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*17 November 2017*

1.अपनी ही कार्यप्रणाली पर सुप्रीम कोर्ट में मंथन
• सुप्रीम कोर्ट में एक नया सवाल उठा है कि आखिर सात जजों की पीठ में 4-3 का बहुमत पांच जजों के एकमत से दिए फैसले को कैसे खारिज कर सकता है? आखिर नजीर किसे माना जाए? ज्यादा जजों की राय को या फिर बड़ी पीठ में बहुमत की राय को? दो न्यायाधीशों की पीठ ने कहा है कि अब समय आ गया है कि न्यायिक आवरण हटाकर यह प्रश्न तय किया जाए।
• उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से बड़ी पीठ का गठन कर इस सवाल का हल निकालने का आग्रह किया है, ताकि भविष्य के लिए दिशा तय हो।
• न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और संजय किशन कौल की पीठ ने पान मसाला गुटखा पर टैक्स के एक मामले में यह आग्रह किया है। यह पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को किसी फैसले को नजीर माने जाने की सुप्रीम कोर्ट की तय व्यवस्था खटकी है।
• इससे पहले भी एनजेएसी (राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग) मामले में जस्टिस मदन बी लोकुर ने अलग से लिखे फैसले में कुछ इस तरह की बात कही थी। उन्होंने सवाल उठाया था कि ज्यादा जजों की राय को नजीर माना जाए या बड़ी पीठ के बहुमत को, चाहे उसमें पूर्व फैसले को पलटने वाले न्यायाधीशों की संख्या मूल फैसला देने वाली पीठ के कुल न्यायाधीशों से कम ही क्यों न हो?
• उनका कहना था कि अगर यह लागू हो तो थर्ड जज केस में नौ जजों की एकमत राय का फैसला 11 जजों की पीठ के छह जज पलट सकते हैं। दूसरी तरफ पलटे गए फैसले में एक मत रखने वाले कुल जजों की संख्या देखी जाए तो 14 होती है। जबकि भिन्न मत रखने वाले न्यायाधीशों की संख्या 6 होगी और 6 जजों की राय ही कानून होगी।
• इस नए मामले में जस्टिस नरीमन ने कहा है कि एक काल्पनिक उदाहरण लिया जाए, जिसमें दो न्यायाधीशों की पीठ एक व्यवस्था तय करती है। इसके बाद दो जजों की अन्य नौ पीठें उस फैसले का अनुसरण करती हैं।
• यानी कुल 20 जजों का नजरिया एक हो गया? क्या ऐसे में तीन जजों की पीठ 20 जजों के नजरिये को पलट सकती है? उत्तर हां में होगा, क्योंकि तीन जजों की पीठ सबसे पहले दो जजों द्वारा तय व्यवस्था को पलटती है। बाकी की नौ पीठों ने तो सिर्फ उस पहले फैसले का अनुसरण किया है।
• लेकिन इसके विपरीत दूसरा पहलू देखा जाए जिसमें पांच जजों का एकमत का फैसला सात जजों की पीठ 4-3 के बहुमत से पलट देती है। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक ऐसा हो सकता है, क्योंकि 4 जज सात जजों की ओर से फैसला देते हैं।
• जस्टिस नरीमन फैसले में कहते हैं क्या अब यह न्यायिक आवरण उठाने और यह तय करने का समय नहीं आ गया कि पांच जजों का नजरिया सात जजों की पीठ के चार जज नहीं खारिज कर सकते।
• किसे माना जाए नजीर, ज्यादा जजों की राय को या बड़ी पीठ के बहुमत को
• दो जजों की पीठ ने स्थिति साफ करने के लिए मुख्य न्यायाधीश से उचित पीठ बनाने का किया आग्रह

2. दिल्ली के एलजी के पास राज्यपाल से ज्यादा अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

• सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली के उप राज्यपाल को अन्य राज्यों के राज्यपाल की अपेक्षा ज्यादा अधिकार संविधान से मिले हैं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के नेतृत्व में बनी संविधान बेंच ने यह टिप्पणी की। उनका कहना था कि राज्यपाल केवल मंत्रि समूह की सलाह पर काम (कुछ मामलों को छोड़कर) करता है जबकि एलजी के लिए यह अनिवार्य नहीं है।
• बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, एएम खानविलकर, अशोक भूषण व एके सिकरी भी शामिल हैं। सुनवाई के दौरान संविधान के अनुच्छेद 239एए के साथ 163 की व्याख्या की गई। अदालत ने कहा कि 163 के तहत राज्यपाल के अधिकार परिभाषित किए गए हैं।
• यह अनुच्छेद 239एए की धारा चार से मिलता जुलता है, लेकिन इसमें बड़ा अंतर यह है कि सूची 1,2,18 में दर्ज विषयों (पुलिस, जमीन व जन) पर दिल्ली विधानसभा कानून नहीं बना सकती। यह पूरी तरह से केंद्र का अधिकार क्षेत्र है।
• दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि संसद के पास राज्य विधानसभा के निर्णय को प्रभावित करने का अधिकार तो है, लेकिन वह केवल आपातकाल की स्थिति में है। उनका कहना था कि एलजी केवल राष्ट्रपति का नुमाइंदा होता है।
• वह आपातकाल में खुद से फैसले कर सकते हैं। उन्हें रोजमर्रा के काम में दखल देने का अधिकार नहीं है। संविधान ने उसे असीमित अधिकार नहीं दिए हैं। धवन का कहना था कि एलजी कैसे कह सकते हैं कि अमुक अफसर यहां की जगह अब वहां काम करेगा। उनका कहना था कि दिल्ली के पास अपना पब्लिक सर्विस कमीशन नहीं है।
• सरकार इसे गठित कर सकती है, लेकिन अभी आइपीएस, आइएएस व आइआरएस अफसरों को यहां तैनात किया गया है। धवन का कहना था कि यह सारे अफसर एलजी का ही आदेश मानते हैं। उनका कहना था कि एलजी केवल दो स्थितियों में खुद से फैसला ले सकते हैं। जब सरकार ने अपनी सीमा लांघ दी हो या फिर दिल्ली को किसी तरह का खतरा हो।
• उनका कहना था कि मंत्रि समूह और एलजी के बीच किसी मसले मतभेद हैं तो बातचीत के जरिये उन्हें सुलझाया जा सकता है। तनाव बढ़ने पर राष्ट्रपति दखल दे सकते हैं। उनका यह भी कहना था कि जब एक दल की सरकार केंद्र व दिल्ली में थी तो समस्या पैदा नही हुई, लेकिन इब दोनों जगह अलग-अलग दलों की सरकार हैं और दोनों गुत्थमगुत्था हो रही हैं।
• उनका कहना था कि पुलिस, जमीन व जन पूरी तरह से केंद्र के अधीन हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि दिल्ली सरकार का इन मामलों में कोई दखल ही नहीं है?
• बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली विधानसभा के पास राज्य व उसके समवर्ती कुछ निश्चित मामलों में कानून बनाने का अधिकार है, जबकि संसद को केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के किसी भी मामले में कानून बनाने का अधिकार है।

3. भारत में पहली बार साइबर स्पेस पर सम्मेलन

• भारत में पहली बार साइबर स्पेस पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। इसमें 33 देशों तथा भारत के सभी राज्यों के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री शिरकत करेंगे।
• सम्मेलन का आयोजन 23 से 24 नवंबर तक किया जाएगा।
• सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। इससे पहले इसका आयोजन 2011 में लंदन में, 2012 में बुडापेस्ट में, 2013 में सियोल में और 2015 में हेग में किया गया था। प्रसाद ने कहा कि इस सम्मेलन में वीडियो कान्फ्रेंसिंग तथा व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर फ्रांस, जापान, इजरायल और ब्रिटेन सहित 124 देशों के दस हजार प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
• सम्मेलन में मुख्य रूप से साइबर फॉर इन्क्लूसिव ग्रोथ, साइबर फॉर डिजिटल इन्क्लूजन, साइबर फॉर सिक्योरिटी और साइबर फॉर डिप्लोमेसी पर चर्चा की जाएगी।
• केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर साइबर डिप्लोमेसी तेजी से उभर रहा है। इसलिए आने वाले सम्मेलन में साइबर सुरक्षा बड़ा मुद्दा होगा।
• उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल समावेशी कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना चाहता है। प्रसाद ने कहा कि सम्मेलन में डिजिटल इन्क्लूजन पर भी चर्चा की जाएगी। इसमें भारत कॉमन सर्विस सेंटर और बीपीओ के क्षेत्र में हासिल की गई कामयाबी को भी प्रदर्शित करेगा।
• उन्होंने कहा कि आने वाले पांच छह महीनों में देश की सभी ढाई लाख ग्राम पंचायतों में कॉमन सर्विस सेंटर की सुविधा मुहैया करा दी जाएगी।

4. भारत, बेलारूस के बीच सहयोग समझौते को मंजूरी

• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और बेलारूस के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए हुए वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते को बृहस्पतिवार को मंजूरी प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय किया गया।
• बैठक में कैबिनेट को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) और बेलारूस के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के बीच हुए समझौते की जानकारी दी गई। यह समझौता 12 सितम्बर 2017 को बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्सांद्र लुकासेंको की यात्रा के दौरान हुआ था।
• इस समझौते के तहत भारत और बेलारूस के बीच नियंतण्र स्तर की प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकी की पहचान करने के साथ इनका मूल्यांकन, विकास और व्यवसायिकरण करने की बात कही गई है।

5. हवाई संपर्क और मजबूत करेंगे भारत-पोलैंड

• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को भारत और पोलैंड के बीच नागर विमानन के क्षेत्र में सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिये सहमति पत्र (एमओयू) को मंजूरी प्रदान कर दी। इस एमओयू पर दोनों देशों की सरकारों की मंजूरी मिलने के बाद हस्ताक्षर होंगे।
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय किया गया। यह एमओयू पांच वर्षो की अवधि के लिए होगा।इस सहमति पत्र का मकसद दोनों देशों के बीच नागर विमानन क्षेत्र में आपसी सहयोग को समझते हुए भारत में क्षेत्रीय हवाई सम्पर्क स्थापित करना और उसे बेहतर बनाना है।
• इसके अलावा दोनों देशों के पर्यावरण परीक्षण के संबंध में आपसी लाभ को मान्यता प्रदान करना, उड़ान निगरानी मंजूरी एवं विमान रख रखाव सुविधा मंजूरी पर ध्यान देना आदि शामिल है।
• सहमति पत्र के तहत नागर विमानन बाजार की ओर से कानूनी एवं प्रक्रियागत मुद्दों की समीक्षा के दौरान सहयोग करना है, जो दोनों देशों के सहयोग को प्रभावित करते हों।
• इसके अलावा नागर विमानन नियमन, क्षेत्रीय हवाई परिचालन, सुरक्षा मानदंडों को बेहतर बनाने जैसे विषयों पर सूचनाओं एवं विशेषज्ञता का आदान प्रदान करना है।
• सहमति पत्र के तहत भारत और पोलैंड हवाई सुरक्षा पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे तथा सूचनाओं के अदान-प्रदान के लिए नियमित बैठक करेंगे।

6. सिंगापुर ने उत्तर कोरिया से तोड़े व्यापारिक रिश्ते

• सिंगापुर ने उत्तर कोरिया से अपने व्यापारिक संबंध खत्म कर लिए हैं। यह कदम संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के मद्देनजर उठाया गया है। उत्तर कोरिया के बड़े सहयोगियों में सिंगापुर शामिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने करीब दो महीने पहले उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाए थे। यूएन की चेतावनी के बावजूद उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण के साथ मिसाइल संबंधी कार्यक्रमों को जारी रखा हुआ था।
• सिंगापुर में कस्टम विभाग के महानिदेशक फौजिया ए. सानी ने कहा,‘उत्तर कोरिया से आने और जाने वाली सभी वस्तुओं पर सिंगापुर प्रतिबंध लगाता है।’ सिंगापुर में यह प्रतिबंध आठ नवंबर से प्रभावी हो गया है। जो कंपनियां प्रतिबंधों का उल्लंघन करेंगी, उनसे 96 लाख रुपये या व्यापार की जा रही वस्तुओं की कीमत से चार गुना अधिक जुर्माना वसूला जाएगा।
• इस तरह के कारोबार में शामिल व्यक्तियों को तीन साल तक की जेल भी हो सकती है। सिंगापुर उत्तर कोरिया का सातवां बड़ा साङोदार था। पांचवें नंबर पर फिलीपींस आता था। फिलीपींस ने उत्तर कोरिया से पहले ही अपने व्यापारिक रिश्ते तोड़ लिए थे। उत्तर कोरिया के सबसे बड़े सहयोगी चीन ने भी काफी हद तक अपने कारोबारी रिश्ते को खत्म कर लिया है।
• ज्ञात हो, तमाम अपीलों को दरकिनार कर उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन ने परमाणु परीक्षण किया था। इसी के बाद उस पर प्रतिबंध लगे थे।

7. चीन बोला, गुलाम कश्मीर में बनने वाले डैम पर पाकिस्तानी रुख से है अनजान

• चीन और पाकिस्तान की दोस्ती में कुछ ही वषरे के भीतर कड़वाहट आना शुरू हो गई है। वैश्विक बिरादरी में अटूट दोस्ती का दंभ भरने वाले दोनों देश अब एक दूसरे पर तोहमत मढ़ने पर उतर आए हैं।
• गुलाम कश्मीर (पीओके)में बनने वाले दियामेर-भाषा डैम (बांध) को लेकर पाकिस्तान सरकार की तरफ से कहा गया है कि वामपंथी देश चीन ने पैसा लगाने की सूरत में जो शर्ते रखी थीं, वह उसके लिए स्वीकार्य नहीं हैं, लिहाजा अब डैम को वह अपने खर्च पर बनाएगा।
• उधर, चीन का कहना है कि उसे इस बात का पता नहीं है कि पाकिस्तान सरकार ने डैम के प्रोजेक्ट (परियोजना) को सीपीईसी से अलग कर दिया है।
• चीन के विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता गेंग शुआंग का कहना है कि सीपीईसी को लेकर काम बेहतरीन तौर पर चल रहा है। एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि वह इससे अनिभिज्ञ हैं कि पाकिस्तान सरकार ने डैम को सीपीईसी से अलग कर लिया है, क्योंकि उनकी शर्ते उसे स्वीकार्य नहीं थीं।
• गेंग का कहना था कि चीन व पाक के बीच का समन्वय बेहतरीन है और सीपीईसी को को तेजी से पूरा करने पर काम चल रहा है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की वाटर व पॉवर डेवलपमेंट अथॉरिटी (डब्ल्यूएपीडीए) के चेयरमैन मुजम्मिल हुसैन ने गत दिवस को मीडिया से कहा था कि डैम में पैसा लगाने के लिए चीन ने जो शर्ते रखी थीं, वह स्वीकार करने वाली नहीं हैं।
• हुसैन ने कहा कि वह डैम पर मालिकाना हक चाहता था। उनका कहना था कि पाकिस्तान पीएम शाहिद खाकान अब्बासी ने अब इस बांध को खुद बनाने का फैसला लिया है।1 खास बात है कि चीन व पाक के बीच सातवीं संयुक्त सहयोग (जेसीसी) की बैठक 21 नवंबर को इस्लामाबाद में होने जा रही है। चीन की आलोचना को लेकर पाकिस्तान सरकार का पैंतरा भौचक करने वाला है।
• माना जा रहा है कि वह चीन के साथ हिस्सेदारी और आल वेदर समझौता रद कर सकता है। उधर, पाकिस्तानी हुकूमत में उच्च पदों पर बैठे सूत्रों का कहना है कि दियामेर-भाषा डैम के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से पैसा जुटाने में पाक सरकार की हर कोशिश भारत के विरोध के चलते नाकाम हुई है।
• विश्व बैंक के साथ एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। अब चीन भी इसमें निवेश करने से पीछे हट रहा है। यह पाकिस्तान सरकार के लिए झटका है। यह डैम सिंधू नदी पर बनाया जाना है।

8. नाकामी के बाद पीएसएलवी को और सक्षम बनाने में जुटा इसरो
• भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सेटेलाइट को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने वाले पीएसएलवी को और सक्षम बनाने में जुटा है। 31 अगस्त को पीएसएलवी-एक्सएल के विफल होने के बाद इसकी क्षमताओं पर सवाल उठने लगे हैं।
• रॉकेट की हीट शील्ड अलग नहीं होने के कारण नेविगेशन सेटेलाइट आइआरएनएसएस-1 एच को योजना के मुताबिक अंतरिक्ष में स्थापित नहीं किया जा सका था। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के. शिवन ने बताया कि इस विफलता का दिसंबर में होने वाले प्रक्षेपण पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
• आइआरएनएसएस-1 ए में तकनीकी खामी के बाद उसके स्थान पर आइआरएनएसएस-1एच का प्रक्षेपण किया जा रहा था। यह इंडियन रीजनल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम का हिस्सा है।
• शिवन ने कहा, ‘पिछले मिशन के असफल होने से दिसंबर में होने वाले प्रक्षेपण को लेकर इसरो चिंतित नहीं है। पीएसएलवी-एक्सएल के विफल होने की वजहों का पता लगाया जा रहा है। इस बीच, अगले रॉकेट को और सक्षम बनाया गया है।’ इसरो दिसंबर में पीएसएलवी के माध्यम से काटरेसेट के अलावा 30 अन्य छोटे सेटेलाइट प्रक्षेपित करने वाला है।
• शिवन ने बताया कि पीएसएलवी-एक्सएल के योजना के मुताबिक काम न करने पर वैज्ञानिक खुद हैरान हैं कि ऐसा क्यों और कैसे हुआ? मालूम हो कि रॉकेट की हीट शील्ड नहीं खुलने के कारण सेटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित नहीं किया जा सका।
• उन्होंने स्पष्ट किया कि अगस्त की विफलता डिजाइन की वजह से नहीं हुई है।1इसरो ने अमेरिका के जीपीएस की तर्ज पर आइआरएनएसएस प्रणाली विकसित की है। इससे जमीन के अलावा समुद्री इलाकों पर नजर रखना भी संभव हुआ है।
• नेविगेशन के लिए भारत को विदेशी मदद लेने की जरूरत नहीं रही। पीएसएलवी-एक्सएल के विफल होने पर दिसंबर के प्रक्षेपण मिशन पर सवाल उठने लगे थे। शिवन ने इसे दूर करते हुए घटना को मामूली बताया है।

9. मुकेश अंबानी बने एशिया में सबसे दौलतमंद

• मुकेश अंबानी के परिवार के नाम बड़ा तमगा जुड़ गया है। अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स के मुताबिक मुकेश अंबानी का परिवार एशिया का सबसे दौलतमंद बन गया है। उनके परिवार की संपत्ति में 19 अरब डॉलर (करीब 1.24 लाख करोड़ रुपये) की वृद्धि हुई है।
• फिलहाल परिवार की संपत्ति 44.8 अरब डॉलर (करीब 2.92 लाख करोड़ रुपये) हो गई है। अंबानी परिवार ने सैमसंग के मालिकाना हक वाले ली परिवार को पछाड़ा है।1सैमसंग के शेयरों में उछाल से ली कुन ही के परिवार की संपत्ति में भी इस साल 11.2 अरब डॉलर (करीब 73,100 करोड़ रुपये) की वृद्धि हुई।
• सूची में दूसरे स्थान पर रहे कोरिया के ली परिवार की कुल संपत्ति 40.8 अरब डॉलर (करीब 2.66 लाख करोड़ रुपये) रही। एशिया के 50 अमीर परिवारों की सूची में तीसरा नंबर हांगकांग के कॉक परिवार का है, जिनकी संपत्ति करीब 40.4 अरब डॉलर (2.64 लाख करोड़ रुपये) है।
• कॉक परिवार सन हंग काई प्रोपर्टीज का मालिक है। चौथे स्थान पर थाइलैंड के केरोन पोपहैंड ग्रुप के मालिक चिआरावैनांट परिवार का है। इस परिवार की कुल संपत्ति 36.6 अरब डॉलर (करीब 2.39 लाख करोड़ रुपये) है।
• सूची में कुल 18 भारतीय परिवारों को जगह मिली है। हालांकि टॉप 10 में जगह बनाने वाला अंबानी परिवार एकमात्र भारतीय परिवार है।
• इस साल अंबानी परिवार की संपत्ति में जितनी वृद्धि हुई है, उतना उछाल सूची में स्थान पाने वाले किसी अन्य परिवार की संपत्ति में नहीं आया। इस परिवार की संपत्ति बढ़ने में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में आई तेजी और टेलीकॉम सेक्टर में रिलायंस जियो की जबर्दस्त दखल का योगदान रहा।
• सूची में अजीम प्रेमजी (11वें), हंिदूुजा परिवार (12वें), मित्तल परिवार (14वें), सायरस मिस्त्री (16वें) और बिड़ला परिवार (19वें) पायदान पर रहे। इसके अलावा सूची में गोदरेज परिवार (20वां), बजाज परिवार (26वां), जिंदल परिवार (32वां), बर्मन परिवार (35वां), आयशर मोटर्स के लाल परिवार (36वां), श्री सीमेंट के बांगड़ परिवार (37वां), मदरसन सुमी सिस्टम्स के सहगल परिवार (41वां), वाडिया परिवार (42वां), डीएलएफ के कुशल पाल सिंह का परिवार (44वां), कैडिला को नियंत्रित करने वाला पटेल परिवार (45वां), पिरामल परिवार (47वां) और मुंजाल परिवार (48वां) स्थान मिला।
• सूची में शामिल सभी 50 परिवारों की कुल संपत्ति 699 अरब डॉलर (करीब 45.61 लाख करोड़ रुपये) है। एक साल पहले के मुकाबले इनकी संपत्ति में 200 अरब डॉलर (करीब 13 लाख करोड़ रुपये) की वृद्धि हुई है।

10. भारतवंशी मिली बनर्जी बनीं ब्रिटेन की पुलिस संस्था की प्रमुख

• ब्रिटेन में भारतवंशी कारोबारी को पुलिस की संस्था कॉलेज ऑफ पुलिसिंग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कोलकाता में जन्मीं मिली बनर्जी इस पेशेवर संस्था का कामकाज देखेंगी। 171 वर्षीय बनर्जी पुलिस से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को जरूरी कौशल और जानकारी उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगी।
• बनर्जी ने कहा कि हम रोजमर्रा में बहादुरी, समर्पण और सहानुभूति दिखाने वाली पुलिस को सर्वश्रेष्ठ कौशल और जानकारी उपलब्ध कराने को समर्पित हैं।
• इस संबंध में हमारे पास महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं। उन्होंने कहा कि वह इस पेशेवर संस्था के निर्माण के लिए मदद देने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ काम करने की इच्छुक हैं।
• ब्रिटेन के गृह मंत्री अंबर रड ने कहा कि बनर्जी की नियुक्ति से साथ ही माइक कनिघंम को संस्थान का मुख्य कार्यकारी बनाए जाने से पुलिस को पेशेवर बनाने में मदद मिलेगी।

 

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