05 March 2018(Monday)

1.अमेरिकी सरकारी प्रतिभूतियों में बढ़ा है भारतीय निवेश
• आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अमेरिकी सरकारी प्रतिभूतियों में भारत का निवेश 2017 के आखिर में बढ़कर 144.7 अरब डालर की उंचाई को छू गया।इसके अनुसार इन प्रतिभूतियों मे भारत 12वां सबसे बड़ा विदेशी धारक रहा। इस लिहाज से वह सऊदी अरब के बाद है जिसका इन प्रतिभूतियों में निवेश दिसम्बर 2017 में 147.4 अरब डालर रहा।
• बीते एक साल में अमेरिकी सरकार की प्रतिभूतियों में भारत की धारिता लगातार बढ़ी है हालांकि इस दौरान कुछ महीनों में इसमें गिरावट भी आई। अमेरिकी वित्त विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत की अंशधारिता पिछले साल दिसम्बर में पिछले साल की तुलना में लगभग 26 अरब डालर बकक़र 144.7 अरब डालर हो गई।
• दिसंबर 2016 में अमेरिकी प्रतिभूतियों में भारत का निवेश केवल 118.2 अरब डालर रहा था। वर्ष 2017 में अमेरिकी सरकारी प्रतिभूतियों में सबसे अधिक निवेश चीन का 1180 अरब डालर रहा। उसके बाद जापान व आयरलैंड का नंबर है।
• इन प्रतिभूतियों का 12वां सबसे बड़ा विदेशी धारक है भारत
• अमेरिकी प्रतिभूतियों में भारत का निवेश 145 अरब डालर
• सऊदी अरब के इन प्रतिभूतियों निवेश हैं 147 अरब डालर
• इन प्रतिभूतियों में 1180 अरब डालर के निवेश से चीन अव्वल
• दूसरे और तीसरे नंबर पर जापान और आयरलैंड का है निवेश

2. यूरोप, अमेरिका परमाणु हथियार नष्ट करें तब वार्ता संभव : ईरान
• ईरान की सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को कहा कि ईरान तब तक अपने मिसाइल कार्यक्रम पर बातचीत नहीं करेगा, जब तक यूरोप और अमेरिका अपने परमाणु हथियारों और मिसाइलों को नष्ट नहीं कर देते।
• समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, ईरान की सेनाओं के उपसेना प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल मसूद जाजायेरी ने शनिवार को कहा, अमेरिका जिस हताशा के साथ ईरान की परमाणु क्षमताओं पर प्रतिबंध लगाने की बात कह रहा है, वह सपना कभी पूरा नहीं होने वाला।
• जाजायेरी ने कहा, ईरान की परमाणु शक्ति को लेकर अमेरिका की चिंता क्षेत्र में उनकी निराशा और हार से उपजी है।इसके अलावा ईरान के रक्षा शक्ति के विकास से अमेरिका कमजोर स्थिति में आ गया है। उन्होंने अमेरिका से क्षेत्र छोड़ देने का आग्रह किया है। उन्होंने जोर देकर कहा, ईरान के मिसाइल कार्यक्रम के लिए वार्ता की पूर्व शर्त यह है कि अमेरिका और यूरोप अपने परमाणु हथियारों और लंबी दूरी की मिसाइलों को नष्ट करें।
• अमेरिका के दबाव में यूरोप ने मिसाइल कार्यक्रमों पर दोबारा र्चचा के लिए ईरान पर दबाव बढ़ाया है। ईरान ने दोहराया है कि उसके सैन्य बल रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना जारी रखेंगे। वहीं, ईरान के विदेश मंत्री ने भी कहा है कि ईरान अपने घरेलू मामलों और रक्षात्मक नीतियों विशेष रूप से मिसाइल कार्यक्रम में किसी तरह के हस्तक्षेप को मंजूरी नहीं देगा।

3. हर साल 21.35 लाख टन प्रदूषक तत्वों को रोकेगी रैपिड रेल
• रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) प्रदूषण के कहर को काफी हद तक कम कर देगा। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रूट पर इसका संचालन शुरू होने से वायुमंडल में प्रतिवर्ष 21.35 लाख टन प्रदूषण तत्वों की कमी आएगी। यह दावा नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (एनसीआरटीसी) ने किया है।
• इस तर्क के साथ की रैपिड रेल का संचालन शुरू होने पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग 37 से बढ़ कर 63 फीसद हो जाएगा। सड़क पर दौड़ने वाले वाहनों की संख्या घटेगी। जिससे वातावरण प्रदूषित करने वाले तत्वों में भारी कमी आएगी। एनसीआरटीसी की माने तो सबसे ज्यादा कमी कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन में आएगी। जिससे लोग खुल कर सांस ले सकेंगे।
• कार और मोटरसाइकिल : एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस को लेकर ओपिनियन सर्वे कराया है। उसकी रिपोर्ट सुखद है। सर्वे के मुताबिक रैपिड रेल के दौड़ने के बाद 46 फीसद लोग यातायात के इसी साधन का उपयोग करना पसंद करेंगे। सड़कों से 26 फीसद कार और मोटरसाइकिल का बोझ कम हो जाएगा।
• सर्वे में रेलवे के लिए भी अच्छी खबर है। ट्रेनों पर बढ़ रहा बोझ भी कम होगा। रेल पर 17 फीसद यात्रियों की निर्भरता कम हो जाएगी।
• समय ज्यादा कीमती : सर्वे मे लोगों ने समय को तरजीह दी है। लोगों से पूछा गया था कि क्या वह समय की बचत के लिए ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार हैं। इस पर लोगों ने अपनी राय दी कि रैपिड रेल में टिकट थोड़ी अधिक भी लगे तो मंजूर होगा। समय की बचत महत्वपूर्ण हैं। आने-जाने में जितना कम समय लगेगा, काम निपटाने के लिए उतना ही अधिक वक्त मिलेगा।
• खासतौर पर उद्यमी और व्यापारी वर्ग इस पक्ष में है। आम लोगों का भी इससे काफी समय बचेगा। इससे उनमें खुशी है। मेरठ रोड पर मिट्टी की जांच करती एनसीआरटीसी की टीम।रैपिड रेल का संचालन पर्यावरण के लिए बेहतर है।
• इसके शुरू होने के बाद सड़कों पर कार और दुपहिया वाहनों की संख्या कम होगी। उनसे निकलने वाले प्रदूषण तत्व भी कम हो जाएंगे। ऐसे में 21 लाख टन प्रदूषण तत्व प्रति वर्ष वायुमंडल में कम हो जाएंगे।

4. बंदूक संस्कृति पर रोकथाम वाला विधेयक आगे बढ़ा
• फ्लोरिडा की सीनेट स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले एक महत्वपूर्ण बिल को आगे बढ़ाने पर राजी हो गई है। ऐसा दुर्लभ ही होता है कि जब सदन सप्ताह के आखिरी दिनों में बैठक करे, लेकिन अमेरिका में गन कल्चर की गंभीर समस्या को देखते हुए फ्लोरिडा की सीनेट ने शनिवार को बैठक की और प्रस्तावित बिल पर विचार-विमर्श किया।
• इस विचार-विमर्श के दौरान प्रतिनिधियों के भाषण अक्सर बंदूक की संस्कृति पर रोक लगाने की बहस में तब्दील हो गए। बहस का एक बिंदु वह सुझाव भी था, जिसमें पिछले माह पार्कलैंड के एक स्कूल में हुई शूटिंग के बाद शिक्षकों को हथियार उपलब्ध कराने की बात कही गई थी।
• शनिवार को सीनेट में प्रस्तावित बिल पर करीब आठ घंटे की चर्चा हुई। इस दौरान दर्जनों संशोधनों पर चर्चा हुई। पूरा विधेयक करीब 100 पेजों का है। बहस के बाद बिल को मतदान के लिए आगे बढ़ा दिया गया। उम्मीद की जा रही है कि इस पर सोमवार को मतदान होगा।1सीनेट बैठक की शुरुआत सुबह 10 बजे हुई। मूल रूप से इस विधेयक पर बहस दोपहर एक बजे समाप्त हो जानी चाहिए थी, लेकिन सीनेटरों ने सत्र को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
• अंत में शाम करीब छह बजे बहस समाप्त हुई। यह साफ था कि बिल पर सीनेटर दो अलग-अलग धड़ों में विभाजित थे और यह विभाजन केवल पार्टी लाइन पर ही आधारित नहीं था। बिल का मसौदा रिपब्लिकन पार्टी द्वारा तैयार किया गया था, लेकिन उसके ही कुछ सदस्यों की राय थी कि किसी किशोर के लिए हथियार खरीदने की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 किया जाना सही नहीं है। वे हथियार खरीदने के लिए वेटिंग पीरियड लागू करने के विचार से भी सहमत नहीं थे।
• डेमोक्रेट्स की राय थी कि यह बिल कुछ मामलों में जरूरत से ज्यादा सख्ती करता है और कुछ अन्य पर गैरजरूरी नरमी दिखाई गई है।
• दिलचस्प बात यह है कि जहां कुछ सदस्यों ने बिल का मुखर विरोध किया वहीं कुछ सदस्यों की राय थी कि बच्चों की हिफाजत के लिए कम से कम पहला कदम तो उठाया गया। डेमोक्रेट पार्टी के सदस्य स्कूलों में असाल्ट रायफल-15 जैसे हथियारों को प्रतिबंधित करना चाहते हैं। ध्यान रहे कि 14 फरवरी को मार्जरी स्टोनमैन डगलस हाई स्कूल में हुई घटना में असाल्ट रायफल का ही इस्तेमाल किया गया था। इस घटना में सिरफिरे छात्र ने 17 लोगों की जान ले ली थी।

Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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