एनआरसी का अंतिम परिणाम जारी

संदर्भ
• असम में वैध नागरिकों पहचान के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का अंतिम ड्राफ्ट सोमवार को प्रकाशित कर दिया है, एनआरसी द्वारा प्रकाशित ड्राफ्ट के मुताबिक 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 वक्ति को वैध नागरिक माना गया है।
• असं में वैध नागरिकता के लिए 3,29,91,384 लोगों के द्वारा आवेदन दिया गया था। इसमें से 40,07,707 लोगों को वैध नही माना है। इस तरह से लगभग चालीस लाख लोगों को बेघर किया जाएगा।
• जो लोग अवैध है उनको बेघर घोषित किया गया है। अवैध नागरिकों के बारे में बताया जा रहा है, की इनके कागजी कार्रवाही अधूरी हो अथवा नागरिकता ठीक से साबित नही कर पाए हो।

पृष्टभूमि
1. गौरतलब है कि 1951 के बाद देश में पहली बार कहीं एनआरसी बन रहा है। असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों का सवाल तीखे विवाद का विषय है।
2. इस मुद्दे को लेकर 1980 के दशक में असम में व्यापक जन-आंदोलन हुआ था। उसकी समाप्ति तत्कालीन राजीव गांधी सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के बीच अगस्त 1985 में हुए समझौते से हुई।
3. उसमें सहमति बनी कि 25 मार्च 1971 तक जो लोग असम में थे, उन्हें भारत का नागरिक माना जाएगा। चूंकि उस तारीख के बाद आए लोगों की पहचान करने का कोई दोषमुक्त प्रयास नहीं हुआ, इसलिए उस समझौते के बाद भी मसला जारी रहा।
4. आखिरकार 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी बनाने का निर्देश दिया। इसमें ये पैमाना रखा गया है कि जिन लोगों के परिजनों के नाम 1951 की एनआरसी या 25 मार्च 1971 से पहले की मतदाता सूचियों में थे, उन्हें भारत का नागरिक समझा जाएगा।
5. स्पष्टत: यह बेहद संवेदनशील मामला है। इसलिए इसमें फूंक-फूंककर कदम रखा जा रहा है। ऐसा होना भी चाहिए। यह बेहद जरूरी है कि लोगों को अपनी नागरिकता के दावों को साबित करने के पर्याप्त अवसर मिलें।

अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु
• बहरहाल, जब ये काम पूरा हो जाएगा, तब एक नई चुनौती सामने आएगी। जो लोग अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाएंगे, उनका क्या किया जाएगा?
• क्या बांग्लादेश उन्हें वापस लेने के लिए आसानी से राजी होगा? या उन्हें शरणार्थी का दर्जा देकर देश के अलग-अलग हिस्से में बसाया जाएगा?
• असमवासी अक्सर यह सवाल उठाते रहे हैं कि आखिर घुसपैठियों/शरणार्थियों का सारा बोझ उनका राज्य अकेले क्यों उठाए? इसलिए बेहतर होगा कि केंद्र इस बारे में राजनीतिक सहमति तैयार कर एक प्रभावी कार्ययोजना बनाए।
• एनआरसी बनने का एक अन्य लाभ यह होगा कि भविष्य में घुसपैठियों की पहचान आसानी से होती रहेगी। लेकिन ऐसा तब बेहतर ढंग से हो सकेगा, अगर सारे देश में एनआरसी बने। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के समय ऐसा विचार आया था। उचित होगा कि उस पर चर्चा फिर शुरू हो।
• 2021 में होने वाली जनगणना के साथ एनआरसी भी बनाने की योजना पूरे देश में लागू की जा सकती है। इस मामले में असम बाकी भारत के लिए एक मिसाल और मॉडल बन सकता है।

क्या है एनआरसी
1. 1951 में नागरिकों का डाटा रखने के लिए राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) बनाया गया
2. 1960 में एनआरसी डाटा पुलिस को सौंप दिया गया

क्यों पड़ी जरूरत
1. 51 प्रतिशत मुस्लिम आबादी बढ़ी 1951 से 1971 के बीच
2. 1979 में अवैध प्रवासियों के खिलाफ हिंसक आंदोलन शुरू हुए
3. 1985 में राजीव गांधी सरकार ने असम समझौते के तहत एनआरसी को अपडेट करने को कहा

क्या है असम समझौता
1. 24 मार्च, 1971 की आधी रात तक जो भारत आए, उन्हें यहीं का नागरिक माना गया
2. 1951 से 1961 के बीच असम आए लोगों को पूर्ण नागरिकता और वोट देने का अधिकार मिला।
3. 1961 से 1971 के बीच आने वालों को नागरिकता और अन्य अधिकार दिए गए लेकिन वोट का अधिकार नहीं मिला
4. 1971 के बाद असम में आए लोगों को वापस भेजने पर सहमति बनी

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
• एनआरसी को अपडेट करने का मुद्दा सर्वोच्च अदालत तक पहुंचा
• 17 दिसंबर, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपडेट और प्रकाशित करने की समयसीमा तय की
• सर्वोच्च अदालत ने निगरानी भी शुरू की
क्या फैसला हुआ
• 40,52,703 लोग नागरिकता सूची के अंतिम मसौदे से बाहर
• 2,89,38,677 लोगों को असम का मानते हुए नागरिकता मिली
• 3,29,91,380 कुल जनसंख्या है असम की
अब आगे क्या
• सूची में जगह नहीं बना पाने वाले लोगों के पास दावा करने का पर्याप्त मौका
• दावे के निपटान की समय सीमा का निर्धारण सुप्रीम कोर्ट करेगी
• विदेशी ट्रिब्युनल का रुख भी किया जा सकता है
आबादी में चार गुना बढ़ोतरी
• 80.30 लाख कुल आबादी थी असम की 1951 में
• 3.12 करोड़ पहुंच गई वर्ष 2011 में
• 3.2 गुना की दर से बढ़ी राष्ट्रीय जनसंख्या इस दौरान
• 36 फीसदी आबादी बढ़ी राज्य की 1951 से 1961 के बीच
• 35 फीसदी आबादी में इजाफा हुआ 1961 से 1971 के बीच
राजनीतिक स्तिथि
• 35% मतदाता मुस्लिम असम में
• 14 में से 6 लोकसभा सीटों को कर सकते हैं प्रभावित
• 40 विधानसभा सीटों पर बंगाली भाषी मुस्लिम वोटरों की बहुलता
• 24 विधानसभा सीटों पर कम से कम मुस्लिम निर्णायक भूमिका में

ये सीटें हो सकती हैं प्रभावित

लोकसभा सीट – मुस्लिम या अप्रवासी वोटर (%)
1. धुबरी 70
2. बरपेटा 60
3. मंगलदोई 50
4. नगांव 40
5. करीमगंज 55
6. सिलचर 35
7. कोलियाबोर 28

• सामाजिक स्थिति : बदल सकता है आबादी अनुपात
• 9 जिलों में मुस्लिम जनसंख्या 20-24 फीसदी के बीच
• 27 में से 14 जिलों में आबादी में वृद्धि की औसत राज्य की औसत (17%) से ज्यादा

आर्थिक स्थिति : कामगारों की कमी हो सकती है
• 20 फीसदी बांग्लादेशी गैर-संगठित सेक्टर से जुड़े
• टैक्सी ड्राइवर, रिक्शा चालक, खेतों में काम करने वाले मजदूर बांग्लादेशी
• घरों में काम करने वाली महिलाओं में भी बांग्लादेशी अप्रवासियों की अधिकता
• मुस्लिम बहुल आबादी वाले जिले –

जिले मुस्लिम आबादी (%)
1. धुबरी 24.44
2. मोरीगांव 23.34
3. गोलपाड़ा 22.64
4. दर्रांग 22.19
5. नगांव 22.00
6. बरपेटा 21.43
7. बोंगलगांव 20.59
8. लखीमपुर 17.22
9. कामरूप (एम) 18.34
10. करीमगंज 21.9
11. धेमाजी 19.97
12. कर्बी अंगलांग 17.58
13. कछार 20.19
14. हैलाकंडी 21.45

वैश्विक परिदृश्य
अमेरिका-इजरायल ने वापस भेजे थे अप्रवासी
• 20 लाख से ज्यादा मेक्सिको के नागरिकों को 1930 में अमेरिका से वापस भेजा गया था
• 11 लाख अवैध मेक्सिको नागरिकों को 1954 में अमेरिका से बाहर किया गया
• 7,20,000 फलस्तीनियों को 1948 में बाहर किया गया
• 5,00,000 अवैध अप्रवासियों को बाहर करने की तैयारी में इटली

पूरे राज्य में धारा 144 लागू
• असम में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सरकार ने कई एहतियाती कदम उठाए हैं।
• एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि राज्य के सभी 33 जिलों में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।
• केंद्र ने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अर्द्धसैनिक बलों के 22 हजार अतिरक्त जवान भेजे हैं। सेना को भी तैयार रहने को कहा गया है।

यहां जांच सकेंगे नाम
• राज्य में सभी एनआरसी सेवा केंद्रों में अंतिम मसौदा उपलब्ध है, जहां लोग अपने नाम की जांच कर सकते हैं।
• इसके अलावा आवेदक एनआरसी की वेबसाइट पर भी इसे देख सकते हैं।
• लोग 24×7 टॉल फ्री नंबर असम के लिए 15107 और असम के बाहर के लिए 18003453762 पर फोन कर सकते हैं तथा अपना 21 अंकों का एप्लीकेशन रिसीप्ट नंबर बताकर जानकारी हासिल कर सकते हैं।

एनआरसी बनाने वाला असम इकलौता राज्य
• 1951 में पहली बार असम के वास्तविक भारतीय नागरिकों के लिए एनआरसी बनाया गया।
• 1985 में केंद्र,असम सरकार और ऑल असम स्टुडेंट यूनियन के बीच असम करार हुआ
• दिसंबर 2013 में जमीनी स्तर पर एनआरसी को अपडेट करने का काम शुरू हुआ
• मई 2015 में एनआरसी की आवेदन प्रक्रिया शुरू हुई, 1 जनवरी 2018 में पहला मसौदा आया

 

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