– किसी देश में एक उचित जीवन स्तर जीने के लिए जरूरी न्यूनतम आय को वहां की गरीबी रेखा कहा जाता है। इसकी कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है।

*🌏=>संयुक्त राष्ट्र के अनुसार गरीबी:-* विकल्पों और मौकों का अभाव ही गरीबी है। यह मानव आत्मसम्मान का उल्लंघन है। इसका मतलब समाज में प्रभावकारी रूप से भागीदारी करने वाली मूल क्षमता का अभाव होना है। इसका मतलब किसी के पास संसाधनों का इतना अभाव होना है कि वह परिवार को न तो भरपेट भोजन कराने में सक्षम है न ही उनके तन ढकने में। …इसका मतलब असुरक्षा, लाचारी और बहिष्कार होता है। हिंसा के प्रति अतिसंवेदनशील होना, एकाकी जीवन जीने या नाजुक माहौल में जीने को अभिशप्त होना होता है।

*=>🌏विश्व बैंक के अनुसार गरीबी:-*

– किसी को उसके कल्याण से महरूम रखना भी गरीबी का एक रूप है। इसमें कम आय और आत्मसम्मान से जीने के लिए मूलभूत चीजों एवं सेवाओं को ग्रहण करने की अक्षमता शामिल होती है। स्तरहीन शिक्षा और स्वास्थ्य, स्वच्छ जल और साफ-सफाई की खराब उपलब्धता, अभिव्यक्ति का अभाव भी गरीबी से जुड़े होते हैं।

जो व्यक्ति अमेरिकी परिभाषा के अनुसार गरीब हैं, जरूरी नहीं कि वह अन्य देशों के गरीबी के पैमाने पर भी खरा उतरता हो। व्यावहारिक रूप से विकसित देशों की गरीबी रेखा विकासशील देशों की गरीबी रेखा से ऊंची है।

*⭕=>अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा:-*

– प्रतिदिन एक डॉलर पर गुजर करने वाले लोग गरीब हैं। 2008 में विश्व बैंक ने इस रेखा को संशोधित कर 1.25 डॉलर तय किया। सामान्य रूप से गरीबी रेखा का निर्धारण करने में एक औसत व्यक्ति द्वारा सालाना उपभोग किए जाने वाले सभी जरूरी संसाधनों की लागत निकाली जाती है। मांग आधारित इस दृष्टिकोण के तहत एक दीर्घ जीवन जीने के लिए जरूरी न्यूनतम खर्च का आकलन किया जाता है।

*=>📙देशों में गरीबी मापने के तरीके:*

– यहां गरीबी रेखा के निर्धारण में तुलनात्मक गरीबी पैमाने का उपयोग किया जाता है। यह ‘आर्थिक दूरी पर आधारित होता है। आर्थिक दूरी आय का एक निर्धारित स्तर है जिसे औसत घरेलू आय का पचास फीसद निर्धारित किया जाता है।

*⭕=>अमेरिका:* गरीबी के मानदंडों का विकास पचास साल पहले किया गया। उस समय हर परिवार अपनी कुल आय का एक तिहाई खाद्य पदार्थों पर खर्च करते थे। लिहाजा खाद्य लागत में तीन के गुणनफल के आधार पर इसका निर्धारण किया गया। तब से लगातार मुद्रास्फीति के आधार पर सालाना वही आंकड़े अद्यतन किए जाते हैं।

*🌞=>विश्व बैंक:-*

यह गरीबी को बुनियादी गरीबी के दृष्टिकोण से परिभाषित करता है। इसके अनुसार $1.90 डॉलर से कम पर रोजाना आजीविका चलाने वाले लोग घोर गरीबी की चपेट में हैं। दुनिया में इनकी संख्या 140 करोड़ है। वहीं दो डॉलर से कम पर आश्रित लोग मध्यम गरीबी के शिकार हैं।

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