अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक रिश्तों में जारी तनातनी से ट्रेड वॉर (व्यापार युद्ध) की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जहां एक तरफ 22 मार्च 2018 को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन से आयात पर 60 अरब डॉलर अर्थात 3910 अरब रुपये के टैरिफ की घोषणा की है तो वहीं इस कदम के विरोध में चीन ने भी उन अमेरिकी उत्पादों की लिस्ट जारी की है जिसपर वह भारी-भरकम आयात शुल्क लगाने की तैयारी कर रहा है।

इस लिस्ट में पोर्क, सेब और स्टील पाइप शामिल हैं। चीन ने कहा है कि अमेरिका द्वारा स्टील और ऐल्युमिनियम पर लगाए टैरिफ के प्रतिक्रियास्वरूप उसने यह कदम उठाया है।

ट्रेड वॉर क्या है?

ट्रेड वॉर एक ऐसी स्थिति है जिसमें देश एक-दूसरे के व्यापार को आमतौर पर टैरिफ या कोटा प्रतिबंध लगाकर नुकसान पहुंचाते हैं। ट्रेड वॉर मुक्त व्यापार (फ्री ट्रेड) के बड़े पैमाने पर होने वाले लाभों के संबंध में हो रही गलतफहमी का भी परिणाम है।

ट्रेड वॉर की मुख्य वजह:

ट्रंप ने अमेरिका की बौद्धिक संपदा को ‘अनुचित’ तरीके से जब्त करने को लेकर पेइचिंग को दंडित करने के लिए उसपर टैरिफ लगाने का कदम उठाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस कदम से दोनों देशों के बीच जारी तनाव और बढ़ गया है।

बौद्धिक संपदा की चोरी के मामले की 7 महीने की जांच के बाद ट्रंप ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को चीन से आयात पर 60 अरब डॉलर का टैरिफ लागू करने को कहा है। ट्रंप ने कहा, ‘हमें बौद्धिक संपदा की चोरी की बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यह हमें अधिक मजबूत, अधिक संपन्न देश बनाएगा।’

एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के साथ अमेरिका के साथ बड़े व्यापार घाटे की वजह से यूएस में लगभग 20 लाख नौकरियां चली गई हैं। वहीं चीन में इतनी ही नयी नौकरियों का सृजन भी हुआ है।

चीन का प्रतिरोध:

ट्रम्प के फैसले के बाद चीन ने फलों, नट्स, शराब और निर्बाध स्टील ट्यूबों पर 15 फीसद टैरिफ की घोषणा की और सूअर के मांस व एल्यूमीनियम उत्पादों के री-साइकिल पर 25 फीसद का टैरिफ लगाया। इन उपायों को दो चरणों में लागू किया जाएगा।

पहले चरण में 15 फीसद टैरिफ लगाया जाएगा, यदि दोनों देश निर्धारित समय के भीतर व्यापार के मुद्दों पर समझौते तक नहीं पहुंच पाते हैं। दूसरे चरण में अमेरिकी नीतियों के प्रभाव के मूल्यांकन के बाद 25 फीसद आयात कर लगाया जाएगा।

अमेरिका और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार:

अमेरिका और चीन के बीच वर्ष 2016 में व्यापार 579 अरब डॉलर रहा था। इसमें चीन ने अमेरिका से 115.8 अरब डॉलर का सामान आयात किया जबकि अमेरिका ने चीन से 462.8 अरब डॉलर का सामान मंगाया। पिछले साल अमेरिका ने चीन के साथ 375 अरब डॉलर का घाटा उठाया हालांकि चीन को होने वाले अमेरिकी निर्यात में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी देखने को मिली।

भारत पर भी असर:

डोनाल्‍ड ट्रम्‍प इस बारे में पहले ही भारत और चीन जैसे देशों को सख्‍त चेतावनी दे चुके हैं। उन्होंने पहले कहा था कि अगर अमेरिकी सामानों पर टैक्स कम नहीं किया गया तो वे भी उतना ही टैक्स लगाएंगे। ट्रम्‍प ने कहा कि अमेरिका दूसरे देशों से आयातित सामानों पर बहुत कम टैक्स लगाता है, लेकिन दूसरे देश हमारे सामानों पर ज्यादा टैक्स लगाते हैं।

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