School of Economics | कर के स्वर्ग या ‘टैक्स हेवन
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कर के स्वर्ग या ‘टैक्स हेवन

 

🌌कर के स्वर्ग या ‘टैक्स हेवन’ (tax haven) उन देशों को कहते हैं जहाँ अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम कर लगता है, या बिलकुल कर नहीं लगता। ऐसे देशों में कर के अलावा भी बहुत सी गतिविधियाँ चलतीं हैं। ऐसे देश टैक्स में किसी प्रकार की पारदर्शिता नहीं रखते न ही किसी प्रकार की वित्तीय जानकारी को साझा करते हैं। ये देश उन लोगों के लिए स्वर्ग (हैवन) हैं, जो टैक्स चोरी करके पैसे इन देशों में जमा कर देते हैं।

🌌ऐसे देशों में पैसे जमा करने पर वे पैसे जमा करने वाले व्यक्ति या संस्था के बारे में कुछ भी नहीं पूछते। यही कारण है कि टैक्स चोरों के लिए ऐसे देश स्वर्ग जैसे होते हैं, जो अपने देश से पैसे इन देशों में कालेधन के रूप में जमा कर देते हैं।

⭕ऑफशोर कम्पनियाँ:

🌌ऑफशोर कम्पनियां टैक्स बचाने तथा वित्तीय और कानूनी फायदे के लिए टैक्स हेवन देशों में गुप्त रूप से काम करती हैं। ये कम्पनियाँ कॉरपोरेट टैक्स, इनकम टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स जैसे कई प्रकार के टैक्स से बच जाती हैं। पनामा में 3,50,000 से ज्यादा गोपनीय अंतरराष्ट्रीय कम्पनियाँ रजिस्टर्ड बताई जाती हैं।

*🌌स्विट्ज़रलैंड,
🌏हांगकांग,
🌏 मॉरिशस,
🌏मोनेको,
🌏पनामा,
🌏 अंडोरा,
🌏बहामास,
🌏 बरमूडा,
🌏 ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, 🌏बेलीज,
🌏कैमेन आइलैंड,
🌏 चैनल आइलैंड,
🌏कुक आइलैंड,
🌏 लाइशेंश्टाइन जैसे देश टैक्स हेवन देशों की सूची में आते हैं। इन टैक्स हेवन के खिलाफ बने प्रेशर ग्रुप ‘टैक्स जस्टिस नेटवर्क’ की सन 2012 की रिपोर्ट के अनुसार इन देशों में 21 ट्रिलियन से 32 ट्रिलियन के बीच की राशि टैक्स बचाकर रखी गई है।

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