_*10 May 2018(Thursday)*_

*1.ईरान परमाणु समझौते से अलग हुआ अमेरिका*
• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस से प्रसारित अपने टेलीविजन भाषण में बुधवार को इस फैसले की घोषणा की। ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा कि वह इस एकतरफा समझौते को कमजोर करने के लिए ईरान पर अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों को फिर से शुरू करेंगे।
• ट्रंप ने अपने संबोधन में इस समझौते को अप्रासंगिक करार दिया। अमेरिका के इस फैसले से पश्चिम एशिया में संघर्ष का खतरा बढ़ने के अलावा नियंतण्र तेल आपूत्तर्ि को लेकर भी अनिश्चितता बढ़ गई है। ट्रंप ने 2015 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान हुए इस समझौते को सबसे खराब करार दिया था।
• ट्रंप के मुताबिक ऐतिहासिक कूटनीतिक जीत माने जाने वाले इस समझौते में ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है। इसके अलावा वर्ष 2025 के बाद ईरान की परमाणु गतिविधियों तथा यमन और सीरिया में उसकी भूमिका को लेकर भी कोई बात नहीं की गई है।
• ट्रंप ने कहा कि यह समझौता ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने में असमर्थ है। ट्रंप ने अपने संबोधन में ईरान के शासकों की आलोचना करते हुए कहा कि ईरान का भविष्य वहां के लोगों से है। एक पश्चिमी राजनयिक ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति का यह फैसला उनके यूरोपीय सहयोगियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा।
• ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रंप के इस फैसले की ¨नदा करते हुए कहा कि ईरान अमेरिका के बिना भी इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से जुड़ा रहेगा। ईरान के सरकारी टेलीविजन के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति का इस समझौते से बाहर होने का फैसला गैरकानूनी होने के अलावा अंतरराष्ट्रीय समझौतों को कमजोर करता है। अमेरिकी वित्त मंत्रालय के अनुसार ईरान के ऊर्जा, ऑटो और वित्तीय क्षेत्रों से संबंधित प्रतिबंधों को तीन से छह माह के भीतर दोबारा लगाया जाएगा।
• प्रतिबंधों के दोबारा लागू होने से ईरान को अपने कच्चे तेल के निर्यात के अलावा अंतरराष्ट्रीय बैकिंग पण्राली का उपयोग करने में काफी समस्या का सामना करना पड़ेगा। इस्रइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के इस फैसले का स्वागत किया है। नेतन्याहू ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने संबोधन में कहा कि वह ईरान परमाणु समझौते से अलग होने के अमेरिका के इस कड़े फैसले का पूरा समर्थन करते हैं।
• इस्रइली प्रधानमंत्री ने ट्रंप की ईरान नीति की सराहना करते हुए सीरिया में जारी संघर्ष का भी उल्लेख किया। पश्चिम एशिया में ईरान के चिरप्रतिद्वंदी माने जाने वाले सऊदी अरब के अलावा अमेरिका के अन्य सहयोगी अरब देशों ने भी ट्रंप के इस फैसले का स्वागत किया है।
• गौरतलब हैं कि वर्ष 2015 में ईरान ने अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत ईरान ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जताई थी।
*2. वालमार्ट ने फ्लिपकार्ट को खरीदा*
• अमेरिकी खुदरा कंपनी वालमार्ट ने बुधवार को कई दिनों की अटकलों को विराम देते हुए प्रमुख भारतीय आनलाइन परिचालक फ्लिपकार्ट की 77 फीसद हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की। यह सौदा 16 अरब डालर यानी करीब 1.05 लाख करोड़ रपए में हुआ है। वालमार्ट का यह अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण होने के साथ ई-कामर्स क्षेत्र का सबसे बड़ा सौदा है।
• इस सौदे से वालमार्ट को भारत के ई – कामर्स बाजार में प्रवेश मिलेगा। इस सौदे के तहत कंपनी के सह संस्थापक सचिन बंसल और साफ्टबैंक फ्लिपकार्ट से बाहर निकल जाएगी। इस सौदे में 11 साल पुरानी फ्लिपकार्ट का कुल मूल्य 20.8 अरब डालर आंका गया है। यह देश में इस साल का अब तक का सबसे बड़ा विलय एवं अधिग्रहण सौदा है।
• वालमार्ट ने जारी बयान में कहा, ‘‘वालमार्ट के निवेश में दो अरब डालर का नया निवेश शामिल है जिससे भविष्य में फ्लिपकार्ट की वृद्धि तेज होगी।’ कंपनी ने कहा कि वे अतिरिक्त संभावित खरीदारों से भी बातचीत कर रहे हैं जो निवेश से जुड़ सकते हैं। इससे वालमार्ट की हिस्सेदारी कुछ कम हो सकती है पर वह बहुलांश हिस्सेदार बनी रहेगी।
• गूगल की स्वामी कंपनी अल्फाबेट को भी संभावित निवेशक माना जा रहा है जो 15 फीसद तक हिस्सेदारी खरीद सकती है।
• अलग-अलग ब्रांड रहेंगे : फ्लिपकार्ट के सह संस्थापक बिन्नी बंसल 5.5 फीसद हिस्सेदारी बरकरार रखेंगे और निदेशक मंडल के चेयरमैन बनेंगे। कंपनी बेंगलुरू केंद्रित ही रहेगी अैर वालमार्ट के कृष अय्यर उसके सीईओ होंगे।
• वालमार्ट और फ्लिकार्ट अलग-अलग ब्रांड बने रहेंगे और इसका निदेशक मंडल भी अलग होगा जिसमें वालमार्ट के प्रतिनिधित्व के लिए बदलाव किया जाएगा। वालमार्ट ने कहा कि टैनसेंट होलिं्डग्स लि., टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट एलएलसी और माइक्रोसॉफ्ट कार्प फ्लिपकार्ट के शेयरधारक बने रहेंगे।इस सौदे को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग एवं अन्य नियामकों की मंजूरी मिलनी शेष है और इसके इस साल बाद में पूरा होने की उम्मीद है।
• वालमार्ट को इस सौदे से सबसे तेजी से वृद्धि करती अर्थव्यवस्था में ई – कामर्स क्षेत्र में उतरने में मदद मिलेगी।वालमार्ट के अध्यक्ष एवं सीईओ डग मैकमिलन ने कहा, ‘‘भारत दुनिया का सबसे आकर्षक खुदरा बाजार है।
• इसका आकार और वृद्धि दर एवं हमारा निवेश उस कंपनी के साथ भागीदारी का मौका है जो ई-कॉमर्स को बदलने में अग्रणी रही है।’ सचिन और बिन्नी पहले अमेजन डाट काम इंक में काम करते थे। उन्होंने किताबें बेचने से कंपनी की शुरुआत की थी।
*3. सुबूत के तौर पर पेश हो सकती है संसदीय समिति की रिपोर्ट*
• संसदीय समिति की रिपोर्ट सरकारों के लिए भले ही बाध्यकारी नहीं होती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अदालत में चुनौती से परे करार दिया है। इसे अदालत में सुबूत के तौर पर पेश भी किया जा सकता है। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में यह साफ कर दिया है कि संसदीय समिति की रिपोर्ट की आलोचना तो की जा सकती है, लेकिन इसके लिए समिति के सदस्य सासंदों की आलोचना नहीं की जा सकती है।
• लोकहित के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की पीठ ने संसदीय समिति की रिपोर्ट की वैधानिकता को लेकर स्थिति स्पष्ट होने की जरूरत बताई थी। मामले को विचार के लिए पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र के नेतृत्व वाली संवैधानिक पीठ ने बुधवार को दिए फैसले में संसदीय समिति की रिपोर्ट को साक्ष्य माना है, लेकिन साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि इसे अकाट्य सुबूत नहीं माना जा सकता है।
• संविधान पीठ का कहना है कि उसने यह फैसला संविधान के तहत संसद को दिए अधिकार और बदलते समय की जरूरत को ध्यान में रखकर दिया है। फैसले में कहा गया है कि अदालत में सभी को अपने पक्ष में हलफनामे के रूप में विभिन्न सुबूत पेश करने का अधिकार है। जाहिर है इसमें संसदीय रिपोर्ट भी हो सकती है, लेकिन किसी पक्ष की ओर से पेश सुबूत की अहमियत पर फैसला करने का काम अदालत का है।
• इसके साथ ही संविधान पीठ ने साफ कर दिया है कि संसदीय समिति की रिपोर्ट को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी सकती है। यह संविधान द्वारा संसद को दिए विशेष कार्याधिकार के दायरे में आता है। आम लोग इस रिपोर्ट पर बहस कर सकते हैं। इसकी आलोचना भी कर सकते हैं, लेकिन इसे अदालत में चुनौती नहीं दे सकते हैं।
• संविधान पीठ ने रिपोर्ट देने वाली समिति में शामिल सांसदों को भी पूरी सुरक्षा दी है। अदालत का कहना है कि रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया में शामिल सांसदों की इसके लिए व्यक्तिगत तौर पर आलोचना नहीं की जा सकती है। सांसद को संसद के भीतर अपने किए गए कार्यो के लिए विशेषाधिकार के तहत संरक्षण मिला हुआ है।
• संसदीय समिति के तहत किया गया काम भी इसी श्रेणी में आता है। जाहिर है रिपोर्ट के लिए व्यक्तिगत रूप से किसी सांसद की आलोचना करने पर विशेषाधिकार हनन का मामला बन सकता है।
*4. आर्थिक विकास में अगुआ बना रहेगा भारत*
• भारत आने वाले वर्षो में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने बुधवार को यह बात कही। आइएमएफ के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.4 फीसद की दर से बढ़ेगी। अगले वित्त वर्ष में विकास दर 7.8 फीसद रहने का अनुमान है।
• आइएमएफ ने एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक परिदृश्य पर अपनी रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नोटबंदी और जीएसटी के झटकों से उबर चुकी है। आने वाले दिनों में महंगाई की दर भी रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित लक्ष्य के आसपास रहने की है।
• भारत के बाद दक्षिण एशिया में सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बांग्लादेश की होगी। 2018 और 2019 में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था सात फीसद की दर से बढ़ने का अनुमान है। श्रीलंका की विकास दर इस साल चार फीसद और अगले साल साढ़े चार फीसद रहने का अनुमान है।
• नेपाल की विकास दर 2018 पांच फीसद और अगले साल चार फीसद रह सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशियाई देश वैश्विक स्तर पर सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था तो रहेंगे ही, साथ ही ग्लोबल अर्थव्यवस्था का इंजन भी यही देश होंगे। वैश्विक विकास का 60 फीसद इन्हीं देशों से रहेगा। इसमें भी तीन चौथाई हिस्सेदारी अकेले भारत और चीन की रहेगी।
• चीन की विकास दर 2018 में 6.6 फीसद और 2019 में 6.4 फीसद रहने का अनुमान है। एशियाई क्षेत्र की सम्मिलित विकास दर अगले दो साल तक 5.6 फीसद रहने की है।
• रिपोर्ट में बढ़ते संरक्षणवाद और भू-राजनीतिक तनाव को लेकर चिंता भी जताई गई है। कि एशियाई देशों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाने होंगे कि बढ़ते डिजिटलाइजेशन का उन्हें पूरा लाभ मिल सके।
*5. मोदी दुनिया की 10 बड़ी हस्तियों में शामिल*
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया की दस सबसे ताकतवर हस्तियों में शुमार किया गया है। मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने यह सूची जारी की। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को हटाकार पहले पायदान पर आ गए।फोर्ब्स की दुनिया के 75 सबसे ताकतवर लोगों की सूची-2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 9वें पायदान पर जगह मिली है।
• जिनपिंग ने पिछले लगातार चार वर्ष तक इस सूची में शीर्ष पर चले आ रहे पुतिन को दूसरे स्थान पर धकेल दिया है। सूची में तीसरे पायदान पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप, चौथे पर जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और पांचवें पर अमेजन प्रमुख जैफ बेजोस हैं।
• मोदी के बाद फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग (13वें), ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे 14), चीन के प्रधानमंत्री ली ¨क्वग (15), एपल के सीईओ टिम कुक (24) को रखा गया है। रिलांयस इडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी इस सूची में मोदी के अलावा स्थान पाने वाले एकमात्र भारतीय हैं। वहीं, माइफ्रोसॉफ्ट के सीईओ भारतीय मूल के सत्य नडेला को 40वें पायदान पर रखा गया है।
• फोर्ब्स ने कहा, ‘‘धरती पर लगभग 7.5 अरब लोग हैं लेकिन इन 75 पुरु षों एवं महिलाओं ने दुनिया को बदलने का काम किया है। फोर्ब्स दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों की वार्षिक रैंकिंग के लिए हर 10 करोड़ लोगों में से एक शख्स की पहचान करता है, जिनका कार्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो। ’
• फोर्ब्स ने कहा कि मोदी दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश (भारत) में ’ बेहद लोकप्रिय बने हुए हैं।’ इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए मोदी सरकार के नवम्बर 2016 के नोटबंदी के फैसले का हवाला दिया गया है।
*6. युवाओं के लिए डिजिटल इंडिया इंटर्नशिप शुरू*
• सरकार ने तकनीकी पढ़ाई कर रहे युवाओं के लिए ‘‘डिजिटल इंडिया इंटर्नशिप’ कार्यक्रम शुरू किया है। इसका उद्देश्य उन्हें डिजिटल इंडिया के माध्यम से हो रहे बदलाव एवं सरकारी कामकाज की प्रक्रिया का अनुभव प्राप्त करने का अवसर देना है। कम से कम दो माह के कार्यक्रम में 10 हजार रपए मानदेय प्रदान किया जाएगा।
• केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को यहां डिजिटल इंडिया इंटर्नशिप के लिए बुधवार को एक पोर्टल का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल इंडिया इंटर्नशिप का मकसद युवाओं को सरकार की निर्णय प्रक्रिया से जोड़ते हुए उन्हें अनुभव प्राप्त करने का अवसर देना है। इसका उद्देश्य यह भी है कि विद्यार्थियों को परिवर्तनकारी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम से जोड़ा जाए और उन्हें बताया जाए कि सरकार कैसे काम करती है, सरकार की प्रक्रियाएं कैसे संचालित होती हैं।
• ’केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इंटर्नशिप के दौरान विद्यार्थियों को डिजिटल गवन्रेस, डिजिटल भुगतान, साइबर सुरक्षा को समझाने का मौका मिलेगा पर उनसे अपेक्षा होगी कि वे बौद्धिक संपदा एवं सुरक्षा से जुड़े अन्य पहलुओं का ध्यान रखेंगे।
• प्रसाद ने बताया कि यह दो महीने का कोर्स होगा जिसे बढ़ाकर तीन महीने का किया जा सकता है और इस दौरान चुने गए छात्रों को 10 हजार रपए मानदेय मिलेगा। इसके लिए दूसरे या तीसरे वर्ष के बीटेक या बीई की पढ़ाई करने वाले या एमई या एमटेक के छात्र आवेदन कर सकते हैं।

 

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