1.सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राजनीति में अपराधीकरण रोकने को संसद बनाए कानून
• दोषी करार दिए बिना दागी नेताओं को चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की कवायद से रोकने का हल सुप्रीम कोर्ट नहीं निकाल सका। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि वह खुद अपने उम्मीदवारों का आपराधिक रिकार्ड जनता के संज्ञान में लाएं और इसके लिए चुनाव के समय प्रचार करें।
• सुप्रीम कोर्ट ने कानून बनाने का काम संसद पर छोड़ दिया। साथ ही चेतावनी भरे लहजे में कहा कि राजनीति का अपराधीकरण नहीं थमा तो लोकतंत्र चौपट हो जाएगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, अजय खानविलकर, धनंजय चंद्रचूड और इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ को यह तय करना था कि संगीन अपराधों में संलिंप्त नेताओं को चुनाव लड़ने से कैसे रोका जाए। यदि अदालत ने जघन्य अपराधों में नेता के खिलाफ आरोप तय (चार्ज फ्रेम) कर दिए हैं तो क्या उसे चुनाव में खड़े होने से रोका जा सकता है।
• संविधान पीठ ने 100 पृष्ठ के अपने फैसले में न्यायशास्त्र के बुनियादी सिद्धांत का कई बार उल्लेख किया जिसमें साफतौर पर कहा गया है कि जब तक अदालत में अपराध साबित न हो जाए, अभियुक्त निदरेष है। भले ही उस पर आरोप कितना ही गंभीर क्यों न हो। संविधान पीठ ने आंकड़ों का सहारा लिया और कहा कि संसद और विधान सभाओं में दागी नेताओं की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। यह चिंता का विषय है।
• प्रमुख समाजशास्त्री मिलन वैष्णव की पुस्तक-अपराधियों का राजनीति में फलना-फूलना- का भी हवाला दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि दोषी करार दिए बिना किसी शख्स को चुनाव में लडने से रोकने का मतलब होगा कि अदालत निर्वाचन के कानून अपने हाथ में ले रही है।
• सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में न्यायपालिका को कानून बनाने से बचना चाहिए। लेकिन सरकार को आगाह किया कि दागी नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाने का समय आ गया है। देरी की तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। अदालत ने कहा कि राजनीति का अपराधीकरण घातक और सोचनीय स्थिति है।
• देश में परेशान करने वाले इस बढ़ते हुए चलन की यह प्रवृत्ति है कि यह हमारे संवैधानिक लोकतंत्र के लिए एक खतरा बन गया है। राष्ट्र इस तरह के किसी कानून की ‘‘व्यग्रता’ से प्रतीक्षा कर रहा है कि क्योंकि समाज की यह समुचित आकांक्षा है कि जायज संवैधानिक शासन के माध्यम से उस पर शासन होना चाहिए।
• लोकतंत्र में नागरिक को निस्सहाय की तरह पेश कर भ्रष्टाचार के प्रति ‘‘मौन, बहरे एवं शांत’ बने रहने को विवश नहीं किया जा सकता। संविधान पीठ ने कहा कि राजनीति के अपराधीकरण का कैंसर ऐसी समस्या नहीं है जिसका समाधान नहीं हो सके। किन्तु इस मुद्दे का शीघ्र हल निकाल लिया जाना चाहिए ताकि यह लोकतंत्र के लिए घातक न बन जाए।
• राजनीति को अपराधीकरण से मुक्त कराने, नागरिकों को ‘‘सारी सूचनाओं के साथ विकल्प देने’ तथा राजनीति में शुचिता की संस्कृति लाने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव भी
• हर उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करते समय पच्रे में अपने लंबित आपराधिक मामलों के बारे में ‘‘बोल्ड’ में जानकारी देनी होगी।
• चुनाव में खड़े होने के इच्छुक दावेदारों को अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी संबद्ध राजनीतिक पार्टी को देनी होगी।
• राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड वेबसाइट पर सार्वजनिक करने होंगे।
• नामांकन दाखिल करने के बाद पार्टी और उम्मीदवार को लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी विस्तार से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में देनी होगी।
• दागी नेताओं पर अंकुश लगाने के लिए संसद बनाए कानून
• राजनीति के अपराधीकरण का समाधान संसद पर छोड़ा सुप्रीम कोर्ट ने

2. सांसदों-विधायकों के वकालत करने पर रोक की मांग खारिज
• वकालत करने वाले सांसदों-विधायकों के लिए बड़ी राहत की खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों-विधायकों के वकालत करने पर रोक लगाने की मांग संबंधी याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
• यह फैसला प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र, एमएम खानविल्कर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की याचिका खारिज करते हुए सुनाया। कोर्ट ने कहा कि एडवोकेट एक्ट-1961 और उसके तहत बने रूल में कहीं भी सांसदों-विधायकों के वकालत करने पर रोक नहीं लगाई गई है।
• पीठ ने कहा कि पूर्णकालिक वैतनिक कर्मचारी के बारे में बार काउंसिल ऑफ इंडिया का रूल-49 जनप्रतिनिधियों पर लागू नहीं होगा। ये लोग किसी भी व्यक्ति, कंपनी, सरकार या निगम में पूर्णकालिक वैतनिक कर्मचारी नहीं कहे जा सकते। इनकी विशिष्ट स्थिति है कि इन्हें नियुक्त नहीं किया जाता बल्कि एक क्षेत्र के लोग इन्हें चुनते हैं।
• कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेशेगत कदाचार और हितों के टकराव की दी गई दलील खारिज करते हुए कहा कि ये एक सामान्य टिप्पणी है। कोई मामला हितों के टकराव या पेशेगत कदाचार का माना जाएगा कि नहीं, यह हर मामले की परिस्थितियों के हिसाब से तय होगा। सिर्फ किसी वकील का जनप्रतिनिधि होना, यह नही माना जा सकता कि वह पेशेगत कदाचार में शामिल है।
• इसके अलावा सांसद के पास जज को पद से हटाने के लिए महाभियोग लाने की शक्ति को हितों का टकराव या संवैधानिक नैतिकता अथवा संस्थागत निष्ठा का मुद्दा नहीं कहा जा सकता। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने साफ कहा है कि सांसदों- विधायकों के वकालत करने पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
• याचिका में कहा गया था कि सांसदों- विधायकों को वेतन, भत्ते, पेंशन और बंगला जनता की सेवा के लिए मिलता है इन्हें पूरे समय उन्हीं की सेवा करनी चाहिए, वे उस दौरान निजी वकालत नहीं कर सकते। पेंशन पूर्णकालिक कर्मचारी को मिलती है इसलिए कानून में इन्हें पूर्णकालिक कर्मचारी माना जाएगा और एडवोकेट एक्ट पूर्णकालिक वैतनिक कर्मचारी के वकालत करने पर रोक लगाता है।

ECONOMY

3. सरकारी बैंक 59 मिनट में एमएसएमई को देंगे एक करोड़ रुपये तक का लोन
• छोटे व मझोले उद्यमियों को अब पूंजी के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। सरकारी बैंकों ने ‘डिजिटल लेंडिंग प्लेटफार्म’ शुरू किया है जिस पर आवेदन करने पर एमएसएमई को एक करोड़ रुपये तक का लोन मात्र 59 मिनट में मंजूर हो जाएगा। एमएसएमई को इसके लिए बैंक की शाखा जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। वे अपने दफ्तर में बैठकर कंप्यूटर पर कुछ जानकारी देकर बैंक से लोन मंजूर करवा सकेंगे।
• लोन की राशि 7-8 कार्यदिवस में आवेदनकर्ता के खाते में जमा हो जाएगी। फिलहाल लोन मंजूर होने में 20-25 दिन लगते हैं।1केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन का जायजा लेने के बाद यह प्लेटफार्म लांच किया।
• ‘पीएसबीलोन्सइन59मिनट्सडॉटकॉम’ नाम का प्लेटफार्म सिडबी और पांच सरकारी बैंकों स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक और विजया बैंक ने मिलकर बनाया है। एमएसएमई कारोबारी वर्किंग कैपिटल, टर्म लोन या नया कारोबार शुरू करने के लिए इस प्लेटफार्म पर आवेदन करके लोन ले सकेंगे।
• एक करोड़ रुपये तक के लोन को मात्र 59 मिनट में मंजूर कर दिया जाएगा। छोटे व मझोले कारोबारियों को इस प्लेटफॉर्म से लोन लेने के लिए तीन तरह की सूचनाएं देनी होंगी। पहली, उन्हें जीएसटीआइएन और जीएसटी यूजरआइडी व पासवर्ड का ब्यौरा देना होगा। दूसरे, आयकर रिटर्न ई-फाइलिंग का ब्यौरा देना होगा और तीसरे, बैंक खाते का स्टेटमेंट अपलोड करना होगा या नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करना होगा।
• बैंक कंपनी मामलों के मंत्रलय, आयकर विभाग तथा संबंधित बैंक के साथ ब्यौरे की सत्यता परखेगा और आवेदनकर्ता द्वारा दी गयी जानकारी का ऑनलाइन परीक्षण करने के बाद महज 59 मिनट में लोन मंजूर हो जाएगा।
• यह पहली बार है जब कई सरकारी बैंकों ने मिलकर एक साथ एमएसएमई के लिए लोन की सुविधा के लिए पोर्टल शुरू किया है। वैसे एमएसएमई को दो करोड़ रुपये तक का लोन बिना कुछ गिरवी रखे ही मिल जाएगा। हालांकि यह 59 मिनट में लोन मंजूर करने की योजना में शामिल नहीं होगा।
• जेटली ने इस मौके पर ‘फाइनेंशियल इंक्लूजन इंडेक्स’ तैयार करने की भी घोषणा की। पहला इंडेक्स जनवरी 2019 में जारी होगा। वित्तीय सेवाओं तक पहुंच, वित्तीय सेवा के इस्तेमाल और गुणवत्ता पर आधारित यह इंडेक्स हर साल जारी होगा।
• इसका आधार वर्ष 2011-12 होगा। इससे वित्तीय समावेशी अभियान के प्रभाव का अध्ययन करने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे वित्तीय समावेशी सूचकांक तैयार किया जा सकेगा।

4. देश में धन कुबेरों की संख्या बढ़कर 831 हुई
• ऐसे समय में जब देश में अमीर-गरीब के बीच खाई पाटने को लेकर नीति निर्माता माथापच्ची कर रहे हैं, एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एक हजार करोड़ रपए से अधिक संपत्ति रखने वाले अमीरों की संख्या 34 फीसद बढ़ गई है। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी सबसे ऊपर हैं।
• बार्कलेज-हुरुन इंडिया की मंगलवार को जारी अमीरों की सूची के अनुसार 1000 करोड़ रपए से अधिक संपत्ति वाले लोगों की संख्या 2018 में 831 पर पहुंच गई। अमीरों की यह संख्या 2017 के अमीरों की तुलना में 214 अधिक है।आईएमएफ की अप्रैल 2018 में जारी आंकड़ों के हवाले से इसमें कहा गया है कि इन लोगों की नेटवर्थ 719 अरब डालर है जो कि देश की देश के 2850 अरब डालर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक चौथाई है।
• मुकेश अंबानी इस सूची में सबसे शीर्ष पर हैं। सूची में सबसे अधिक 233 अमीर मुंबई से हैं। मुंबई में जहां सबसे ज्यादा झुग्गी बस्तियां हैं वहीं अंबानी के अंटालिया जैसे आलीशान बंगले भी हैं। दिल्ली एनसीआर से सूची में 163 तथा बेंगलुरू से 70 अमीर शामिल हैं।
• हुरुन इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य शोधार्थी अनस रहमान जुनैद ने कहा कि अमीरों की सूची में शामिल होने वाले नए लोगों की संख्या के आधार पर भारत सबसे तेजी से वृद्धि करता हुआ देश है। पिछले दो साल में यहां 1,000 करोड़ रपए से अधिक की संपत्ति वाले धनाढ्यों की संख्या करीब दोगुनी होकर 339 से बढ़कर 831 तक पहुंच गई।
• ओयो रूम्स के 24 वर्षीय ऋषभ अग्रवाल सूची में शामिल सबसे युवा अमीर हैं जबकि एमडीएच मसाला के 95 वर्षीय धरमपाल गुलाटी सबसे बुजुर्ग। सूची में शामिल महिलाओं की संख्या भी 157 फीसद बढ़कर 136 पर पहुंच गई है।

INTERNATIONAL

5. दुनिया भर में बढ़ी आर्थिक स्वतंत्रता
• भारत के अग्रणी थिंकटैंक सेंटर फार सिविल सोसायटी और कैनेडियन थिंकटैक फ्रेजर इंस्टीट्यूट ने मंगलवार को संयुक्त रूप से ‘‘वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक 2018’ जारी किया। सूचकांक में कुल 162 देशों को शामिल किया गया है। भारत ने आर्थिक स्वतंत्रता के मामले गत वर्ष के मुकाबले स्थिति में सुधार किया है और दो पायदान चढ़ 96वें क्रम पर पहुंच गया है।
• पड़ोसी देशों में से सिर्फ भूटान ही 73वें क्रम के साथ भारत से आगे है। सूची में नेपाल 102वें, श्रीलंका 102वें, चीन 108वें, बांग्लादेश 120वें, पाकिस्तान 132वें और म्यांमार 151वें क्रम के साथ भारत से पीछे हैं। नियंतण्र आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक-2018 में हांगकांग पहले, सिंगापुर दूसरे, न्यूजीलैंड तीसरे, स्विट्जरलैंड चौथे और आयरलैंड पांचवें पायदान पर हैं जबकि यूएस, जॉर्जिया, मॉरीशस, यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा शीर्ष 10 में शामिल हैं।
• भारत (96) के अलावा अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों में से जर्मनी (20वें), जापान (41वें), फ्रांस (57वें), रूस (87वें) और चीन (108वें) क्रम पर रखा गया है।
• विदित हो कि फ्रेज़र इंस्टीट्यूट, लगभग 100 देशों के शोध संस्थाओं और शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर प्रतिवर्ष नियंतण्र आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक जारी करता है।
• यह सूचकांक देशों में ‘‘सरकार के आकार’, ‘‘संपत्ति के अधिकार की सुरक्षा के लिए कानूनी संरचना’, ‘‘धन तक लोगों की पहुंच’, ‘‘वैश्विक व्यापार की स्वतंत्रता और कर्ज के नियमन’ और ‘‘श्रम व व्यवसाय’ जैसे पांच अव्यवों की माप पर आधारित होता है।

6. स्वीडन में गिरी लॉफवेन सरकार नई सरकार पर असमंजस
• स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लॉफवेन मंगलवार को संसद में विश्वास मत हासिल नहीं कर सके। इससे देश में नई सरकार को लेकर असमंजस खड़ा हो गया है। गत नौ सितंबर को हुए चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था।
• 349 सदस्यों वाली संसद में लॉफवेन की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ने 144 सीटें हासिल की थीं।
• उन्हें दक्षिणपंथी विपक्षी गठबंधन से सिर्फ एक सीट ज्यादा मिली थी। आप्रवासन की विरोधी स्वीडन डेमोक्रेट ने 62 सीटें जीती थीं। विशेषज्ञों के अनुसार लॉफवेन की सरकार गिरने के बाद मॉडरेट पार्टी के उल्फ क्रिस्टरसन को सरकार बनाने का न्योता मिल सकता है।
• चूंकि मॉडरेट पार्टी के गठबंधन के पास बहुमत नहीं है इसलिए उन्हें स्वीडन डेमोकट्र या लॉफवेन की पार्टी का समर्थन हासिल करना होगा। 1लॉफवेन हालांकि गठबंधन सरकार को समर्थन देने से इन्कार कर चुके हैं।
• दूसरी तरफ स्वीडन डेमोक्रेट का कहना है कि वह आप्रवासन, स्वास्थ, पेंशन और अपराध नीति पर उनकी मांगे नहीं मानने वाली पार्टी का साथ नहीं देंगे।
• ऐसी स्थिति में यदि देश में किसी की भी सरकार नहीं बन पाई तो तीन महीने के अंदर दोबारा चुनाव कराना होगा।

PLAY

7. मॉडिक बने विश्व के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर
• लुका मॉडिक ने करीब एक दशक से स में चले आ रहे क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोन मेसी के दबदबे को खत्म करके साल के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खिलाड़ी बने।
• रीयल मैडिड और क्रोएशिया के मिडफील्डर मॉडिक पिछले सत्र में अपने क्लब और देश के लिए खासे सफल हुए जिसकी वजह से उन्हें इस सम्मान से सम्मानित किया गया।

PERSONALITY

8. अंकित अग्रवाल
• कानपुर शहर के अंकित अग्रवाल को संयुक्त राष्ट्र ने यंग लीडर अवार्ड से नवाजा है। 184 देशों के 18000 से अधिक युवाओं के बीच अंकित को उनके स्टार्टअप के लिए यंग लीडर चुना गया।
• अंकित और उनके मित्र करण ने ‘हेल्पअस ग्रीन’ कंपनी बनाकर मंदिरों से निकलने वाले फूलों का इस्तेमाल थर्माकोल, जैविक खाद और इत्र बनाने में किया। गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए इस स्टार्टअप में आइआइटी ने तकनीकी और टाटा ट्रस्ट ने आर्थिक सहयोग दिया था।
• इस विचार को हाथोंहाथ लिया गया। यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली के 73वें अधिवेशन में कंपनी के सह-संस्थापक अंकित अग्रवाल को यंग लीडर चुना गया। उनके साथ विश्व के कुल 17 युवा यंग लीडर चुने गए हैं।

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