(योगेश कुमार गोयल)
(NBT)

18 अगस्त से 2 सितम्बर तक इंडोनेशिया के दो शहरों जकार्ता, जो इंडोनेशिया की राजधानी है और पालेमबंग, जो दक्षिण सुमात्रा की राजधानी है, में आयोजित हो रहे एशियाई खेलों का इतिहास बेहद दिलचस्प है। एशियाई खेलों के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब इनका आयोजन एक साथ दो शहरों में हो रहा है। हालांकि इस आयोजन के लिए वियतनाम के हनोई की चर्चा हुई थी किन्तु 2014 में वियतनाम द्वारा मेजबानी से नाम वापस ले लिए जाने के बाद इंडोनेशिया को यह मौका मिला और जकार्ता 1962 के बाद अब दूसरी बार इन खेलों की मेजबानी कर रहा है। इंडोनेशिया ने मेजबानी के लिए 15.7 अरब रुपये खर्च किए हैं। प्रथम एशियाई खेलों का आयोजन दिल्ली में हुआ था और भारत एशियाई खेलों का जन्मदाता माना जाता है। देश की आजादी के बाद भारत की मेजबानी में ही यह पहला बड़ा खेल आयोजन किया गया था, जिसमें भारत ने खेल के मैदान में अपनी खेल ताकत का बेहतरीन प्रदर्शन किया था। इस वर्ष भी दिल्ली में ही मशाल प्रज्जवलित की गई और दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम से रवाना इस मशाल के इंडोनेशिया के 12 राज्यों के 36 जिलों का सफर तय करने के बाद 18 अगस्त से जकार्ता के बंग कार्नो नेशनल स्टेडियम से इन खेलों का भव्य आगाज हो गया है। 2018 के एशियन खेलों के लिए बतौर शुभंकर इंडोनेशिया की विविधता एवं प्राकृतिक सम्पन्नता को दर्शाते तीन जानवरों का चयन किया गया है। पहला शुभंकर है ‘भिन भिन’, जो एक पक्षी है, दूसरा ‘अतुंग’, जो एक हिरण है और तीसरा ‘काका’, जो एक गैंडा है, ये तीनों शुभंकर क्रमशः कुशल रणनीति, तेज रफ्तार और मजबूत ताकत के प्रतीक हैं।

‘एशियाड’ के नाम से भी जाने जाने वाले ओलम्पिक काउंसिल ऑफ एशिया द्वारा आयोजित एशियाई खेलों को ओलम्पिक खेलों के बाद दुनिया के सबसे बड़े और बेहतरीन खेल माना जाता है। एशियाई खेलों में भारत ने अभी तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन 1951 के पहले आयोजन में किया था, जब उसे इस स्पर्धा में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था। अभी तक हुए कुल 17 एशियाई खेलों में भारत ने कुल 616 पदक जीते हैं, जिनमें 139 स्वर्ण, 178 रजत और 299 कांस्य पदक हैं। इन स्पर्धाओं में भारत का सबसे मजबूत पक्ष एथलेटिक्स रहा है, जिसमें अभी तक भारत ने 233 पदक जीते हैं।

ओलम्पिक खेलों के दौरान एशिया में 1913 से 1938 के बीच तीन एशियाई देशों जीपान, चीन और फिलीपींस में ‘फार इस्टर्न गेम्स’ खेले गए किन्तु 1937 में चीन तथा जापान के बीच मार्को पोलो ब्रिज को लेकर उत्पन्न हुए तनाव और फिर हुए युद्ध के बाद इन खेलों को रद्द कर दिया गया। ओलम्पिक खेलों के ही साथ एशिया के अन्य देशों में भी इस तरह के खेलों की मांग होने लगी, जिसके बाद पश्चिमी एशियाई देशों को जोड़ने के लिए भारत, श्रीलंका और अफगानिस्तान ने 1934 में ‘ओरिएंट चैम्पियनशिप गेम्स’ का आयोजन किया, जो भारत की मेजबानी में दिल्ली के इरविन एंपीथियेटर में शुरू हुआ, जिन्हें ‘वेस्टर्न एशियाटिक गेम्स’ नाम दिया गया किन्तु द्वितीय विश्व के कारण इनका आयोजन दोबारा नहीं हो पाया।

1947 में देश की आजादी के बाद पूर्वी तथा पश्चिमी एशियाई देशों के संयुक्त प्रयासों से पुनः इन खेलों को नई दिशा मिली। भारत को सर्वसम्मति से पहले एशियाई खेलों की मेजबानी मिली, जिनका आयोजन 13 फरवरी 1949 को किया जाना तय हुआ किन्तु कुछ कारणवश इन्हें टाल दिया गया। 12-13 फरवरी 1949 को दिल्ली के पटियाला हाउस में एशिया के 6 देशों के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई, जिसमें ‘एशियाई एथलेटिक महासंघ’ का गठन किया गया, जिसे बाद में ‘एशियाई खेल महासंघ’ नाम दिया गया, जिसने 1982 तक के सभी एशियन गेम्स का आयोजन किया। 1982 के बाद से एशियन खेलों का आयोजन ‘एशियाई ओलम्पिक परिषद’ द्वारा कराया जा रहा है। आज इसके सदस्य देशों की संख्या 45 है।

4 मार्च 1951 को दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में 31 तोपों की सलामी के साथ देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने इन खेलों का भव्य आगाज किया और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने उद्घाटन भाषण में ‘खेल को खेल भावना से खेलो’ का नारा दिया। 4 से 11 मार्च तक चले पहले एशियाई खेलों में 11 देशों के 491 खिलाडि़यों ने 6 खेलों की कुल 57 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया, जिसमें 24 स्वर्ण, 21 रजत तथा 15 कांस्य पदकों के साथ जापान प्रथम स्थान पर जबकि 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य पदक जीतकर भारत दूसरे स्थान पर रहा। कुल 16 पदकों के साथ ईरान ने तीसरा स्थान हासिल किया जबकि तीन देश ऐसे रहे, जिन्हें एक भी पदक नहीं मिला। भारत के निमंत्रण के बावजूद पाकिस्तान ने इस स्पर्धा में अपने खिलाडि़यों को भेजने से इन्कार कर दिया था।

1954 में मनीला में 1 से 9 मई तक आयोजित दूसरे एशियाई खेलों का शुभारंभ फिलीपींस के 7वें राष्ट्रपति रमॉन मैग्सेसे द्वारा किया गया, जिनके नाम पर बाद में प्रतिष्ठित मैग्सेसे अवार्ड की शुरूआत हुई। उस आयोजन में 18 देशों के 970 एथलीटों ने 8 खेलों की कुल 77 स्पर्धाओं में भाग लिया, जिसमें पाकिस्तान ने पहली बार हिस्सा लिया और कुल 17 पदकों के साथ भारत से एक कदम आगे चौथे स्थान पर रहा। 1958 में टोक्यो में 24 मई से 1 जून तक आयोजित खेलों में पहली बार हॉकी, जूडो, टेनिस और टेबल टेनिस की भी एंट्री हुई। इस आयोजन में 20 देशों के 1820 खिलाडि़यों ने 13 खेलों की कुल 112 स्पर्धाओं में अपने जलवे दिखाए, जिसमें पाकिस्तान ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए 26 पदक जीतकर भारत को कुल 13 पदकों के साथ बहुत पीछे छोड़ दिया।

1951 के बाद 1982 में नौवें एशियाई खेलों की मेजबानी भारत को मिली, जिसका भव्य आयोजन दिल्ली में किया गया, जिसमें 33 देशों के 4595 एथलीटों ने 21 खेलों की 196 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया, जिसमें भारत पिछले एशियन गेम्स के मुकाबले बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 13 स्वर्ण, 19 रजत और 25 कांस्य पदकों के साथ पांचवें स्थान पर रहा। एशियन खेलों के इस नौवें संस्करण को ही ‘एशियाड’ नाम दिया गया, जिसमें कुट्टीनारायण नामक नन्हें हाथी अप्पू को शुभंकर बनाया गया, जो खेलों के दौरान और बाद में भी बेहद लोकप्रिय हुआ। एशियन खेलों पर जापान के दबदबे को खत्म करते हुए चीन ने इन खेलों में 61 स्वर्ण सहित 153 पदक जीतकर पहला स्थान हासिल किया जबकि दूसरे स्थान पर रहे जापान को 57 स्वर्ण सहित 153 पदक मिले। 1982 के इन खेलों में 74 एशियाई रिकॉर्ड भी टूटे।

दक्षिण कोरिया के इंचियोन शहर में आयोजित 2014 के पिछले एशियाई खेलों में 45 देशों के 9501 खिलाडि़यों ने 36 खेलों की 439 स्पर्धाओं में भाग लिया, जिसमें भारत को 11 स्वर्ण, 9 रजत और 37 कांस्य पदकों सहित कुल 57 पदक हासिल हुए। 2014 के आयोजन के लिए भारत भी दावेदार था किन्तु उसे केवल 13 मत मिले जबकि 32 मत हासिल कर दक्षिण कोरिया दावेदारी प्राप्त करने में सफल रहा। इन खेलों में पहली बार शामिल महिला बॉक्सिंग में जहां पांच बार की विश्व चैम्पियन मैरीकोम ने अपने मुक्कों का दम दिखाकर स्पर्ण पदक जीतकर भारत को जश्न में डूबने का अवसर प्रदान किया, वहीं भारतीय महिला मुक्केबाज लैशराम सरिता देवी द्वारा सेमीफाइनल में अपनी हार से नाराज होकर कांस्य पदक लेने से इन्कार करना भारी पड़ा, जिसके बाद अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ द्वारा सरिता को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया।

2018 के एशियाई खेलों में दस हजार से अधिक एथलीटों के भाग लेने की संभावना है, जिनमें 572 एथलीट 36 खेल प्रतिस्पर्धाओं में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। जकार्ता और पालेमबंग में 10.6 हैक्टेयर में बनाए गए एशियाई खेल गांव में इन एथलीटों तथा अन्य सहयोगी स्टाफ के लिए 7426 अपार्टमेंट निर्मित किए गए हैं। जहां 1951 में दिल्ली में हुए पहले एशियाई खेलों में एथलेटिक्स, फुटबाल, तैराकी, वेट लिफ्टिंग, बास्केटबाल तथा साइकलिंग इत्यादि कुल छह खेलों की 57 स्पर्द्धाओं में 11 देशों के 491 खिलाडि़यों ने हिस्सा लिया था, वहीं इस बार 40 खेलों की 465 स्पर्द्धाओं में 45 देशों के करीब 11300 खिलाड़ी अपने बेहतरीन प्रदर्शन करने मैदान में उतर रहे हैं।

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