*🔷🌸1आर्थिक सर्वेक्षण : आर्थिक सुधारों संग सौगात की तस्वीर*

• इस साल के अंत तक एक के बाद एक सात राज्यों में चुनाव और फिर उसके कुछ महीने बाद आम चुनाव। ऐसे में उम्मीद है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली की तरफ से गुरुवार को पेश होने वाला आम बजट बहुत हद तक लोकलुभावन होगा। लेकिन बजट सत्र का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण और सोमवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 का इशारा है कि आर्थिक सुधारों को लेकर सरकार कुछ साहसिक कदम उठाने से भी नहीं हिचकेगी।

• 2022 तक नया भारत बनाने के एजेंडे में जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की झलक भी बजट में दिखेगी और तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत को एक मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर स्थापित करने का खाका पेश होगा। इसमें मध्यम वर्ग और महिलाओं के लिए कुछ सौगातें हो सकती हैं।

• आर्थिक सर्वेक्षण ने माना है कि देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष आने वाले वर्षो में भी चुनौतियां कम नहीं होंगी, लेकिन इनसे निपटकर भारत 2018-19 में 7.5 फीसद तक की आर्थिक विकास दर हासिल करने की क्षमता रखता है।

• चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास की दर के लिए 6.75 फीसद का अनुमान लगाया गया है जो पिछले चार वर्षो की न्यूनतम विकास दर होगी। लेकिन अगले वर्ष निजी निवेश और निर्यात में वृद्धि होने से भारत फिर दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बन सकता है। यही वजह है कि सर्वेक्षण तैयार करने वाले वित्त मंत्रलय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि विकास दर सुधर रही है।

• इस साल का सर्वे अर्थव्यवस्था को परंपरागत तरीके से हटकर देखने की कोशिश भी करता है। यही वजह है कि इस बार इसमें महिलाओं की स्थिति समीक्षा और विज्ञान व तकनीक की अर्थव्यवस्था में बढ़ती अहमियत की भी समीक्षा की गई है।

• अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों को लेकर भी सरकार को साफ तौर पर चेतावनी दी गई है। चेतावनी एक तरफ कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर है तो दूसरी तरफ किसानों और रोजगार सृजन की स्थिति को लेकर। मोदी सरकार से हाल के दिनों में रोजगार को लेकर कई तरह के सवाल पूछे जाने लगे हैं। खासतौर पर नोटबंदी और जीएसटी के बाद रोजगार की स्थिति चिंताजनक बताई जाती है।

• इस पर सर्वेक्षण ने कहा है कि रोजगार सृजन करना सरकार का एक खास फोकस होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि आम बजट में इस बारे में क्या कदम उठाया जाता है।

• सर्वे में संकेत हैं कि राजकोषीय संतुलन का लक्ष्य इस बार थोड़ा इधर-उधर भी हो सकता है। इससे स्पष्ट है कि सामाजिक योजनाओं के लिए पैसे की कमी नहीं होने दी जाएगी। चूंकि इस बार सरकार अपना अंतिम पूर्ण बजट पेश करेगी, इसे देखते हुए यह बहुत अचंभित करने वाला तथ्य भी नहीं होगा। उम्मीद है कि चालू वर्ष में जीएसटी लागू करने में जो दिक्कतें उभरी हैं, वे अगले वर्ष दूर हो जाएंगी। इससे राजस्व के स्तर पर बेहतर स्थिति होगी।

*⭕️• इसलिए चुना गुलाबी रंग* बजट में इस बार सरकार की खास तवज्जो महिलाओं पर हो सकती है। दरअसल, *🌸इस बार तैयार आर्थिक सर्वेक्षण की किताब का रंग भी गुलाबी रखा गया है और पहली बार इस आर्थिक प्रपत्र में महिलाओं की स्थिति का लेखा-जोखा दिया गया है।* चुनावी वर्ष में महिला मतदाताओं को लुभाना सरकार की नई तरकीब हो सकती है।

*🍃⭕️• कृषि-किसान की चिंता :*. वैसे सर्वेक्षण का संकेत इस बात का भी है कि सरकार अपने सभी फ्लैगशिप कार्यक्रमों के लिए बजट आवंटन में कोई कोताही नहीं बरतेगी। ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं में भी कोई कटौती नहीं होगी।

• सर्वेक्षण के अनुसार किसानों को लेकर सरकार ज्यादा मुस्तैदी दिखाएगी। यह अर्थव्यवस्था के साथ ही राजनीतिक जरूरत भी है। सर्वेक्षण ने खासतौर पर पर्यावरण की स्थिति को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे किसानों की आय घट सकती है। ऐसे में वित्त मंत्री किसानों को पारंपरिक खेती से निकालकर आय बढ़ाने को कुछ खास घोषणाएं कर सकते हैं।

• यह सरकार की 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की योजना के तहत की जाएगी। पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि सर्वेक्षण के मुताबिक, 2017-18 में वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत रहेगी। तर्क यह है कि दूसरी छमाही में वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहेगी। लेकिन इस दावे के समर्थन में साक्ष्य बहुत थोड़े हैं।

• पहली छमाही में वृद्धि दर 6 फीसद थी और इस साल के 6 से 6.5 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ खत्म होने के आसार है। लिहाजा कुल मिलाकर यह इस वित्तीय वर्ष की बेहद निराशाजनक रिपोर्ट है जो दो महीने में खत्म होने वाला है।

 

*🔷🌐2. अर्थव्यवस्था के दस अहम तथ्य : 2017-18*

⭕️• आर्थिक सुधारों पर नहीं लगेगा ब्रेक, होंगी कुछ अहम घोषणाएं

🍃⭕️• किसान व महिलाओं के लिए बजट आवंटन में नहीं होगी कमी

⭕️• व्यक्तिगत और कॉरपोरेट कर में राहत संभव

⭕️• राजकोषीय घाटे को लेकर नहीं बरती जाएगी ज्यादा कड़ाई

⭕️• फर्टिलाइजर व बिजली सब्सिडी पर और चलेगी कैंची, बड़ी घोषणा संभव

⭕️• ग्रामीण विकास के फंड में नहीं होगी कमी

⭕️• अन्य फ्लैगशिप योजनाओं में भी नहीं होने दी जाएगी फंड की कमी

*🌸• युवाओं को रोजगार देने को लेकर दिख सकती है*

⭕️• नई सोचक्या हैं बड़ी चुनौतियां

🔷⭕️• महंगे होते कच्चे तेल से गड़बड़ा सकता है गणित

⭕️• उत्तर कोरिया और खाड़ी के देशों की अस्थिरता से भी खतरा

⭕️• दूसरे देशों की तरफ से अपनाई जाने वाली संरक्षणवादी नीतियां

🔷⭕️• देश में नौकरी योग्य युवाओं की बढ़ती संख्या

⭕️🔷• सरकारी बैंकों की खराब स्थिति

*⭕️🌸🌐3. भारत बनेगा सबसे तेज अर्थव्यवस्था*

• नोटबंदी और जीएसटी के क्रियान्वयन में शुरुआती कठिनाइयों के चलते डगमगाई अर्थव्यवस्था फिर से फर्राटा भरने को तैयार है। भारत अगले वित्त वर्ष में दुनिया की सर्वाधिक तेज वृद्धि दर वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बन सकता है। वित्त वर्ष 2018-19 में देश की विकास दर बढ़कर 7 से 7.5 फीसद रहने का अनुमान है। आर्थिक सर्वेक्षण में विकास दर के संबंध में ये अनुमान लगाए गए हैं।
• आर्थिक सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष में देश की विकास दर 6.75 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है। केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) ने करीब दो हफ्ते पहले अपने अनुमान में वित्त वर्ष 2017-18 में विकास दर 6.5 फीसद रहने की बात कही थी। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2015-16 में विकास दर 8 फीसद और 2016-17 में 7.1 फीसद थी।
• आर्थिक सर्वेक्षण में साफ कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 में अर्थव्यवस्था की दशा इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार आगामी आम चुनाव से पहले किस तरह की आर्थिक नीति अपनाती है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, नोटबंदी, जीएसटी के क्रियान्वयन में शुरुआती दिक्कतों के चलते चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ गई थी।
• कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, उच्च ब्याज दरें, बैंकों के फंसे कर्ज की समस्या और खाद्यान्न की कीमतों में तेज गिरावट भी इसकी वजह बनीं। हालांकि दूसरी तिमाही से अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ना शुरू कर दिया।
• आर्थिक सर्वेक्षण में विकास दर के सामने आने वाली चुनौतियों की ओर भी ध्यान दिलाया गया है। इसमें कहा गया है कि राजकोषीय घाटा और चालू खाते का घाटा दो ऐसी कमजोर कड़ी हैं, जो कच्चे तेल के दाम बढ़ने पर और बदतर हो जाते हैं।
• कच्चे तेल के भाव में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि होने पर विकास दर में 0.2 से 0.3 फीसद की गिरावट आती है, थोक महंगाई दर 1.7 फीसद बढ़ जाती है और चालू खाते का घाटा भी करीब 9 से 10 अरब डॉलर तक बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति से पार पाने के लिए के लिए टैक्स-जीडीपी अनुपात को बेहतर बनाना होगा। यह अब भी 1980 के स्तर पर बना हुआ है। जीएसटी इसमें मददगार साबित हो सकता है।
• आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि पर गहराते जलवायु संकट के प्रति आगाह किया गया है। इस क्षेत्र की दशा सुधारने के लिए किसानों को विज्ञान और प्रौद्योगिकीय मदद, बिजली और खाद की अलक्षित सब्सिडी को बदलकर सीधे किसानों को आमदनी में सहायता देने और डिप व स्प्रिंकलर के माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की जरूरत बताई गई है। रोजगार और शिक्षा पर जोर देने की वकालत भी की गई है।
• सर्वे में वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों जैसे कोरियाई प्रायद्वीप में टकराव, पश्चिम एशिया में राजनीतिक उथल-पुथल, सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको की लिस्टिंग से पहले कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती और चीन के आर्थिक घटनाक्रम जैसी बाहरी चुनौतियों का भी जिक्र किया गया है।

 

*🌸⭕️4. कारोबारी सुगमता को न्याय प्रक्रिया पर जोर*

• देश में कारोबार करना आसान बनाने के लिए सरकार अब अगले चरण में न्याय व्यवस्था में सुधार पर ध्यान देगी। न्याय मिलने में होने वाली देरी और लंबित मुकदमों का बोझ इस मामले में मुख्य समस्या है। देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में न्यायिक क्षेत्र में होने वाले ये सुधार अहम साबित होंगे। सरकार का मानना है कि सरकार और न्यायालयों की तरफ से बड़े पैमाने पर सुधार करने की दिशा में समन्वित कदम उठाने की आवश्यकता है।
• सरकार की तरफ से वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा सोमवार को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि देश में कारोबार करना आसान बनाने को लेकर किए गए अब तक के प्रयास फलीभूत हुए हैं।
• विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत पहली बार 70 पायदान के सुधार के साथ 100वें स्थान पर आया है। इस मोर्चे पर अब अगली लड़ाई न्यायिक क्षेत्र में लड़ी जानी है। इनमें अदालतों और टिब्यूनलों में लंबित मुकदमों और न्याय मिलने में होने वाली देरी प्रमुख वजह है। इससे न केवल विवाद निपटाने की प्रक्रिया बाधित हो रही है बल्कि निवेश को हतोत्साहित कर रही है और कर संग्रह के लक्ष्यों को पाने की अड़चन बनी हुई है।

• सर्वेक्षण कहता है कि विवादों को सुलझाने में होने वाली देरी करदाताओं पर न सिर्फ दबाव बढ़ाती है बल्कि विवाद सुलझाने पर आने वाली उनकी कानूनी लागत को भी बढ़ाती है। इस स्थिति से निजात पाने के लिए सरकार और न्यायपालिका को एकीकृत प्रयास करने होंगे। इसके तहत सर्वेक्षण में राज्य और केंद्र के बीच क्षैतिज आधार पर शक्तियों में बंटवारा ही मामले निपटाने में विलंब की समस्या सुलझाने में सहायक होगा जिससे आर्थिक गतिविधियों को तेज करने में मदद मिलेगी।

• सरकार के लिए कर संग्रह के लक्ष्यों को पाने में टैक्स संबंधी विवादों के निपटान में देरी एक प्रमुख वजह बनी हुई है।

• सर्वेक्षण के मुताबिक देश की अदालतों और टिब्यूनल में प्रत्यक्ष कर से संबंधित 137,176 मामले लंबित हैं। जबकि अप्रत्यक्ष कर के संबंध में लंबित मामलों की संख्या 1.45 लाख तक पहुंच चुकी है। इन दोनों तरह के मामलों में 7.58 लाख करोड़ रुपये का राजस्व फंसा है जो देश की जीडीपी का 4.7 फीसद है।

• सर्वेक्षण में कहा गया है कि न्याय व्यवस्था के विभिन्न स्तरों पर मामलों का लंबित रहना, विलंब और निषेधाज्ञा के चलते न्यायालयों पर जरूरत से ज्यादा बोझ पड़ रहा है। यह खासतौर पर आर्थिक मामलों व अन्य मामलों की प्रगति पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं।

• यह समस्या अर्थव्यवस्था से एक बड़ी राशि छीन रही है। इसलिए इसका निवारण करने के लिए बड़े पैमाने पर सरकार और न्यायालयों की तरफ से सुधार की आवश्यकता है।

 

*5. ⭕️🌐सीपीईसी पर भारत से मतभेद सुलझाने को तैयार हुआ चीन*

• चीन ने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर भारत के साथ उभरे मतभेदों को सुलझाने की इच्छा जताई है। चीन के विदेश मंत्रलय ने सोमवार को कहा कि वह मतभेदों के समाधान के लिए भारत के साथ वार्ता करने को तैयार है।
• सीपीईसी पर बीजिंग में भारत के राजदूत गौतम बंबावले के हालिया बयान के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रलय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन इस संबंध में भारत के साथ वार्ता करने का इच्छुक है। बंबावले ने हाल में चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को दिए साक्षात्कार में कहा था, ‘सीपीईसी गुलाम कश्मीर से होकर गुजरता है। इसलिए यह हमारी क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है।
• यह हमारे लिए बड़ी समस्या है। दोनों देशों को इस पर खुलकर बातचीत करनी चाहिए। इसका हल निकालना चाहिए।’ चीन की प्रवक्ता ने कहा, ‘सीपीईसी पर चीन कई बार अपना रुख स्पष्ट कर चुका है। जहां तक भारत के साथ मतभेदों का सवाल है तो चीन इसके समाधान के लिए भारत के साथ बातचीत करने को तैयार है ताकि इन मतभेदों का हमारे आम हितों पर कोई प्रभाव ना पड़े।
• सीपीईसी सिर्फ आर्थिक सहयोग की परियोजना है। इससे किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाया जा रहा। हमें उम्मीद है कि भारतीय पक्ष इस दृष्टिकोण से इसे देखेगा। हम भारतीय पक्ष के साथ सहयोग को प्रगाढ़ करने के रुख पर कायम हैं।’

*6. 🌐🔷मलेशिया में हिन्दू महिला ने जीती अपने बच्चों के धर्मातरण की कानूनी लड़ाई*

• मलेशिया में एक हिन्दू महिला ने अपने बच्चों के धर्मातरण की कानूनी लड़ाई जीत ली है। मलेशिया की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को सर्वसम्मति से महिला के पक्ष में सुनाया। अदालत ने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि नाबालिग के धर्मातरण के लिए माता-पिता यानी दोनों अभिभावकों की सहमति जरूरी है। महिला के पूर्व पति ने उसे बताए बगैर ही उसके तीन बच्चों को इस्लाम धर्म कबूल करा दिया था।
• एम इंदिरा गांधी पिछले करीब नौ साल से यह कानूनी लड़ाई लड़ रही थीं। उनके पूर्व पति ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था और साल 2009 में तीनों बच्चों का भी धर्मातरण करा दिया था। वह 11 महीने की बेटी को भी अपने साथ ले गया था। बाद में कानूनी लड़ाई में इंदिरा को बच्चों की कस्टडी मिल गई थी। इसके बाद उन्होंने बच्चों के धर्मातरण को मलेशिया के सिविल कोर्ट में चुनौती दी थी।
• निचली अदालत ने धर्मातरण रद कर दिया लेकिन अपील अदालत ने यह कहते हुए पलट दिया था कि सिविल कोर्ट को इस्लामिक धर्मातरण के मामलों की सुनवाई करने का अधिकार नहीं है।
• इंदिरा ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में अपील की थी। संघीय अदालत की पांच सदस्यीय पीठ ने पाया कि बच्चों का धर्मातरण गैरकानूनी तरीके से किया गया था। इसमें बच्चों की मां की सहमति नहीं ली गई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *