INTERNATIONAL/BILATERAL

1.रूस से रिश्तों के नए आयाम तलाशने में जुटा भारत
• भारत और अमेरिका के बीच प्रगाढ़ होते रक्षा सहयोग का असर भारत और रूस के सामरिक रिश्तो पर पड़ना तय है। विदेश और रक्षा मंत्रलय के अधिकारी मान रहे हैं कि भारत के रक्षा क्षेत्र में रूस की हिस्सेदारी अब और तेजी से घट सकती है। हालांकि भारत सहयोग के दूसरे आयाम तलाशने की कोशिश में है।
• इस साल के अंत तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अगुआई में होने वाली बैठक इस लिहाज से काफी महत्पूर्ण मानी जा रही है। इस हफ्ते विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मास्को यात्र में रूस से ऊर्जा, कृषि और तकनीकी सहयोग पर विचार विमर्श होगा।
• रूस पर से निर्भरता घटी : आज से 15 वर्ष पहले तक भारत अपनी हर तरह की रक्षा जरूरत के लिए रूस पर निर्भर था। रक्षा मंत्रलय के एक अधिकारी के मुताबिक, दो दशक पहले हम अपने 80 फीसद रक्षा उपकरण रूस से लेते थे। यह अब घट कर 60 फीसद तक रह गया है।
• अमेरिका के साथ बढ़ा रक्षा कारोबार : अमेरिका और भारत के बीच तब कोई रक्षा कारोबार नहीं होता था, लेकिन अब दोनों देशों के बीच 10 अरब डॉलर से ज्यादा का रक्षा कारोबार हो रहा है। यह बदलाव इसलिए भी हो रहा है क्योंकि भारत की हथियारों की जरूरत बदल रही है। वैसे भी भारत अब इजरायल, दक्षिण कोरिया, फ्रांस से अपनी सैन्य जरूरतों को पूरी करने में लगा है।
• भारत और अमेरिका की टू प्लस टू वार्ता के बाद अब यह माना जा रहा है कि अगले तीन से चार दशकों में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी राष्ट्र होगा। वैसे भी हाल के वषों में भारत ने जितने नए रक्षा सौदे अमेरिका के साथ किए हैं उनसे काफी कम रूस से किए हैं। अगर एस 400 खरीदने के प्रस्ताव पर मुहर लग जाती है तो यह हाल में भारत और रूस के बीच पहला बड़ा सौदा होगा।
• भारत यह मानने लगा है कि उसे अब जिस तरह की रक्षा तकनीकी की जरूरत होगी उसे रूस पूरा नहीं कर सकता। मसलन, भारत को अपनी वायु सेना और नौ सेना के लिए हर तरह के वाहक जहाज की जरूरत है, जिसे सिर्फ अमेरिका पूरा कर सकता है।
• सूत्रों के मुताबिक, मोदी और पुतिन के बीच सोची में हुई अनौपचारिक बैठक में भी रक्षा सहयोग से ज्यादा द्विपक्षीय संबंधों के दूसरे आयामों पर बात हुई थी।

2. अलवी ने ली पाक के राष्ट्रपति पद की शपथ
• प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी सहयोगी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल आरिफ अलवी ने रविवार को पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार ने ऐवान-ए-सद्र (राष्ट्रपति भवन) में आयोजित सादे समारोह में पेशे से दंत चिकित्सक 69 वर्षीय अलवी को पाकिस्तान के 13वें राष्ट्रपति के रूप में पद की शपथ दिलाई।
• पूर्ववर्ती ममनून हुसैन ने पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद शनिवार को राष्ट्रपति भवन खाली कर दिया था।प्रधानमंत्री इमरान खान, सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा सहित शपथ ग्रहण समारोह में सैन्य और असैन्य प्रशासन के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। चीन के विदेश मंत्री वांग यि और सऊदी के सूचना मंत्री अव्वाद बिन सालेह अल अव्वाद भी समारोह में उपस्थित थे।
• अलवी को चार सितम्बर को हुए चुनाव में पाकिस्तान का नया राष्ट्रपति चुना गया था।अलवी ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार ऐतजाज अहसन और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन के उम्मीदवार मौलाना फजल उर रहमान को त्रिकोणीय मुकाबले में मात दी थी।
• नेशनल असेंबली और सीनेट में पड़े कुल 430 मतों में से अलवी को 212 मत मिले थे जबकि रहमान को 131 और अहसन को 81 मत मिले थे। छह मत खारिज कर दिये गये थे।अलवी कराची के रहने वाले हैं लेकिन उनका परिवार विभाजन के वक्त भारत से पाकिस्तान गया था। पूर्ववर्ती हुसैन का परिवार आगरा से जबकि परवेश मुशर्रफ का परिवार नयी दिल्ली से पाकिस्तान गया है।
• अलवी के पिता डॉक्टर हबीब उर्र रहमान इलाही अलवी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दंत चिकित्सक हुआ करते थे।जीत के बाद अपने पहले भाषण में अलवी ने प्रधानमंत्री खान को उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी के लिए नामांकित करने पर धन्यवाद दिया था। अलवी ने कहा था, आज से मैं सिर्फ पीटीआई द्वारा नामित राष्ट्रपति नहीं हूं, बल्कि मैं पूरे देश और सभी दलों का राष्ट्रपति हूं।
• सभी दल मेरे समक्ष समान हैं। उन्होंने कहा था, मेरा राजनीतिक संघर्ष अय्यूब खान के शासन काल, 1967 से चल रहा है। हालांकि, मेरा मानना है कि तब से अब तक राष्ट्र में बहुत जागरूकता आई है। राष्ट्रपति ने संविधान में किये गये वादों को दोहराया। अलवी 2006 से 2013 तक पीटीआई के पार्टी के महासचिव रहे हैं।

ECONOMY

3. आयुष्मान भारत से बीमा क्षेत्र को लाभ : एसोचैम
• उद्योग संगठन एसोचैम और शोध संस्था एपीएएस के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक आयुष्मान भारत, नियंतण्र संस्थाओं की उपस्थिति और नियमों के सरलीकरण के बल पर देश में बीमा क्षेत्र की पहुंच बहुत तेज से बढ़ रही है। वर्ष 2001 में इसकी पहुंच 2.71 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2017 में बढ़कर 3.7 प्रतिशत हो गई।
• कुल प्रीमियम भी वित्त वर्ष 2012 के 49 अरब डालर से वित्त वर्ष 2018 में बढ़कर 72 अरब डालर के करीब पहुंच गया।अध्ययन में बताया गया है कि सरकार और नियामकों के प्रयासों से बीमा क्षेत्र की पहुंच बढ़ी है और बीमा योजनाओं का दायरा भी बढ़ा है।
• मध्यम आय वर्ग की बढ़ती आबादी और सुरक्षा तथा सेवानिवृत्ति की योजना के प्रति अधिक जागरूकता से भी बीमा क्षेत्र को लाभ मिला है। आयुष्मान भारत योजना के प्रभावी क्रियान्वन से पूरे हेल्थकेयर क्षेत्र को मदद मिलेगी।

4. अब बीमा कंपनी बनाएगा इंडिया पोस्ट
• भुगतान बैंक और पार्सल निदेशालय शुरू करने के बाद भारतीय डाक की अगली योजना बीमा कंपनी स्थापित करने की है। संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने बताया कि अगले दो साल में बीमा कंपनी बनाने का निर्णय किया गया है।सिन्हा ने कहा, ‘‘डाक विभाग अब अपने आप को नए रूप में ढाल रहा है।
• पार्सल निदेशालय और भुगतान बैंक को शुरू कर अपने कारोबार का विविधीकरण करने के बाद डाक विभाग ने अगले दो साल में एक बीमा कंपनी स्थापित करने का निर्णय किया है। यह एक विशेष कारोबार इकाई होगी।’ उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले हफ्तों में एक बीमा कंपनी स्थापित करने के लिए सलाहकार की नियुक्ति का आवेदन पेश किया जाएगा।
• ’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सितंबर को भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी) की शुरुआत की थी। इससे सरकार का मकसद डाक विभाग की देशभर में पहुंच का लाभ उठाने का है। ताकि उसके तीन लाख डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों के माध्यम से वित्तीय समावेशन योजनाओं को सूदूरतम इलाकों तक पहुंचाया जा सके।
• डाक विभाग ने अप्रैल में पार्सल निदेशालय की भी शुरुआत की थी।यह स्वतंत्र तौर पर पार्सल या लॉजिस्टिक कारोबार को लेकर तेजी से निर्णय ले सकता है। वर्तमान में डाक विभाग, डाक जीवन बीमा की पेशकश करता है यह देश की सबसे पुरानी बीमा पॉलिसी है जिसकी शुरुआत 1884 में की गई थी।

5. ई-कॉमर्स नीति पर समिति का गठन
• ई-कॉमर्स नीति के मसौदे के कुछ प्रस्तावों पर चिंता के बीच सरकार ने इन पर गौर करने के एक सचिव स्तरीय समूह गठित किया है। एक अधिकारी के मुताबिक, इस समूह की अध्यक्षता औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) के सचिव करेंगे। समूह के अन्य सदस्यों में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय और वाणिज्य मंत्रलय के सचिव होंगे।
• अधिकारी ने बताया कि नीति आयोग और आर्थिक मामलों के विभाग के प्रतिनिधि भी इस सचिव स्तरीय समूह का हिस्सा होंगे। यह समूह ई-कॉमर्स क्षेत्र से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार करेगा। समूह की पहली बैठक इस हफ्ते होने की उम्मीद है।
• वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने पिछले महीने ट्वीट किया था कि ई-कॉमर्स नीति के मसौदे पर कुछ चिंताएं उनके सामने आई हैं। इसक बाद उन्होंने अधिकारियों को संबंधित पक्षों के साथ मिलकर इनका हल निकालने का निर्देश दिया था।

SCIENCE

6. व्हीट ब्लास्ट’ से उत्पादक देशों में खलबली
• व्हीट ब्लास्ट’ जैसी संक्रामक बीमारी से दुनिया के गेहूं उत्पादक देशों में खलबली मची हुई है। फंगस (फफूंद) से फैलने वाले इस रोग से निपटने की तैयारियां वैश्विक स्तर पर शुरू हो चुकी हैं। ‘यूजी-99’ रस्ट के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा खतरा गेहूं जैसी प्रमुख फसल के लिए पैदा हुआ है। पड़ोसी देश बांग्लादेश तक व्हीट ब्लास्ट के फंफूद मैगनापोर्टे ओरिजे के पहुंच जाने के संकेतों के बाद भारत सरकार और कृषि वैज्ञानिक सतर्क हो गए हैं।
• इसके मद्देनजर बांग्लादेश की सीमा से सटे दस किलोमीटर तक के क्षेत्र में गेहूं की खेती पर पाबंदी लगा दी गई है। ऐसी किसी भी बीमारी की चुनौती से निपटने के लिए सीमा से लगे जिलों में 10 किलोमीटर भीतर तक इसकी कड़ी निगरानी की जा रही है। इसके चलते पश्चिमी बंगाल के पांच जिलों में गेहूं की बुवाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
• पूर्वी छोर के अन्य राज्यों में गेहूं की खेती नहीं होती है, लेकिन छिटपुट किसान गेहूं की फसल उगाते हैं। ऐसे किसानों को वैकल्पिक और अधिक फायदा देने वाली फसलों को लगाने के लिए मदद दी जा रही है। 1ऐसे किसानों को वित्तीय मदद देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 90 करोड़ रुपये की सहायता देने का फैसला किया गया है।
• भारत सरकार की ओर से बांग्लादेश को भी यह सुझाव दिया गया है कि वह भी अपनी सीमा से 10 किमी अंदर तक गेहूं की खेती करने पर प्रतिबंध लगा दे। उसके लिए वहां के किसानों को उचित बीज और अन्य मदद भी देने का प्रस्ताव रखा गया है।
• व्हीट ब्लास्ट जैसे फंगल (फफूंदी) से होने वाला संक्रामक रोग आमतौर पर धान में होता रहा है। लेकिन इसका असर पहली बार ब्राजील में देखा गया, जहां से बोलीविया और पराग्वे में इसके फफूंद पहुंच गए।
• कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गर्म और नमी वाले क्षेत्रों में इस फफूंद के तेजी से पनपने की संभावना रहती है। इसे लेकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक सकते में आ गए। वैज्ञानिकों की कोशिश इस घातक बीमारी की प्रतिरोधी प्रजाति जल्द ही विकसित करने की है। साथ ही रोग प्रभावित क्षेत्रों को सीमित कर दिया जाए, ताकि इसका प्रसार न हो सके।
• भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक प्रोफेसर एनके सिंह ने बताया कि इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए मेक्सिको स्थित नार्मन बोरलॉग गेहूं अनुसंधान संस्थान (सीमिट) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय कर रहा है। वैज्ञानिकों का एक दल व्हीट ब्लास्ट प्रभावित क्षेत्रों में रोग प्रतिरोधी प्रजाति विकसित करने में जुट गया है।
• यूजी-99 की बीमारी युगांडा से शुरू हुई थी, जिसके लिए वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिकों ने उल्लेखनीय कार्य किया था। यह रस्ट अफगानिस्तान तक पहुंच गया था, जिसे लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने तत्परता बरती और देश में इसकी प्रतिरोधी प्रजाति का बीज भारी मात्र में तैयार कर लिया।
• भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका को पूरी दुनिया में सराहा भी गया है। गेहूं के लिए पैदा इस रोग से बचाव की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। वैज्ञानिकों की कोशिश इस तरह की प्रतिरोधी बीज को विकसित करने की है।

Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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