_*06 & 07 May 2018(Sunday & Monday)*_

*1.इजरायल ने सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट के चुनाव से नाम वापस लिया*
• इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट के चुनाव से नाम वापस ले लिया है। इस सीट के लिए उसका मुकाबला जर्मनी और बेल्जियम से होना था। सुरक्षा परिषद की सीट उसके पास कभी नहीं रही है।1यूएन स्थित इजरायली दूतावास ने शुक्रवार को तीनों उम्मीदवारों के बीच बहस से ठीक पहले इस फैसले की घोषणा की। उसने कहा, ‘अच्छे मित्रों समेत अपने सहयोगियों से चर्चा के बाद इजरायल ने उम्मीदवारी छोड़ने का फैसला किया।’
• सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट क्षेत्र के हिसाब से बांटी गई हैं। इजरायल पश्चिमी यूरोप और अन्य ग्रुप (डब्ल्यूईओजी) वाले क्षेत्र में आता है। वह 2019-2020 कार्यकाल के लिए दो सीटों पर होने वाला चुनाव लड़ना चाहता था, लेकिन इस क्षेत्र में निर्विरोध निर्वाचन नहीं होने से उसे बड़ा झटका लगा।
• अमेरिका ने निर्विरोध निर्वाचन के लिए की थी डील : अमेरिका ने इजरायल के निर्विरोध निर्वाचन के लिए डील की थी क्योंकि चुनाव होने पर उसकी हार हो सकती थी। जर्मनी में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड ग्रेनेल के मुताबिक, पश्चिमी यूरोपीय देशों ने वादा तोड़ दिया। 2019-2020 कार्यकाल के लिए एशिया पैसेफिक ग्रुप की एक सीट के के चुनाव के लिए इंडोनेशिया और मालदीव उम्मीदवार हैं। चुनाव आठ जून को होने वाला है।
• सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट के लिए यूएन के सभी 193 सदस्य देश मतदान करते हैं।संयुक्त राष्ट्र, आइएएनएस : इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट के चुनाव से नाम वापस ले लिया है। इस सीट के लिए उसका मुकाबला जर्मनी और बेल्जियम से होना था। सुरक्षा परिषद की सीट उसके पास कभी नहीं रही है।
• यूएन स्थित इजरायली दूतावास ने शुक्रवार को तीनों उम्मीदवारों के बीच बहस से ठीक पहले इस फैसले की घोषणा की। उसने कहा, ‘अच्छे मित्रों समेत अपने सहयोगियों से चर्चा के बाद इजरायल ने उम्मीदवारी छोड़ने का फैसला किया।’ सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट क्षेत्र के हिसाब से बांटी गई हैं।
• इजरायल पश्चिमी यूरोप और अन्य ग्रुप (डब्ल्यूईओजी) वाले क्षेत्र में आता है। वह 2019-2020 कार्यकाल के लिए दो सीटों पर होने वाला चुनाव लड़ना चाहता था, लेकिन इस क्षेत्र में निर्विरोध निर्वाचन नहीं होने से उसे बड़ा झटका लगा।
• अमेरिका ने निर्विरोध निर्वाचन के लिए की थी डील : अमेरिका ने इजरायल के निर्विरोध निर्वाचन के लिए डील की थी क्योंकि चुनाव होने पर उसकी हार हो सकती थी। जर्मनी में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड ग्रेनेल के मुताबिक, पश्चिमी यूरोपीय देशों ने वादा तोड़ दिया। 2019-2020 कार्यकाल के लिए एशिया पैसेफिक ग्रुप की एक सीट के के चुनाव के लिए इंडोनेशिया और मालदीव उम्मीदवार हैं।
• चुनाव आठ जून को होने वाला है। सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट के लिए यूएन के सभी 193 सदस्य देश मतदान करते हैं।
*2. इस्लामिक कांफ्रेंस में पर्यवेक्षक के तौर पर भारत को शामिल करें : बांग्लादेश*
• बांग्लादेश ने भारत जैसे गैर-मुस्लिम देशों को पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल करने के लिए आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कांफ्रेंस (ओआइसी) के चार्टर में सुधार करने का प्रस्ताव दिया है। ओआइसी 57 मुस्लिम बहुल देशों का संगठन है।
• ओआइसी के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में बांग्लादेश के विदेश मंत्री महमूद अली ने कहा कि बड़ी संख्या में मुस्लिम नागरिकों वाले कई देश ओआइसी के सदस्य नहीं हैं। ऐसे गैर-ओआइसी देशों के साथ संपर्क बनाने की जरूरत है। उन्हें शामिल करना इसलिए जरूरी है ताकि बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी ओआइसी के अच्छे कार्य से अछूती न रह जाए। इसके लिए ओआइसी में सुधार और पुनर्गठन की जरूरत है।
• अली ने कहा कि उन देशों में मुस्लिम भले अल्पसंख्यक हैं, लेकिन वहां उनकी कुल आबादी कई ओआइसी सदस्य देशों से अधिक है। सम्मेलन का उद्घाटन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शनिवार को किया था। 1अधिकारियों और विश्लेषकों का कहना है कि अली का प्रस्ताव मुख्य रूप से भारत के लिए है।
• भारत में इस्लाम दूसरा सबसे बड़ा धर्म है और दुनिया की कुल मुस्लिम आबादी का 10 फीसद वहां रहता है। कई ओआइसी देशों और संगठन के महासचिव ने प्रस्ताव की सराहना की। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान इसके खिलाफ हो सकता है। पहले भी उसने भारत को शामिल किए जाने का विरोध किया था। हालांकि ओआइसी सदस्य देशों के साथ भारत के मजबूत संबंध हैं।
*3. पीएमजेवीके’ अल्पसंख्यकों की 80 फीसद आबादी कवर करेगा*
• केंद्र सरकार की ओर से ‘‘बहु क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम’ (एमएसडीपी) का नाम बदलकर ‘‘प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ (पीएमजेवीके) किए जाने के बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में इस कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यकों की 80 फीसद आबादी कवर हो जाएगी।
• पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी) का प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के रूप में नामकरण करने और पुनर्गठन की मंजूरी दी। पहले एमएसडीपी के तहत उन्हीं इलाकों में विकास योजनाओं का क्रियान्वयन होता था जहां अल्पसंख्यक समुदाय की कम से कम आबादी 50 प्रतिशत हो, लेकिन अब जनसंख्या मानक को घटा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया है।
• नकवी ने कहा, देश के सभी हिस्सों में अल्पसंख्यकों तक विकास की रोशनी पहुंचाने की दिशा में यह बड़ा कदम है। इसी वित्त वर्ष में अल्पसंख्यकों की 80 फीसद आबादी को ‘‘प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ के तहत कवर कर लिया जाएगा। प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है।
• बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम में देश के 196 जिले कवर किये गये थे, जबकि प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम में देश के 308 जिले कवर किये जाएंगे। मंत्री ने कहा, 3972 करोड़ रुपये की लागत से पीएमजेवीके को लागू किया जाना है। बजट का 80 फीसद शिक्षा, स्वास्य और कौशल विकास के लिए खर्च किया जाएगा। कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार/राज्य सरकार के निकायों की भूमि के अलावा वक्फ, ग्राम पंचायत आदि की भूमि पर भी विकास योजनाएं शुरू की जा सकेंगी।
• नकवी ने कहा कि पिछले 3 वर्षों के दौरान 11 डिग्री कॉलेजों, 925 स्कूल भवन, 16 हजार 411 अतिरिक्त क्लासरूम, 163 बालिका छात्रावास, 53 आईटीआई, 38,736 आंगनवाड़ी केंद्र, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 348,624 घर, 340 ‘‘सद्भावना मंडप’, 67 आवासीय विद्यालयों का निर्माण किया अथवा स्वीकृति प्रदान की गई।
*4. लेबनान में संसदीय चुनावों के लिए मतदान*
• लेबनान में रविवार को लगभग एक दशक बाद पहली बार संसदीय चुनावों के लिए मतदान हुए। बीबीसी के मुताबिक, चार साल के कार्यकाल के लिए देश में आखिरी बार चुनाव 2009 में हुए थे। लेकिन, संसद ने पड़ोसी देश सीरिया में अस्थिरता के कारण और देश में चुनाव कानूनों में सुधार करने के लिए दो बार अपना कार्यकाल बढ़ा दिया था।
• देश में सभी 128 सीटों पर शाम सात बजे तक मतदान होगा। चुनाव के आधिकारिक नतीजे सोमवार या मंगलवार तक आने की उम्मीद नहीं है लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि इस संबंध में शुरुआती जानकारी रविवार रात तक मिल जाएगी। हजारों की संख्या में विदेश में रह रहे लेबनान के नागरिक इस सप्ताह की शुरुआत में ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं।
• बीबीसी के मुताबिक, यह बदलाव नई चुनाव पण्राली की वजह से है। संसद में सीटों की संख्या ईसाइयों और मुसलमानों के बीच बंटी हुई है और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के मौजूदा स्पीकर को इन सभी धार्मिक पृष्ठभूमियों से होना जरूरी है। यूरोपीय संघ का कहना है कि उन्होंने लेबनान के सभी जिलों में चुनाव पर्यवेक्षकों की तैनाती की है।
*5. उ. व द. कोरिया का टाइम जोन एक समान हुआ*
• उत्तर कोरिया ने शनिवार को अपनी घड़ी की सुइयां आधा घंटा आगे बढ़ाते हुए अपना टाइम जोन दक्षिण कोरिया के टाइम जोन के अनुरूप कर लिया। उत्तर कोरिया ने यह कदम दोनों देशों के बीच सुलह की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए उठाया है।
• समाचार एजेंसी योनहाप के मुताबिक, टाइम जोन में यह बदलाव उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन को यह बताने के एक सप्ताह बाद हुआ है कि वह अंतर कोरियाई सुलह और एकता को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के टाइम जोन्स को एक करना चाहते हैं।
• यह फैसला आधी रात से प्रभावी हुआ।उत्तर कोरिया की समाचार एजेंसी ने एक बयान जारी कर कहा, प्रेसिडयम ऑफ द सुप्रीम पीपुल्स असेंबली ऑफ उत्तर कोरिया के आदेश के मुताबिक, प्योंगयांग के समय को पुनर्निर्धारित किया गया है और यह पांच मई से प्रभावी हो गया। बयान के मुताबिक, उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच ऐतिहासिक बैठक के बाद दोनों देशों के टाइम जोन को एक करना पहला व्यवहारिक कदम है।
• उत्तर कोरिया ने अगस्त 2015 में अपने मानक समय को दक्षिण कोरिया के समय के 30 मिनट पीछे कर दिया था। इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि ऐसा 1910-1945 के बीच जापान के कोरियाई प्रायद्वीप पर शासन के निशानों को हटाने के लिए किया गया। इससे पहले दोनों कोरियाई देशों में एक समान मानक समय ही था।
*6. नए सिरे से सुदृढ़ होगी बैंकों की निगरानी व्यवस्था*
• पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में उद्योगपति नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा किए गए घोटाले के बाद देश की बैंकिंग व्यवस्था में सामने आए सुराख बंद करने की एक और कोशिश जल्द शुरू होगी। इस बार की पहल पहले के मुकाबले कई लिहाज से अलग होगी। मसलन, बैंकों की निगरानी व्यवस्था के नियम पहली बार देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआइ के सुझाव पर तैयार की जाएगी।
• सीबीआइ चार दर्जन बैंकिंग घोटालों की जांच के बाद अपने सुझाव जल्द ही आरबीआइ को देने वाली है। सीबीआइ वैसे तो विगत में भी कई बार बैंकिंग घोटालों की जांच कर चुकी है लेकिन यह पहला मौका है जब जांच एजेंसी निगरानी व नियमन व्यवस्था को मजबूत बनाने को लेकर सुझाव देने जा रही है।
• इस तरह का विचार पीएनबी घोटाले की जांच से जुड़ी बैठकों में सामने आया। पीएनबी घोटाले के बाद सीबीआइ को कई बैंकिंग घोटालों की जांच सौंपी गई है। इनकी समीक्षा नियमित तौर पर वित्त मंत्रलय में की जा रही है, जिसमें आरबीआइ व सरकारी बैंकों के भी प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इसमें यह फैसला किया गया कि केंद्रीय बैंक की तरफ से सीबीआइ के सुझावों के आधार पर बैंकों को घोटालों से बचाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
• बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक अभी तक बैंकों की निगरानी को लेकर जो नियम बनाये जाते थे, वे आरबीआइ की तरफ से गठित समिति के सुझावों या दूसरे देशों में केंद्रीय बैंकों के संबंधित नियमों के आधार पर बनते थे। इस बार भारतीय बैंकों में खामियों की पहचान करते हुए उन्हें दूर करने की सुदृढ़ व्यवस्था करने की तैयारी है। सीबीआइ मोटे तौर पर अभी चार दर्जन बैंकिंग घोटालों की जांच कर रही है। इसमें पीएनबी के मौजूदा घोटाले के साथ ही आइडीबीआइ बैंक, यूको बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक, एक्सिस बैंक समेत दस बैंकों में फ्रॉड की जांच शामिल है।
• सीबीआइ के अलावा गंभीर अपराध जांच संगठन (एसएफआइओ), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से भी जांच चल रही है। इन एजेंसियों की रिपोर्ट से यह पता चल सकेगा कि इन बैंकों में कहां-कहां गड़बड़ी है। उल्लेखनीय है कि फरवरी, 2018 के बाद से ही देश में कम से कम 30 हजार करोड़ रुपये के बैंकिंग घोटालों का पता चल चुका है।
• पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद आरबीआइ ने भी पूरी निगरानी व्यवस्था की समीक्षा के लिए एक समिति गठित कर रखी है। पिछले पांच वर्षो (अप्रैल, 2013 से 22 फरवरी, 2018) के दौरान बैंकों में 13,643 फ्रॉड के मामले सामने आये हैं। इनमें 52,717 करोड़ रुपये की चपत बैंकों को लगी। सरकारी आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जितनी राशि का घोटाला होता है उसका बहुत ही कम हिस्सा बैंक वसूल पाते हैं।
• पिछले वर्ष सामने आए 12,100 करोड़ रुपये के बैंकिंग घपलों में से महज 754.1 करोड़ रुपये ही वसूले जा सके हैं।
*7. छह माह में 75 फीसद स्वदेशी हो जाएगा ब्रह्मोस*
• विश्व की सबसे तेज सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस अगले छह महीने में 75 फीसद स्वदेशी हो जाएगा। अभी इसमें 65 फीसद स्थानीय कलपुजरें का इस्तेमाल किया जाता है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के अधिकारी ने यह जानकारी दी।
• ब्रह्मोस एयरोस्पेस के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ सुधीर मिश्रा ने एलएंडटी डिफेंस द्वारा निर्मित क्वैड लांचर को समर्पित करने के समारोह में सप्ताहांत पर कहा, ‘‘अभी ब्रह्मोस में 65 फीसद कलपुर्जे भारतीय हैं। हमने महज 10-12 फीसद स्वदेशी उपकरणों से शुरुआत की थी और आज 65 फीसद पर पहुंच गए हैं।
• अगले छह महीने में हम 75 फीसद के करीब रहेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछले मार्च में हमने स्वदेशी सीकर का उड़ान परीक्षण किया और दो महीने में स्वदेशी बूस्टर का परीक्षण किया जाएगा। इससे ब्रह्मोस 85 फीसद स्वदेशी हो जाएगा।’मिश्रा ने क्वैड लांचर के बारे में कहा, ‘‘इस स्मार्ट लांचर से एक साथ में आठ मिसाइल लांच करना संभव हो जाएगा।
• हमें नौसेना से अभी ठेका नहीं मिला है पर हमने काम शुरू कर दिया है। हमने प्रौद्योगिकी, ज्ञान और भविष्य के कारोबार में निवेश किया है।’उन्होंने कहा, ‘‘इस लांचर को सिर्फ आईएनएस दिल्ली श्रेणी जहाजों में ही नहीं बल्कि प्रणाली में मामूली बदलाव कर दुनिया के किसी भी जहाज में लगाया जा सकता है।
• कुछ बदलाव के बाद जब हम ब्रह्मोस का निर्यात करेंगे जो हम जल्द करना चाहते हैं, हम इसे विदेशी जहाजों में भी लगा रहे होंगे।’
*8. यूरेनस पर मिली अति दुर्गन्ध वाली हाइड्रोजन सल्फाइड गैस*
• इंग्लैंड के वैज्ञानिकों ने सातवें ग्रह यूरेनस पर ऐसी गैस खोज निकाली है, जो अत्यंत दरुगध वाली है। इस गैस का नाम हाइड्रोजन सल्फाइड है। वैज्ञानिकों ने सड़े अंडों जैसी तीव्र दरुगध वाली इस गैस की मात्र 0.4 से 8.8 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन)आंकी है। इस खोज से सौरमंडल के निर्माण के समय की परिस्थितियों को समझने में मदद मिल सकती है।
• भारतीय तारा संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर आरसी कपूर ने बताया कि वैज्ञानिकों ने हवाई द्वीप समूह में स्थापित जेमिनी नॉर्थ दूरदर्शी के जरिये यूरेनस ग्रह के वातारण का आंकलन किया। यूरेनस के वातावरण में हाइड्रोजन सल्फाइड गैस की मात्र अमोनिया से काफी अधिक पाई गई। इसकी तुलना में सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति व शनि की बात करें तो इन दोनों ग्रहों के ऊपरी बादलों वाले क्षेत्र में अमोनिया गैस फैली हुई है, जो वहां बर्फ के रूप में मौजूद है।
• वैज्ञानिकों का अनुमान था कि यूरेनस के वातावरण में भी अमोनिया की मात्र अधिक होगी, परंतु परिणाम इसके विपरीत निकला। यूरेनस में हाइड्रोजन सल्फाइड की मात्र शनि के मुकाबले चार गुना अधिक है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह महत्वपूर्ण खोज सौरमंडल के जन्म की परिस्थितियों पर प्रकाश डालने में बेहद मददगार साबित होगी।
• धरती जैसा गहरा नीला है यूरेनस : यूरेनस पृथ्वी से अधिक नीले रंग का ग्रह है। कम चमक वाला होने के कारण इसे दूरबीन के जरिये ही बखूबी देखा जा सकता है। आकार में पृथ्वी से चार गुना और भार में 14 गुना अधिक है। यह 84 साल में सूर्य की परिक्रमा पूरी कर पाता है। इसका अक्ष अपनी कक्षा में 99.8 डिग्री झुका हुआ है।
• जिस कारण यह अपने पथ में लुढ़कता हुआ चलता है। इसका आधा हिस्सा 42 साल तक सूर्य के सामने रहता है, जबकि दूसरा भाग अंधेरे में डूबा रहता है। इसके चलते इसका मौसम अन्य ग्रहों की तुलना में बिलकुल अलग है। इस ग्रह के वातावरण में 83 फीसद हाइड्रोजन, 15 फीसद हीलियम व 2.3 प्रतिशत मीथेन समेत अन्य गैस हैं।
• यूरेनस के रिंग्स की खोज में एरीज के वैज्ञानिकों का नाम भी : अपने छल्लों की खूबसूरती को लेकर खास पहचान रखने वाले शनि ग्रह की तरह यूरेनस में भी छल्ले हैं। यूरेनस की छल्लों की खोज में भारत के नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज), राजकीय वेदशाला उत्तर प्रदेश व भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बेंगलुरु का अहम योगदान रहा है।
• 1977 में एरीज के वैज्ञानिक डॉ. एचएस मेहरा व डॉ. एसके गुप्ता ने इसके छल्लों की खोज में अहम शोध किए थे। इनके अलावा एरीज के वर्तमान निदेशक डॉ. अनिल कुमार पांडे ने भी लगातार तीन शोध किए और इस महत्वपूर्ण खोज में देश का नाम खगोल विज्ञान की दुनिया में रोशन किया।

 

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