भारत एवं यूरोपियन फ्री ट्रेड संघ ( India and the European Free Trade Association – EFTA) द्वारा एफ.टी.ए. के संबंध में लंबित कुछ महत्त्वपूर्ण पहलों के विषय में समाधान निकालने की योजना बनाई जा रही है। गौरतलब है कि वर्ष 2008 से अभी तक इस संबंध में 16 बार पहल की जा चुकी है, तथापि इसका कोई प्रभावी हल नहीं निकल पाया है ।

इस प्रस्तावित समझौते के अंतर्गत व्यापार के बहुत से रूपों को शामिल किया गया है, उदाहरण के तौर प्रस्तु एवं सेवा व्यापार, निवेश, व्यापार सुविधा (trade facilitation), कस्टम सहयोग (Customs cooperation), बौद्धिक संपदा सुरक्षा तथा सार्वजनिक खरीद (public procurement) इत्यादि।
ध्यातव्य है कि एक एफ.टी.ए. के अंतर्गत प्रत्येक व्यापारिक देश को दूसरे सदस्य देशों के लिये वस्तु एवं सेवा क्षेत्र तथा निवेश आदि में द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहन प्रदान करने का काम किया जाता है। इसका एक उद्देश्य सदस्य देशों के लिये व्यापार हेतु बाज़ार की पहुँच को आसान बनाना है।

भारत द्वारा ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, इज़राइल तथा कनाडा सहित विश्व के कई देशों के साथ ऐसे द्विपक्षीय समझौतों के संबंध में पहल आरंभ की गई है।
इसके अतिरिक्त सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, जापान तथा आसियान देशों के साथ एफ.टी.ए. भी किये हैं।

इन दोनों क्षेत्रों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार में वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में क्रमशः तकरीबन 21.5 बिलियन डॉलर एवं 19 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज़ की गई है।
स्पष्ट रूप से इस व्यापारिक अंतर से सबसे अधिक लाभ ई.एफ.टी.ए. समूहों को ही होता है। भारत द्वारा अपने हितों को साधने के लिये इस अंतर को पाटना अत्यंत आवश्यक है।

यूरोपियन मुक्त व्यापार संघ (European Free Trade Association – EFTA) एक अंतर–सरकारी संगठन (intergovernmental organization) है, जिसकी स्थापना वर्ष 1960 में हुई थी। इसकी स्थापना ई.एफ.टी.ए. कन्वेंशन के तहत् इसके सदस्य देशों आइसलैंड, नोर्वे, स्वीट्ज़रलैंड तथा लीकटेंस्टीन (Liechtenstein) के मध्य मुक्त व्यापार तथा आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।
यह संगठन, यूरोपियन एकल बाज़ार (European single market) में इसके चार मुख्य सदस्यों तथा यूरोपियन संघ (European Union – EU) की सहभागिता के समानांतर कार्य करता है। ई.एफ.टी.ए. की कोई राजनीतिक शाखा नहीं है, न ही यह कोई कानून पारित करता है और न ही किसी प्रकार के संघ की स्थापना करता है।
स्रोत : बिज़नेस स्टैंडर्ड

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