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*29 November 2017*

1.वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन : मोदी ने दिया निवेश का न्योता
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दुनियाभर के उद्यमियों से भारत में निवेश करने का आह्वान करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने निवेश अनुकूल माहौल बनाने के लिए देश में टैक्स और कई अन्य सुधार किए हैं।
• वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन-2017 को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने 1,200 से ज्यादा पुराने पड़ चुके कानूनों को खत्म कर दिया है, 21 क्षेत्रों में विदेशी निवेश के नियमों को सरल बनाया है और कई प्रक्रियाओं को ऑनलाइन किया है।
• सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पुत्री और उनकी सलाहकार इवांका ट्रंप भी हिस्सा ले रही हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि कारोबारी माहौल सुधारने के उनकी सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि विश्व बैंक की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट’ में भारत पिछले तीन सालों में 142वें पायदान से 100वें पायदान पर पहुंच गया है। इसके अलावा ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ ने भी भारत की रेटिंग को अपग्रेड किया है।
• सरकार के आर्थिक सुधारों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की शुरुआत के साथ ही कर प्रणाली में व्यापक सुधार किया गया है।
• प्रधानमंत्री ने देश के युवा उद्यमियों का आह्वान करते हुए कहा कि उनमें से प्रत्येक 2022 तक नया भारत बनाने में योगदान दे सकता है। मोदी ने विश्वभर के उद्यमियों से कहा कि वे भारत आएं, भारत में ही बनाएं (मेक इन इंडिया) और भारत व दुनिया के लिए भारत में निवेश करें।
• प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है और देश में बड़ी मात्र में विदेशी पूंजी का आना लगातार जारी है।
• महिलाएं शक्ति का अवतार : सम्मेलन की थीम ‘वूमेन फस्र्ट, प्रॉस्पेरिटी फॉर ऑल’ की जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘भारतीय पौराणिक कथाओं में महिला को शक्ति का अवतार कहा गया है। हम मानते हैं कि महिला सशक्तीकरण हमारे विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।’
• प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय महिलाओं ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। वर्तमान में भारत के सबसे पुराने चार हाई कोर्टो की मुखिया महिला न्यायाधीश हैं।

2. महिला उद्यमियों को मिले बढ़ावा तो दो फीसद बढ़ जाएगी दुनिया की जीडीपी
• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी और सलाहकार इवांका ट्रंप का कहना है कि महिलाओं की अगुआई में चलने वाले उद्यमों को बढ़ावा दिया जाए तो विश्व की जीडीपी में दो फीसद तक इजाफा हो सकता है।
• जीईएस (ग्लोबल इंटरप्रेन्योरशिप समिट) में इवांका ने कहा कि तमाम सुविधाएं मिलने के बाद भी आज महिलाओं के समक्ष उद्योग खड़ा करने और उसे चलाने में भारी परेशानी होती हैं। उनका कहना था कि व्यवसाय में महिला-पुरुष के भेद को खत्म करना बेहद जरूरी है।
• उनका कहना था कि महिला आधारित उद्यमों को प्रोत्साहित करना समाज के लिए अच्छा नहीं है, लेकिन अर्थव्यवस्था के विकास के लिए यह बेहतरीन कदम है। उन्होंने अपने वक्तव्य की शुरुआत में बताया कि किस तरह से वैश्विक स्तर पर उद्यमी अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी कदम उठाने के साथ समाज के विकास का काम करने में जुटे हैं।
• उनका कहना था कि आप लोग नियमों को सिरे से बदल रहे हैं। आठवीं जीईएस समिट के थीम पर उन्होंने कहा कि यह हमारे भविष्य की आधारशिला है। यह खुशी की बात है कि 15 सौ उद्यमियों में से भारी तादाद में महिलाएं शामिल हैं।
• इस बार का थीम ‘वुमेन फस्र्ट, प्रास्परिटी फॉर आल’ है। इवांका का कहना था कि हमे यह सुनिश्चित करना होगा कि महिला उद्यमियों की पहुंच पूंजी के साथ नेटवर्क तक हो और उन के लिए समान कानून बने। महिलाएं ही व्यावसायिक स्तर पर मौजूद लिंग भेद को खत्म करने में अहम भूमिका अदा कर सकती हैं।
• उन्होंने अमेरिकी प्रयासों के बारे में बताया कि किस तरह से एकढर्रे को बदलने के लिए प्रयास हो रहे हैं। स्माल बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन ने महिलाओं के लिए पांच हजार डॉलर का बजट इस साल बढ़ाया है। स्कोर के जरिये अमेरिका एक राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहा है, जिसके तहत सफल महिला और पुरुष उद्यमी उन्हें प्रशिक्षिण देते हैं जो अपनी कंपनी खोलकर सीईओ बनने के इच्छुक हैं।
• ट्रंप प्रशासन वैश्विक स्तर पर भी महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। जी-20 समिट के दौरान अमेरिका ने वल्र्ड बैंक से चर्चा करके महिला उद्यमियों के लिए वित्तीय सहायता जुटाने की मुहिम शुरू की है। इसके तहत विकासशील देशों की महिलाओं को मौका दिया जाना है।
• इवांका ने कहा कि अमेरिका में हमने स्टेम शिक्षा के जरिये सुनिश्चित किया है कि महिला व पुरुषों को अपना हुनर दिखाने के ज्यादा से ज्यादा मौके मिलें। नौकरी पर संकट बने कानूनों को अमेरिका में खत्म किया जा रहा है। इससे छोटे उद्यमों को नुकसान होता है।
• मीडिया ने की इवांका आलोचना : उनकी यात्र पर नजर लगाए बैठे मीडिया में इस बात की चर्चा है कि क्या महिलाओं को सशक्त बनाने का उनका संदेश गरीब तबके के लिए भी है? आलोचक यह भी कहते हैं कि शक्तिशाली होने के बावजूद मानवाधिकारों के हनन को रोकने के लिए वह कुछ नहीं कर रहीं। यहां तक कि उनके ब्रांड की सप्लाई चेन में भी इस तरह की हरकतें लगातार हो रही हैं।

3. संकट प्रबंधन में भारत की मदद करेगा रूस
• रूस राष्ट्रीय संकट प्रबंधन केंद्र (एनसीएमसी) की स्थापना में भारत की मदद करेगा। यह केंद्र भारत में आपदा और अन्य आपात स्थितियों से निपटेगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के आपात स्थिति मंत्री व्लादिमीर पुचकोव की मंगलवार को हुई बैठक में इस पर सहमति बनी।
• सरकारी बयान के मुताबिक, रूस की इमरकॉम इस केंद्र की स्थापना में सहयोग करेगी। बैठक के दौरान सिंह और पुचकोव ने आपदा प्रबंधन में सहयोग को लेकर व्यापक चर्चा की। दोनों नेताओं ने 2010 में आपदा प्रबंधन पर हुए समझौते की प्रगति की समीक्षा की।
• वे आपदा प्रबंधन क्षेत्र के विशेषज्ञों के प्रशिक्षण और एक दूसरे के अनुभवों एवं बढ़िया कामों को साझा करने पर भी सहमत हुए। बाद में दोनों नेताओं ने संयुक्त क्रियान्वयन योजना पर हस्ताक्षर किए। राजनाथ सिंह ने सोमवार को रूसी संघ की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पत्रुशेव से मुलाकात की थी।
• इस दौरान दोनों देशों ने सुरक्षा और आतंकरोधी क्षेत्र में आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने अक्टूबर 2016 में किए गए सूचना सुरक्षा समझौते के क्रियान्वयन की समीक्षा भी की।
• उन्होंने मौजूदा सहयोग और दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के एक दूसरे के यहां नियमित दौरे का स्वागत किया।

4. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के कई जजों के ईमान पर सवालिया निशान
• कनाडा के एक संस्थान की रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के कई जजों के ईमान पर सवालिया निशान लगाया गया है। रिपोर्ट में ब्रिटेन के जज क्रिस्टोफर ग्रीनवुड समेत अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के सात मौजूदा और 13 पूर्व जजों पर मध्यस्थ (आर्बिट्रेटर) के रूप में काम करने का आरोप है।
• अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) के संविधान में जजों को अन्य पेशेवर काम करने की मनाही है।
• इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनएबल डेवलपमेंट (आइआइएसडी) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जज दलवीर भंडारी के मध्यस्थ के रूप में काम करने का कोई प्रमाण नहीं है। भंडारी पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में फिर से चुने गए हैं।
• भंडारी और ग्रीनवुड के बीच मुकाबला था लेकिन बाद में ग्रीनवुड ने नाम वापस ले लिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के मौजूदा अध्यक्ष रोनी अब्राहम और पांच पूर्व अध्यक्षों समेत मौजूदा और पूर्व के 20 जजों ने अपने कार्यकाल के दौरान मध्यस्थ के रूप में काम किया।
• ग्रीनवुड ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कार्यकाल के दौरान निवेश संबंधी करीब नौ मामलों में मध्यस्थता की। इन नौ में से दो मामलों में उन्हें करीब 400,000 डॉलर (करीब 2.60 करोड़ रुपये) फीस के तौर पर दिए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे 90 मामलों से से नौ में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के जजों को करीब 10 लाख डॉलर (करीब 6.45 करोड़ रुपये) बतौर फीस दिए गए।
• हालांकि फीस के तौर पर दी गई पूरी राशि की जानकारी नहीं है क्योंकि निवेशक-सरकार विवाद निपटान (आइएसडीएस) के मामले सार्वजनिक नहीं किए जाते। इसलिए सही राशि इससे ज्यादा हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में नौ साल के कार्यकाल के लिए 15 जजों का चुनाव होता है।
• रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के मौजूदा करीब आधे सदस्यों ने मध्यस्थ के तौर पर काम किया है। इनमें तीन जजों ने नौ मामलों में और बाकी चार जजों ने एक या दो मामलों में मध्यस्थता की। आइआइएसडी के इकोनोमिक लॉ एंड पॉलिसी प्रोग्राम की निदेशक और रिपोर्ट की मुख्य लेखक नताली बर्नासकोनी-ऑस्टरवाल्डर ने कहा कि आइसीजे दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण और सम्मानीय न्यायालय है।
• इसके प्रतिनिधियों को स्वतंत्रता के उच्चतम पैमाने को कायम रखना चाहिए
• 1945 में हुई स्थापना : अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना जून 1945 में संयुक्त राष्ट्र के अधिकार पत्र के अनुसार हुई। आइसीजे ने अप्रैल 1946 से कार्य शुरू किया। इसका मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में है और 193 देश इसके सदस्य हैं। अंग्रेजी और फ्रांसीसी आधिकारिक भाषाएं हैं।
• रॉनी अब्राहम मौजूदा अध्यक्ष हैं। बेनेगल नरसिंह राऊ (1952-53) नागेंद्र सिंह (1973-88)*रघुनंदन स्वरूप पाठक (1989-91)*(1985-88 तक अध्यक्ष और 1976-79 तक उपाध्यक्ष भी रहे) डी. भंडारी (2012-17, दोबारा चयन)
• ब्रिटेन के न्यायाधीश ग्रीनवुड समेत कई मौजूदा और पूर्व जजों ने मध्यस्थ के तौर पर किया काम
• कनाडा के संस्थान इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनएबल डेवलपमेंट की रिपोर्ट में हुआ उजागर

5. नौकरशाही में बड़ा फेरबदल
• सरकार ने मगंलवार को नौकरशाही में शीर्ष स्तर पर फेरबदल किया है। वरिष्ठ नौकरशाह अजय कुमार को रक्षा उत्पादन विभाग में सचिव नियुक्त किया गया है। कुमार 1985 बैच के केरल कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं।
• वर्तमान में वह इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर तैनात हैं। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक उनकी नियुक्ति एक दिसम्बर से प्रभावी होगी। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक राघवेंद्र सिंह को संस्कृति सचिव बनाया गया है।
• सिंह 1983 बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। कारपोरेट मामलों के मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में तैनात प्रीतम सिंह राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक होंगे।
• उपेंद्र प्रसाद सिंह को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में सचिव के नियुक्त किया गया है। वर्तमान में वह इसी मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर हैं।
• वरिष्ठ नौकरशाह अपूर्व चंद्रा रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक (अधिग्रहण) होंगे।

6. दिवाला अध्यादेश में ईमानदारी पर जोर
• दिवाला अध्यादेश से साफ-सुथरे तरीके से कारोबार को प्रोत्साहन मिलेगा और इसमें ईमानदारी पर विशेष जोर दिया गया है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही। इस अध्यादेश को राष्ट्रपति ने पिछले सप्ताह मंजूरी दी थी।
• अधिकारी ने कहा कि इस अध्यादेश के जरिये कर्ज न चुकाने वालों को किसी तरह की राहत नहीं दी गई है। वहीं दूसरी ओर इसमें कर्ज चूककर्ताओ या उनके सहयोगियों को निपटान की प्रक्रि या के तहत रियायती मूल्य पर उसी संपत्ति की खरीद से रोका गया है।इस तरह की खबरें आई थीं कि कुछ ऋण चूककर्ता प्रवर्तक भारी छूट पर संपत्तियों की दोबारा खरीदने का प्रयास कर सकते हैं।
• अधिकारी ने कहा कि इस तरह की खरीद के प्रयास को रोकना एक नैतिक जिम्मेदारी है। अधिकारी ने कहा कि इस अध्यादेश का मकसद मुख्य रूप से सार्वजनिक धन का बेईमान कारोबारियों द्वारा दुरुपयोग को रोकना है।अधिकारी ने कहा, अध्यादेश में संदेश स्पष्ट है।
• कंपनियों को काम करना होगा नहीं तो उन्हें बाहर का रास्ता देखना होगा। जानबूझकर कर चूक करने वाले या बेईमान कारोबारियों के लिए कोई जगह नहीं है। उसने कहा कि यह कदम ऐसे गड़बड़ी करने वाले तत्वों के लिए है जो बैंकों के पैसे का गैर जिम्मेदाराना तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।उल्लेखनीय है कि अंधाधुंध कर्ज देने से 2008 से 2014 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा दिया गए कजरे में कुल 34 लाख करोड़ रपए की वृद्धि दर्ज की गयी।
• कर्ज चुकाए नहीं गए फिर भी उन्हें अवरुद्ध परिसम्पत्ति (एनपीए) घोषित नहीं किया गया है उन कर्जदारों को ऋण के पुनर्गठन के तहत आगे और कर्ज देकर एनपीए की समस्या पर पर्दा डाला जाता रहा।

7. कार्बन डाई ऑक्साइड से बनेगा ईंधन
• तेजी से बढ़ती वैश्विक आबादी ने दुनिया को दो बड़े संकटों के मुहाने पर ला खड़ा किया है। एक है बढ़ता प्रदूषण और दूसरा तेजी से खत्म होते परंपरागत ईंधन। कैसा हो अगर ये दोनों समस्याएं ही एक-दूसरे का समाधान बन जाएं। ये कोई कल्पना नहीं, बल्कि वास्तविकता बनने जा रही है।
• दरअसल, अमेरिका स्थित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्रणाली विकसित करने में सफलता हासिल की है, जिसके जरिए कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों को ईंधन में बदला जा सकेगा।
• वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह हानिकारक गैसों को उपयोगी ईंधन में परिवर्तित कर उसका प्रयोग न केवल कारों से लेकर हवाई जहाज तक, बल्कि विविध रासायनिक कच्चे सामानों के निर्माण में भी किया जा सकेगा।
• इस तरह काम करती है यह प्रणाली : वैज्ञानिकों ने इस प्रणाली में लैंथनम, कैल्शियम और आयरन ऑक्साइड के मिश्रण से एक ङिाल्ली तैयार की है, जोकि इस महत्वपूर्ण खोज का आधार है। यह कार्बन डाई ऑक्साइड से ऑक्सीजन को एक तरफ निकाल देती है, जिसके चलते दूसरी तरफ केवल कार्बन मोनो ऑक्साइड रह जाती है।
• इस प्रक्रिया के दौरान निकली कार्बन मोनो ऑक्साइड का प्रयोग सीधे ईंधन के रूप में किया जा सकता है या फिर इसे हाइड्रोजन और पानी के साथ मिलाकर कई तरह के तरल हाइड्रोकार्बन ईंधन तैयार किए जा सकते हैं।
• इसके अलावा इससे मेथेनॉल (जो कि मोटर वाहन का एक ईंधन है) जैसे रसायन भी बनाए जा सकते हैं।
• इस तरह किया जा सकता है प्रयोग : यह प्रक्रिया सुइट टेक्नोलॉजी जिसे कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) के रूप में जाना जाता है उसका हिस्सा बन सकती है।
• इसके जरिए बिजली उत्पादन पर्यावरण के लिए घातक नहीं रहेगा क्योंकि इसके लिए जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जोकि ग्लोबल वार्मिग का एक मुख्य कारक है।
• प्रक्रिया का सबसे मुश्किल चरण : एमआइटी के जिओ-यू वू के मुताबिक, पेरोवस्काइट नामक एक संरचना के साथ ङिाल्ली केवल ऑक्सीजन के अणुओं को ही गुजरने देती है, जिससे ये पूरी तरह से अलग हो जाती है। पृथक्करण की यह प्रक्रिया 990 डिग्री सेल्सियस पर होती है। इस पूरी प्रक्रिया का सबसे मुश्किल चरण ङिाल्ली से गुजरते समय ऑक्सीजन को कार्बन डाई ऑक्साइड से तब तक दूर रखना था, जब तक ऑक्सीजन दूसरी तरफ न पहुंच जाए।
• यह चीज ङिाल्ली में कार्बन डाई ऑक्साइड की दूसरी तरफ वैक्यूम बनाने से पूरी हो सकती थी, लेकिन इसके लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती। इसलिए शोधकर्ताओं ने वैक्यूम की जगह हाइड्रोजन या मेथेन जैसे ईंधन की धार का प्रयोग किया। ये ईंधन इतनी आसानी से ऑक्सीकृत होते हैं कि बिना किसी दबाव या वैक्यूम के ङिाल्ली से ऑक्सीजन को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं।
• इस तरह वैज्ञानिक इस प्रक्रिया के सबसे कठिन चरण का हल तलाशा और ऑक्सीजन को कार्बन डाई ऑक्साइड से अलग कर लिया।
• ये मिलेंगे लाभ : वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस खोज से न केवल ग्रीनहाउस उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे ईंधन बनाने से आर्थिक रूप से भी लाभ पहुंचेगा।

8. ‘120 बीट्स पर मिनट’ को गोल्डन पीकॉक
• 48वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आइएफएफआइ) में रॉबिन कैंपपिलो की निर्देशित फ्रेंच ड्रामा ‘120 बीट्स पर मिनट’ को सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार गोल्डन पीकॉक से नवाजा गया है।
• गोवा के मुख्यमंत्री व इंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा मनोहर र्पीकर और आइएफएफआइ की स्थायी समिति के संयोजक जाहनू बरुआ फिल्मोत्सव के समापन समारोह में पुरस्कारों का वितरण किया। समारोह में गोल्डन पीकॉक पाने वाली फ्रांसीसी फिल्म कांस में ग्रैंड प्रिक्स समेत चार अवार्ड जीत चुकी है।
• फिल्म की कहानी फ्रांस के 1990 के दशक में समलैंगिकता और एड्स की महामारी को दर्शाया गया है। आइएफएफआइ-2017 में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता सेक्शन में कुल 15 फिल्मों का चयन किया गया था। इसे जज करने वाली ज्यूरी का नेतृत्व फिल्मकार मुज्जफर अली ने किया।
• गोल्डन पीकॉक जीतने वाली फिल्म ‘120 बीट्स पर मिनट’ के निर्देशक समारोह में पहुंच नहीं पाए। उन्हें स्मृति चिन्ह के साथ एक सर्टीफिकेट और चालीस लाख रुपये के नकद पुरस्कार से नवाजा गया। यह राशि फिल्म के निर्माता और निर्देशक के बीच बराबर-बराबर बांटी जाती है।
• फिल्म ‘120 बीट्स पर मिनट’ के अभिनेता नाहुल पेरेज बिस्क्यार्ट को सर्वश्रेष्ठ अभिेनेता का अवार्ड मिला है। उन्हें सिल्वर पीकॉक, सर्टीफिकेट और दस लाख रुपये नकद पुरस्कार मिला।
• हाल ही में रोमांटिक कॉमेडी ‘करीब करीब सिंगल’ में नजर आई अभिनेत्री पार्वती तिरुवोत कोट्टूवट्टा को मलयालम फिल्म ‘टेक ऑफ’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला है। उन्हें सिल्वर पीकॉक के साथ एक सर्टीफिकेट और दस लाख नकद पुरस्कार से नवाजा गया।
• पार्वती ने कहा कि वह इस अवार्ड को केरल की सभी नर्सो को समर्पित करती हैं। महेश नारायण निर्देशित फिल्म वर्ष 2014 में इराक के तिरकुट में फंसी भारतीय नर्सो की कहानी पर आधारित है।
• इसी तरह सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार चीनी फिल्म निर्माता, निर्देशक और स्क्रीनराइटर विवियन क्यू को उनकी फिल्म ‘एंजल्स वीयर व्हाइट’ के लिए दिया गया है।
• उन्हें सिल्वर पीकॉक के साथ एक सर्टीफिकेट और 15 लाख रुपये नकद दिए गए। लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड कनाडा के फिल्मकार एटोम एगोयान को दिया गया है।

 

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