ब्रिक्स देश : ट्रेड वार पर दिखी एकजुटता

(जयंतीलाल भंडारी)

हाल ही में 25 से 27 जुलाई को दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में आयोजित दसवें ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन की ओर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई थीं। इस सम्मेलन का विशेष महत्त्व इसलिए था, क्योंकि इस समय पूरा विश्व अमेरिकी संरक्षणवाद और वैश्विक आतंकवाद के खतरे का सामना कर रहा है। ब्रिक्स के सामने व्यापार युद्ध और आतंकवाद के असर से न केवल खुद को वरन पूरी दुनिया को बचाने की जिम्मेदारी है।

यह महत्त्वपूर्ण है कि 27 जुलाई को 10वें ब्रिक्स सम्मेलन को जो ब्रिक्स घोषणापत्र ब्रिक्स देशों द्वारा जारी किया गया, उसमें अमेरिकी व्यापार संरक्षणवाद और नियंतण्र आतंकवाद से निपटने के लिए एक समग्र रुख का आह्वान किया गया है। 10वें ब्रिक्स सम्मेलन में ब्रिक्स देशों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियंतण्र ढांचे में स्थापित किए गए नियमों के आधार पर बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था ही आगे बढ़ेगी। अब अर्थतंत्र, कारोबार, वित्त, सुरक्षा और मानविकी के क्षेत्र सामूहिकता और सहयोग से ही आगे बढ़ेंगे। अब एकाधिकार और संरक्षणवादी प्रवृत्ति का पुराना दौर दोहराने नहीं दिया जाएगा। शिखर सम्मेलन में जनतंत्र एवं बहुपक्षीय सहयोग की जोरदार वकालत की गई है। 2030 तक भुखमरी की स्थितियों से पूरी तरह निपटने का लक्ष्य रखा गया है।

पर्यावरण के अनुकूल एनर्जी सिस्टम को विकसित करने के लिए ब्रिक्स एनर्जी रिसर्च कोऑपरेशन प्लेटफॉर्म बनाने का निर्णय लिया गया है। घोषणापत्र में कट्टरपंथ से निपटने, आतंकवादियों के वित्त पोषण के माध्यमों को अवरूद्ध करने, आतंकी शिविरों को तबाह करने और आतंकी संगठनों द्वारा इंटरनेट के दुरूपयोग को रोकने जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से शामिल हैं। ब्रिक्स देशों के समूह ने कहा कि आतंकी कृत्यों को अंजाम देने, उनके साजिशकर्ताओं या उनमें मदद देने वालों को निश्चित रूप से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि कई 17 वर्ष पूर्व 2001 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के जिस ब्रिक्स समूह ने अंतरराष्ट्रीय कारोबारी परिदृश्य में एकजुट होकर आगे बढ़ने के लिए कदम उठाए थे, वही समूह 2011 में दक्षिण अफ्रीका को साथ लेकर ब्रिक्स के नाम से चमकते हुए तेजी से कदम बढ़ा रहा है। ब्रिक्स की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्य देशों की सहायता करना है। ये देश एक-दूसरे के विकास के लिए वित्तीय, तकनीक और व्यापार के क्षेत्र में एक-दूसरे की सहायता करते हैं। ब्रिक्स देशों के पास खुद का एक बैंक भी है। इसका कार्य सदस्य देशों और अन्य देशों को कर्ज के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करना है। ब्रिक्स देशों के पास दुनिया की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 30 फीसद हिस्सा है। विश्व का 18 प्रतिशत व्यापार ब्रिक्स देशों की मुट्ठी में है।

पिछले 10 वर्षो में इन देशों ने नियंतण्र आर्थिक विकास में 50 प्रतिशत भागीदारी निभाई है। साथ ही पिछले 10 वर्षो में उभरते बाजारों और विकासशील देशों के बीच सहयोग के लिए ब्रिक्स एक महत्त्वपूर्ण मंच बन गया है। ब्रिक्स सदस्य देशों में एशिया, अफ्रीका, यूरोप एवं अमेरिका के देश शामिल हैं एवं जी20 के देश भी शामिल हैं।निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 10वें ब्रिक्स सम्मेलन में किया गया संबोधन अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा है। सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे अमेरिकी संरक्षणवाद और आतंकवाद के मुद्दे को उठाया गया। मोदी ने कहा कि सभी राष्ट्रों को यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि वे खुले वैश्विक व्यापार में बाधक न बनें और उनकी धरती से कोई भी आतंकी गतिविधि न होने पाए। मोदी ने बहुपक्षवाद, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और नियम-आधारित विश्व व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

निश्चित रूप से 10वां ब्रिक्स सम्मेलन पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत के लिए बहुत उपयोगी रहा है। ब्रिक्स सम्मेलन में इस बात पर गंभीरतापूर्वक विचार किया गया कि यदि विश्व व्यापार व्यवस्था वैसे काम नहीं करती जैसे कि उसे करना चाहिए तो डब्ल्यूटीओ ही एक ऐसा संगठन है, जहां इसे मजबूत किया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो दुनियाभर में विनाशकारी व्यापार लड़ाइयां ही 21वीं शताब्दी की हकीकत बन जाएंगी। डब्ल्यूटीओ के अस्तित्व को बनाए रखने की इच्छा रखने वाले देशों के द्वारा यह बात भी गहराई से आगे बढ़ाई जानी होगी कि विभिन्न देश एक-दूसरे को व्यापारिक हानि पहुंचाने की होड़ की बजाय डब्ल्यूटीओ के मंच से ही वैश्वीकरण के दिखाई दे रहे नकारात्मक प्रभावों का उपयुक्त हल निकालें। इस शिखर सम्मेलन से ट्रेड वॉर के खिलाफ सामूहिक रूप से संगठित होकर ट्रेड वार की धार पलटने का प्रयास हुआ है।

चूंकि अभी चीन के खिलाफ खुलकर और भारत पर छिटपुट हमले की शक्ल में अमेरिका का ट्रेड वॉर चल रहा है। रूस पर अमेरिका के कई तरह के प्रतिबंध पहले से ही जारी हैं। ब्राजील से अमेरिका का अच्छा व्यापारिक रिश्ता कभी रहा ही नहीं। ऐसे में सम्मेलन में ब्रिक्स देश अमेरिका के इस आक्रामक रवैये को लेकर रणनीति बनाकर आगे बढ़े हैं। दसवें ब्रिक्स सम्मेलन में आर्थिक मुद्दों के अलावा आतंकवाद को समाप्त करने में सभी बिक्स देशों का सहयोग, संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में सुधार, साइबर सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और नियंतण्र व क्षेत्रीय मुद्दों के साथ-साथ आतंकवाद से लड़ने के लिए नई रणनीति बनाना महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। इस नई रणनीति के तहत अब ब्रिक्स के सभी देश पूरी ताकत से मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को मिलने वाले धन के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई करेंगे और साइबर स्पेस में कट्टरपंथी प्रभाव पर नजर रखेंगे। इससे आतंकवाद से संघर्ष में काफी सहायता मिलेगी।

निश्चित रूप से इस बार के शिखर सम्मेलन में पिछली बार के शिखर सम्मेलन से कहीं ज्यादा जोरदार ढंग से खुली और समावेशी विश्व अर्थव्यवस्था की मांग दोहराई गई है और विश्व को दृढ़तापूर्वक यह संदेश दिया गया कि कारोबार में सिर्फ अपना-अपना हित देखने के घातक प्रभाव होंगे। सम्मेलन के माध्यम से दुनिया को यह जोरदार संदेश दिया गया है कि बहुध्रुवीय दुनिया का निर्माण ब्रिक्स के घोषित लक्ष्यों में से एक है, लिहाजा अमेरिका के संरक्षणवादी कदमों और वैश्विक आतंकवाद की प्रवृत्ति का मुकाबला करने के लिए ब्रिक्स के कदम अब तेजी से आगे बढ़ेंगे।(RS)

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