ब्राज़ील संघीय गणराज्य, रूसी संघ, भारत गणराज्य, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के नेताओं ने 04 सितंबर 2017 को चीन के शियामेन शहर में नौवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अवसर पर मुलाकात की।

इस सम्मेलन का विषय “ब्रिक्स: एक उज्ज्वल भविष्य के लिए मजबूत भागीदारी (ब्रिक्स: स्ट्रांगर पार्टनरशिप फॉर अ बेटर फ्यूचर)” रखा गया। इस अवसर पर, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की गयी और आम सहमति से शियामेन घोषणापत्र को अपनाया गया। थाईलैंड, मैक्सिको, मिस्र, ताजिकिस्तान और गिनी इस सम्मेलन के पर्यवेक्षक देश हैं।

घोषणापत्र के प्रमुख तथ्य:

हम तालिबान, लश्करे-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीके-तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, आईएसआईएस, हिज्ब उत-तहरीर, अलकायदा, ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट और उज्बेकिस्तान के इस्लामिक मूवमेंट द्वारा क्षेत्र में फैलाई जा रही हिंसा के चलते बिगड़े सुरक्षा हालात पर चिंता जताते हैं।

हम आतंकवाद के सभी रूपों, इससे जुड़े ड्रग ट्रैफिकिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और दुनिया समेत ब्रिक्स देशों में हुए सभी आतंकी हमलों की आलोचना करते हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम इंटरनेशनल कोऑपरेशन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इसमें देशों की संप्रभुता का खयाल रखना चाहिए, किसी भी देश के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं दिया जाना चाहिए।

ब्रिक्स देश यूएन की जनरल असेंबली की तरफ से ‘कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेरेरिज्म’ (अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र समझौते) को जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने और इसे मंजूर किए जाने की भी मांग करते हैं। ब्रिक्स देश आतंकवाद से मुकाबले और इसके लिए की जा रही फाइनेंसिंग को रोकने के लिए व्यापक नजरिया अपनाएं।

पहली बार डिक्लरेशन में आतंकी संगठनों की खास लिस्ट का जिक्र किया गया है। डिक्लरेशन के 7 पैराग्राफ्स में आतंकवाद की निंदा की गई। पीएम मोदी ने ब्रिक्स लीडर्स की रेसट्रिक्टेड (restricted) सेशन में एक कॉन्फ्रेंस होस्ट करने की पेशकश भी की है।

इस सम्मेलन से भारत को क्या लाभ होंगे?

ब्रिक्स के ज्वाइंट डिक्लरेशन में पाक के आतंकी गुटों का जिक्र होना भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। इस डिक्लरेशन को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि चीन कई बार जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर पर यूएन द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने की दिशा में अड़ंगा लगा चुका है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर चीन को साथ जोड़ने में कामयाब हो गया है।

पिछले साल मसूद अजहर पर कार्रवाई की भारत की मांग पर चीन ने रोक लगा दी थी। जिसके बाद भारत की मांग 2016 के अंत तक खारिज हो गई थी। हालांकि बाद में अमेरिका, यूके और फ्रांस ने मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अब अगले महीने यह रिजॉल्यूशन एक बार फिर रिव्यू के लिए आएगा और ब्रिक्स के घोषणापत्र के बाद अब चीन के लिए फिर से रोक लगाना मुश्किल होगा।

नॉर्थ कोरिया के न्यूक्लियर टेस्ट की आलोचना:

घोषणापत्र में ये भी कहा गया कि ब्रिक्स देश उत्तर कोरिया द्वारा किए गए न्यूक्लियर टेस्ट की भी सख्त निंदा करते हैं और कोरियाई पेनिनसुला में न्यूक्लियर मुद्दे पर लंबे वक्त से जारी विवाद के डिप्लोमैटिक हल का समर्थन करते हैं। बता दें कि नॉर्थ कोरिया ने रविवार को छठा न्यूक्लियर टेस्ट (हाइड्रोजन बम का टेस्ट) किया था, जिस पर साउथ कोरिया, जापान और अमेरिका ने कड़ा एतराज जताया है।

पृष्ठभूमि:

ब्रिक की पहली समिट रूस में हुई थी। तब चार मेंबर ब्राजील, रूस, भारत और चीन थे। 2010 में साउथ अफ्रीका शामिल हुआ। तब यह ब्रिक से ब्रिक्स हो गया। पिछली ब्रिक्स समिट अक्टूबर 2016 में गोवा में हुई थी।

आंकड़ों में ब्रिक्स:

ब्रिक्स देशों में पूरी दुनिया की 42% आबादी रहती है। दुनिया की जीडीपी में ब्रिक्स देशों का 23% हिस्सा शामिल है। दुनिया के ट्रेड का 17% हिस्सा ब्रिक्स देशों में है

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