(जयंतीलाल भंडारी)

अक्टूबर 31 को विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित ‘‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रिपोर्ट 2018 में 190 देशों की सूची में भारत 100वें नंबर पर पहुंच गया है। आसान कारोबार के मामले में पिछले साल भारत 130वें नंबर पर था। एक साल में देश की रैंकिंग में अभूतपूर्व 30 अंक का उछाल आया है। इतना ही नहीं, विश्व बैंक ने भारत को इस साल सबसे ज्यादा सुधार करने वाले दुनिया के शीर्ष 10 देशों की सूची में शामिल किया है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत इस सूची में शामिल होने वाला दक्षिण एशिया और ब्रिक्स समूह का इकलौता देश है। विश्व बैंक के आसान कारोबार के 10 मापदंडों में से छह पर भारत की रैंकिंग में सुधार आया है। छोटे शेयरधारकों की सुरक्षा के मामले में भारत दुनियाभर में शीर्ष पांच देशों में शामिल है। इसी तरह, आसानी से कर्ज प्राप्त करने और बिजली कनेक्शन मिलने के मामले में भारत दुनिया के 30 शीर्ष देशों में शामिल है।

कहा गया है कि भारत में अब नया बिजनेस शुरू करने में सिर्फ 30 दिन लगते हैं, जबकि 15 साल पहले 127 दिन लगते थे। विश्व बैंक 15 साल से यह रैंकिंग कर रहा है। अभी तक जॉर्जिया और रवांडा जैसे छोटे देशों की रैंकिंग में ही एक बार में इतना बड़ा सुधार आया है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में कारोबार सुगमता में इतनी लंबी छलांग लगाने वाला भारत पहला देश है। विश्व बैंक का कहना है कि भारत ने दो साल में कई बड़े कदम उठाए हैं। उनके नतीजे अब दिख रहे हैं। विश्व बैंक के मुताबिक करों का ऑनलाइन भुगतान आसान होना, एक नया कारोबारी ढांचा और भविष्य निधि और सरकारी बीमा निस्तारण के लिए लगने वाले समय में कमी भारत के प्रदर्शन में इस सुधार की सबसे बड़ी वजह हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट में दिवालिया कानून के प्रवर्तन का भी जिक्र किया गया है। यह बात ध्यान देने लायक है कि ऐसी रैंकिंग वैश्विक निवेशकों के निर्णय को प्रभावित करती है। गौरतलब है कि पिछले दिनों कारोबार को आसान बनाने के मापदंडों का मूल्यांकन करने वाले ख्यात नियंतण्र संगठन ग्लोबल रिटेल डेवलपमेंट इंडेक्स (जीआरडीआई) ने वर्ष 2017 के लिए टॉप-30 विकासशील देशों की रैंकिंग से संबंधित जो रिपोर्ट प्रकाशित की है, उसमें भारत पहले क्रम पर है और चीन का क्रम दूसरा है।

यह रिपोर्ट इस दृष्टि से खास है कि इसमें न केवल उन बाजारों को शामिल किया गया है जो आज आकर्षक हैं, बल्कि भविष्य में संभावनाओं वाले बाजारों को भी स्थान दिया गया है। इस रिपोर्ट में विकासशील देशों को ग्लोबल स्तर पर खुदरा निवेश और 25 व्यापक आर्थिक व खुदरा क्षेत्र से जुड़े मसलों पर असर डालने वाले कारकों के आधार पर रैंकिंग दी गई है। भारत के शीर्ष पर पहुंचने की जो वजह बताई गई है, उनमें उसकी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, आर्थिक सुधार, निवेश के नियमों में ढील, कालाधन नियंतण्रके प्रयास और खपत में तेजी प्रमुख है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण और मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या बढ़ने और आमदनी का स्तर ऊंचा होने से देश में खपत बढ़ रही है। इसी कारण भारत का रिटेल बाजार सालाना 20 फीसद की दर से बढ़ रहा है। पिछले साल कुल बिक्री एक लाख करोड़ डॉलर यानी करीब 64.44 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई। 2020 तक इसके दोगुना हो जाने की उम्मीद है। निश्चित रूप से पिछले तीन वर्षो में देश कारोबार में सुधार के विभिन्न मापदंडों पर क्रमश: आगे बढ़ता गया है।

यदि हम पिछले तीन वर्षो के आर्थिक आंकड़ों और आर्थिक सूचकांकों को देखेें तो पाते हैं कि अधिकांश आर्थिक क्षेत्रों में सफलता के कदम आगे बढ़े हैं। निश्चित रूप से सरकार आर्थिक सुधार, श्रम सुधार, बैंकिंग सुधार, कर सुधार और वित्तीय सुधार की डगर पर आगे बढ़ी है। सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि सरकार राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने में सफल रही है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटा 2016-17 में घटकर 3.5 फीसद पर आ गया, जो वर्ष 2013-14 में 4.5 फीसद था। पिछले तीन वर्षो में शेयर बाजार ऊंचाई पर पहुंचा है। रुपये में मजबूती आई है। तीन वर्ष में बेंचमार्क सूचकांक में 23 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। विनिर्माण और कृषि क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन रहा है। देश में बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए सरकार ने कई क्षेत्रों में 100 फीसद एफडीआई की मंजूरी दी है। चाहे विश्व बैंक की नई कारोबार रिपोर्ट भारत के कारोबार में आसानी का परिदृश्य प्रस्तुत करते हुए दिखाई दे रही है, लेकिन अभी कई कमियों और चुनौतियों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।

निश्चित रूप से कर अनुपालन और भुगतान किया जाना और सरल किया जाना होगा। जीएसटी का क्रियान्वयन सरल बनाया जाना होगा। कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने और कंस्ट्रक्शन परमिट में अब भी काफी वक्त लगता है, उसे कम किया जाना होगा। कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया को तेज करना होगा। प्रॉपर्टी खरीदना और इसका रजिस्ट्रेशन कराना भी आसान बनाने की जरूरत है। उद्यमियों के लिए नौकरशाही कम करने, पैसे का लेन-देन आसान करने की जरूरत है। रोजगार, निर्यात और निजी निवेश बढ़ाने के कारगर प्रयास किए जाने होंगे। कारोबार के विभिन्न कदमों को तेज करने के लिए अभी भी दिखाई दे रहे भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना होगा। चूंकि अर्थव्यवस्था में धीमापन है।

अतएव आरबीआई के द्वारा ब्याज दरों में एक बड़ी आकर्षक कटौती किया जाना जरूरी है ताकि कारोबार, निवेश और देश की विकास दर में सुधार हो सके। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का एवं उद्योग संगठनों का कहना है कि यदि भारत कारोबार सरलता के लिए जीएसटी के साथ विकास से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में सुधार को आगे बढ़ाएगा, तो दो वर्षो में भारत की विकास दर आठ फीसद तक पहुंच सकती है। आशा करें कि मोदी सरकार कारोबार सुगमता के विभिन्न मापदंडों पर और तेजी से आगे बढ़ेगी और भारत विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में और ऊंचाई प्राप्त कर सकेगा।

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