• कारोबार के लिए हालात सुगम बनाने वाले देशों में भारत इस वर्ष लंबी छलांग लगाते हुए 100वें स्थान पर आ गया है। पिछले साल यह 130 वें स्थान पर था।

• विश्व बैंक 10 मापदंडों पर देशों की रैंकिंग करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि हमने रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म के मंत्र पर चलकर यह मुकाम हासिल किया है।

• विश्व बैंक ने जब इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की ठीक उसी समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी दिल्ली में मीडिया से कहा कि पिछले साल 189 देशों में130 वें स्थान पर रहा भारत इस साल 190 देशों में 100वें स्थान पर पहुंच गया है।

• विश्व बैंक की सालाना रिपोर्ट ‘‘ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2018: रिफार्मिग टू क्रि एट जॉब्स’ में भारत ने जोरदार बढ़त हासिल की है। विश्व बैंक की इस रैंकिं ग से दुनिया भर में भारत की अच्छी तस्वीर पेश हुई है।

• इससे भारत में प्रत्यक्ष विदेश निवेश भी बढ़ेगा। मौजूदा सरकार ने कर पण्राली में सुधार समेत अनेक कदम उठाए हैं जिसकी बदोलत भारत की रैंकिंग सुधरी है।

• वृहद आर्थिक आंकड़ों को लेकर पिछले कुछ समय से विपक्ष के निशाने पर रही सरकार के लिए यह रिपोर्ट राहत भरी है।

• सरकार ने कराधान की दिशा में जितने सुधार किए हैं कराधान मामले में भारत की स्थिति सुधरना उसी का परिणाम है। इसमें ऑनलाइन रिटर्न भरना, ऑनलाइन कर भुगतान आदि शामिल हैं।

• विश्व बैंक की रिपोर्ट हर साल एक जून तक के प्रदर्शन परआधारित होती है। इसलिए इस साल एक जुलाई से लागू किये गए जीएसटी का इसमें योगदान नहीं है। अगले साल जब जीएसटी को भी शामिल करके रैंकिंग तैयार की जाएगी तो भारत टॉप 50 में आ सकता है।

• तीन-चार क्षेत्रों में काफी काम किए जाने की जरूरत है। नया कारोबार शुरू करने के मापदंड पर भारत 156वें और प्रॉपर्टी के पंजीकरण के मामले में 154वें स्थान पर रहा है।

• कराधान के मामले में भारत 53 स्थान चढ़कर119 वें स्थान पर पहुंच गया।

• शोधन अक्षमता समाधान एवं दिवाला कानून के सरकार के कदम से इस मापदंड पर भी भारत 136वें स्थान से 103वें स्थान पर पहुंच गया है।

• छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा, वित्त की उपलब्धता मामले में भारत दुनिया में शीर्ष 30 देशों में शामिल है।

• भारत की रैंकिंग छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के मामले में सबसे बेहतर रही। इस मामले में वह पिछले साल के 13वें स्थान के मुकाबले इस साल दुनिया में चौथे स्थान पर पहुंच गया है।

• वित्त की उपलब्धता के मामले में रैंकिंग 44वें से सुधरकर 29वें पर पहुंच गई, जबकि बिजली का कनेक्शन मिलने के मामले में 26वें से खिसककर वह 29वें पर आ गया।

• अनुबंधों को लागू करने के मामले में भारत की रैंकिंग 172 से सुधरकर 164 पर पहुंच गयी।
• भवन निर्माण के मामले में चार स्थानों के सुधार के बावजूद वह 181वें स्थान पर रहा।

* चीन से कई मामलों में आगे निकला भारत*

• सिर्फ रणनीतिक तौर पर ही नहीं बल्कि कारोबार की अंतरराष्ट्रीय दुनिया में भी भारत को चीन का सबसे प्रबल प्रतिद्वंद्वी माना जाने लगा है। विश्व बैंक की तरफ से जारी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2018 की रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि भारत उद्योग जगत को एक बेहतर माहौल देने में अभी चीन से बहुत पीछे नहीं है।
• चीन को समग्र तौर पर 78वां स्थान दिया गया है जबकि भारत का स्थान सौवां है। इससे भी ज्यादा अहम बात यह है कि कई मामलों में भारत की रैकिंग चीन से बेहतर है।

• मसलन, कर अदायगी कितना आसान हुआ है, इस मामले में भारत का स्थान 119वां है जबकि चीन को 130वां स्थान मिला है। छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के मामले में तो भारत चीन से काफी बेहतर है। भारत को चौथा स्थान दिया गया है जबकि चीन का स्थान 119वां है।

• इसी तरह से कर्ज लेने के मामले में भारत को 29वां स्थान दिया गया है जबकि चीन को 68वां स्थान दिया गया है। बिजली कनेक्शन लेने के मामले में भी चीन से बेहतर स्थिति भारत की है। वैसे दिवालिया मामलों की सुनवाई, ठेके को लागू करवाने, आयात-निर्यात को सहूलियत देने, संपत्तियों के पंजीयन के मामले में चीन भारत से काफी आगे है।

• वैसे अगर ब्रिक्स देशों से भारत की तुलना करें तो रूस का स्थान 35वां है। उसके बाद चीन (78वें), दक्षिण अफ्रीका (82वें) और भारत का स्थान है। ब्राजील 125वें स्थान पर है।

• वैसे रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बेहतर सुधार करने वाले शीर्ष 10 देशों में दक्षिण एशिया और ब्रिक्स समूह से सिर्फ भारत ही शामिल किया गया है। अपनी रैकिंग में सबसे ज्यादा सुधार करने वाले देशों में भारत का स्थान पांचवां है। भारत ने अपनी रैंकिंग सुधारने की दिशा में कई स्तरों पर गंभीर प्रयास किया हैं।

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