1.प्रधानमंत्री बोले, जीएसटी से सस्ती होंगी चीजें, मिलेगा
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दर्जनों अप्रत्यक्ष करों को समाप्त करने तथा गुणवत्तापूर्ण सामान और सेवा उपलब्ध कराने को लेकर उनकी सरकार ने हाल में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू किया है। इससे नई व्यापार संस्कृति का निर्माण होगा तथा के पनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिससे कीमतें घटेगी और इसका फायदा गरीब और मध्यवर्ग के उपभोक्ताओं को मिलेगा।
• मोदी ने उपभोक्ता मामलों के विभाग की ओर से आयोजित पूर्वी, दक्षिणी और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ये बात कही। नई व्यवस्था के कारण कर वसूली के लिए जगह जगह स्थापित चेक पोस्ट समाप्त हो गए हैं और सामान परिवहन में लगने वाले समय में काफी कमी आई है।
• पहले जो सामान पांच दिनों में पहुंचता था वह अब तीन दिन में पहुंचने लगा है।
• उपभोक्ता संरक्षण के लिए लाएंगे नया कानून : उनकी सरकार उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। वह उनके हितों से खिलवाड़ करने वालों पर कठोर कार्रवाई करने को लेकर नया कानून ला रही है।
• नया कानून से उपभोक्ताओं के अधिकारों को और मजबूत किया जा सकेगा और उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर गुमराह करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी। इस कानून के आने के बाद केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकार का गठन किया जा सकेगा।
• प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नया तंत्र विकसित किया : मोदी ने कहा कि पिछले तीन साल के दौरान सरकार ने प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नया तंत्र विकसित किया है तथा उपभोक्ता संरक्षण के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन की र्चचा करते हुए कहा कि यूनीसेफ के एक सव्रेक्षण के अनुसार जो गांव खुले में शौच की समस्या से मुक्त हो गए हैं वहां के प्रत्येक परिवार को बीमार नहीं होने के कारण सालाना 50 हजार रपए की बचत हो रही है।
• एलईडी बल्ब से हो रही ऊर्जा की बचत : उन्होंने कहा कि पहले एलईडी बल्ब की कीमत 350 रपए थी लेकिन सरकार के प्रयासों से अब यह 40 से 45 रपए पर आ गई है और ऊर्जा की भी बचत हो रही है। इससे देश में सालाना 20 हजार करोड़ रपए की बचत हो रही है और पर्यावरण प्रदूषण की समस्या कम हुई है।
• पिछली सरकारों की तरह नहीं बांट रहे रेवड़ी : उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पिछली सरकारों की तरह रेवड़ी नहीं बांट रही है बल्कि उसने उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण का कठिन रास्ता चुना है। उपभोक्ताओं के बिजली बिल में कमी की है और महंगाई पर लगाम लगाई है। सार्वजनिक वितरण पण्राली को मजबूत किया गया है और जो व्यक्ति इसके दायरे में है उसको इसका लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है।
• सस्ती की दवाएं व मेडिकल उपकरण : मोदी ने कहा कि लोगों को सस्ती दवाई उपलब्ध कराने के लिए जन औषधि कार्यक्रम शुरू किया गया है और पांच सौ से अधिक दवाएं बहुत कम कीमत पर लोगों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके अलावा ह्रदय रोग के उपचार के लिए लगाए जाने वाले स्टंट की दर में 85 फीसद कमी की गई है और घुटना बदलवाना भी कम खर्चीला हो गया है।
2. व्यापार सुगमता में भारत की रैंकिंग सुधरने की आस
• सरकार के विभिन्न क्षेत्रों में किए गए सुधार से विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में सुधार आने की उम्मीद है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही।
• वर्ष 2018 के लिए विश्व बैंक की कारोबार सुगमता व्यापार सर्वेक्षण रिपोर्ट 31 अक्टूबर को जारी होने वाली है।औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के सचिव रमेश अभिषेक ने कहा, हमने काफी मेहनत की है और इसीलिए हम रैंकिंग में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं।
• उनसे यह पूछा गया था कि क्या विश् वबैंक की आगामी रिपोर्ट में देश की रैंकिंग सुधरेगी। उन्होंने कहा, विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रिपोर्ट 31 अक्टूबर को आने वाली है और हमें उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद करते हैं। इसका कारण बड़ी संख्या में सुधार कार्यक्र मों को आगे बढ़ाना है।
• वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने भी हाल में यही संकेत दिया था। उन्होंने कहा कि देश को कारोबार सुगमता के मोर्चे पर जल्दी ही अच्छी खबर सुनने को मिल सकती है। कारोबार सुगमता सर्वे को प्रतिभागी देश गंभीरता से लेते हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह विदेशी निवेशकों को निवेश गंतव्य के बारे में निर्णय करने में मदद करता है। सचिव ने कहा साढ़े तीन साल में देश में 170 अरब डालर का विदेशी निवेश आया है।
3. हाईवे से भी अधिक महत्वपूर्ण होंगे आईवे
• आम जनता को स्वास्थ्य व शिक्षा सहित अन्य बुनियादी सेवाओं की आपूर्ति में इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के बीच एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि आने वाले दिनों में इंटरनेट राजमार्ग यानी आई वे, राष्ट्रीय सड़क राजमागरे (हाई वे) से अधिक महत्वपूर्ण होंगे।
• दूरसंचार विभाग में सचिव अरुणा सुंदरराजन ने यहां एक कार्यक्र म में यह बात कही। उन्होंने कहा कि देश को आई वे के लिए एक राष्ट्रीय योजना की जरूरत है और सरकार व अन्य भागीदारों को इस दिशा में सोचते हुए पहल करनी चाहिए।
• यहां आई वे से आशय देश भर में सड़कों की तर्ज पर आप्टिक्ल फाइबर का जाल बिछाना है ताकि दूरदराज के इलाकों तक भी हाईस्पीड इंटरनेट की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।सुंदरराजन ने कहा, हमें यह स्वीकार करना होगा कि आने वाले दिनों में डिजिटल आई वेज पारंपरिक रोडवेज हाई वे से भी अधिक महत्वपूर्ण साबित होने जा रहे हैं।
• देश में इंटरनेट व मोबाइल डेटा के बढ़ते इस्तेमाल तथा अर्थव्यवस्था व आर्थिक विकास में इसके योगदान को रेखांकित करते हुए सुंदरराजन ने कहा, दशकों से हम यह गिनती करते रहे हैं कि कितने किलोमीटर नए राजमार्ग बने लेकिन शायद अब समय आ गया है कि हम यह गिनना शुरू कर दें कि कितने किलोमीटर नई आप्टिक्ल फाइबर बिछाई गई। उन्होंने कहा, चाहे स्मार्ट शहर जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना हो या आम लोगों को शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाएं सुनिश्चित सेवा करने का सवाल आप्टिक्ल फाइबर तथा फाइबराइजेशन बहुत ही महत्वपूर्ण है।
• सचिव ने देश के विकास व वृद्धि में फाइबर फर्स्ट की सोच को अपरिहार्य बताया और कहा कि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, उद्योग जगत व उद्योग मंडलों सहित अन्य भागीदारों को इस दिशा में मिलकर काम करना चाहिए।
• पंचायतों को ब्राडबैंड से जोड़ने की भारत नेट परियोजना का पहला चरण दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। 83000 ग्राम पंचायतों को आप्टिक फाइबर नेटवर्क से जोड़ा जा चुका है।
4. एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर क्यों नहीं?
• सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के आरक्षण में क्रीमी लेयर न होने पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने पूछा,क्या एससी-एसटी के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक रूप से ऊपर उठ चुके लोग अपने ही वर्ग के पिछड़े लोगों का हक नहीं मार रहे? इस पर गुरुवार को करीब आधे घंटे चली बहस के दौरान अदालत ने इसे संविधान पीठ को विचार के लिए भेजे जाने के भी संकेत दिए।
• दरअसल, सुप्रीम कोर्ट एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण का मुद्दा संविधान पीठ को भेजे जाने पर सुनवाई कर रहा है। इसी दौरान कोर्ट का ध्यान एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू न होने की ओर गया। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने वरिष्ठ वकील इंद्रा जयसिंह से पूछा, एससी-एसटी वर्ग में कोटे के सहारे ऊपर उठ चुके लोगों को इसका लाभ क्यों मिलना चाहिए? क्रीमी लेयर को बाहर क्यों नहीं किया जाना चाहिए?
• दूसरी न्यायाधीश आर. भानुमति ने कहा,जो लोग सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक रूप से ऊपर उठ चुके हैं उन्हें आरक्षण का लाभ क्यों मिले,जबकि उसी वर्ग के लोग उनसे पीछे छूट गए हैं।
• कानून बना कर सिर्फ संसद ही कर सकती है सूची में संशोधन? : क्या राज्य सरकारें एससी-एसटी सूची से ऐसे लोगों को बाहर कर सकती हैं? वकील पीएस पटवालिया ने कहा, एससी-एसटी में पिछड़ेपन का फंडा लागू नहीं होता। किसी वर्ग को सिर्फ संसद ही कानून बनाकर बाहर कर सकती है।
5. रोहिंग्या मामला व्यावहारिक रुख से सुलझाने की जरूरत
• विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा है कि रोहिंग्या मामले में तीखी आलोचनाओं से काम नहीं चलेगा बल्कि इस मुद्दे के समाधान के लिए व्यावहारिक रुख अपनाने की जरूरत है।
• बृहस्पतिवार को यहां एक कार्यक्र म के दौरान जयशंकर ने इस मामले पर पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि भारत का मकसद रोहिंग्या विस्थापितों को वापस उनके मूल स्थान पर भेजने के उपाय तलाशना है और इसके लिए सिर्फ तीखी आलोचना करने के बजाय व्यावहारिक रुख अपनाने की जरूरत है।
• उन्होंने कहा, भारत इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए अपनी चिंता जाहिर कर चुका है और इस बारे में भारत सरकार ने बांग्लादेश एवं म्यांमार के साथ शीर्ष स्तरीय बातचीत भी की है।
• जयशंकर ने कहा, म्यांमार के रखाइन राज्य से भारी संख्या में लोगों का बांग्लादेश पहुंचना, जाहिर तौर पर गंभीर चिंता की बात है। हमारा मकसद है कि किस तरह यह लोग वापस अपने मूल स्थान पर भेजे जा सकेंगे, हालांकि यह काम आसान नहीं है।
6. एनएलसी के विनिवेश से मिलेंगे सरकार को 750 करोड़ रुपये
• एनएलसी इंडिया में सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी की बिक्री में निवेशकों ने भारी रुचि दिखायी गई है। निवेशकों ने कंपनी की पांच फीसद इक्विटी की बिक्री के लिए 2.10 गुना अधिक बोली लगाई है। सरकार को इस इश्यू से करीब 750 करोड़ रुपये की राशि मिलने की संभावना है।
• बृहस्पतिवार को खुले एनएलसी के ऑफर फॉर सेल में खुदरा निवेशकों का हिस्सा 2.9 गुना सबस्क्राइब हुआ। इसका अर्थ यह है कि अब खुदरा निवेशकों की रुचि प्राथमिक पूंजी बाजार की तरफ बढ़ने लगी है। इन निवेशकों को कीमत में 3.5 फीसद का डिस्काउंट दिया गया था। खुदरा निवेशकों ने अपने हिस्से के लिए 94.60 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर बोली लगाई।
• बुधवार को इश्यू संस्थागत निवेशकों के लिए खुला था जो 3.19 गुना ओवरसबस्क्राइब हुआ। सरकार ने एनएलसी इंडिया में तीन फीसद शेयरों की बिक्री का प्रस्ताव किया था। इसमें सरकार ने ओवरसबस्क्राइब होने की स्थिति में दो फीसद अतिरिक्त राशि अपने पास रखने का विकल्प रखा था।
• वित्त मंत्रालय के बयान के मुताबिक कुल मिलाकर कंपनी की पांच फीसद हिस्सेदारी के लिए 2.10 गुना अधिक आवेदन मिले हैं। विनिवेश के बाद एनएलसी इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 84.32 फीसद रह जाएगी।
• सरकार इस वित्त वर्ष में अब तक कंपनियों में इक्विटी के विनिवेश से 19000 करोड़ रुपये की राशि जुटा चुकी है। पूरे वित्त वर्ष में विनिवेश से 72500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है।
• एयर इंडिया के विनिवेश का सलाहकार बनने को होड़ : एयर इंडिया के विनिवेश में सलाहकार का दर्जा पाने के लिए वित्तीय सलाहकार कंपनियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसकी होड़ में अब तक सात कंपनियां शामिल हो चुकी हैं जिनमें केपीएमजी, बीएनपी पारिबा और रॉथचिल्ड जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।
7. परिवार नियंत्रित फर्मो की संख्या में भारत तीसरे स्थान पर
• घरानों से नियंत्रित कंपनियों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है। देश में 108 सूचीबद्ध कंपनियों का स्वामित्व घरानों के पास है। इस सूची में सबसे आगे चीन में 167 कंपनियां घरानों के नियंत्रण में है। अमेरिका में 121 कंपनियां घरानों के स्वामित्व में हैं।
• क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ताजा सीएस फेमिली 1000 नामक के अनुसार औसत बाजार पूंजीकरण के मामले में भारत की रैकिंग दुनिया भर में 22वीं है। जबकि जापान को छोड़कर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पांचवीं है। भारत में कंपनियों का औसत पूंजीकरण 6.5 अरब डॉलर है।
• घरानों से नियंत्रित कंपनियों की संख्या के मामले में शीर्ष दस देशों में फ्रांस चौथे, हांगकांग पांचवें, कोरिया छठे, मलेशिया सातवें, थाईलैंड आठवें, इंडोनेशिया नौवें और मैक्सिको दसवें स्थान पर हैं। लेकिन औसत आकार के मामले में यह सूची बदल जाती है और दबदबा विकसित देशों का दिखाई देता है।
• घरानों द्वारा नियंत्रित कंपनियों की औसत बाजार पूंजीकरण के मामले में स्पेन सबसे आगे हैं। इस सूची में स्पेन (30 अरब डॉलर), नीदरलैंड (30 अरब डॉलर), जापान (24 अरब डॉलर) और स्विट्जरलैंड (22 अरब डॉलर) शामिल हैं। में क्षेत्र, सेक्टर और आकार के हिसाब से करीब 1000 परिवार नियंत्रित सूचीबद्ध कंपनियों को शामिल किया गया है।
• भारतीय कंपनियां ज्यादा परिपक्व : के अनुसार सर्वे में भारतीय कंपनियां कहीं ज्यादा परिपक्व दिखाई दी हैं। भारत में 60 फीसद परिवार नियंत्रित कंपनियों को तीसरी पीढ़ी संभाल रही है। चीन में ऐसी कंपनियां 30 फीसद हैं। क्रेडिट सुइस के अनुसार वित्तीय प्रदर्शन में परिवार नियंत्रित कंपनियां दूसरी कंपनियों से बेहतर दिखाई देती हैं।
• परिवार नियंत्रित कंपनियों का विकास का नजरिया दीर्घकालिक है। उनकी कंपनियां का शेयर रिटर्न भी बेहतर रहा है।
• शेयर कीमत में भी प्रदर्शन अच्छा : परिवार नियंत्रित कंपनियों के शेयरों की कीमत के लिहाज से देखें तो इस मामले में चीन, भारत और इंडोनेशिया की कंपनियां आगे दिखाई देती हैं।
• इन देशों में कंपनियों के शेयर का पिछले 12 महीनों का औसत मूल्य उनके लाभ के मुकाबले 15-16 गुना (पीई) रहा। जबकि कोरिया, हांगकांग और सिंगापुर की कंपनियों का पीई 10-13 के बीच रहा। परिवार या संस्थापक नियंत्रित कंपनी उन्हें माना गया है जिनमें उनकी हिस्सेदारी और वोटिंग राइट कम से कम 20 फीसद है।
8. ओबीओआर पर चीन को जवाब देने के लिए जापान भी तैयार
• चीन की बेल्ट और रोड (ओबीओआर) नीति के जवाब में अमेरिका, भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर जापान नई रणनीतिक परियोजना बना रहा है। यह बात जापान के विदेश मंत्री तारो कोनो ने निक्केई अखबार से बातचीत में कही है।
• जापान एक रणनीतिक मध्यस्थ की बेहतर भूमिका निभा सकता है : कोनो : अखबार के अनुसार प्रधानमंत्री शिंजो एबी छह नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अपनी मुलाकात में इस परियोजना का प्रस्ताव सामने रख सकते हैं। इस परियोजना के तहत चारों देश जमीन और समुद्र के रास्ते से अपने कारोबार और सुरक्षा मामलों में सहयोग करेंगे।
• सहयोग का यह दायरा पूरी दुनिया में फैलेगा। कोनो ने कहा, हम ऐसे युग में हैं जिसमें जापान एक रणनीतिक मध्यस्थ की बेहतर भूमिका निभा सकता है। इस परियोजना का बड़ा उद्देश्य एशिया और अफ्रीका में उच्च स्तरीय आधारभूत ढांचा तैयार करना है जिससे पिछड़े इलाकों का विकास हो सके।
• चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महाधिवेशन में लगी थी प्रोजेक्ट पर सहमति की मुहर : उल्लेखनीय है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महाधिवेशन में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के विशाल बेल्ट और रोड प्रोजेक्ट पर सहमति की मुहर लगाई गई।
• कम्युनिस्ट पार्टी ने जिस तरह से चिनफिंग में विश्वास जताया है उससे आने वाले दिनों में चीन और ज्यादा आक्रामक तरीके से अपनी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए आगे बढ़ सकता है।160 से ज्यादा देशों को जोड़ने की है योजना : चीन की योजना बेल्ट और रोड प्रोजेक्ट के जरिये 60 से ज्यादा देशों को जोड़ने की है।
• इस योजना के तहत वह अपना तैयार माल इन देशों को पहुंचाएगा और कच्चा माल लाएगा। उत्तर कोरिया मसले पर जापानी विदेश मंत्री ने कहा कि उत्तर कोरिया अगर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के जरिये निगरानी पर भी राजी होता है तो तनाव को कम करने में काफी मदद मिलेगी।
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