11 February 2018(Sunday)

1.फिलिस्तीन के हितों के लिए भारत प्रतिबद्ध
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति मोहम्मद अब्बास को वहां के लोगों के हितों के लिए भारत की प्रतिबद्धता के प्रति शनिवार को आास्त किया और उम्मीद जताई कि फिलिस्तीन शांतिपूर्ण तरीके से जल्द ही एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र बनेगा।संयुक्त अरब अमरीरात, ओमान और फिलिस्तीन की चार दिन की यात्रा के दौरान यहां पहुंचे मोदी ने अब्बास के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बाद कहा कि फिलिस्तीन की खुशहाली और शांति के लिए बातचीत का रास्ता ही एक मात्र हल है।
• उन्होंने कहा कि वार्ता के जरिए यहां ¨हसा खत्म होनी चाहिए तथा शांति का मार्ग निकलना चाहिए। मोदी ने कहा कि फिलिस्तीन की तरह भारत भी युवाओं का देश है। उन्हें यहां के युवाओं से भी वही उम्मीद है जो भारत के युवाओं से हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा हमारा भविष्य और उत्तराधिकारी हैं। इसलिए, दोनों देशों के बीच ज्ञान और विज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए हर साल इस उद्देश्य से एक-दूसरे के यहां आने-जाने वाले छात्रों की संख्या 50 से बढ़ाकर 100 की जाएगी।
• मोदी ने कहा कि फिलिस्तीन के साथ भारत का सदियों पुराना संबंध है और वर्तमान में भी भारत के लिए फिलिस्तीन का विशेष महत्व है। बेहतर कल के लिए दोनों देशों के बीच परस्पर सहयोग को मजबूत किया जाना आवश्यक है और इसके लिए ढांचागत विकास, तकनीकी, वित्त प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी, संरचना विकास जैसे क्षेत्रों में एक दूसरे का सहयोग जरूरी है।
• उन्होंने कहा कि इस क्रम में यहां रामल्ला में टेक्नोलॉजी पार्क परियोजना शुरू की गई है और उस पर तेजी से काम चल रहा है। इसके साथ ही भारत यहां बन रहे राजनयिक संस्थान की स्थापना में भी सहयोग कर रहा है। यह संस्थान विश्व स्तर का होगा।
• परस्पर सहयोग के कार्यक्रमों के जरिए न सिर्फ संबंध मजबूत होंगे, बल्कि रोजगार के अवसर खुलेंगे और युवाओं के सुनहरे भविष्य का सपना पूरा हो सकेगा। दोनों देशों के बीच कौशल विकास और निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत है।

2. भारत और यूएई के बीच पांच समझौतों पर हस्ताक्षर
• भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने शनिवार को ऊर्जा, रेलवे, जनसंसाधन और वित्तीय सेवाओें के क्षेत्र में पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अबू धाबी के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान उपस्थित थे और दोनों की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल स्तरीय बातचीत के बाद इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
• शहजादे ने कहा, मोदी की यात्रा दोनों देशों के दीर्घकालिक ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाती है और उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के बीच पारस्परिक सहयोग और मित्रता बढ़ेगी। नहयान ने एक ट्वीट कर कहा देश के अतिथि, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अबू धाबी पहुंचने पर हमने बड़ी प्रसन्नता के साथ उनका स्वागत किया जिनकी उपस्थिति से दोनों देशों के बीच के दीर्घकालिक संबंधों का पता चलता है।
• उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के बीच की मित्रता और द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम मिला है और यह यात्रा लंबे समय की हमारे ऐतिहासिक मित्रता और द्विपक्षीय संबंधों का प्रमाण है।
• मोदी तीन खाड़ी देशों की या के दूसरे चरण में शनिवार को शाम संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। अबू धाबी प्रेजिडेन्सियल एयरपोर्ट पर उनका रस्मी स्वागत किया गया।
• मोदी की यात्रा के मद्देनजर संयुक्त अमीरात की बुर्ज खलीफा सहित कई महत्वपूर्ण इमारतों पर तिरंगे के रंगों की रोशनी की व्यवस्था की गई है।

3. मोदी को फिलिस्तीन का ग्रैंड कॉलर अवार्ड
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शनिवार को यहां भारत और फिलिस्तीन के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में उल्लेखनीय योगदान के लिए फिलिस्तीन के राष्ट्रीय सम्मान ‘‘ग्रैंड कॉलर ऑफ स्टेट ऑफ फिलिस्तीन’ से सम्मानित किया गया।
• फिलिस्तीन के राष्ट्रपति मोहम्मद अब्बास ने द्विपक्षीय बैठक के बाद हुए समझौते के उपरांत उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। मोदी संयुक्त अरब अमीरात, ओमान और फिलिस्तीन की चार दिवसीय यात्रा के दौरान शनिवार को यहां स्थानीय समय के अनुसार सुबह दस बजे पहुंचे।
• उसके बाद वह फिलिस्तीन के महान नेता यासीर अराफात के स्मारक पर गए और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। वह इसके बाद अराफात के संग्रहालय को देखने गए।

4. मालदीव: नजरें भारत-अमेरिका की ओर
• मालदीव में आपातकाल की घोषणा करके स्थानीय राष्ट्रपति अबदुल्ला यामीन ने हिंद महासागर के इस द्वीप समूह इलाके में संकट खड़ा कर दिया है।
• यह विवाद तब शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला के राजनीतिक विरोधियों को रिहा करने का आदेश दिया और यामीन ने इसे मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने उन न्यायाधीशों को भी जेल में डाल दिया, जिन्होंने इस तरह के आदेश जारी किए थे। फिलहाल ये आपातकाल 15 दिवसीय है, लेकिन यहां के नजारे बिल्कुल बदल गए हैं। सड़कों पर सेना गश्त कर रही है, ताकि कानून और व्यवस्था की स्थिति बनी रहे।
• दरअसल, अदालत ने जैसे ही राष्ट्रपति के नौ विरोधियों को रिहा करने के आदेश जारी किए, यह अब्दुल्ला को नागवार गुजरा। इन विरोधियों में मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मो. नाशीद भी शामिल हैं। 2015 में मोहम्मद नाशीद को आतंकवाद के आरोपों के चलते 13 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी।
• आम राय यही थी कि ये सजा राजनीति से प्रेरित है। नाशीद को कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है। वे राष्ट्रपति यामीन के सौतेले भाई भी हैं। दो वर्ष पहले ब्रिटेन ने उन्हें राजनीतिक शरण जरूर दी थी। लेकिन चुनाव लड़ने की इच्छा के चलते वे फिर से मालदीव लौट आए थे। पूर्व राष्ट्रपति नाशीद श्रीलंका में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
• उनका कहना है कि भारत को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए, साथ ही अमेरिका को इस मामले में मालदीव पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। अमेरिका का मानना है कि यामीन ने अपने विरोध में खड़े होने वाले की लोगों को जेल या निर्वासित किया है।
• मालदीव में इस साल चुनाव होने हैं। ऐसे में ये संकट खड़ा किया गया है। राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए नाशीद को भी लड़ने की अनुमति मिल सकती है। इन हालातों के चलते चुनाव की संभावना क्षीण होती दिखती है।
• अदालत में शेष बचे तीन न्यायाधीशों ने राष्ट्रपति द्वारा जाहिर चिंता और घोषित आपातकाल के बाद राजनीतिक विरोधियों के रिहाई के आदेश को वापस ले लिया है। चीफ जस्टिस के अलावा हाईकोर्ट के अन्य जजों के अलावा देश में 30 वर्ष तक शासन करने वाले मोमुन अब्दुल गयूम को भी हिरासत में लिया गया है।

5. दो राज्यों की उम्मीदें परवान चढ़ा रहा औद्योगिक गलियारा
• प्रस्तावित दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा ) इन दिनों दो राज्यों के निवेश ों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र, दोनों अपने-अपने ों में निवेश जुटाने के लिए इस परियोजना का बखान करते नहीं थक रहे हैं। 1अगले 12 दिनों के अंदर महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के निवेशक भव्य स्तर पर होने जा रहे हैं।
• महाराष्ट्र का तीन दिवसीय निवेशक ‘मैगनेटिक महाराष्ट्र : कन्वरजेंस 2018’ के नाम से 18 से 20 फरवरी तक मुंबई में होने जा रहा है। जबकि उत्तरप्रदेश का निवेशक ‘इन्वेस्टर्स समिट 2018’ भी इसके ठीक बाद 21-22 फरवरी को होना है। संयोग से इन दोनों ों का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना है। इधर, फड़नवीस सरकार बनने के बाद राज्य में निवेश आमंत्रित करने के लिए यह पहला बड़ा जमावड़ा है।
• उधर, योगी सरकार आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार भी पहली बार ही इस प्रकार का कोई करने जा रही है। इसे भी संयोग ही कहेंगे कि ये दोनों ही राज्य अपनी-अपनी भौगोलिक सीमाओं को एक-दूसरे से जोड़ने वाले दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे की खूबियां भुनाकर निवेशकों को आकर्षित करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं।
• दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआइसी) देश की राजधानी दिल्ली को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़नेवाली भारत की अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसका निर्माण जापान के सहयोग से किया जा रहा है। माना जाता है कि यह परियोजना पूरी होने के बाद देश की औद्योगिक प्रगति को पंख लग जाएंगे।
• उत्तर प्रदेश के दादरी से शुरू होकर महाराष्ट्र के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट पर समाप्त होनेवाला 1483 किलोमीटर लंबा यह औद्योगिक गलियारा देश के छह राज्यों से होकर गुजरेगा। इसका 38 फीसद हिस्सा गुजरात से, 39 फीसद राजस्थान से, 10-10 फीसद हिस्सा महाराष्ट्र एवं हरियाणा से तथा सिर्फ 1.5-1.5 फीसद हिस्सा दिल्ली और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा। 1लेकिन उत्तर प्रदेश के लिए यह डेढ़ फीसद ही उम्मीद की सबसे बड़ी किरण है। जिसे भुनाने से वह चूक नहीं रहा है।
• इन्वेस्टर्स समिट 2018 से पहले देश के सात प्रमुख शहरों में हुए उत्तर प्रदेश सरकार के रोड शो के दौरान उद्योगमंत्री सतीश महाना एवं उद्योग विकास आयुक्त अनूपचंद्र पांडेय यमुना एक्सप्रेस वे और आगरा एक्सप्रेस वे के साथ इस औद्योगिक गलियारे का जिक्र करना कहीं नहीं भूले। क्योंकि उत्तर प्रदेश में तैयार होनेवाला उत्पाद इसी औद्योगिक गलियारे से चलकर दक्षिण-पश्चिम के राज्यों एवं जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से विदेशी बाजारों तक पहुंच सकता है।
• जाहिर है, उत्तर प्रदेश के लिए यह औद्योगिक गलियारा किसी वरदान से कम नहीं है। 1दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार भी अपने निवेशक में इस गलियारे का जमकर प्रचार कर रही है। क्योंकि यह महाराष्ट्र के 36 जिलों में से आठ यानी ठाणो, नंदुरबार, नासिक, रायगढ़, पुणो, औरंगाबाद एवं अहमदनगर से गुजरेगा और सूबे की 26 फीसद आबादी को प्रभावित करेगा।

6. बनेंगे कॉरपोरेट बांड के नए नियम
• कंपनियों के लिए अपनी जरूरत के कुल फंड का 25 फीसद कॉरपोरेट बांड बाजार से जुटाना अनिवार्य बनाया जा रहा है। इसके लिए नियम इस साल सितंबर तक बन जाने की उम्मीद है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बाजार नियामक सेबी से कहा है कि बांड बाजार को विकसित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए।
• वित्त मंत्री ने बाजार नियामक सेबी के बोर्ड के साथ बैठक में कहा कि कॉरपोरेट बांड बाजार को और व्यापक बनाए जाने की जरूरत है। सेबी को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए। बैठक के बाद सेबी प्रमुख अजय त्यागी ने कहा कि बाजार नियामक इस दिशा में काम कर रहा है और अगले छह महीने के भीतर इससे संबंधित नियमों को जारी कर दिया जाएगा। इसके बाद सभी लिस्टेड कंपनियों के लिए अपनी जरूरत के फंड का 25 फीसद कॉरपोरेट बांड बाजार से जुटाना अनिवार्य हो जाएगा।
• हाल में शेयर बाजार में आई गिरावट को लेकर सेबी प्रमुख ने छोटे और खुदरा निवेशकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड के जरिये शेयर बाजार में पैसा लगाने का रास्ता उचित और सुरक्षित है। हालांकि यह रास्ता भी बैंक डिपॉजिट जैसा जोखिम से मुक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि बाजार की यह उथल-पुथल अभी कुछ दिन जारी रह सकती है। लेकिन भारतीय बाजारों को लेकर निवेशकों के मन में कोई चिंता नहीं रहनी चाहिए।
• बजट में लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की वापसी को लेकर उठ रही चिंताओं के संबंध में पूछे जाने पर त्यागी ने कहा कि निवेशकों की तरफ से सेबी को अभी तक इस संबंध में एक भी शिकायत अथवा ज्ञापन नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अच्छा कर रहा है और उसका सकारात्मक रुख आगे भी बना रहेगा।
• कॉरपोरेट बांड बाजार के बारे में त्यागी ने कहा कि सरकार की तरफ से आया यह प्रस्ताव इस बाजार को मजबूती प्रदान करेगा। सेबी इसके विस्तृत नियम व दिशानिर्देश सितंबर तक जारी कर देगी।
• क्रिप्टो करेंसी पर नियम : क्रिप्टो करेंसी पर त्यागी ने कहा कि वित्त मंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यह देश में गैरकानूनी है। इस पूरे मुद्दे पर एक कमेटी विचार कर रही है। जल्दी ही कमेटी अपनी सिफारिशें देगी, उसके बाद ही तय होगा कि सेबी की भूमिका क्या होगी।

7. दक्षिण अफ्रीका में गतिरोध गहराया
• दक्षिण अफ्रीका में शनिवार को राजनीतिक गतिरोध गहरा गया। राष्ट्रपति जैकब जुमा के इस्तीफे को लेकर चली लंबी बातचीत का नतीजा नहीं निकला।
• जुमा की पार्टी अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (एएनसी) ने उनका इस्तीफा मांगा है। उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं।1राष्ट्रपति पद के दावेदार सायरिल रामाफोसा और सत्तारूढ़ दल एएनसी ने कहा है कि इस सिलसिले में बातचीत कुछ ही दिनों में पूरी हो जाएगी। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि जुमा किस तरह सत्ता से हटेंगे। दक्षिण अफ्रीका में जारी राजनीतिक गतिरोध से अनिश्चय की स्थिति पैदा हो गई है।
• इस हफ्ते होने वाले कई सरकारी कार्यक्रम रद कर दिए गए हैं। इनमें गुरुवार को होने वाल संसद का संबोधन भी शामिल है।
• न्यूज24 की वेबसाइट ने सूत्रों का नाम बताए बिना कहा कि 48 घंटे के भीतर जुमा के इस्तीफे को लेकर बातचीत पूरी हो जाएगी। लेकिन जोहानिसबर्ग के विट्स यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सुसन बूयसेन का कहना है कि जुमा अभी कुछ और दिनों तक अड़े रह सकते हैं। वह अंत तक लड़ने वाले हैं, जबकि रामाफोसा निर्णायक बनना नहीं चाहते।
• स्थानीय मीडिया के मुताबिक, जुमा के कानूनी फीस को लेकर मुख्य रूप से बातचीत अटकी है। उन्हें कई आपराधिक मामलों में मुकदमे का सामना करना है। इस्तीफे की मांग के बाद से जुमा ने कोई बयान नहीं दिया है। राष्ट्रपति समर्थक अखबार न्यू एज के मुताबिक, जुमा सप्ताहांत में प्रीटोरिया स्थित अपने घर पर परिजनों के साथ बैठक में अपने फैसले की जानकारी देंगे।
• 75 वर्षीय जुमा ने 2009 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति का पद संभाला। भ्रष्टाचार के कई आरोपों, आर्थिक गिरावट और रिकार्ड बेरोजगारी के बावजूद वह सत्ता से चिपके रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *