*_03 May 2018(Thursday)_*
1.एफडीआई कॉन्फिडेंस इंडेक्स : भारत तीन स्थान फिसला, 11वीं पायदान पर पहुंचा
• वैश्विक कंसलटेंसी फर्म एटी केयर्नी के एफडीआई कॉन्फिडेंस इंडेक्स 2018 में भारत तीन स्थान फिसलकर 11वीं पायदान पर पहुंच गया है। पिछले दो साल में इसमें बढ़त का रुझान देखने को मिला था, लेकिन इस बार प्रदर्शन इसके ठीक उलट रहा है। 2017 में भारत इस रैंकिंग में 8वीं और इससे पिछले साल 9वीं पायदान पर था।
• 2015 के बाद ऐसा पहली बार है जब भारत इस इंडेक्स के टॉप-10 देशों से बाहर हुआ है। इसमें चीन (5), भारत (11) और सिंगापुर (12) की रैंकिंग घटी है। रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया है कि कुछ नीतियों के कारण हो सकता है शॉर्ट रन में निवेशक डर गए हों। मसलन 2017 में जीएसटी व्यवस्था लागू करने में सरकार को चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
• नोटबंदी से भी कारोबारी गतिविधियों और ग्रोथ पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। एशिया प्रशांत क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र के बारे में निवेशकों की प्राथमिकता कुछ घटी है।
• इस साल के इंडेक्स में सिर्फ सात एशियाई देश ही उभरकर सामने आए हैं। वहीं, इस इंडेक्स में उभरते बाजारों की हिस्सेदारी अब तक के निचले स्तर पर है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की आकांक्षा वाले टॉप-25 देशों में सिर्फ चार उभरती अर्थव्यवस्थाओं के नाम हैं। इनमें चीन, भारत, मेक्सिको और ब्राजील के नाम है।
• यह बताता है कि उभरते बाजारों पर आधारित निवेश को लेकर भरोसे में कमी आई है। अप्रैल से दिसंबर 2017 के दौरान भारत में एफडीआई 0.27% मामूली बढ़कर 35.95 अरब डॉलर (करीब 2.39 लाख करोड़ रुपए) रहा है।
2. सुरक्षा परिषद में गुप्त वीटो से काम पर पड़ रहा है असर
• भारत ने पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को नियंतण्र आतंकवादी की सूची में शामिल करने की उसकी कोशिशों में लगातार रोड़ा अटकाने के लिए चीन पर निशाना साधा। भारत ने प्रतिबंध समितियों जैसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सहायक अंगों में ‘‘गुप्त वीटो’ के इस्तेमाल की आलोचना की।
• संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि वह अध्यक्ष के इस सुझाव का स्वागत करते हैं कि इस बात का पता लगाया जाए कि कैसे वीटो परिषद के काम और उसकी प्रभावकारिता पर असर डालता है। उन्होंने सुरक्षा परिषद की सदस्यता में वृद्धि और समान प्रतिनिधित्व के सवाल पर अंतर सरकारी वार्ता के अनौपचारिक पूर्ण सत्र की बैठक में यह बात कही।
• अकबरुद्दीन ने कहा कि जिन मौकों पर गुप्त वीटो का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये, वहां उसका इस्तेमाल किये जाने से परिषद के काम और उसकी प्रभावशीलता पर असर पड़ रहा है। अकबरुद्दीन ने मंगलवार को कहा, इस संदर्भ में हम परिषद के सहायक अंगों में ‘‘गुप्त’ वीटो के इस्तेमाल पर प्रकाश डालना चाहेंगे। मुझे यह स्पष्ट करने दीजिए कि गुप्त वीटो क्या है।’
• उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के एक दर्जन से अधिक सहायक अंग हैं जो हर साल अनेक फैसले सुनाते हैं। प्रतिबंध समितियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा उनमें से प्रत्येक वीटो का इस्तेमाल करते हैं लेकिन ‘‘हममें से किसी को भी इस बारे में जानकारी नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा कि ‘‘गुप्त’ वीटो का इस्तेमाल करने वाले परिषद के स्थायी सदस्यों को उनके कार्यों के लिए सार्वजनिक स्पष्टीकरण देने की जरुरत नहीं होती है।
• उन्होंने कहा, इस तरह के वीटो को न तो दर्ज किया जाता है और न ही सार्वजनिक किया जाता है। वास्तव में, गुप्त वीटो के इस्तेमाल से जो प्रस्ताव खारिज हो जाता है, उसे कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता है, क्योंकि उसे ‘‘अवरुद्ध’ माना जाता है। बहरहाल, अकबरुद्दीन ने किसी भी देश का नाम नहीं लिया लेकिन यह अच्छी तरह पता है कि जब भी पाकिस्तानी आतंकवादियों या आतंकवादी समूहों की बात आई तो चीन ने अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया।
• उन्होंने कहा कि इस तरह के वीटो के इस्तेमाल को सार्वजनिक किया जाना और इसके इस्तेमाल के लिये स्पष्टीकरण दिये जाने को जरूरी बनाना सुरक्षा परिषद के कामकाज में पारदर्शिता और उसे प्रभावी बनाने की दिशा में पहला कदम होना चाहिये।उन्होंने कहा कि वीटो सेक्शन में गुप्त वीटो के इस्तेमाल समेत अन्य सुझावों पर विचार किया जा सकता है।
• संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो अधिकार प्राप्त स्थायी सदस्य चीन मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों में बार-बार रोड़ा अटकाता आ रहा है।
3. भारत-चीन के बीच हॉटलाइन की तैयारी
• भारत और चीन की सेनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिन¨फग के बीच वुहान में अनौपचारिक बैठक के बाद अपने मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन स्थापित करने के लंबित पड़े प्रस्ताव पर कथित तौर पर सहमत हो गई हैं।
• चीन के आधिकारिक मीडिया ने बुधवार को यह जानकारी दी। मोदी ने भारत-चीन संबंध को मजबूत करने के लिए दो दिवसीय अभूतपूर्व शिखर वार्ता ‘‘दिल से दिल तक’ में गत सप्ताह शी से मुलाकात की थी।
• सरकारी दैनिक अखबार ग्लोबल टाइम्स ने बुधवार को कहा, दोनों देशों के नेता अपने-अपने सैन्य मुख्यालयों के बीच एक हॉटलाइन बनाने पर कथित तौर पर सहमत हो गए हैं। इस हॉटलाइन को विास पैदा करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है क्योंकि इससे दोनों मुख्यालयों को 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंतण्ररेखा (एलएसी) में सीमा गश्ती दल के बीच तनाव और डोकलाम जैसे गतिरोध से बचने के लिए संवाद बढ़ाने में मदद मिलेगी।
• भारतीय सेना ने गत वर्ष विवादित क्षेत्र में चीनी सेना को सड़क निर्माण कार्य करने से रोक दिया था जिसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच डोकलाम में 16 जून से शुरू होकर 73 दिन तक गतिरोध चला था। भूटान और चीन डोकलाम पर अपना दावा जताते हैं। यह गतिरोध 28 अगस्त को खत्म हुआ था।
• हॉटलाइन के बारे में लंबे समय से बातचीत हो रही है लेकिन कुछ मुद्दों जैसे कि मुख्यालयों में किस स्तर पर हॉटलाइन स्थापित की जा सकती है, को लेकर यह योजना आगे नहीं बढ़ पाती।
4. दुनिया में सैन्य खर्च 115.92 लाख करोड़ रु. हुआ, चीन-भारत टॉप-5 में
• वर्ष 2017 में सेना पर सबसे ज्यादा खर्च करने के मामले में भारत टाॅप-5 देशों में शामिल हो गया है। भारत ने इस मामले में फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए पांचवें नंबर पर आ गया है। 2016 की तुलना में भारत ने एक साल में सैन्य खर्च में 5.5 बढ़ोतरी हुई है। पहले नंबर अमेरिका और दूसरे पर चीन बरकरार है।
• तीसरे पर सऊदी अरब और चौथे नंबर पर रूस है। टॉप-5 में शामिल होने के बावजूद भारत का रक्षा खर्च चीन से 3.6 गुना कम है। चीन ने अपना सैन्य खर्च 5.6% (करीब 80 हजार करोड़ रुपए) तक बढ़ाते हुए 15.19 लाख करोड़ रुपए कर दिया। भारतीय सेना में करीब 14 लाख सैन्यकर्मी हैं।
• करीब 20 लाख रिटायर्ड सैन्यकर्मियों की जरूरत भी इसी सैन्य खर्च के जरिए पूरी की जाती है। दुनियाभर के देशों के रक्षा खर्च पर यह जानकारी स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की सालाना रिपोर्ट में दी गई है।
• बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर के कुल रक्षा खर्च 115.92 लाख करोड़ रुपए का 60 प्रतिशत हिस्सा भारत और चीन का है। 2017 में दुनियाभर में सैन्य खर्च में 2016 के मुकाबले 1.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
• ये दुनियाभर की जीडीपी का 2.2 प्रतिशत है। 2016 में कुल सैन्य खर्च 112 लाख करोड़ रुपए (1.68 ट्रिलियन डॉलर) था।
5. किसानों के लिए बड़ा फैसला
• ‘‘आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने कृषि क्षेत्र की वृहत योजना ‘‘हरित क्रांति-कृषोन्नति योजना’ को 33,269.97 करोड़ रपए की केन्द्रीय अंशधारिता के साथ 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद भी वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक के लिए मंजूरी दे दी है।’
• उन्होंने कहा कि सीसीईए ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इस योजना को मंजूरी दी है। प्रसाद ने कहा कि इससे सभी योजनाओं की बेहतर निगरानी में मदद मिलेगी। इन सभी योजनाओं को अलग-अलग योजना/मिशन के रूप में स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन और अनुमोदन किया गया था।
• वर्ष 2017-18 में, एक वृहत योजना ‘‘हरित क्रांति- कृषोन्नति योजना’ के तहत इन सभी योजनाओं को जोड़ने का निर्णय लिया गया।’
• वृहद कृषि योजना में 33000 करोड़ का प्रावधान
• मार्च 2020 तक जारी रहेगी यह विशेष कार्यक्रम
• विभिन्न कृषि योजनाओं एवं मिशनों को मिलाकर चलाया जा रहा है यह कार्यक्रम
• सरकार की इस पहले से सभी योजनाओं की निगरानी करने में मिलेगी मदद
• वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के उठाया गया है यह कदम
6. पीएम वय वंदन योजना में निवेश सीमा हुई दोगुनी
• सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को उनके निवेश पर एक निश्चित राशि देने के उद्देश्य से शुरू की गयी प्रधानमंत्री वय वंदन योजना में निवेश सीमा को 7.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने का निर्णय लिया है जिससे निवेशक को हर महीने 10 हजार रुपये तक की पेंशन मिल सके।
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी। विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बैठक के बाद कहा कि वित्तीय समावेशन और सामाजिक सुरक्षा के अपने वादे के तहत प्रधानमंत्री वय वंदन योजना में निवेश की अवधि को 4 मई 2018 से बढ़ाकर 31 मार्च 2020 कर दिया है। अब इसमें 15 लाख रुपये तक निवेश किया जा सकेगा जिससे निवेशक को 10 हजार रुपये तक मासिक पेंशन मिल सकेगी।
• मार्च 2018 तक 2.23 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने इस योजना का लाभ उठाया है जबकि इससे पहले की योजना वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना 2014 में कुज 3.11 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने लाभ उठाया था। इस योजना का क्रियान्वयन भारतीय जीवन बीमा निगम कर रही है। इसमें 10 वर्षों के लिए निवेश किया जाता है जिसमें सुनिश्चित आठ फीसदी रिटर्न मिलता है जिसे मासिक पेंशन के रूप में दिया जाता है।
• इसमें मासिक, तिमाही, छमाही या वार्षिक पेंशन का चयन किया जा सकता है। सरकार द्वारा निर्धारित आठ फीसदी रिटर्न से कम की राशि मिलने पर शेष राशि की भरपाई केन्द्र सरकार करती है।
7. कोलेजियम ने जस्टिस केएम जोसेफ की प्रोन्नति पर टाला फैसला
• न्यायपालिका और सरकार के बीच तनातनी और प्रतिष्ठा का सवाल बनी उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नति पर पुनर्विचार का मामला टल गया है। सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने बुधवार को जस्टिस जोसेफ व तीन अन्य उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नति करने के मामले पर बैठक की जो बेनतीजा रही।
• सूत्रों के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र, जस्टिस जे. चेलमेश्वर. रंजन गोगोई. मदन भी लोकुर और कुरियन जोसेफ की पांच सदस्यीय कोलेजियम की सुप्रीम कोर्ट में करीब सवा चार बजे बैठक शुरू हुई। करीब एक घंटे तक विचार-विमर्श भी चला। बीच में थोड़ी देर के लिए ब्रेक भी हुआ और तीन जस्टिस कुछ देर के लिए अलग से बैठे भी। फिर से बैठक शुरू हुई लेकिन अंत तक कोई सहमति नहीं बनी।
• सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी सूचना के मुताबिक, कोलेजियम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नति पर पुनर्विचार के लिए बैठी थी, जो मूलत: केरल हाईकोर्ट से हैं। कानून मंत्रलय ने जोसेफ की प्रोन्नति की सिफारिश नामंजूर करते हुए फाइल पुनर्विचार के लिए कोलेजियम को वापस भेज दी थी। बुधवार को कोलेजियम की बैठक में कानून मंत्रलय से इस बाबत 26 व 30 अप्रैल को मिले पत्रों पर विचार होना था। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के मुताबिक कलकत्ता, राजस्थान और तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जजों को सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत करने के मसले पर भी विचार होना था, लेकिन इस सभी मुद्दों पर कोलेजियम ने फिलहाल फैसला टाल दिया है।
• ज्ञात हो, कोलेजियम जस्टिस जोसेफ को प्रोन्नति की दो बार सिफारिश कर चुकी है। गत जनवरी में भी अधिवक्ता इंदू मल्होत्र और जोसेफ को जज बनाने की सिफारिश की थी। तीन माह तक सरकार ने गौर नहीं किया तो जस्टिस कुरियन जोसेफ ने 9 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर सरकार के सिफारिश दबाकर बैठने पर आपत्ति जताई थी।
• उन्होंने सात जजों की पीठ में सुनवाई किए जाने की बात कही थी। इसके बाद सरकार ने फाइल पुनर्विचार के लिए मुख्य न्यायाधीश को वापस करते हुए कहा था कि केरल हाईकोर्ट का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है, जबकि कई ऐसे हाईकोर्ट हैं जिनका सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व नहीं है।
8. गैर पारंपरिक बिजली क्षमता का नया कीर्तिमान
• हर गांव में बिजली पहुंचाने के बाद गैर पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन ने भी रिकॉर्ड बनाया है। वर्ष 2017-18 ऐसा पहला साल है जब गैर पारंपरिक ऊर्जा स्नोतों से बिजली उत्पादन की क्षमता पारंपरिक ऊर्जा स्नोतों यानी कोयला, परमाणु या गैस आधारित बिजली प्लांट से ज्यादा बढ़ी है। इस वर्ष गैर पारंपरिक स्त्रोत से 11,788 मेगावाट बिजली क्षमता जोड़ी गई जबकि पारंपरिक स्नोतों से 9,588 मेगावाट क्षमता ही जोड़ी जा सकी है।
• यह स्थिति तब है जबकि पवन ऊर्जा में सुस्ती के कारण 14,510 मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं हो सका। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रलय की तरफ से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च, 2018 तक देश में गैर पारंपरिक स्नोतों से बिजली बनाने की क्षमता 69,685.17 मेगावाट हो गई।
• सरकार ने वर्ष 2022 तक देश में इन स्नोतों से कुल 1,75,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। इसमें से एक लाख मेगावाट क्षमता सिर्फ सौर ऊर्जा से जोड़ी जानी है। सनद रहे कि पिछले तीन वर्षो में देश में सौर ऊर्जा से बिजली बनाने की क्षमता में 370 फीसद का इजाफा हुआ है।
• आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षो से हर वर्ष पारंपरिक ऊर्जा स्नोतों से जोड़ी जाने वाली बिजली की अतिरिक्त क्षमता में कमी हो रही है। इसके पीछे कई वजहें हैं। मसलन, देश में नई ताप बिजली प्लांट नहीं लगाए जा रहे हैं। वर्ष 2016-17 में इस क्षेत्र में 11,550 मेगावाट क्षमता के प्लांट लगे थे जबकि इसके बाद के वर्ष में सिर्फ 8,710 मेगावाट की क्षमता ही जोड़ी गई।
• इसी तरह से गैस की दिक्कत की वजह से पहले से ही तकरीबन 20 हजार मेगावाट क्षमता की गैस आधारित बिजली संयंत्रों का भविष्य लटका हुआ है। परमाणु ऊर्जा को लेकर प्रगति बहुत उल्लेखनीय नहीं है। दूसरी तरफ राज्यों के स्तर पर सौर ऊर्जा को लेकर काफी ज्यादा उत्साह दिखाया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष के दौरान विभिन्न राज्यों की तरफ से 25 हजार मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की निविदा जारी किए जाएंगे।
• गैर पारंपरिक ऊर्जा को सरकार कई वजहों से ज्यादा तवज्जो दे रही है। सबसे बड़ी वजह तो यही है कि ये पर्यावरण के लिहाज से काफी सुरक्षित हैं। भारत ने जिस तरह से पेरिस समझौते के तहत अपने कार्बन उत्सर्जन में भारी कटौती करने की हामी भरी है, उसे देखते हुए इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। दूसरी वजह यह है कि लंबी अवधि में इनके स्नोतों के खत्म होने की संभावना नहीं है। मसलन, सौर ऊर्जा के लिए कभी सूरज की रोशनी कम नहीं होगी लेकिन ताप बिजली घरों के कोयला कम पड़ सकता है।
• केंद्र सरकार का दावा है कि अभी देश में पर्याप्त बिजली है और अगर राज्य चाहें तो सभी को चौबीसों घंटे बिजली दी जा सकती है। देश में सभी बिजली संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 3,45,000 मेगावाट है जबकि मांग तकरीबन 1,65,000 मेगावाट की है। मांग नहीं होने की वजह से ज्यादातर पावर प्लांट पूरी क्षमता के मुताबिक बिजली का उत्पादन नहीं कर रहे हैं। ये प्लांट संयुक्त तौर पर 2,25,00 मेगावाट बिजली ही पैदा n कर रहे हैं।
9. मंगल पर नए अभियान के लिए तैयार नासा का इनसाइट यान
• क्यूरियोसिटी रोवर के मंगल पर उतरने के छह साल बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने नए अंतरिक्ष यान इनसाइट को लांच करने के लिए पूरी तरह तैयार है। कैलिफोर्निया के वैंडनबर्ग एयरफोर्स स्टेशन से शनिवार को इसे लांच किया जाएगा। इस अभियान में एक रोबोटिक जियोलॉजिस्ट (रोबोट भूविज्ञानी) भी भेजा जा रहा है जो लाल ग्रह पर गहरी खोदाई कर सतह पर होने वाले कंपनों को मापेगा। इसके साथ ही मंगल के आकार और संरचना का भी गहरा अध्ययन किया जाएगा।
• अमेरिका और यूरोप के इस साझा अभियान की लागत एक अरब डॉलर (करीब 66 हजार करोड़ रुपये) है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल आज भी एक रहस्यमय ग्रह है। इसकी आंतरिक संरचना के अध्ययन से हम पृथ्वी समेत अन्य ग्रहों की उत्पत्ति की जानकारी हासिल कर सकते हैं। इनसाइट को फीनिक्स अंतरिक्ष यान की तर्ज पर डिजाइन किया गया है।
• ग्रह पर 16 फीट की खोदाई के लिए सिलेंडर आकार का एक उपकरण भी भेजा जा रहा है। कंपन मापने के लिए यान की मैकेनिकल आर्म सीस्मोमीटर को सतह पर स्थापित करेगी।
• सबसे सफल रहा है नासा का मंगल अभियान : अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है जिसने मंगल पर अंतरिक्ष यान को उतारने और संचालित करने में सफलता हासिल की है। पहली बार 1976 में विकिंग्स यान लाल ग्रह पर उतारा गया था। इसके बाद 2004 में स्पिरिट व अपारच्युनिटी और 2008 में फीनिक्स रोवर मंगल ग्रह पर पहुंचे थे।
• फीनिक्स लाल ग्रह के ध्रुव पर पहुंचने में सफल रहा था। 2012 में क्यूरियोसिटी रोवर मंगल पर उतरा था।