11 अक्टूबर: अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस

विश्वस्तर पर 11 अक्टूबर 2018 को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया. आज पूरा विश्व 6वां अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहा है. इस दिवस को पहली बार साल 2012 में मनाया गया था.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को बढ़ावा देने के लिए इस दिन अलग-अलग देशों में कई तरह के आयोजन भी किए जाते हैं जिसके अंतर्गत लड़कियों की शिक्षा, पोषण, उनके कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल के प्रति उन्हें और समाजजनों को जागरूक किया जाता है.

उद्देश्य:

इस दिवस का उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों का संरक्षण करना और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों की पहचान करना है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह भी है कि समाज में जागरूकता लाकर लड़कियों को वे समान अधिकार दिलाए जा सकें, जो कि लड़कों को दिए गए हैं.

वर्ष 2018 के लिए इस दिवस का विषय- विथ हर: अ स्किल्ड गर्लफोर्स (With Her: A Skilled GirlForce) को निर्धारित किया गया है.

बालिकाओं हेतु उच्च गुणवत्ता की शिक्षा:

बालिकाओं के लिए उच्च गुणवत्ता की शिक्षा, कौशल, प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी में निवेश कर इन तक उनकी पहुँच सुनिश्चित की जाए जिससे रोजगार के लिए उन्हें तैयार किया जा सके. सभी क्षेत्रों में लिंग उत्तरदायी कानून और नीतियों को बढ़ावा दिया जाए. विशेष रूप से विकलांग कमजोर, उपेक्षित, तस्करी और यौन शोषण की शिकार बालिकाओं के लिए.

इसके अतिरिक्त किशोरावस्था में आवश्यक पोषण तत्वों में निवेश किया जाए और उन्हें यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान की जाए. शारीरिक, मानसिक और यौन हिंसा के खिलाफ सहनशीलता समाप्त करना. बाल विवाह और जननांग विकृति को ख़त्म करने के क्रम में सामाजिक, आर्थिक और नीति तंत्र को विकसित किया जाए.

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा:

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर 2011 को प्रस्ताव संख्या 66/170 को पारित किया. इस मंजूरी के साथ प्रत्येक वर्ष 11 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई. पहले अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का विषय बाल विवाह की समाप्ति रहा है.

यूनिसेफ रिपोर्ट:

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बाल विवाह बांग्लादेश में होते हैं और इसके बाद दूसरे नंबर पर भारत का नाम आता है.

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत:

बालिकाओं को संरक्षण और सशक्त करने के लिए ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत वर्ष 2015 में हुआ था. पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस विश्वभर में 11 अक्टूबर 2012 को मनाया गया.

धनलक्ष्मी योजना:

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘धनलक्ष्मी’ नाम से एक योजना की शुरुआत की है जिसके तहत बालिका शिशु के परिवार को नकद हस्तांतरण के द्वारा मूलभूत जरुरतों जैसे असंक्रमीकरण, जन्म पंजीकरण, स्कूल में नामांकन और कक्षा 8 तक के रखरखाव को पूरा किया जाता है. शिक्षा का अधिकार कानून ने बालिका शिशु के लिये मुफ्त और जरुरी शिक्षा उपलब्ध कराया गया है.

किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम: यह कार्यक्रम को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू), भारत सरकार की सहायता से लागू किया गया है. यह किशोर प्रजनन और यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम (एआरएसएच) के माध्यम से किशोरियों को सेवाएं प्रदान करता है, जिसमें साप्ताहिक आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरक कार्यक्रम एवं मासिक धर्म स्वच्छता के संवर्धन के लिए योजना है.

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