*📕उम्मीद जता रहे आंकड़े*
एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में साढ़े तीन करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि पर करीब 14 लाख उत्पादक जैविक खेती कर रहे हैं। कृषि भूमि का करीब दो-तिहाई हिस्सा घास वाली भूमि है। फसल वाला क्षेत्र 82 लाख हेक्टेयर है जो कुल जैविक कृषि भूमि का एक-चौथाई है। भारत में वर्ष 2003-04 में जैविक खेती को लेकर गंभीरता दिखाई गई और 42,000 हेक्टेयर क्षेत्र से जैविक खेती की शुरुआत हुई। मार्च 2010 तक यह बढ़कर 10 लाख 80 हजार हेक्टेयर हो गया। मार्च 2015 तक इसमें काफी इजाफा हुआ है। भारत में जैविक निर्यातों में अनाज, दालें, शहद, चाय, मसाले, तिलहन, फल, सब्जियां, कपास के तन्तु, कॉस्मेटिक व बॉडीकेयर उत्पाद शामिल हैं।
*🎡योजनाएं बन रहीं सहायक*
जैव उत्पाद की महत्ता को देखते हुए कृषि मंत्रालय देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना, राष्ट्रीय बागवानी मिशन, पूर्वोत्तर के लिए प्रौद्योगिकी मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना संचालित कर रहा है। राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना, गाजियाबाद स्थित राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र तथा बेंगलुरू, भुवनेश्वर, हिसार, इंफाल, जबलपुर और नागपुर स्थित छह क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से अक्तूबर 2004 में लागू की गई है। इसी तरह राष्ट्रीय बागवानी मिशन और पूर्वोत्तर के लिए प्रौद्योगिकी मिशन के तहत जैविक बागवानी के लिए अधिकतम 10 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की लागत से 50 फीसदी की दर पर (प्रति लाभार्थी 4 हेक्टेयर तक) सहायता दी जाती है।
*🗻🗻🌋जैविक खेती के महत्व*
📙भूमि की उर्वराशक्ति में स्थिरता और वृद्धि
📙भूमि की गुणवत्ता में सुधार
📙 प्रदूषण रहित जैविक खेती
📘- कम पानी की आवश्यकता
📘 पशुओं का अधिक महत्व
📘 फसल अवशेष को खपाने की समस्या नहीं
📘- अच्छी गुणवत्ता की पैदावार
📘- कृषि मित्र जीव सुरक्षित व संख्या में बढ़ोतरी
📘- स्वास्थ्य में सुधार
📘- कम लागत और अधिक लाभ
*🔆10 गुण जो बनाएंगे सफल*
📕- जैविक शुद्धता
📕- हमेशा सीखने का कौशल
📕- बिजनेस की समझ
📕- मैनेजमेंट का कौशल
📕- संगठनात्मक कौशल
📕- मैकेनिकल नॉलेज
📕- शारीरिक मजबूती
📕- इंटरपर्सनल स्किल्स
📕- शांतचित्त दिमाग
*🌸विशेषज्ञ की राय में*
छोटे स्तर से कर सकते हैं शुरुआत
जैविक खेती समय की सबसे बड़ी जरूरत है। इन दिनों लोग रासायनिक खाद पर ही पूरी तरह से निर्भर हैं। यूरोप, जापान व अमेरिका जैसे देशों में बच्चों में कैंसर के अधिक मामले आने पर अब पांच साल तक के बच्चों के लिए जैविक खाद्य पदार्थ अनिवार्य कर दिए गए हैं। जबकि भारत में ऐसा नहीं है। लोग रासायनिक खाद पर ही पूरी तरह से निर्भर हैं। इन सब की रोकथाम जैविक खेती से संभव है। इसके लिए सबसे जरूरी है कि किसान के पास जैविक बीज और जैविक खाद की उपलब्धता हो। अभी भी लोगों का मानना है कि जैविक खेती के लिए बड़े पैमाने पर जमीन की जरूरत होती है। जबकि वास्तविकता यह है कि यह खेती छोटे से भूभाग पर भी की जा सकती है।
किसान चाहें तो शुरुआत में अपने परिवार के लिए जैविक फसल उगा सकते हैं। बाद में वे इसे बड़ा आकार या व्यावसायिक रूप दे सकते हैं। इसके जरिए शुरू में गेहूं, धान, सब्जी, मक्का, अरहर व चना आदि की खेती की जा सकती है। जैविक खेती की सबसे बड़ी शर्त यह है कि इसमें रासायनिक खाद का नाममात्र भी प्रयोग नहीं होता। खाद के नाम पर इसमें नीम व सरसों की खली, नीम का तेल, वर्मी कम्पोस्ट को प्रयोग में लाया जाता है। जैविक खाद के लिए ढैंचा सबसे अच्छा विकल्प होता है। ढैंचा मई-जून में बोया जाता है तथा करीब 30-40 दिन के बाद इसे पलट दिया जाता है। इसके बाद धान की रोपाई कर सकते हैं।
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