काला धन स्विस बैंकों में आख़िर पहुंचता कैसे है?

📌 BBC NEWS

जब भी कभी काले धन की चर्चा होती है, तो लगे हाथ स्विस बैंक या स्विट्ज़रलैंड के बैंकों का ज़िक्र भी ज़रूर होता है. और जब स्विस बैंकों में भारतीयों के पैसे की बात होती है, तो हमारी दिलचस्पी बढ़कर आसमान पर पहुंच जाती है.
स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का पैसा तीन साल से गिर रहा था लेकिन साल 2017 में कहानी पलट गई है. साल दर साल आधार पर तुलना करें तो पिछले साल स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 50 फ़ीसदी बढ़कर 1.01 अरब स्विस फ़्रैंक (क़रीब सात हज़ार करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है.ये आंकड़े स्विस नेशनल बैंक ने जारी किए हैं, इसलिए शक की गुंजाइश ना के बराबर है. स्विट्ज़रलैंड के सेंट्रल बैंक (SNB) ने जो आंकड़े सामने रखे हैं, उनके मुताबिक स्विस बैंकों में सभी विदेशी ग्राहकों का पैसा साल 2017 में 3 फ़ीसदी बढ़कर 1.46 लाख करोड़ स्विस फ़्रैंक या क़रीब 100 लाख करोड़ रुपए हो गया.
ये ख़बर मोदी सरकार को टेंशन दे सकती है क्योंकि वो सत्ता में आने के बाद से ही काले धन पर निशाना लगाने का वादा करती रही है. इसके अलावा जो लोग स्विस बैंकों में पैसा रखने वालों के बारे में कोई भी जानकारी देते हैं, सरकार उन्हें भी फ़ायदा पहुंचाने की बात कहती रही है.

📌 स्विस बैंकों में भारतीय रकम

ब्लूमबर्ग के मुताबिक साल 2016 मोदी सरकार के लिए राहत लेकर आया था क्योंकि इस साल स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 45 फ़ीसदी घट गया था. साल 1987 से स्विट्ज़रलैंड ने इन आंकड़ों की जानकारी दे रहा है और भारत के मामले में 2016 की गिरावट सबसे बड़ी थी. लेकिन हालिया आंकड़ों ने नई चिंता पैदा कर दी है.
SNB के मुताबिक स्विस बैंकों में भारतीयों का जो पैसा है, उनमें व्यक्तिगत रूप से जमा धन बढ़कर 3200 करोड़ रुपए, दूसरे बैंकों के ज़रिए जमा रकम 1050 करोड़ रुपए और प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज़) के रूप में 2640 करोड़ रुपए शामिल है.
साल 2006 के अंत में स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 23 हज़ार करोड़ रुपए था लेकिन बीते एक दशक में इसमें काफ़ी कमी आई है.
ज़ाहिर है, इन भारी-भरकम आंकड़ों के बीच दो सवाल ज़हन में ज़रूर उठ सकते हैं. पहला, काला धन जमा करने को लेकर ज़्यादातर लोग स्विट्ज़रलैंड और वहां के बैंकों को ही क्यों चुनते हैं और दूसरा, ये काला धन स्विस बैंकों तक पहुंचता कैसे है?

📌 क्यों जमा होता है स्विस बैंकों में पैसा?

पहले सवाल का जवाब ये कि स्विट्ज़रलैंड के बैंक अपने ग्राहकों और उनकी जमा राशि को लेकर गज़ब की गोपनीयता बरतते हैं, जिस वजह से वो उनकी पहली पसंद हैं.
जेम्स बॉन्ड या हॉलीवुड की दूसरी फ़िल्मों में स्विस बैंक या उसके कर्मचारी दिखते हैं तो एक ख़ास गोपनीयता के साथ. वो काले सूट और ब्रीफ़केस में छिपी कंप्यूटर डिवाइस से सारा काम करते हैं.
असल ज़िंदगी में स्विस बैंक नियमित बैंकों की तरह काम करते हों, साथ ही उनके मामले में आने वाली गोपनीयता उन्हें ख़ास बनाती है. स्विस बैंकों के लिए गोपनीयता के कड़े नियम कोई नई बात नहीं है.
और इन बैंकों ने पिछले तीन सौ साल से ये सीक्रेट छिपाए हुए हैं. साल 1713 में ग्रेट काउंसिल ऑफ़ जिनेवा ने नियम बनाए थे जिनके तहत बैंकों को अपने क्लाइंट के रजिस्टर या जानकारी रखने को कहा गया था.

📌 स्विस बैंक और सीक्रेट

लेकिन इसी नियम में ये भी कहा गया कि ग्राहकों से जानकारी सिटी काउंसिल के अलावा दूसरे किसी के साथ साझा नहीं की जाएगी. स्विट्ज़रलैंड में अगर बैंकर अपने ग्राहक से जुड़ी जानकारी किसी को देता है, तो ये अपराध है.
गोपनीयता के यही नियम स्विट्ज़रलैंड को काला धन रखने के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाते हैं. ज़्यादा पुरानी बात नहीं जब पैसा, सोना, ज्वेलरी, पेंटिंग या दूसरा कोई क़ीमती सामान जमा कराने पर ये बैंक कोई सवाल नहीं करते थे.
हालांकि आतंकवाद, भ्रष्टाचार और टैक्स चोरी के बढ़ते मामलों की वजह से स्विट्ज़रलैंड अब उन खातों के आग्रह ठुकराने लगा है, जिनकी जड़े गैर-कानूनी होने का संदेह है.
इसके अलावा वो भारत या दूसरे देशों के जानकारी साझा करने के आग्रहों पर भी गौर करने लगा है जो इस बात के सबूत मुहैया कराते हैं कि फ़लां व्यक्ति ने जो पैसा जमा कराया है, वो ग़ैर-कानूनी है.

📌 कैसे जमा होता है पैसा?

अब दूसरा सवाल, काला धन स्विस बैंकों में पहुंचता कैसे है? इसके लिए ये जानना ज़रूरी है कि स्विस बैंकों में खाता कैसे खोला जाता है?
18 साल से ज़्यादा उम्र का कोई भी व्यक्ति स्विस बैंक में खाता खोल सकता है.
हालांकि, अगर बैंक को ये शक होता है कि पैसा जमा कराने वाला व्यक्ति किसी ख़ास सियासी मक़सद से ऐसा कर रहा है या जमा कराया जा रहा पैसा गैर-कानूनी है, तो वो आवेदन ख़ारिज कर सकता है.
बिज़नेस स्टैंडर्ड के मुताबिक स्विट्ज़रलैंड में क़रीब 400 बैंक हैं, जिनमें यूबीएस और क्रेडिस सुइस ग्रुप सबसे बड़े हैं और इन दोनों

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