12 Dec दैनिक समसामयिकी
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* 11December 2017*
1.आरआईसी की बैठक आज : भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्री होंगे शामिल
• रूस, भारत एवं चीन के समूह आरआईसी की 15वीं बैठक सोमवार दोपहर यहां होगी। इसके पहले भारत इन दोनों देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेगा। रूस के विदेश मंत्री सग्रेई लावरोव और चीन के विदेश मंत्री वांग यी इस बैठक में भाग लेने यहां पहुंच रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में साझा हितों से जुड़े वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों की समीक्षा किए जाने तथा त्रिपक्षीय आदान प्रदान एवं गतिविधियों पर भी र्चचा होगी। बैठक के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया जाएगा।
• विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सोमवार को सबसे पहले प्रात: नौ बजे रूस और चीन के विदेश मंत्रियों की द्विपक्षीय बैठक होगी। इसके पश्चात दस बजे भारत एवं चीन तथा 11 बजे भारत एवं रूस की द्विपक्षीय बैठकें होंगी। इस बीच रूस के विदेश मंत्री दस बजे और चीन के विदेश मंत्री 11 बजे राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद से मुलाकात करेंगे।
• आधिकारिक जानकारी के अनुसार 12 बजे से आरआईसी की त्रिपक्षीय बैठक शुरू होगी। दोपहर के भोज के बाद करीब ढाई बजे तीनों विदेश मंत्रियों का एक संयुक्त वक्तव्य होगा। माना जा रहा है कि आतंकवादी सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में सदस्यता का विरोध और वन बेल्ट वन रोड (ओबोर) को लेकर चीन से मतभेदों के बावजूद सोमवार की बैठक में भारत सकारात्क और भविष्योन्मुखी एजेंडे पर चलने का प्रयास करेगा।
• समझा जाता है कि फिलीपीन्स में हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान एवं अमेरिका की चतुष्कोणीय गठजोड़ की स्थापना पूर्व बैठक के बाद दुनिया के तीन बड़े देशों का एकसाथ बैठना एक अहम घटना होगी।
• भारत का मानना है कि उसके हितों को जहां से भी बढ़ने का रास्ता मिलेगा, वह उस रास्ते पर चलेगा। एक प्रकार से यह बैठक भारतीय कूटनीति के लिए एक संतुलनकारी कवायद भी होगी जिसके लिए उसे मतभेदों को अधिक तूल नहीं देने और सकारात्मक एवं भविष्योन्मुखी एजेंडे पर चलने की जरूरत होगी।
2. ट्रंप के खिलाफ एकजुट हुए अरब देश
• अरब के विदेशमंत्रियों ने रविवार को कहा कि यरूशलम को इस्रइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने का अमेरिका का फैसला अवैध है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है।समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, अरब लीग के सदस्य देशों के मंत्रियों की शनिवार शाम एक लंबी बैठक चली और इसमें अमेरिका से अपने फैसले को वापस लेने का आग्रह किया गया।
• बैठक में फैसले को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया गया।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को घोषणा की कि वह यरूशलम को इस्रइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देते हैं और उन्होंने अमेरिकी उच्चायोग को तेल अवीव से यरूशलम ले जाने का फैसला किया। इस घोषणा की चारों तरफ से आलोचना की गई व इसका अरब और मुस्लिम देशों ने विरोध किया।
• अरब के मंत्रियों ने अपने अंतिम बयान में कहा कि अमेरिका के फैसले का कोई कानूनी प्रभाव नहीं है। साथ ही कहा कि यह शांति के प्रयासों को कमजोर करता है और तनाव व क्रोध को बढ़ाने व क्षेत्र को हिंसा व अस्थिरता में धकेलता है।
• अमेरिका पर प्रतिबंध पर विचार : लेबनान के विदेशमंत्री गेब्रान बासिल ने कहा है कि अमेरिका को अपने दूतावास इस्रइल से यरूशलम स्थानांतरित करने से रोकने के लिए उसके खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने पर अरब देशों को विचार करना चाहिए। बासिल ने यहां अरब लीग के विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा, इस निर्णय के खिलाफ अवश्य कार्रवाई करनी चाहिए। इस फैसले के खिलाफ राजनीतिक, आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध अवश्य लगाया जाना चाहिए।
• अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की दशकों पुरानी नीति को बदलते हुए यरूशलम को इस्रइल की राजधानी के रूप में मान्यता दी है और अपने दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम ले जाने का आदेश दिया।
3. जर्मनी में गठबंधन सरकार पर वार्ता को फिर लगा झटका
• जर्मनी में एंजेला मर्केल की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी(सीडीयू) और सोशल डेमोक्रेट(एसपीडी) के नेता मार्टिन शुल्ज के बीच गठबंधन सरकार को लेकर चल रही वार्ता को एक बार फिर झटका लगा है। सीडीयू नेताओं ने शुल्ज के दिए ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ यूरोप’ के विचार को पूरी तरह से नकार दिया है।
• इससे जर्मनी में दोबारा सियासी संकट गहरा गया है। बीते गुरुवार को शुल्ज ने यूरोप को लेकर 2025 तक ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ यूरोप’ की परिकल्पना दी थी। कंजरवेटिव पार्टी के वरिष्ठ नेता वोल्कर काउडर के अनुसार शुल्ज के यूरोप वाला प्रस्ताव यूरोप और नागरिकों दोनों के लिए खतरा है।
• कंजरवेटिव पार्टी के एक और नेता पीटर अल्टमेयर का मानना है कि शुल्ज की दी गई समय सीमा अव्यावहारिक है। हाल ही में आए चुनाव परिणाम से यह साफ हुआ है कि एंजेला मर्केल और शुल्ज की पार्टियों के कुछ वोटर दूसरे दलों की ओर चले गए हैं।
• एंजेला मर्केल की पार्टी को उनकी उदारवादी नीतियों के चलते चुनाव में खासा नुकसान हुआ है। कंजरवेटिव-एसपीडी गठबंधन 2013 से जर्मनी में मिलकर सरकार चला रही थी। अब यूरोप को लेकर उपजे मतभेद ने दोनों पार्टियों के बीच एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।
4. अंतरिक्ष संचार प्रणाली को बेहतर बनाएगा नासा
• नासा के वैज्ञानिक अंतरिक्ष यानों और पृथ्वी के बीच बढ़ते संचार को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग की योजना बना रहे हैं। अभी नासा के अंतरिक्ष यान पृथ्वी से संचार-संपर्क के लिए मानव-नियंत्रित रेडियो सिस्टम पर निर्भर रहते हैं।
• रिसर्चरों का कहना है कि यदि अंतरिक्ष संचार नेटवर्क में आर्टिफिशियल इंटेंलिजेंस को सम्मिलित कर लिया जाए तो संचार की मांग को पूरा करने के अलावा उसकी कार्यकुशलता को भी बढ़ाया जा सकता है। नासा के ग्लेन रिसर्च सेंटर की वैज्ञानिक जेनेट ब्रायोनेस का कहना है कि वैज्ञानिक और खोजी मिशनों के लिए आधुनिक अंतरिक्ष संचार सिस्टमों में जटिल सॉफ्टवेयर का प्रयोग होता है।
• यदि इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जाए तो अंतरिक्ष यान इन सिस्टमों को ज्यादा बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं। उन्हें निर्देशों की प्रतीक्षा किए बगैर उसी समय निर्णय लेने में आसानी होगी।
• संचार के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के विशिष्ट हिस्सों का इस्तेमाल होता है, लेकिन ऐसे चैनलों की संख्या सीमित है। इससे बढ़ते हुए संचार के युग में व्यवधान पैदा हो सकता है।
• सॉफ्टवेयर से युक्त रेडियो नेटवर्क इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के कम इस्तेमाल किए गए हिस्सों का प्रयोग करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हैं और इसके लिए मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पड़ती। ऐसे रेडियो नेटवर्क को कॉग्निटिव रेडियो भी कहा जाता है।
• स्पेक्ट्रम की खाली जगहों का इस समय कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा, लेकिन ये लाइसेंस प्राप्त हिस्से हैं। एक कॉग्निटिव रेडियो उस फ्रीक्वेंसी का प्रयोग कर सकता है, जिसका इस्तेमाल प्राथमिक प्रयोगकर्ता ने नहीं किया है।
• कॉग्निटिव रेडियो स्पेक्ट्रम में जगह की उपलब्धता के आधार पर जगहों का बदल-बदल कर इस्तेमाल कर सकता है। ब्रायोनेस ने बताया कि कॉग्निटिव रेडियो टेक्नोलॉजी में हाल में हुई नई प्रगति से संचार प्रणालियों को नया बल मिला है।
• नासा को अंतरिक्ष के माहौल में कुछ अनोखी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिनमें अंतरिक्ष का मौसम, सूर्य तथा दूसरे खगोलीय पिंडों द्वारा छोड़े जाने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन शामिल है।
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