✍ *1.आइएमएफ ने सुझाये सुधारों के सूत्र*

• अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने भारत को तीन सूत्रीय ढांचागत सुधार का दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया है। इन सुधारों में कॉरपोरेट और बैंकिंग क्षेत्र को कमजोर हालत से बाहर निकालना, राजस्व संबंधी कदमों के माध्यम से वित्तीय एकीकरण को जारी रखना और श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता को बेहतर करने के सुधार शामिल हैं
• आइएमएफ में एशिया प्रशांत विभाग के डिप्टी डायरेक्टर केनेथ कांग ने कहा कि एशिया का परिदृश्य अच्छा है और इसे देखते हुए भारत के पास मुश्किल सुधारों को अपनाते हुए आगे बढ़ने का महत्वपूर्ण अवसर है। कांग ने एक कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘ढांचागत सुधारों के मामले में तीन नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। पहली प्राथमिकता कॉरपोरेट और बैंकिंग क्षेत्र की हालत में सुधार करना है।
• इसके लिए फंसे कर्जो (एनपीए) के समाधान से जुड़े कदमों को आगे बढ़ाना होगा। साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कैपिटल बफर स्टॉक की स्थिति का पुनर्निर्माण और बैंकों की कर्ज वसूली प्रणाली को बेहतर बनाना होगा।’
• कांग ने कहा कि दूसरी प्राथमिकता के रूप में भारत को राजस्व संबंधी कदम उठाकर अपने राजकोषीय एकीकरण की प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए। साथ ही सब्सिडी के बोझ को भी कम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘तीसरी प्राथमिकता बुनियादी ढांचा अंतर को पाटने के लिए ढांचागत सुधारों की गति बनाए रखना और श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता का विस्तार होना चाहिए। साथ ही कृषि सुधारों को भी आगे बढ़ाना चाहिए।’
• श्रम बाजार सुधारों पर एक प्रश्न के उत्तर में कांग ने कहा कि निवेश और रोजगार की खातिर अधिक अनुकूल माहौल बनाने के लिए बाजार नियमनों में सुधार किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘श्रम कानूनों की संख्या घटाई जानी चाहिए जो अभी केंद्र और राज्य के स्तर पर कुल मिलाकर करीब 250 हैं। भारत को इसके साथ ही लिंग भेद को खत्म करने पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि देश में महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिल सकें।’
• कांग ने कहा कि श्रम बाजार में महिलाओं के प्रवेश को बढ़ाने में ढांचागत सुधार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन साथ ही इस संदर्भ में नियमों को मजबूती से लागू करने और महिलाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण और उनकी शिक्षा पर ज्यादा निवेश किए जाने की भी जरूरत है।
• आइएमएफ की आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट के मुताबिक पिछली तिमाहियों में भारत की आर्थिक विकास दर में गिरावट के लिए नोटबंदी और जीएसटी के कारण आईं अस्थायी अड़चनें जिम्मेदार हैं।
• रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष के लिए हालांकि भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को कम किया गया है लेकिन साथ ही उम्मीद जताई गई है कि धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था गति पकड़ लेगी क्योंकि ये अस्थायी परेशानियां खत्म हो जाएंगी।

✍ *2. ईरान परमाणु करार पर अलग पड़ा अमेरिका*

• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान परमाणु समझौते को खत्म करने की बात पर अड़े रहने के बीच दुनिया की अन्य प्रमुख ताकतों ने कहा है कि ईरान परमाणु समझौते पर उनका रुख अडिग रहेगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी इस समझौते के कायम रहने की पुरजोर आशा व्यक्त की है।
• एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी का कहना है कि यह समझौता उनके साझा राष्ट्रीय हितों के अनुरूप है। यूरोपीय संघ ने भी कहा है कि किसी एक देश की वजह से यह समझौता समाप्त नहीं होना चाहिए। ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने कहा है कि अमेरिका पहले से कहीं ज्यादा अलग-थलग पड़ चुका है। उन्होंने जानना चाहा कि क्या कोई राष्ट्रपति किसी बहुराष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय समझौते को अपनी मर्जी से निरस्त कर सकता है।
• संभवत: वह इस बात से वाकिफ नहीं हैं कि यह अमेरिका और ईरान के बीच कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं है। इस समझौते पर 2015 में ईरान और विश्व के छह प्रमुख देशों- ब्रिटेन, अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी और चीन ने हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लग गया था और बदले में उस पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी गई थी।
• ट्रंप ने शुक्रवार के अपने भाषण में ईरान को ‘‘धर्मांध शासन’ करार देते कहा कि उसने समझौते की शतरें का उल्लंघन किया है। उन्होंने ईरान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया और उस पर नए प्रतिबंध लगाने की पेशकश की।
• अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि ईरान इस समझौते का पूरी तरह पालन कर रहा है। रूस के विदेश मंत्रायल ने ट्रंप के निर्णय पर खेद व्यक्त किया है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने आशा व्यक्त की है कि यह समझौता यथावत रहेगा।

✍ *3. यूनेस्को से अलग हुआ इजराइल, नेतन्याहू ने कहा बेहूदापन की नाट्यशाला बन गया है संस्थान*

• अब इजराइल भी यूनेस्को से अलग होने जा रहा है। अमेरिका ने गुरुवार को यूएन की सांस्कृतिक संस्था यूनेस्को से बाहर होने की घोषणा की थी। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि अमेरिका ने एक बहादुरी और नैतिकता भरा फैसला लिया है। क्योंकि यूनेस्को बेहूदेपन की नाट्यशाला बन गया है।
• उन्होंने विदेश मंत्री को अमेरिका की तरह यूनेस्को से अलग होने की तैयारी शुरू करने का निर्देश दिया है।
वहीं, अमेरिका के यूनेस्को से बाहर होने का फैसला 31 दिसंबर 2018 से प्रभावी होगा। तब तक अमेरिका यूनेस्को का पूर्णकालिक सदस्य बना रहेगा।
• इससे पहले अमेरिका ने यूनेस्को पर इजराइल विरोधी रूख अपनाने का आरोप लगाया था। विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नाउर्ट का कहना है कि यह फैसला यूं ही नहीं लिया गया है, बल्कि यह यूनेस्को पर बढ़ती बकाया रकम की चिंता और यूनेस्को में इजराइल के खिलाफ बढ़ते पूर्वाग्रह को जाहिर करता है। संस्था में मूलभूत बदलाव करने की जरूरत है। वहीं, यूनेस्को की प्रमुख इरीना बोकोवा ने अमेरिका के फैसले को यूएन परिवार के लिए निराशाजनक और क्षति बताया है।
• वैसे तो यूनेस्को विश्व धरोहरों को संरक्षण देने के लिए मशहूर है, लेकिन उसका काम सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि संस्था कई अन्य अहम काम भी करती है।
• विश्व धरोहरों को संरक्षण : यूनेस्कोदुनिया भर में उन स्थलों की पहचान करती है। इसमें प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों तरह के स्थल शामिल होते हैं।
• अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस: यूनेस्कोहर साल 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस आयोजित करता है।
जागरूकता:होलोकॉस्टजागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा देने पर तेजी से काम किया है।
• जलवायु परिवर्तन: यूनेस्कोजलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया में जागरूकता लाने का भी काम करती है।
• भाषायी विकास: यूनेस्कोदुनिया में भाषाओं के संरक्षण का काम भी करती है।
• अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: यूनेस्कोपत्रकारों की सुरक्षा के लिए भी काम करती है।
• यूनेस्को ने इजराइल की आलोचना की थी, इसलिए है नाराजगी:- हाल ही में यूनेस्को ने वेस्ट बैंक और पूर्वी यरूशलम में गतिविधियों के लिए इजराइल की आलोचना की थी। इस पर अमेरिका और इजराइल ने नाराजगी जताई थी।
• इससे पहले इसी साल यूनेस्को ने पुराने हिब्रू शहर को फिलिस्तीन के विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी थी। तब इजराइल ने कहा था कि यूनेस्को के इस कदम से यहूदियों के इतिहास को खारिज कर दिया गया है।
• 72 साल पहले यूनेस्को का गठन हुआ था :-यूनेस्को की स्थापना 1945 में हुई थी। यह संयुक्त राष्ट्र का शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन है। इसका मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में है। यूनेस्को के 195 सदस्य देश हैं। 7 सहयोगी और दो पर्यवेक्षक सदस्य देश भी हैं।
• यूनेस्को के दुनिया भर में 27 क्लस्टर ऑफिस और 21 नेशनल ऑफिस हैं। 332 अंतरराष्ट्रीय स्वयसेवी संगठनों के साथ यूनेस्को के संबंध हैं। भारत 1946 से इसका सदस्य है। यूनेस्को ने भारत में 35 संपत्तियों को अब तक विश्व धरोहर घोषित कर चुका है।
• अमेरिका के यूनेस्को से बाहर होने का फैसला 31 दिसंबर से प्रभावी होगा

✍ *4. ऑद्रे अजोले बनीं यूनेस्को प्रमुख*

• संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के कार्यकारी बोर्ड ने फ्रांस की पूर्व संस्कृति मंत्री ऑद्रे अजोले को संयुक्त राष्ट्र की इस सांस्कृतिक एजेंसी की अगली नेता के रूप में चुना है। प्रमुख पद की इस दौड़ में उनके सामने कतर के एक उम्मीदवार थे लेकिन मध्यपूर्व में चल रहे तनावों को देखते हुए उनकी बजाए ऑद्रे का चयन किया गया।
• अमेरिका ने इस हफ्ते घोषणा की थी कि वह यूनेस्को से अपना नाम वापस ले रहा है जिससे कई दिनों तक चलने वाला यह चुनाव काफी प्रभावित हुआ और एजेंसी के वित्तपोषण और भविष्य में मिलने वाले निर्देशों के प्रति चिंता गहरा गई।
• अजोले, बुल्गारिया की महानिदेशक इरिना बोकोवा की जगह लेंगी जिनका आठ साल का कार्यकाल, वित्तीय मुश्किलों और फिलीस्तीन को सदस्य के तौर पर शामिल करने के कारण आलोचनाओं का सामना करने वाला रहा।
• बृहस्पतिवार को अमेरिका और इस्रइल ने कहा था कि इस्रइल-विरोधी कथित पक्षपात के कारण वह पेरिस की इस संस्था से बाहर निकलने की योजना बना रहे हैं। ऑद्रे ने मंच से किए गए एक संक्षिप्त संबोधन में कहा कि यूनेस्को की समस्याओं का समाधान उसमें सुधार कर किया जाना चाहिए न कि अमेरिका और इस्रइल की झिड़की से मुंह मोड़ लेने से।
• उन्होंने कहा, संकट के इस समय में, मेरा मानना है कि हमें यूनेस्को में पहले से कहीं ज्यादा निवेश करना चाहिए, इसे फिर से बढ़ावा और समर्थन देना चाहिए और इसमें सुधार करना चाहिए। और इससे निकलना नहीं चाहिए।
• यूनेस्को की महासभा अगले हफ्ते कार्यकारी बोर्ड द्वारा चुनी गई नेता के नाम पर मुहर लगाएगी लेकिन वह मात्र एक औपचारिकता होगी।

✍ *5. 50 भारतीय शांति सैनिकों को संयुक्त राष्ट्र पदक*

• द. सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत काम करने वाले 50 भारतीय शांति सैनिकों को संयुक्त
राष्ट्र पदक से सम्मानित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र सूचना सेवा ने शनिवार को यहां बताया कि दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन सेना के कमांडर जनरल फ्रैंक मुशायो कामांजी ने दक्षिण सूडान में जोंगलेई के बोर क्षेत्र में तैनात भारतीय बटालियन के अधिकारियों को ये पदक प्रदान किए।
• इस अवसर पर उन्होंने बोर में संयुक्त राष्ट्र नागरिक रक्षा केन्द्र में शरण लेने के इच्छुक 25000 नागरिकों के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने तथा क्षेत्र में गश्त लगाने में उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि मैं जोंगलेई में बहादुरी और पेशेवर तरीके से अपने कार्य को अंजाम देने के लिए भारतीय बटालियन का आभार व्यक्त करता हूं।
• दक्षिण सूडान में भारत के राजदूत श्रीकुमार मेनन भी पदक वितरण समारोह में शामिल हुए। उन्होंने कहा, भारत संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के उद्देश्यों के प्रति वचनबद्ध है। जोंगलेई के कार्यवाहक गवर्नर डॉ. अगोट एलियर ने भी भारतीय शांति सैनिकों की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय बटालियन ने दक्षिण सूडान में समुदाय की सुरक्षा तथा स्थानीय शांति प्रयासों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।_

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