ग्रीन ग्रोथ से तात्पर्य विकास की एक ऐसी रणनीति से है, जिसमें मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रकृति प्रदत्त संसाधनों और सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने वाले प्रयासों को पर्यावरण सुरक्षा के साथ संतुलित करने के प्रयास किये जाते हैं।
ग्रीन ग्रोथ की रणनीति, सतत् विकास को प्रतिस्थापित नहीं करती है, जबकि यह आर्थिक विकास और पर्यावरण सुरक्षा को संतुलित करते हुए प्रगति हासिल करने हेतु एक व्यावहारिक और लचीला दृष्टिकोण प्रदान करती है। ग्रीन ग्रोथ का उद्देश्य हरित तकनीकों से उत्पादकता में वृद्धि कर हरित उत्पादों का निर्माण और उनकी मांग में वृद्धि कर एक नए हरित बाज़ार का निर्माण करना है।
भारत द्वारा ग्रीन ग्रोथ की दिशा में निम्नलिखित प्रयास किये गए हैं-
नेशनल एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज के अंतर्गत नेशनल मिशन फॉर ग्रीन इंडिया की शुरुआत की गई है।
स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत अवसंरचना निर्माण के दौरान हरित तकनीकों पर बल दिये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
कार्बन टैक्स की व्यवस्था के अंतर्गत पेट्रोल और डीज़ल पर एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाई गई है।
वायु प्रदूषण के लिये सर्वाधिक ज़िम्मेदार कोयले पर भी उपकर आरोपित किया गया है।
हरित राजमार्गों (Green Highways) के निर्माण पर भी बल दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत राजमार्गों के किनारे वृक्षारोपण द्वारा वाहनों के प्रदूषण को कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
सिओल स्थित अंतर-सरकारी संगठन ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टीट्यूशन (GGGI) और भारतीय अनुसंधान संस्थान द एनर्जी रिसोर्स इंस्टिट्यूट (TERI) आपसी सहयोग के माध्यम से ग्रीन ग्रोथ को लेकर अनुसंधान कार्य कर रहे हैं।
OECD द्वारा जारी ‘ग्रीन ग्रोथ इंडिकेटर -2017’ रिपोर्ट ग्रीन ग्रोथ की दिशा में धीमी प्रगति को उजागर करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन और भारत में प्रदूषण का स्तर उच्च है। वायुप्रदूषण भी उच्च स्तर पर बना हुआ है। ग्रीन ग्रोथ के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये भारत को अतिरिक्त प्रयास करने होंगे तथा मौजूदा प्रयासों में गंभीरता प्रदर्शित करनी होगी।

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