*भारत-जापान की बढ़ती नजदीकी से चीन बेचैन : इससे चीन के बेल्ट रोड इनिसिएटिव को मिलेगी बड़ी चुनौती*
• अगर भारत और जापान के बीच गुरुवार को अहमदाबाद में हुई 12वीं द्विपक्षीय सालाना बैठक को इन दोनों देशों के बीच अभी तक का सबसे अहम विमर्श माना जा रहा है तो उसके पीछे कई वजहें भी हैं। दोनों देशों ने अप्रैल, 2017 में इस बात के संकेत दे दिए थे कि वे चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ (नया नाम बेल्ट रोड इनिशिएटिव-बीआरआइ) को चुनौती पेश करेंगे, लेकिन इस बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इनकी रणनीति क्या है।
• दोनों देशों की नजर एशिया से लेकर अफ्रीका तक में सिर्फ रेलवे, सड़क व समुद्री मार्ग को विकसित करने की ही नहीं है बल्कि इनके साथ औद्योगिक कॉरीडोर व औद्योगिक नेटवर्क का जाल विकसित करने की भी है। सीधे तौर पर भारत और जापान की तरफ से की गई यह घोषणा चीन की बीआरआइ की तरह दिखती है लेकिन इसके क्रियान्वयन का तरीका पूरी तरह से भिन्न होगा।
• भारत और जापान के कूटनीतिक रणनीतिकारों को यह मालूम है कि चीन की एशिया, अफ्रीका व पूर्वी यूरोप को ढांचागत कनेक्टिविटी से जोड़ने की योजना अभी सही तरीके से शुरू भी नहीं हुई है कि इसको लेकर कई तरह के विरोध का स्वर सुनाई देने लगे हैं।
• यही वजह है कि मोदी और एबी के बीच जब अफ्रीका व एशिया के दूसरे देशों में संयुक्त तौर पर विकास कार्य करने को लेकर बात हुई तो इसमें सबसे ज्यादा जोर इस बात पर दिया गया कि जिस भी देश में परियोजना चालू हो उसकी पूरी सहमति हो। जिस देश में परियोजना लागू की जाएगी उसके कायदे कानून का पूरी तरह से पालन करने के साथ ही इस बात का भी ख्याल रखा जाएगा कि इस परियोजना से उस देश के हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।
• भारत और जापान के बीच अफ्रीका के विकास में सहयोग को लेकर वैसे तो वर्ष 2010 से ही वार्ता हो रही है लेकिन इसकी अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। गुरुवार को यह सहमति बनी है कि अफ्रीका में बनाए जाने वाले औद्योगिक कारीडोर के नेटवर्क को लागू करने में इंडो-जापान डॉयलाग ऑन अफ्रीका में अहम फैसले किए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक औद्योगिक नेटवर्क दोनों देशों के निजी क्षेत्र के लिए कई तरह के अवसर पैदा करेगा।
• चूंकि अफ्रीका भारत के ज्यादा करीब है, इसलिए निश्चित तौर पर इसका वह ज्यादा फायदा उठाने की स्थिति में होगा। जापान की तरफ से वित्तीय व तकनीकी मदद दी जाएगी, और जापानी की कंपनियों को भी एक बड़ा बाजार मिल सकेगा। एशियाई विकास बैंक और अफ्रीकन डेवलपमेंट बैंक के साथ भी दोनों देशों की बात हो रही है कि उन्हें औद्योगिक नेटवर्क में शामिल किया जाए।
• पूर्वी एशिया में इस नेटवर्क का जो हिस्सा होगा उससे भारत को सबसे अहम फायदा यह होगा कि पूवरेत्तर राज्यों को इससे जोड़ा जा सकेगा। जापान चाहता है कि भारत की लुक ईस्ट नीति को और मजबूती मिले और इसके लिए पूर्वोत्तर राज्यों का विकास बहुत जरूरी है।
• जापान इसके लिए अलग से भारत को मदद देने को भी तैयार है। साथ ही पूवरेत्तर राज्यों का विकास चीन की तरफ से नेपाल, बांग्लादेश व म्यांमार को एक रोड नेटवर्क से जोड़ने की योजना के लिए भी चुनौती पेश कर सकेगा।
*भारत और रूस के बीच होगा पहला त्रिकोणीय युद्ध अभ्यास*
• रूस अब भारत के साथ त्रिकोणीय युद्ध अभ्यास करने वाला है। भारत और रूस ने शुक्रवार को एक समझौते पर दस्तखत किए जिसमें तीनों सेनाओं के साथ सैन्य अभ्यास की बात कही गई है। 19 अक्टूबर से 29 अक्टूबर के बीच यह बड़ा सैन्य अभ्यास होगा, जिसमें आर्मी, एयरफोर्स और नेवी की भागीदारी के साथ त्रिकोणीय युद्ध अभ्यास किया जाएगा।
• मजबूत सामरिक रिश्ते रखने वाले भारत और रूस के बीच इस तरह का यह पहला युद्ध अभ्यास होगा। यह पहली बार होगा जब भारत की तीनों सेनाएं एक साथ किसी देश का साथ अभ्यास करेंगी। रूस भारत के लिए पिछले काफी दशकों से सबसे बड़ा रक्षा उत्पादों का आपूर्तिकर्ता रहा है।
• 1960 के दशक से देखा जाए तो भारत रूस से 50 अरब डॉलर से ज्यादा के हथियार और सैन्य सामग्री खरीद चुका है, लेकिन दोनों देशों की सेनाओं के बीच उस अनुपात में सैन्य अभ्यास नहीं होता। उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षो में रूस ने पाकिस्तान के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ाई हैं। हाल ही में उसने पाकिस्तान के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास भी किया है।