वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) अक्टूबर तक एक नई औद्योगिक नीति जारी करेगा जोकि उच्च मूल्यवर्धन के साथ भारतीय ब्रांडेड उत्पादों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी और अधिक से अधिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा के लिए मौजूदा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति व्यवस्था की समीक्षा करेगी।

■ इसके द्वारा वर्ष 2011 में जारी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (एनएमपी) को बदलने की उम्मीद है, जिसके द्वारा वर्ष 2022 तक 100 मिलियन नौकरियों के निर्माण होने की उम्मीद है।

■ वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण इस विषय पर इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों और राज्यों के साथ बात करेंगी। माना जा रहा है कि नई नीति में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसी स्मार्ट टेक्नोलॉजी को भी शामिल किया जाएगा। पिछली औद्योगिक नीति 1991 में बनाई गई थी। नई नीति बनाने की प्रक्रिया इस साल मई में शुरू हुई।

औद्योगिक नीति के निर्धारण में विचार-विमर्श की नीति अपनाई गई है। इसके अंतर्गत 6 विषयों से संबंधित विशिष्ट समूह बनाये गए और इनपुट प्राप्त करने के लिए डीआईपीपी के वेबसाइट पर एक ऑनलाइन सर्वे किया गया।

सरकारी विभागों, उद्योग परिसंघों, शिक्षा जगत के प्रतिनिधियों तथा विशेषज्ञों को विशिष्ट समूहों का सदस्य.बनाया गया है। ये समूह, उद्योग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में सामना की जाने वाली चुनौतियों का अध्ययन करेंगे।

6 विशिष्ट क्षेत्र निम्न हैं: विनिर्माण और लघु, छोटे व मझौले उद्यम (एमएसएमई), तकनीक और नवोन्मेष, व्यापार करने में आसानी, आधारभूत संरचना, निवेश, व्यापार और वित्तीय नीति तथा कौशल व भविष्य के लिए रोजगार उपलब्धता।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के संदर्भ में भारत के आर्थिक रूपांतरण के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है जो नीति-निर्माण के लिए आवश्यक इनपुट प्रदान करेगा।

■ ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने के साथ ही नयी औद्योगिक नीति का उद्देश्य भारत को विनिर्माण का केन्द्र बनाना है। इसके अंतर्गत तकनीकी रूप से आधुनिक विनिर्माण के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स जैसे अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया गया है।

■इससे संबंधित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नीति का लक्ष्य एक साल में 100 अरब डॉलर एफडीआई को आकर्षित करना है, जोकि वर्ष 2016-17 में 60 अरब डॉलर के आस पास था, इसमें निवेश को बनाए रखने और प्रौद्योगिकी तक पहुंच बनाने का भी लक्ष्य होगा

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