*दैनिक समसामयिकी*

1.भारत से निर्बाध वार्ता जरूरी: पाक : पड़ोसियों से संबंध सुधारने से ही पाक में आएगी शांति : इमरान
• पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री शाह महमूह कुरैशी ने सोमवार को कहा कि दोनों पड़ोसियों के बीच समस्याओं को सुलझाने के लिए भारत के साथ लगातार और निर्बाध बातचीत की जरूरत है।
• डान न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के उपाध्यक्ष कुरैशी ने सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कैबिनेट के अन्य मंत्रियों के साथ शपथ ली। कुरैशी ने विदेशमंत्री के तौर पर अपने पहले भाषण में कहा, मैं भारत की विदेशमंत्री को बताना चाहता हूं कि हम सिर्फ एक-दूसरे के पड़ोसी नहीं हैं, हम परमाणु शक्ति भी हैं। हमारे कई संसाधन समान हैं।
• उन्होंने कहा, वार्ता की मेज पर साथ बैठने और शांति के लिए वार्ता करने के अतिरिक्त हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। हमें दुस्साहस छोड़कर साथ आने की जरूरत है। हम जानते हैं कि समस्याएं कठिन हैं और रातभर में नहीं सुलझेंगी, लेकिन हमें जुटना होगा।
• विदेशमंत्री ने कहा, हम अपना मुंह नहीं मोड़ सकते। हां, हमारे कई जटिल मुद्दे हैं। कश्मीर एक सच्चाई है। इस मुद्दे को दोनों देश स्वीकारते हैं..हमें निर्बाध और अनवरत वार्ता की जरूरत है। हमारे पास आगे बढ़ने के लिए यही एक रास्ता है।
• कुरैशी ने कहा, दोनों देशों का नजरिया और सोच अलग हो सकती है लेकिन वह दोनों देशों के बीच के व्यवहार में बदलाव देखना चाहते हैं। डॉन के अनुसार, उन्होंने कहा, भारत और पाकिस्तान को अपनी सच्चाइयां स्वीकारते हुए आगे बढ़ना होगा।
• उन्होंने कहा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने दोनों देशों के बीच वार्ता शुरू होने के संकेत दिए हैं। कुरैशी ने पड़ोसी देशों से रिश्तों को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, मैं पाकिस्तान और अन्य क्षेत्रीय देशों के बीच विश्वास बनाने की कोशिश करूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि विदेश नीति को केंद्र में पाकिस्तान का हित ही होगा।
• उन्होंने कहा, हमें जहां अपनी विदेश नीति बदलने की जरूरत होगी, हम बदलेंगे। उन्होंने कहा कि वह अफगानिस्तान जाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तहरीके इंसाफ चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का समर्थन करती है।
• पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधारने की बात कही। उन्होंने कहा, पाकिस्तान को अपने सभी पड़ोसियों के साथ ‘‘बेहतरीन संबंध’ रखने की दिशा में काम करना होगा क्योंकि इसके बिना देश में शांति लाना संभव नहीं होगा।
• देश के 22वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद राष्ट्र के नाम करीब एक घंटे लंबे भाषण में खान ने आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान को आने वाली चुनौतियों को चिह्नित किया और मितव्ययता लाने के लिए व्यापक सुधार करने तथा मंद अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंकने का वादा किया।
• पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख ने मौजूदा ऋण संकट के लिये पूर्ववर्ती पीएमएल-एन सरकार पर हमला बोला जो बढ़कर 28,000 अरब रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि अपने समूचे इतिहास में देश इतना ऋणग्रस्त कभी नहीं रहा जितना पिछले 10 साल में हो गया है।
• विदेश नीति के संबंध में खान ने कहा कि पाकिस्तान को ‘‘अपने सभी पड़ोसियों के साथ बेहतरीन रिश्ते’ बनाने के लिए काम करना होगा। उन्होंने कहा, मैंने सभी पड़ोसी देशों से बात की है और इंशा अल्लाह हम सभी के साथ अपने संबंध सुधार लेंगे।

2. रक्षा क्षेत्र में सहयोग भारत-जापान संबंधों की धुरी
• भारत और जापान ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को दोनों देशों के संबंधों की धुरी करार देते हुए इसका दायरा निरंतर बढाते रहने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
• रक्षामंत्री निर्मला सीतारण और जापान के रक्षामंत्री सुनोरी ओनोडेरा ने सोमवार को यहां रक्षामंत्री स्तरीय वार्षिक संवाद के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा, दोनों देशों के बीच सामरिक भागीदारी को मजबूत बनाने के लिए रक्षा और सुरक्षा क्षेा में सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है।
• बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि समान लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत की ‘‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को जापान की‘‘फ्री एंड ओपन इंडो पेसिफिक स्ट्रेटजी’के साथ जोड़ने वाली‘‘जापान-भारत विशेष सामरिक एंड ग्लोबल पार्टनशिप’को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है।
• संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि भारतीय रक्षा मंत्री अगले वर्ष जापान जायेंगी और दोनों देशों के बीच अगले साल टोक्यो में टू प्लस टू डॉयलाग भी होगा।
• दोनों मंत्रियों ने जोर दिया कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर में शांति और स्थिरता जरूरी है।

3. फोर्चून की ‘‘चेंज द र्वल्ड’ सूची में जियो टाप पर
• बिजनेस पत्रिका फाच्र्यून की ‘‘चेंज द र्वल्ड’ की सूची में इस साल दूरसंचार क्षेत्र की कंपनी रिलायंस जियो को पहला स्थान मिला है।इसके अलावा इस सूची में एक अन्य भारतीय कंपनी म¨हद्रा एंड म¨हद्रा को भी जगह मिली है, जो 23वें स्थान पर है।
• फोर्चून ने सोमवार को सूची जारी करते हुये जियो की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसने लोगों को डिजिटल आक्सीजन दिया है।सितम्बर 2016 में इसे लांच किए जाने के बाद लोगों की पहुंच 4जी नेटवर्क पर सरल हुई।
• जियो ने मात्र 22 माह में 21 करोड़ से अधिक सब्सक्राइर्ब्स जोड़े पत्रिका के मुताबिक जियो के दूरसंचार क्षेत्र में आने से सबसे अधिक लाभ किसानों, छात्रों और उद्यमियों को हुआ, जो जियो द्वारा उपलब्ध किए जाने वाले सस्ते डाटा के कारण खुद को डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ पाए।
• इस सूची में दूसरे स्थान पर अमेरिकी दवा कंपनी मर्क है, जिसने कांगो में इबोला वायरस का टीका भेजकर हजारों लोगों की जान बचाई।

4. भारत में पारिश्रमिक कानूनों का ठीक से नहीं हो पा रहा है पालन
• अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) ने देश में पारिश्रमिक कानूनों के कड़ाई से पालन का आह्वान किया है। विशेषकर महिलाओं के मामले में कम वेतन और असमानता को लेकर बनी चिंताओं के बीच आईएलओ की यह टिप्पणी आई है।रपट में कहा गया है कि देश में ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाली अस्थायी महिला श्रमिकों को सबसे कम पारिश्रमिक मिलता है।
• यह शहर में काम करने वाले किसी पुरूष श्रमिक के पारिश्रमिक का 22% ही है। आईएलओ की भारत पारिश्रमिक रपट में कहा गया है कि पिछले दो दशक में देश की आर्थिक वृद्धि दर औसतन सात प्रतिशत रही है लेकिन कम वेतन और असमानता भी बनी हुई है। रपट के अनुसार भारत की आर्थिक वृद्धि से गरीबी में कमी आई है।
• उद्योग और सेवा क्षेत्र में कामगारों की बढ़ती संख्या के साथ रोजगार के तरीकों में परिवर्तन आया है। हालांकि लगभग 47% लोग अब भी रोजी रोजगार के लिए कृषि क्षेत्र में में लगे हुए हैं।रपट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अभी भी बहुत सा व्यवसाय असंगठित तरीके से होता है और बाजार में विभाजन है।
• रपट में 2011-12 के आंकड़ों के अनुसार बताया गया है कि देश में स्वरोजगार में लगे लोगों की का अनुपात 51% है। वहीं मजदूरी करने वाले 62% व्यक्ति अस्थायी तौर पर काम करते हैं। हालांकि औपचारिक क्षेत्र में रोजगार बढ़ा है लेकिन इस क्षेत्र में भी अधिकतर नौकरियां अनौपचारिक प्रकृति की या अस्थायी हैं।
• देश में पारिश्रमिक में असमानता हालांकि 2004-05 के बाद से कम हुई है लेकिन यह अभी भी बहुत ऊंचे स्तर पर है। पारिश्रमिक में असमानता के कम होने की प्रमुख वजह ठेके या अस्थायी तौर पर काम करने वालों की मजदूरी को 1993-94 और 2011-12 में दोगुना करना है। वहीं नियमित रोजगार प्राप्त लोगों के मेहनताने में 1993-94 से 2004-05 के बीच आयी तीव्र असमानता 2011-12 में स्थिर हुई।
• मेहनताने में समानता के बारे में रपट में कहा गया है कि लैंगिक आधार पर पारिश्रमिक में अंतर अभी भी बहुत गहरा है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप 1993-94 के 48% से घटकर यह 2011-12 में 34% आ गया है।
• पारिश्रमिक में अंतर हर क्षेत्र में और हर तरह के श्रमिकों के बीच बना हुआ है चाहे वह अस्थायी हो या स्थायी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अस्थायी तौर पर काम करने वाली महिला श्रमिक को देश में सबसे कम मेहनताना मिलता है। भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है जिसने न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित की थी। इसके लिए 1948 में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू किया गया था। लेकिन रपट में कहा गया है कि सभी प्रकार के श्रमिकों के लिए न्यूनतम पारिश्रमिक लागू करना चुनौती बना हुआ है।
• अध्ययन में पाया गया है कि देश में न्यूनतम मजदूरी की पण्राली काफी जटिल है। इसे रोजगार श्रेणियों के आधार पर राज्य सरकारें तय करती हैं।

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