा कि वैश्विक स्तर पर माल के दाम बढ़ेंगे, क्योंकि अमेरिका में उत्पादित फुटबॉल महंगी होगी, लेकिन मेरे आकलन में माल का महंगा होना जनता को फिर भी स्वीकार हो सकता है, क्योंकि उसकी पहली मांग रोजगार की होती है। रोजगार के सामने महंगे माल का कुप्रभाव कम होगा। इस प्रकार वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह ट्रेड वार नुकसानदेह नहीं, बल्कि लाभदायक होगा। ट्रेड वार का एक और सकारात्मक पहलू यह है कि अमेरिका में आयातित माल पर आयात कर बढ़ा देने से अमेरिकी सरकार को राजस्व मिलेगा जिसका उपयोग कल्याणकारी योजनाओं में किया जा सकता है। इस प्रकार आम आदमी को ट्रेड वार से दोहरा लाभ हो सकता है। रोजगार बढ़ेंगे और सरकारी कल्याणकारी योजनाएं भी बढ़ेंगी। साथ ही साथ खरीद का दाम भी बढ़ेगा। खरीद के दाम बढ़ने से हुए नुकसान की तुलना में रोजगार और कल्याणकारी योजनाओं से लाभ अधिक होगा। इस प्रकार यह ट्रेड वार जनता के लिए अच्छा है। भारत की परिस्थिति मूल रूप से अमेरिका के समान है।

अमेरिका की तरह भारत भी आयात ज्यादा करता है। इसलिए ट्रेड वार भारत के लिए भी लाभकारी होगा। हमारे द्वारा आयात कर बढ़ाने से आयात में भारी गिरावट आएगी, जबकि चीन और अमेरिका द्वारा हमारे निर्यात पर आयात कर बढ़ने से गिरावट कम आएगी। इसलिए यह ट्रेड वार भारत के लिए भी लाभकारी होगा। इस परिप्रेक्ष्य में हमें अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील एवं एल्युमीनियम पर हाल में बढ़ाए गए आयात कर को समझना चाहिए। अमेरिका का यह कदम हमारे लिए एक सुनहरा अवसर था। हम ट्रेड वार की आग में घी डाल सकते थे। यदि हम अमेरिकी आयात के साथ ही चीनी आयात पर भी आयात कर बढ़ाते तो अपने देश में भी फैक्ट्रियां लगने लगतीं और रोजगार भी बनते। हां हमें सस्ता चीनी माल उपलब्ध नही होता, लेकिन रोजगार के सुख के सामने महंगे माल का कष्ट बहुत कम होता है। भारत को प्रतिक्रिया में अमेरिका के साथ चीन से आयातित माल पर आयात कर बढ़ा देने चाहिए और घरेलू उद्यम तथा उपभोक्ता के हित साधने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *