सागरमाला परियोजना का उद्देश्य बंदरगाहों के इर्द-गिर्द प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विकास को बढ़ावा देना तथा बंदरगाहों से माल की आवाजाही के लिए कुशल, क़िफायती और त्वरित बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
– सागरमाला, देश के साढ़े सात हज़ार किलोमीटर लंबे समुद्र तट पर बंदरगाहों और अन्य सुविधाओं के विकास की पहल है।
– सागरमाला परियोजना के तहत देश के प्रमुख बंदरगाहों के कम से कम 12 स्मार्ट शहर व विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) आएंगे। इस परियोजना का उद्देश्य तटीय राज्यों का बंदगाह की अगुवाई वाला विकास सुनिश्चित करना है। इससे भारत की जीडीपी में 2 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है।
*=>मैरीटाईम इकोनॉमिक क्षेत्*र
– इन क्षेत्रों में परिवहन प्रणाली अत्यंत विकसित होगी जिसके तहत कार्गो एवं पैसेंजर ट्रैफिक को सुचारू व सुगम बनाया जायेगा।
*=>सागरमाला परियोजना के उद्देश्य:-*
1. बंदरगाहों के आसपास प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विकास को प्रोत्साहन देना।
2.तटीय आर्थिक क्षेत्र में रह रही आबादी का सतत विकास।
3.बंदरगाहों तक माल के तीव्र, दक्षतापूर्ण और किफायती ढंग से आवागमन के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना।
4.इंटरमॉडल समाधानों के साथ विकास के नए क्षेत्रों तक पहुंच विकसित करना एवं श्रेष्ठतम मॉडल को प्रोत्साहन देना।
5.मुख्य मंडियों तक संपर्क सुधारना व रेल,
इनलैंड वाटर, तटीय एवं सड़क सेवाओं में सुधार करना।
6.देश के सभी बड़े तटवर्ती शहरों को बेहतर सड़क मार्ग, हवाई मार्ग और समुद्री मार्ग से जोङना।
7. बन्दरगाहों का आधुनिकीकरण किया जायेगा।
– सरकार बजटीय सहयोग से इन बन्दरगाहों के बुनियादी ढांचागत विकास पर कार्य शुरू करेगी ताकि इन केन्द्रों को देश के प्रमुख औद्योगिक विनिर्माण केन्द्रों के रूप में विकसित किया जा सके। परियोजनाओं के लिए पैसा जुटाने के लिए समुदाय विकास निधि बनाई जाएगी।
** सागरमाला परियोजना के तहत विकास के तीन स्तंभों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा –
-> समेकित विकास के लिए समुचित नीति एवं संस्थागत हस्तक्षेप तथा एजेंसियों और मंत्रालयों एवं विभागों के बीच परस्पर सहयोग मजबूत करने के लिए संस्थागत ढांचा उपलब्ध कराने के जरिए बंदरगाह आधारित विकास को समर्थन देना और उसे सक्षम बनाना।
-> आधुनिकीकरण सहित बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे का विस्तार और नए बंदरगाहों की स्थापना।
-> बंदरगाहों से भीतरी प्रदेश के लिए और वहां से बंदरगाहों तक माल लाने के काम में दक्षता लाना।
*=>फ्लो चार्ट फॉर्म :-*
– सागरमाला योजना – बंदरगाह + रेल कनेक्टिविटी + रोड कनेक्टिविटी + जल मार्ग कनेक्टिविटी + विशेष आर्थिक क्षेत्र + कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क+ वेयर हाउसिंग नेटवर्क = रोजगार , पूंजी निवेश, उत्पादन और निर्यात में वृद्धि।
– राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के संबद्ध मंत्रालयों के बीच तालमेल और सहयोग एवं समन्वय से सागरमाला परियोजना की योजनाओं और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन होगा।
– नीतिगत मार्गदर्शन और उच्च स्तरीय समन्वय तथा नियोजन के विविध पहलुओं की समीक्षा तथा योजना एवं परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय सागरमाला अपेक्स कमिटी बनाई गई है।
– समिति के अध्यक्ष पोत परिवहन मंत्री होंगे तथा संबंधित मंत्रालयों के कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री तथा समुद्री सीमा वाले राज्यों में बंदरगाहों संबंधी मंत्री सदस्य होंगे।
*=>सागरमाला परियोजना का महत्व*
– वैश्विक व्यापार के युग में सामुद्रिक व्यापार की महत्ता बढ गई है। दुनिया के तेल व्यापार का दो तिहाई व्यापार हिंद महासागर के जरिये होता है।
– कंटेनर का व्यापार क्षेत्र, करीब 50 प्रतिशत हिंद महासागर से होता है और आने वाले दिनों में यह बढ़ने वाला है। इसलिए बंदरगाह क्षेत्र का विकास महत्वपूर्ण हो गया है। दुनिया में जिन-जिन राष्ट्रों का विकास हुआ है उसमें एक बात प्रखर रूप से उभरती है कि समुद्र तट पर जो शहर विकसित हुए हैं, उसी की आर्थिक गतिविधियों ने उस देश को संवृद्धि दी है और इसलिए भारत ने भी बंदरगाहों के विकास को गति देने के लिए सागरमाला योजना पर बल दिया हैं