दैनिक समसामयिकी

1.बढ़ते राष्ट्रवाद के बीच प्रथम विश्व युद्ध के 100 साल: पेरिस में जुटे दुनिया के नेता
• प्रथम विश्व युद्ध के 100 साल पूरे होने के अवसर पर दुनिया भर के नेताओं ने यहां नियंतण्र स्मृति समारोह में शिरकत किया और 28 जुलाई, 1914 से 11 नवंबर, 1918 के बीच अपनी जान गंवा चुके लोगों को याद किया।
• दुनिया के बड़े नेताओं का यह जमावड़ा बढ़ते राष्ट्रवाद और कूटनीतिक तनाव की पृष्ठभूमि में हो रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों रविवार सुबह अज्ञात सैनिक की समाधि पर श्रद्धांजलि के साथ अंतर्राष्ट्रीय युद्धविराम दिवस स्मरणोत्सव का नेतृत्व किया। यह समाधि पेरिस में आर्क डी ट्रायम्फ के नीचे स्थित है। लाखों सैनिकों और नागरिकों ने इस युद्ध में जान गंवाई थी, जिसे ग्रेट वॉर के नाम से जाना जाने लगा।
• अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन सहित दुनिया के करीब 70 नेता 1918 में हुए युद्धविराम समझौते की शताब्दी पर फ्रांस की राजधानी में एकत्र हुए। अमेरिका में भी इसे वेटरंस डे के रूप में मनाया गया। प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए अमेरिकी नागरिकों के कब्रिस्तान जाने का एक कार्यक्रम ट्रंप का भी था, जिसे खराब मौसम के कारण रद्द कर दिया गया। इस स्थान पर नहीं जाने के लिए ट्रंप की आलोचना हो रही है।
• ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ द्वितीय ने शनिवार शाम को टेलीविजन पर प्रसारित एक स्मरणीय कार्यक्रम में सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। शहीद सैनिकों की याद में इस कार्यक्रम का आयोजन लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में हुआ, जिसका आयोजन मुख्य सेवानिवृत्त सैनिकों के चैरिटी संघ रॉयल ब्रिटिश लीजन द्वारा किया गया। इसी तरह प्रधानमंत्री टेरेसा मे भी समारोह में हिस्सा लेंगी।
• वहीं न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया अपने स्तर पर इस संबंध में आयोजन कर रहे हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग शांति के नारे लगाए। पूर्वी फ्रांस के जंगलों में जिस जगह युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था, वहां की यात्रा करने के बाद शनिवार को जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा, ‘‘‘‘यह दिन सिर्फ याद करने के लिए नहीं है, इस दिन कार्रवाई की अपील की जानी चाहिए।’’
• प्रथम विश्व युद्ध भले ही 1918 में खत्म हो गया, लेकिन इसमें जीतने वाले सभी देशों ने एकमत से तय किया था कि इसका पूरा हर्जाना जर्मनी भरेगा। उस वक्त र्चचा सिर्फ इस बात की थी कि जर्मनी से हर्जाने के रूप में क्या वसूला जाए और इस पर कोई विवाद नहीं था कि जर्मनी ही सबको हर्जाना चुकाएगा।
• प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी ने सबको हर्जाना चुकाया जरूर, लेकिन वह अकेला नहीं था। एक सदी बाद भी दुनिया वर्साय की शांति संधि का मोल चुका रही है।
• उस वक्त भी इस संधि की खूब आलोचना हुई थी और कहा गया था कि यह यूरोप में और एक युद्ध का बीज बो रही है। लेकिन उस वक्त दुनिया पर राज कर रहे यूरोप के नेताओं को शायद यह बात समझ नहीं आई। ‘‘सभी युद्धों को खत्म करने के लिए हुआ या युद्ध’ सबसे बड़ी विभीषिका सिद्ध हुआ।
• वर्साय संधि के माध्यम से जर्मनी की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद करने और राजनीतिक तथा कूटनीतिक रूप से पूरी दुनिया के सामने उसकी बेइज्जती ने नाजीवाद और उसकी क्रूरताओं को पनपने की जमीन दे दी।
• इतना ही नहीं, विभिन्न संधियों के माध्यम से सीमाओं के नए निर्धारण और नए देशों के गठन ने भी पूरे यूरोप और आसपास के क्षेत्रों में विवादों तथा मतभेदों के नए आयाम पैदा कर दिए।

2. भारत ने की सुरक्षा परिषद समितियों की आलोचना
• भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंध समितियों की यह कहते हुए आलोचना की है वे अस्पष्ट हैं और उनमें जवाबदेही का अभाव है। इसके अलावा, ये आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध को स्वीकार नहीं करने की वजह भी कभी नहीं बताया करती हैं।
• भारत का इशारा पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को नियंतण्र आतंकवादियों की सूची में डालने की नई दिल्ली की कोशिश को चीन द्वारा बार-बार रोके जाने की ओर है।
• बहुपक्षवाद को मजबूत करने और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर शुक्रवार को संरा सुरक्षा परिषद की एक परिर्चचा में भारत के स्थायी दूत (संयुक्त राष्ट्र में) सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि परिषद ने कई अधीनस्थ संस्थान बना रखे हैं लेकिन इन संस्थानों का कामकाज काफी जटिल बन गया है। उन्होंने कहा कि एक ऐसे युग में जब हम जागरूक लोग लोक संस्थाओं से पारदर्शिता की मांग बढ़ाते जा रहे हैं, प्रतिबंध समितियां अपनी स्पष्टता के मामले में सर्वाधिक खराब उदाहरण हैं और उनमें जवाबदेही का अभाव है।
• अकबरूद्दीन ने कहा कि प्रतिबंध समितियां जाहिर तौर पर समूचे संयुक्त राष्ट्र की ओर से काम करती हैं। फिर भी वे हमें (आम सदस्यों को) सूचित नहीं करतीं। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया। लेकिन यह जगजाहिर है कि सुरक्षा परिषद में वीटो की शक्ति रखने वाले चीन ने आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को सुरक्षा परिषद की अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत आतंकवादी नामित कराने के भारत के कदम को बार-बार बाधित किया है जबकि भारत को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का समर्थन प्राप्त था।
• अजहर द्वारा स्थापित आतंकी संगठन जैश प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की संयुक्त राष्ट्र की सूची में पहले से शामिल है। अकबरूद्दीन ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सुरक्षा परिषद कार्य निष्पादन, विश्वसनीयता, औचित्य और प्रासंगिकता के संकट का सामना कर रहा है।
• उन्होंने आरोप लगाया कि परिषद की सदस्यता वैश्विक शक्ति के वितरण के अनुरूप नहीं है और यह समकालिक वास्तविकता को समायोजित करने में अक्षम है। उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार करने की अपील करते हुए चेतावनी दी कि ऐसा नहीं होने पर हम एक शांतिपूर्ण विश्व नहीं होंगे, बल्कि हमारी विश्व व्यवस्था टुकड़ों में बंटी होगी।

ECONOMY

3. कृषि वस्तुओं के निर्यात में कमी
• वाणिज्य मंत्रालय की निगरानी के अंतर्गत आने वाले 30 क्षेत्रों में से आधे से अधिक का निर्यात सितम्बर में कम हो गया। आधिकारिक आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली।
• आलोच्य माह के दौरान कुल निर्यात 2.15 प्रतिशत कम होकर 27.95 अरब डालर पर आ गया। खासकर कृषि क्षेत्र में 13 उत्पादों में से आठ के निर्यात में कमी आई है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चावल, चाय, काफी, तंबाकू, इंजीनियरिंग, चमड़ा, मसाले, काजू, फल एवं सब्जियां, समुद्री उत्पाद, रेडीमेड कपड़े और रत्न एवं आभूषण समेत 16 प्रमुख क्षेत्रों में सितम्बर के दौरान निर्यात कम हुआ है।
• फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑग्रेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणोश गुप्ता ने कहा कि सितम्बर में वृद्धि के नकारात्मक रहने का मुख्य कारण साल भर पहले निर्यात का उच्च स्तर पर रहना है। हालांकि उन्होंने आने वाले महीनों में निर्यात में सुधार की उम्मीद जाहिर की।
• कृषि क्षेत्र के 13 उत्पादों में से आठ का निर्यात घटाद निगरानी वाले 30 क्षेत्रों में से 16 क्षेत्रों में निर्यात में कमी
• निर्यातकों को मिलने वाली ब्याज छूट से निर्यात बढ़ने की उम्मीद
• दवा, प्लास्टिक, रसायन और इलेक्ट्रानिक्स का निर्यात बढ़ा

SCIENCE

4. पहली छमाही में भारत पर 4.36 लाख साइबर हमले
• देश को 2018 की पहली छमाही में सबसे ज्यादा साइबर हमले रूस, अमेरिका, चीन और नीदरलैंड जैसे देशों की ओर से झेलने पड़े हैं। साइबर सुरक्षा कंपनी एफ-सिक्योर के मुताबिक जनवरी-जून 2018 में इस तरह की 4.36 लाख से ज्यादा घटनाएं हुईं।वहीं इस अवधि में भारत की ओर किए गए साइबर हमले झेलने वाले शीर्ष पांच देश ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, ब्रिटेन, जापान और यूक्रेन हैं।
• इन देशों पर भारत से कुल 35,563 साइबर हमले किए गए। एफ-सिक्योर की रपट के अनुसार उसने यह आंकड़े ‘‘हनीपॉट्स’ से जुटाए हैं।कंपनी का कहना है कि उसने दुनियाभर में ऐसे 41 से ज्यादा ‘‘हनीपॉट्स’ लगाए हैं जो साइबर अपराधियों पर ‘‘बगुले’ की तरह ध्यान लगाकर नजर रखते हैं। साथ ही यह नवीनतम मालवेयर के नमूने और नई हैकिंग तकनीकों के आंकड़े भी जुटाते हैं।
• ‘‘हनीपॉट्स’ मूल रूप में पल्रोभन देने वाले सर्वर की तरह काम करते हैं, जो किसी कारोबार के सूचना प्रौद्योगिकी ढांचे का अनुकरण करते हैं। यह हमला करने वालों के लिए होते हैं। यह वास्तविक कंपनियों के सर्वर की तरह दिखते हैं जो आमतौर पर कमजोर होते हैं।एफ-सिक्योर के अनुसार इस तरीके से हमले के तरीकों को करीब से जानने में मदद मिलती है। साथ ही हमलावरों ने सबसे ज्यादा किस को लक्ष्य बनाया, स्रेत क्या रहा, कितनी बार हमला किया और इसके तरीके, तकनीक और प्रक्रिया क्या रही, यह सब जानने में भी मदद मिलती है।
• रपट में कहा गया है कि भारत में सबसे ज्यादा साइबर हमले करने वाले पांच प्रमुख देशों में रूस शीर्ष पर रहा। रूस से भारत में 2,55,589 साइबर हमले, अमेरिका से 1,03,458 हमले, चीन से 42,544 हमले, नीदरलैंड से 19,169 हमले और जर्मनी से 15,330 हमले यानी कुल 4,36,090 साइबर हमले हुए।

NATIONAL

5. नरेंद्र मोदी आज करेंगे देश के पहले इनलैंड वॉटरवे टर्मिनल की शुरुआत
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नेशनल वॉटरवे-1 के टर्मिनल की शुरुआत करेंगे। यह देश का पहला इनलैंड वॉटरवे (नदी मार्ग) है। 1620 किलोमीटर लंबे वॉटरवे से गंगा के जरिए उत्तरप्रदेश के वाराणसी से पश्चिम बंगाल के हल्दिया के बीच माल ढुलाई आसान होगी। इसे जलमार्ग विकास परियोजना के तहत तैयार किया गया।
• इसके लिए वर्ल्ड बैंक से भी मदद मिली है। मोदी अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में पेप्सिको के माल से भरे 16 कंटेनर के साथ कोलकाता से वाराणसी रवाना हुए मालवाहक जहाज एमवी आरएन टैगोर की अगवानी करेंगे। आजादी के बाद देश में इनलैंड वॉटरवे पर किसी कंटेनर पोत की यह पहली यात्रा है।
• वापसी में यह जहाज इफको के उर्वरक लेकर जाएगा। नेशनल वॉटरवे-1 चार राज्यों उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से गुजरेगा। इससे कोलकता, पटना, हावड़ा, इलाहाबाद, वाराणसी जैसे शहर जलमार्ग से जुड़ेंगे। वॉटरवे-1 पर चार मल्टी मॉडल टर्मिनल- वाराणसी, साहिबगंज, गाजीपुर और हल्दिया बनाए गए हैं।
• जल मार्ग पर 1500 से 2000 मीट्रिक टन क्षमता वाले जहाजों को चलाने के लिए कैपिटल ड्रेजिंग के जरिए 45 मीटर चौड़ा गंगा चैनल तैयार किया गया है। पहला वॉटरवे तैयार करने का जिम्मा इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईडब्ल्यूएआई) को सौंपा गया।
• जलमार्ग परिजयोना के तहत गंगा में जहाजों से माल ढुलाई शुरू होगी। कार्गो का परिवहन सुगम हो जाएगा। वॉटरवे शुरू होने से देश की जीडीपी में बढ़ोतरी होगी। अार्थिक क्षेत्र में नए अवसर पैदा होंगे।

Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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