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* 7 December 2017*
1.अमेरिका ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी माना, भड़का अरब जगत
• अमेरिका ने इजरायल के दावे पर मुहर लगाते हुए ऐतिहासिक शहर यरुशलम में अपना दूतावास स्थानांतरित करने का फैसला किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में अमेरिकी मान्यता मिल गई है।
• पश्चिम एशिया में ¨हसा बढ़ने की आशंका से अमेरिका दशकों से इस मसले पर कोई स्पष्ट फैसला नहीं कर रहा था। अरब जगत ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इसका व्यापक असर होने की आशंका जताई गई है।
• ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और जर्मनी ने भी अमेरिकी फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। पोप फ्रांसिस ने अमेरिका से यरुशलम में यथास्थिति का सम्मान करने की अपील की है।
• ट्रंप ने चुनावी घोषणा के अनुरूप इजरायल में अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम स्थानांतरित करने का फैसला किया है। यरुशलम में राजधानी बनने से फलस्तीन के प्रभाव वाले इलाके में इजरायल की पकड़ मजबूत होगी और उसके दावे को बड़ी ताकत मिलेगी।
• अरब देशों के कड़े विरोध को अनसुना करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने विदेश मंत्रलय को दूतावास का स्थान बदलने का आदेश दिया। हालांकि दूतावास स्थानांतरण में तीन से चार साल का समय लगेगा।
• इसके लिए यरुशलम में दूतावास की इमारत के साथ राजनयिकों के आवास का निर्माण होगा और सुरक्षा इंतजाम करने होंगे। अब तक की अमेरिकी नीति के अनुसार यरुशलम का भविष्य इजरायल और फलस्तीन को बातचीत के जरिये तय करना था।
• इजरायल और फलस्तीन, दोनों ही अपनी राजधानी यरुशलम को बनाना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस शहर पर इजरायल के अधिकार को मान्यता नहीं दे रहा था।
• कुछ महीने पहले येरूशलम में 200 साल बाद ईसा मसीह का मकबरा खोला गया था। यह ईसाइयों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है।
• येरूशलम अरब-इसरायल विवाद की धुरी जैसा है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से पहले के इजरायल के दो पूर्व प्रधानमंत्री येरूशलम का बंटवारा करने के पक्ष में बात कर चुके थे। पर अब नेतन्याहू सरकार का कहना है कि येरूशलम कोई मुद्दा ही नहीं है। येरूशलम ही इजरायल की राजधानी है।
• इजरायल का प्रधानमंत्री कार्यालय, सुप्रीम कोर्ट और संसद येरूशलम में ही है। इसलिए इसके बंटवारे का सवाल ही नहीं पैदा होता।
• इजरायल पूरे येरूशलम को राजधानी बताता है, जबकि फिलस्तीनी पूर्वी येरूशलम को अपनी राजधानी बताते हैं। इस इलाके को इजरायल ने 1967 में कब्जे में ले लिया था।
• इस इलाके में यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों धर्मों के पवित्र स्थल हैं। यहां स्थित टेंपल माउंट जहां यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल है, वहीं अल-अक्सा मस्जिद को मुसलमान बेहद पाक मानते हैं।
• ईसाइयों की मान्यता है कि येरूशलम में ही ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था।
• 1995 में अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्ताव पास किया गया था, जिसमें दूतावास को येरूशलम में शिफ्ट करने की बात कही गई थी।
• हालांकि बाद में जो भी राष्ट्रपति सत्ता में आए, उन्होंने यथास्थिति बनाए रखी और प्रस्ताव पर अमल नहीं किया। पर ट्रम्प ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि वह दूतावास को शिफ्ट करवाएंगे। इसलिए ट्रम्प को चुनाव में इजरायल समर्थक वोटरों ने सपोर्ट किया।
• अब उन्होंने अपना वादा पूरा किया है।
सऊदी अरब के सुल्तान सलमान ने कहा है कि अमेरिका के इस कदम से दुनियाभर के मुसलमान भड़क सकते हैं। वहीं, अमेरिका के करीबी मित्र मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने इसे खतरनाक कदम बताया है।
• फ्रांस, यूरोपियन यूनियन ने भी ट्रम्प के इस कदम पर चिंता जताई है।
• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दुनिया की सबसे विवादित जगह येरूशलम को इजराइल की राजधानी घोषित कर दिया है। इस फैसले का अरब लीग में शामिल 57 देशों ने विरोध किया है।
• वह 12 दिसंबर को बैठक करेंगे। तुर्की, सीरिया, मिस्र, सऊदी अरब, जाॅर्डन, ईरान समेत 10 से अधिक खाड़ी देशों ने अमेरिका को चेतावनी दी है। फिलिस्तीन ने दुनिया के देशों सेमदद की अपील की है
• संयुक्त राष्ट्र और दुनिया के ज्यादातर देश पूरे येरूशलम पर इजरायल के दावे को मान्यता नहीं देते हैं। 1948 में इजरायल ने आजादी की घोषणा की थी।
• एक साल बाद ही येरूशलम का बंटवारा हुआ था। 1967 में इजरायल ने 6 दिनों तक चले युद्ध के बाद पूर्वी येरूशलम पर कब्जा कर लिया।
• 1980 में इजरायल ने येरूशलम को राजधानी घोषित कर दिया। यूएन सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव पास करके पूर्वी येरूशलम पर इजरायल के कब्जे की निंदा की थी।

2. महंगाई के डर से सस्ते नहीं हुए कर्ज, ब्याज दरें जस की तस
• महंगाई का खौफ फिर उभरकर सामने आ गया है। लिहाजा होम, ऑटो लोन समेत अन्य कर्जो के जल्द सस्ता होने की उम्मीदों पर रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने पानी फेर दिया है। मुंबई में मौद्रिक नीति की दोमाही समीक्षा की घोषणा करते हुए आरबीआइ के गवर्नर उर्जित पटेल ने नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रखने का फैसला सुनाया।
• उन्होंने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सिफारिशों के आधार पर यह एलान किया। इसका मतलब है कि आने वाले दो महीनों तक रेपो दर मौजूदा छह और रिवर्स रेपो दर 5.75 फीसद पर बरकरार रहेगी। इन दोनों दरों में कमी करके आरबीआइ बैंकों के लिए कर्ज की दरों को घटाने का रास्ता साफ करता है।
• उर्जित के मुताबिक आने वाले दिनों में महंगाई की दर और बढ़ने के आसार है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए खुदरा महंगाई के अनुमानित लक्ष्य को 4.3 से 4.7 के बीच रखा है। पहले यह लक्ष्य 4.2-4.6 फीसद का था। महंगाई को थामने के लिए केंद्रीय बैंक नीतिगत ब्याज दरों (रेपो व रिवर्स रेपो रेट) का इस्तेमाल करता है।
• रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक आरबीआइ से कम अवधि का कर्ज लेते हैं। जबकि रिवर्स रेपो दर पर बैंक अपने पास अतिरिक्त नकदी कुछ वक्त के लिए आरबीआइ के पास जमा कराते हैं।
• ब्याज दर घटाने से लोग ज्यादा कर्ज लेते हैं। इससे बाजार में मांग बढ़ती है। महंगाई भी ऊपर चढ़ती है। जब महंगाई में वृद्धि के आसार हों तो आरबीआइ ब्याज दरों को या तो बढ़ाता है या फिर उसी स्तर पर बनाए रखता है।
• केंद्रीय बैंक ने कच्चे तेल (क्रूड) की कीमतों को लेकर भी चिंता जताई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड मूल्यों का भारत में घरेलू महंगाई दर पर काफी असर पड़ता है।

3. एनपीए छिपाने वाले बैंकों को आरबीआइ की चेतावनी

• फंसे कर्जे (एनपीए) को छिपाने वाले बैंकों को एक बार फिर रिजर्व बैंक ने चेतावनी दी है। गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि हर बैंक को मौजूदा नियमों का पालन करते हुए फंसे कर्जो को बाहर लाने के लिए कदम उठाना चाहिए।
• इसके साथ ही आरबीआइ ने सरकार की तरफ से दिए जाने वाले वित्तीय मदद पर नजर जमाये बैंकों को भी यह संकेत दे दिया है कि प्रदर्शन के आधार पर ही पूंजी आधार बनाने के लिए पूंजी दी जाएगी। अगर बैंक यह समझ रहे हैं कि वे अपने संचालन को सुधार बगैर ही केंद्र से राशि हासिल कर सकते हैं तो यह उनकी गलतफहमी है।1मौद्रिक नीति की समीक्षा करने के बाद पटेल और उनके अन्य वरिष्ठ साथियों ने दोटूक कह दिया है कि सरकार की तरफ से हाल ही में 2.1 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय मदद का जो पैकेज दिया गया है वह एक तरह से अंतिम मदद हो सकती है।
• गवर्नर पटेल के मुताबिक, ‘सरकार का फैसला सिर्फ पूंजीकरण के लिए मदद देने से जुड़ी हुई नहीं है बल्कि यह सुधार से जुड़ी हुई है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस राशि का इस्तेमाल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने के लिए किया जाए।’
• उनका इशारा पिछले एक दशक से लगातार सरकारी बैंकों को दी जाने वाली वित्तीय मदद की तरफ था। सरकार जब मदद देती है तो बैंकों का पूंजी आधार मजबूत हो जाता है और वे ज्यादा कर्ज देना शुरू कर देते हैं।

4. तीन तलाक पर विधि आयोग नहीं देगा राय
• एक देश एक कानून यानी समान नागरिक संहिता में सबसे ज्यादा चर्चित रहा तीन तलाक का मुद्दा अब विधि आयोग की राय का हिस्सा नहीं होगा, क्योंकि उस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। लेकिन अगर समान नागरिक संहिता पर समग्र कानून की सिफारिश संभव नहीं हुई, तो विधि आयोग पर्सनल लॉ में संशोधन के सुझाव दे सकता है, ताकि लिंग आधारित न्याय सुनिश्चित हो और समानता के अधिकार का उल्लंघन न हो।
• ये बात विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान ने दैनिक जागरण को विशेष बातचीत में बताई। 1उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग को रिपोर्ट देने को कहा है। जस्टिस चौहान ने बताया कि समान नागरिक संहिता संवैधानिक व्यवस्था है। संविधान के दायरे में विचार कर आयोग इस पर रिपोर्ट देगा। लेकिन, अगर समान नागरिक संहिता पर समग्र कानून संभव नहीं हुआ तो आयोग विभिन्न समुदायों के पर्सनल लॉ जैसे शादी, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार आदि से संबंधित कानूनों में संशोधनों का सुझाव दे सकता है।
• वैसे बहुविवाह सिर्फ मुसलमानों में ही नहीं है। हंिदूुओं में भी कई जनजातियों में यह प्रचलित है। 1पारसी कानून में तलाक का मुद्दा भी शायद आयोग की सिफारिश का हिस्सा न बने, क्योंकि यह मुद्दा भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
• पारसी कानून में तलाक की प्रक्रिया जटिल है। सिर्फ हाई कोर्ट ही तलाक दे सकता है। विचार करते समय विभिन्न वर्गो को संविधान के शिड्यूल 6 और अनुच्छेद 371ए व (2) और 371 (आइ) में मिली छूट का ध्यान रखा जाएगा। ये प्रावधान उत्तर-पूर्वी राज्यों के बारे में हैं।
• समान नागरिक संहिता पर जारी 16 सवालों की प्रश्नावली पर आयोग को करीब 50 हजार सुझाव मिले हैं। उनमें से करीब 40 हजार सुझाव सिर्फ तीन तलाक पर हैं। हालांकि, आयोग अब इस पर विचार नहीं करेगा। बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने निकाह हलाला और बहु विवाह पर विचार करने से इन्कार कर दिया था।
• हालांकि, समान नागरिक संहिता पर आयोग की ओर से जारी प्रश्नावली में ये दोनों मुद्दे शामिल हैं। इसलिए आयोग इन पर विचार कर सकता है। लेकिन, जस्टिस चौहान कहते हैं कि निकाह हलाला कोई इतना बड़ा मुद्दा नहीं है और बहु विवाह हिन्दुओं में भी प्रचलित है। जस्टिस चौहान ने कहा कि सुझावों का अभी बारीकी से अध्ययन नहीं हुआ है।
• जनवरी से अध्ययन शुरू होगा। जस्टिस चौहान कहते हैं कि यह एक गंभीर और विस्तृत विषय है। इस पर विचार कर रिपोर्ट देने में वक्त लगेगा। रिपोर्ट की कोई समयसीमा अभी तय नहीं है। जस्टिस चौहान का कार्यकाल अगस्त तक है।आयोग ऐसी रिपोर्ट नहीं देगा जिससे किसी वर्ग विशेष को दिक्कत होती हो या फिर उसके संवैधानिक अधिकारों का हनन होता हो।

5. चाबहार बंदरगाह से खुलेगा सीधे रूस तक का रास्ता
• ईरान के चाबहार पोर्ट के पहले चरण का काम पूरा होने में पहले ही कुछ देरी हो गई हो, लेकिन अब इसके आगे का काम बहुत तेजी से होने वाला है। खास तौर पर भारत के स्तर पर चाबहार पोर्ट के विकास के लिए जरूरी मदद देने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। इस पोर्ट के जरिये पूर्व सोवियत गणराज्य के सदस्य देशों के बाजार में पहुंच बनाने को लेकर भी भारत अब ज्यादा सक्रियता दिखाएगा।
• अगर सब कुछ ठीक रहा है तो अगले महीने से चाबहार पोर्ट से भारत रूस को निर्यात करना भी शुरू कर देगा। इस बारे में अगले सोमवार को भारत आ रहे रूस के विदेश मंत्री सेर्गी लावरोव और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीच वार्ता भी होगी।
• रूस के विदेश मंत्री भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आ रहे हैं। उनकी स्वराज के साथ द्विपक्षीय बैठक भी होगी जिसमें हर तरह के मुद्दे पर चर्चा होगी।
• जानकारों का कहना है कि भारत और रूस के बीच पहले भी चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाने के लिए करने पर बात हुई है। भारत और रूस का द्विपक्षीय कारोबार सिर्फ 10 अरब डॉलर का है। दोनों देश इसे पांच वर्षो के भीतर बढ़ाकर 30 अरब डॉलर करना चाहते हैं और इसमें चाबहार पोर्ट एक अहम भूमिका निभा सकता है।
• इस पोर्ट के खुल जाने से भारतीय उत्पादों को कम समय व कम लागत में रूस भेजा जा सकता है। मोटे तौर पर अभी भारतीय सामान को रूस के बाजार में भेजने में जितना समय लगता है उससे आधे समय में अब इसे चाबहार के जरिये भेजा जा सकेगा।
• इससे दोनों देशों की कंपनियों की तरफ से एक दूसरे देश में होने वाले निवेश में भी भारी बढ़ोतरी की बात कही जा रही है। गौरतलब है कि एक जून, 2017 को रूस में राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात में भौगोलिक दूरी को आपसी कारोबार की राह का सबसे बड़ा रोड़ा माना गया था।
• विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि चाबहार पोर्ट की प्रगति को देखते हुए इंटरनेशनल नार्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर (आइएनएसटीसी) को लेकर भी अब उत्सुकता बढ़ी है।
• यह कॉरीडोर आने वाले दिनों में चीन की बेल्ट व रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) से मुकाबला कर सकता है। वर्ष 2010 में भारत, ईरान और रूस की अगुआई में आइएनएसटीसी पर समझौता किया गया था।
• इन तीन देशों के अलावा इसमें अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अजरेबजान समेत कुछ और देश भी शामिल हैं। यह 7200 किलोमीटर लंबा सड़क, समुद्री व रेल नेटवर्क का जाल होगा, जो मुंबई को केंद्रीय एशिया से होते हुए बाकू व मास्को से जोड़ेगा।
• पिछले कुछ वर्षो से इसकी प्रगति धीमी थी, लेकिन चाबहार के शुरू हो जाने के बाद भारत इसको लेकर अब ज्यादा सक्रिय होगा। चाबहार पोर्ट को भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है, क्योंकि इससे भारत ने क्षेत्र में बड़ी हद तक पाकिस्तान को दरकिनार कर दिया है।

6. अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को मिली कानूनी मान्यता
• जलवायु परिवर्तन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना छह दिसंबर को साकार हो गया। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइएसए) के अंतरिम सचिवालय द्वारा नोटिफिकेशन जारी किए जाने के साथ ही संस्था को कानूनी मान्यता मिल गई है।
• इसके साथ ही भारत उन देशों की श्रेणी में शामिल हो गया, जिनमें संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संगठनों का मुख्यालय है
• दो साल पहले 30 नवंबर, 2015 को फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से आइएसए अस्तित्व में आया था। इसमें फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। इसका मुख्यालय गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड स्थित राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान के सूर्य भवन में है।
• संगठन को कानूनी मान्यता प्रदान करने के लिए संबंधित 121 देशों में से 15 देशों का अनुमोदन आवश्यक था। इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद बुधवार नोटिफिकेशन अपलोड कर दिया गया।
• अपलोड करने के दौरान सूर्य भवन स्थित मुख्यालय में आइएसए के आर्थिक सलाहकार अग्रिम कौशल सहित कई अधिकारी उपस्थित थे। अग्रिम कौशल ने कहा कि दो साल पहले जो सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देखा था, वह साकार हुआ है। अब आगे का कार्य तेजी से शुरू कर दिया जाएगा।
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