अर्थव्यवस्था : चमकीली हैं संभावनाएं

(जयंतीलाल भंडारी)

इन दिनों वैश्विक आर्थिक संगठनों की रिपोटरे में भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ रही चमकीली संभावनाओं वाली अर्थव्यवस्था बताया जा रहा है। हाल ही में 8 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नोटबंदी व जीएसटी के खतरों से उभर गई है और अब भारतीय अर्थव्यवस्था ने हाथी की तरह दड़ना शुरू किया है।

आईएमएफ ने रिपोर्ट में कहा है कि हाल ही के वर्षो में भारत ने अच्छे आर्थिक सुधार किए हैं। कुछ आर्थिक सुधारों का भारत को विशेष रूप से फायदा हुआ है। जीएसटी के कारण दीर्घावधि में लाभ पहुंचेगा। आईएमएफ ने जहां इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड को भी एक अहम उपलब्धि बताया है। वहीं रिजर्व बैंक के तहत 2016 से शुरू किए गए सक्रिय मुद्रास्फीति अनुमान नेटवर्क की भी प्रशंसा की है। इसी वजह से भारत को मुद्रास्फीति को नीचे रखने में सफलता मिली है। आईएमएफ ने व्यापार में सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को और अधिक उदार बनाने के लिए भी भारत की प्रशंसा की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगले कुछ दशकों तकवैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था वृद्धि का प्रमुख स्रेत बनी रहेगी। दुनिया के लिए भारत का वही योगदान होगा, जो कि अब तक चीन का रहा है। चूंकि भारतीय कार्यबल जनसंख्या में गिरावट आने में अभी कई तीन दशक का समय है, ऐसे में भारत की नई पीढ़ी को कौशल विकास से प्रशिक्षित करके दुनिया की नई आर्थिक ताकत बनाया जा सकता है।

इसी तरह से विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 के अंत में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.6 लाख करोड़ डॉलर (178.59 खरब रुपये) हो गया। ऐसे में जीडीपी के आंकड़ों के आधार पर भारत फ्रांस को पछाड़कर दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। रिपोर्ट के मुताबिक पांच अन्य अर्थव्यवस्था, जिनके नाम भारत से ऊपर हैं, उनमें अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन के क्रम हैं। विश्व बैंक का कहना है कि पिछले कुछ वर्षो में भारत की अर्थव्यवस्था में अच्छा सुधार हुआ है। यदि भारत आर्थिक और कारोबार सुधारों की प्रक्रिया को जारी रखता है तो वह वर्ष 2018 में ब्रिटेन को पीछे करते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5,000 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, जोकि अभी 2500 अरब डॉलर के करीब है। यकीनन देश की अर्थव्यवस्था को शेयर बाजार में लगातार उत्साहवर्धक तेजी से नई ताकत मिल रही है। 9 अगस्त को मुंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स बढ़त के साथ 38000 अंकों की सर्वोच्च ऊंचाई पर पहुंच गया है। मुंबई शेयर बाजार की यह उपलब्धि अर्थव्यवस्था को गतिशील करने और बाजार का उत्साह बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि आर्थिक विकास के साथ-साथ प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ रही है और गरीबी में भी कमी आ रही है। 8 अगस्त को केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017-18 में देश में प्रति व्यक्ति आय 79,882 रुपये हो गई है। पिछले चार वर्षो में इसमें लगातार वृद्धि हुई है। चार वर्ष पहले देश में प्रति व्यक्ति आय 67,594 रुपये थी। न केवल देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है, वरन गरीबी में भी कमी आ रही है। हाल ही में प्रकाशित विश्व बैंक की वैश्विक गरीबी से संबंधित रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि भारत में गरीबी में तेजी से कमी आ रही है। कहा गया है कि अब भारत की करीब 130 करोड़ जनसंख्या में से केवल पांच फीसद लोग ही ऐसे गरीब हैं, जिनकी प्रतिदिन आय 1.90 डॉलर से कम है।

बहरहाल भारत की अर्थव्यवस्था के एक दड़ते हुए हाथी की तरह तेजी से आगे बढ़ने और दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद देश के सामने कई चुनौतियां भी दिखाई दे रही हैं। निसंदेह देश की दो तिहाई आबादी समावेशी विकास की छतरी के बाहर है। आम आदमी के धन का एक बड़ा भाग जरूरी सार्वजनिक सेवाओं, स्वास्य सुविधा और शिक्षा में व्यय हो रहा है। इस कारण बेहतर जीवन स्तर की अन्य जरूरतों की पूर्ति में वे बहुत पीछे हैं। आर्थिक विकास ने करोड़ों भारतीयों में बेहतर जिंदगी की महत्त्वाकांक्षा जगा दी है। ऐसे में आम आदमी की खुशहाली और अर्थव्यवस्था को और आगे बढ़ाने के लिए कई बुनियादी बातों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।

देश में बुनियादी ढांचा मजबूत करना होगा। निश्चित रूप से अब देश की अर्थव्यवस्था को ऊंचाई देने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की अहम भूमिका बनाई जानी होगी। मेक इन इंडिया योजना को गतिशील करना होगा। उन ढांचागत सुधारों पर भी जोर दिया जाना होगा, जिसमें निर्यातोन्मुखी विनिर्माण क्षेत्र को गति मिल सके। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देकर भारत चीन और पश्चिमी देशों को पीछे छोड़कर दुनिया का नया कारखाना बन सकता है। देश में बैंकों और कॉरपोरेट सेक्टर के खातों को दुरुस्त करने का काम जारी रखना होगा। विकास का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने के लिए भारत को अपने युवा कार्यबल का सही इस्तेमाल करना होगा। अभी ऐसी नीतियों की जरूरत सबसे ज्यादा है, जिनके जरिये युवाओं को कौशल प्रशिक्षण से सुसज्जित करके विकास प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाया जा सके।

हम आशा करें कि भारतीय अर्थव्यवस्था की चमकीली संभावनाओं को साकार करने के लिए सरकार विनिर्माण क्षेत्र एवं कौशल प्रशिक्षण को नये आयाम देगी। सरकार मांग और निवेश में वृद्धि करने की डगर पर आगे बढ़ेगी। साथ ही स्टार्टअप और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर यथोचित ध्यान देगी। ऐसा होने पर ही आईएमएफ की नई रिपोर्ट के मद्देनजर भारतीय अर्थव्यवस्था हाथी की तरह दड़ती हुई विकास को गतिशील करेगी। साथ ही विश्व बैंक की रिपोर्ट के मद्देनजर दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चमकते हुए 2030 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में तब्दील होते हुए दिखाई देगी। (RS)

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