• नोटबंदी का एकसाल पूरा होने से ठीक पहले केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि नकदी में लेनदेन की लागत अधिक है और यह एक महंगा सौदा है। यही वजह है कि लोगों का रुझान अब डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। लोग नकदी की बजाय अब डिजिटल लेनदेन को प्राथमिकता दे रहे हैं।

• पंजाब नेशनल बैंक की ओर से आयोजित एक समारोह में जेटली ने कहा, ‘नकदी पर अत्यधिक निर्भरता की लागत होती है। और बात केवल लागत की ही नहीं है बल्कि यह समाज और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए अभिशाप है।’

• उन्होंने कहा कि देश में बदलाव स्पष्ट तौर पर देखने को मिल रहा है और लोग डिजिटल पेमेंट की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। आने वाले वक्त में डिजिटल ट्रांजैक्शन और बैंकिंग इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से लेनदेन बढ़ेंगे। देश में बीते वर्ष नवंबर में लागू नोटबंदी के बाद से सरकार लेसकैश इकोनॉमी और डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित कर रही है।

• बीते वर्ष आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का एलान करते हुए एक हजार रुपये और पांच सौ रुपये पुराने नोटों के चलन पर रोक लगा दी थी। जेटली ने कहा कि कुछ लोगों को डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन बैंकिंग तौर तरीकों को अपनाने में समस्या आ रही है। लेकिन यह तय है कि आने वाले वक्त में नकद लेनदेन की तुलना में डिजिटल लेनदेन की संख्या बहुत तेजी से बढ़ेगी।

• जेटली ने कहा कि ऐसा नहीं है कि नकदी के मामले में केवल लागत महत्वपूर्ण है। बल्कि यह एक अभिशाप है और इसका समाज और अर्थव्यवस्था पर असर हो रहा है। उन्होंने कहा कि लेसकैश की तरफ बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था बैंकों में डिपॉजिट को बढ़ाएगी और उन्हें सस्ती दरों पर कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

• जेटली के मुताबिक एक स्वस्थ बैंकिंग तंत्र देश की आर्थिक विकास की रफ्तार को तेज करने में मदद करेगा। आने वाले दिनों में इसका महत्व बढ़ने वाला है। पीएनबी के इस कार्यक्रम में जेटली ने बैंक का रुपे क्रेडिट कार्ड और ई-रुपया नाम के दो उत्पाद भी लांच किये।

* कारोबारी सुगमता पर राज्यों की रैकिंग नए साल के शुरू में*

• विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग सुधरने के बाद अब सरकार राज्यों की रैंकिंग तय करने में जुट गई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रलय का औद्योगिक संवर्धन विभाग इस की तैयारी कर रहा है। संकेत हैं कि अगले साल जनवरी में इस संबंध में राज्यों की रैंकिंग रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी।

• सरकार ने पिछले वर्ष भी इस तरह की एक रिपोर्ट जारी की थी और उसमें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश शीर्ष पर रहे थे। यह सूची जारी करने के पीछे सरकार का तर्क राज्यों में निवेश और औद्योगिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा करने का है।

• सरकार चाहती है कि राज्य अपने यहां कारोबार शुरू करने से लेकर उनके संचालन के संबंध में नियमों को आसान बनाए। इससे राज्यों में औद्योगीकरण की रफ्तार बढ़ेगी जिसका लाभ अंतत: देश की रैंकिंग तय होने में मिलेगा।

• राज्यों की रैंकिंग तय करने के लिए सभी राज्य सरकारों से उनके यहां हुए आर्थिक और प्रशासनिक सुधारों का ब्यौरा मांगा गया है। सभी राज्यों को मंगलवार तक सुधारों की सूची और उनसे जुड़े तथ्य और प्रमाण अपलोड करने है। मंत्रलय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सरकार की योजना जनवरी या अधिक से अधिक फरवरी में राज्यों की रैंकिंग जारी करने की है।

• उन्होंने बताया कि कई राज्यों ने इस दिशा में बहुत से उठाए हैं। मसलन परियोजनाओं की मंजूरी के लिए सिंगल विंडो सिस्टम आदि। इससे इन राज्यों में कारोबार करना पहले की तुलना में और आसान हुआ है। हाल ही में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भारत की रैंकिंग में 30 पायदान का सुधार हुआ है।

• विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक अब भारत इस सूची में 100वें स्थान पर पहुंच गया है। डीआइपीपी 200 नए सुधारों से विश्व बैंक को परिचित कराने में जुटा है जिससे उसकी अगली रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग को शीर्ष पचास देशों में लाया जा सके। राज्यों में सुधारों की प्रतिस्पर्धा बनाना भी लक्ष्य का हिस्सा है।
• जनवरी या फरवरी में जारी हो सकती है राज्यों की रैंकिंग, राज्यों को देना होगा कारोबार में सुगमता के लिए हुए सुधारों का ब्योरा

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