(रिचर्ड परेज़-पेना और प्रशांत एस. राव)

© The New York Times
(दैनिक भास्कर )
ब्रिटेन में रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी यूलिया को जहर देने के मामले ने ब्रिटेन, समूचे यूरोप और अमेरिका को रूस के खिलाफ एकजुट कर दिया है। रूस बार-बार इस हमले में अपना हाथ होने से इंकार कर रहा है, लेकिन ब्रिटिश खूफिया सूत्रों ने दावा करके कहा है कि इस घटना को रूस ने ही अंजाम दिया। पहले ब्रिटेन ने अपने यहां से रूसी राजनयिकों को निकाला, उसके बाद रूस ने ब्रिटिश राजनयिकों को उनके देश भेज दिया। इन देशों के बीच बहुत ज्यादा तनाव उत्पन्न हो गया है। इस स्थिति में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की साख दांव पर है, वे क्या करेंगे अभी स्पष्ट नहीं है।
ब्रिटिश विदेश मंत्री बोरिस जॉन्सन ने कहा- इस बात की प्रबल आशंका है कि पूर्व रूसी जासूस सर्गेई को जहर देने के आदेश पुतिन ने ही दिए हैं। हमले के वक्त सर्गेई एवं उनकी बेटी सेलिसबरी शहर स्थित घर में थे। सर्गेई स्क्रिपाल रूसी सेना की खुफिया विंग में कर्नल थे। वर्ष 2006 में उन्हें ब्रिटेन को खुफिया सूचनाएं बेचने के कारण जेल की सजा सुनाई गई थी। वर्ष 2010 में उन्हें जासूस बनाकर ब्रिटेन भेजा गया, उनका काम रूस और पश्चिमी देशों के बीच की गोपनीय सूचनाएं एकत्र करना था। वे कई वर्षों से सेलिसबरी में चुपचाप रह रहे थे, इसलिए स्पष्ट नहीं है कि रूस नहीं तो फिर कौन उन्हें मारना चाहता है।
जॉन्सन ने कहा, दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार यूके में इस हथियार का इस्तेमाल किया गया है, जो चिंतनीय और आपत्तिजनक है। एक आशंका यह भी है कि या तो पुतिन ने खुद नर्व एजेंट के इस्तेमाल का आदेश दिया या फिर उसे पेशेवर अपराधियों के हाथों में सौंप दिया। उधर, मॉस्को में रूस सरकार के प्रवक्ता दिमित्री एस. पेस्कोव ने कहा- हम कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि इस घटना में हमारा हाथ नहीं है। ब्रिटेन की इस घटना से न तो हमारा कोई संबंध है और न ही राष्ट्रपति पुतिन की इसमें कोई भूमिका है। उन्होंने कहा कि हमने भी सर्गेई स्क्रिपाल को जहर दिए जाने की जांच के लिए आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। अमेरिका की एफबीआई की तरह रूस की ‘इन्वेस्टिगेटिव कमेटी ऑफ रशिया’ ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इसकी जांच करेगी। एजेंसी के सक्षम अधिकारी जरूरत पड़ने पर ब्रिटिश एजेंसी के साथ मिलकर काम करेंगे।
सर्गेई स्क्रिपाल को जहर दिए जाने के प्रकरण से लंदन और मॉस्को के संबंध शीतयुद्ध के बाद पहली बार सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। ब्रिटेन के सहयोगी देश जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका समेत कई देश रूस के खिलाफ हो गए हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे यह प्रकरण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तक ले जा सकती है। ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका का ‘फाइव आइज़’ खुफिया समूह है, इसलिए संभव है कि वे थेरेसा मे को सभी देशों का साथ मिल जाएगा। इस मामले की जांच चल ही रही थी कि ब्रिटेन में एक और रूसी प्रवासी निकोलई ग्लुश्कोव की लंदन स्थित उनके घर में हत्या कर दी गई। वे कभी पुतिन के करीबी हुआ करते थे। पिछले वर्ष उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। रूस की अदालत ने उन्हें उपस्थित होने के आदेश दिए थे, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। रूस से आकर वे ब्रिटेन में रहने लगे थे।
सोवियत संघ ने बनाया था ‘नर्व एजेंट’
‘नर्वएजेंट’ नाम के खतरनाक केमिकल हथियार का निर्माण 1970-1980 के दशक में सोवियत संघ ने किया था। वर्ष 2006 में इसकी तब चर्चा हुई थी, जब एक अन्य पूर्व रूसी एजेंट एलेक्जेंडर लित्विनेंको की लंदन में इसी हथियार से हत्या कर दी गई थी।
रूसी जासूस सर्गेई पर ‘नर्व एजेंट’ से हमला किया गया है, जो रसायनिक होता है। उससे शरीर की कोशिकाओं का संतुलन बिगड़ जाता है और सीधा असर दिमाग पर होता है। तुरंत उपचार नहीं होने पर मृत्यु हो जाती है। इसे सबसे संवेदनशील व गोपनीय हथियार माना जाता है। वह दो यौगिकों से मिलकर बनता है, उन दोनों के बराबर मात्रा में मिलते ही वह खतरनाक हो जाता है। उसे कहीं पहुंचाना आसान और डिटेक्ट करना बहुत मुश्किल होता है।
दैनिक भास्कर से विशेष अनुबंध के तहत
दूसरे शीतयुद्ध जैसा वातावरण
ब्रिटेन में लेबर पार्टी के वरिष्ठ नेता जेरेमी कॉर्बेन ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह प्रकरण अभी नहीं सुलझा तो मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाएंगी। इसके कारण दूसरे शीतयुद्ध जैसा वातावरण बनने लगा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि रूस दोषी है तो उसका सच दुनिया के सामने लाना चाहिए।
हम ब्रिटेन का साथ देंगे : जर्मनी
जर्मनी ने साफ कहा कि वह ब्रिटेन का साथ देगा और जरूरत पड़ी तो जांच में भी शामिल होगा। रूस को चाहिए कि वह पारदर्शिता दिखाए। अगर सबूत उसके खिलाफ जाते हैं तो यह ठीक नहीं होगा। ब्रिटेन का यह प्रस्ताव स्वागतयोग्य है कि अंतरराष्ट्रीय संस्था रूस की जांच करे।
रूस ने दुनिया से झूठ बोला!
वर्ष 1997 में बड़े देशों के बीच संधि हुई थी, उसमें रूस भी शामिल था। सभी ने कहा था कि वे अपने रासायनिक हथियार नष्ट करेंगे। पिछले वर्ष रूस ने कहा कि उसने इन्हें नष्ट करने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। अगर जासूस पर हमला रूस के कहने पर हुआ है तो मतलब उसने दुनिया से झूठ बोला।

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