04 December 2017(Monday)

1.कुपोषण से निपटने के लिए युद्धस्तर पर तैयारी
• भारत में कुपोषण की विकराल समस्या के समाधान के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू करते हुए सरकार ने जन आंदोलन शुरू करने और पोषण केंद्रों की स्थापना का फैसला किया है। इससे बच्चों में ठिगनेपन, अल्प पोषाहार, रक्त की कमी तथा जन्म के समय कम वजन की समस्याओं से निपटा जा सकेगा।
• संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की वर्ष 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुपोषित लोगों की संख्या 19.07 करोड़ है। यह आंकड़ा दुनिया में सर्वाधिक है। देश में 15 से 49 वर्ष की 51.4 फीसद महिलाओं में खून की कमी है।
• पांच वर्ष से कम उम्र के 38.4 फीसदी बच्चों की अपनी आयु के मुताबिक लंबाई कम है। इक्कीस फीसदी का वजन अत्यधिक कम है। दुनिया भर में 80 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार हैं। सरकार ने कुपोषण से निपटने के लिए विभिन्न मंत्रालयों की कई योजनाओं और कार्यक्रमों में समन्वय के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन गठित करने की घोषणा की है।
• इन कार्यक्रमों और योजनाओं का संचालन महिला एवं बाल विकास, स्वास्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, स्वच्छता एवं पेयजल मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय करता है। यह मिशन मंत्रालयों के पोषण संबंधी कार्यक्रमों और योजनाओं की निगरानी तथा मार्गदर्शन करेगा।
• कुपोषण से निपटने के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करेगा। निगरानी करने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा और आंगनबाड़ियों में बच्चों की लंबाई भी मापी जाएगी। मिशन का मुख्य जोर पोषण के संबंध में जन आंदोलन शुरू करना है। इसके लिए सामाजिक जागरूकता पर जोर दिया जाएगा। पोषण आहार के केंद्र में किशोरियां, गर्भवती महिलाएं और बच्चे होंगे।
• पूरे देश में पोषण केंद्रों की स्थापना की जाएगी और इनको आंगनवाड़यिों से जोड़ा जाएगा। सरकार ने अपने पोषण संबंधी कार्यक्रमों और योजनाओं में ठिगनेपन, अल्प पोषाहार, रक्त की कमी तथा जन्म के समय बच्चे के कम वजन की समस्या से निपटने पर जोर देने का फैसला किया है।
• मिशन वर्ष 2022 तक 10 करोड़ लोगों तक पहुंचेगा। इसका लक्ष्य ठिगनापन, अल्पपोषण, रक्ताल्पता को कम करना तथा अल्पवजनी बच्चों की संख्या में प्रतिवर्ष दो से तीन प्रतिशत तक की कमी लाना है। कुपोषण के खिलाफ यह अभियान चरणबद्ध ढंग से सभी राज्यों और जिलों में चलेगा। वर्ष 2017-18 में 315 जिले, वर्ष 2018-19 में 235 जिले तथा वर्ष 2019-20 में शेष जिले इसमें शामिल हो जाऐंगे।
• छह वर्ष से कम आयु के बच्चों और महिलाओं में कुपोषण के मामलों से निपटने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए गये हैं।
• इनके बावजूद देश में कुपोषण तथा संबंधित समस्याओं का स्तर ऊंचा है। सरकार का मानना है कि योजनाओं और कार्यक्रमों की कोई कमी नहीं है किंतु लक्ष्य प्राप्त करने के लिए तालमेल की कमी है।

2. गांवों का स्वच्छता इंडेक्स होगा तैयार
• देश के विभिन्न राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के 601622 गांवों में से 2,15,488 का स्वच्छता इंडेक्स तैयार किया जाएगा। स्वच्छता इंडेक्स में उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक 82620 गांवों को शामिल किया गया है, जबकि गुजरात व सिक्किम के शत प्रतिशत गांवों को इसमें शामिल किया जा रहा है।
• स्वच्छता मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रधान सचिवों को पत्र लिखकर 25 दिसम्बर तक गांवों की स्वच्छता रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों की स्वच्छता की जिम्मेदारी स्वच्छता मंत्रालय के पास है।
• मंत्रालय द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की कड़ी में मंत्रालय ने अब गांवों की स्वच्छता का आकलन करने के लिए विलेज स्वच्छता इंडेक्स वीआईएस मॉडल विकसित किया है। इस इंडेक्स में गांवों की स्वच्छता को लेकर अंक दिए जाएंगे।
• जानकारी के अनुसार गांवों में रहने वाले परिवारों के पास निजी शौचालयों की संख्या तथा ग्रामीणों द्वारा उनके प्रयोग का प्रतिशत, घरों के आस-पास कूड़ा तथा सार्वजनिक स्थानों पर कूडा, आवासों के आसपास गंदे पानी का जमाव व सार्वजनिक स्थानों पर गंदे पानी के जमाव आदि के आधार पर अंक निर्धारित कर इन्हें स्वच्छता इंडेक्स में शामिल किया जाएगा।
• मंत्रालय की संयुक्त सचिव वी राधा ने सभी राज्यों के प्रधान सचिवों को पत्र लिखकर 25 दिसम्बर तक विलेज स्वच्छता इंडेक्स पर रिपोर्ट देने को कहा है। प्रधान सचिवों से कहा गया है कि वह जिला स्तर पर गांवों की स्वच्छता के आंकड़े इस इंडेक्स में उपलब्ध कराएं।
• मंत्रालय के अनुसार कुल 34 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में 601622 गांव हैं जिनमें से 2,15,488 गांवों को स्वयं आकलन योजना में शामिल किया गया है जो कुल गांवों का 36 प्रतिशत है।
• गुजरात व सिक्किम के शत प्रतिशत गांवों को स्वयं आकलन योजना में शामिल किए जाने के अलावा हिमाचल प्रदेश के 98 प्रतिशत गांव तथा उत्तर प्रदेश के 84 प्रतिशत गांव इस योजना में शामिल किए गए हैं।

3. चाबहार से पाकिस्तान और दरकिनार
• वर्ष 1947 में देश विभाजन के बाद से पूरे मध्य-पूर्व, मध्य एशिया और यूरोप से भौगोलिक तौर पर अलग हुए भारत ने इस दूरी को पाटने की दिशा में अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। भारत की मदद से ईरान में तैयार चाबहार बंदरगाह के पहले चरण का रविवार को ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रोहानी ने उद्घाटन किया।
• इस बंदरगाह के जरिये भारत अब बिना पाकिस्तान गए ही अफगानिस्तान और फिर उससे आगे रूस और यूरोप से जुड़ सकेगा। भारत के लिए इसकी अहमियत उद्घाटन समारोह से 24 घंटे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ईरान यात्र से लगाया जा सकता है।
• उद्घाटन समारोह में भारत की ओर से जहाजरानी राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन के साथ भारतीय दूतावास और अन्य मंत्रलयों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इसके अलावा अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कतर समेत 17 देशों के 60 प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
• भारत इस पोर्ट के साथ एक विशेष आर्थिक क्षेत्र भी विकसित करना चाहता है। कुछ दिन पहले ही सड़क, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि भारत की योजना चाबहार में कुल दो लाख करोड़ रुपये निवेश करने की है। इसके लिए भारत की कई निजी कंपनियों के साथ बात की जा रही है।
• भारत वहां एक एलएनजी टर्मिनल और एक यूरिया प्लांट भी लगाना चाहता है।
• भारत के लिए कई लिहाज से अहम : चाबहार बंदरगाह बनने के बाद समुद्री रास्ते से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो जाएंगे। इसके जरिये अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे। इसलिए चाबहार पोर्ट व्यापार और सामरिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है।
• भारत की नजर इसके जरिये अपने उत्पादों के लिए यूरोपीय देशों के बाजार में जगह बनाने पर भी है। सड़क, रेल पर काम तेज होगा : भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच मंत्रिस्तरीय वार्ता भी हुई और चाबहार के विकास की आगे की रणनीति पर सहमति बनी।
• यह भी सहमति बनी है कि चाबहार पोर्ट के संचालन के लिए इससे संबंधित कानूनों को तीनों देश जल्द से जल्द पारित करेंगे। पोर्ट से जुड़े सड़क और रेल नेटवर्क का काम भी तेजी से शुरू किया जाएगा। चाबहार पोर्ट के दूसरे चरण का काम और तेज किया जाएगा।
• माना जा रहा है कि भारत जल्द ही चाबहार पोर्ट के दूसरे चरण के लिए वित्तीय मदद का एलान करेगा। पहले चरण के लिए भारत ने 50 करोड़ डॉलर की मदद दी है।

4. कोरियाई प्रायद्वीप में बढ़ा परमाणु युद्ध का खतरा
• अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सोमवार से शुरू हो रहे वायुसैनिक अभ्यास पर भड़कते हुए उत्तर कोरिया ने इसे युद्ध भड़काने वाली कार्रवाई करार दिया है। कहा है कि दोनों देश नहीं माने तो यह परमाणु युद्ध की शुरुआत हो सकती है।
• अमेरिका और दक्षिण कोरिया का यह सबसे बड़ा वायुसैनिक अभ्यास होगा जिसमें 230 अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हिस्सा लेंगे। इनमें अमेरिका का अत्याधुनिक एफ-22 रैप्टर स्टील्थ विमान भी शामिल होगा। 1उत्तर कोरिया की यह प्रतिक्रिया अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एचआर मैकमास्टर के उस बयान के बाद आई है जिसमें कहा गया था कि साधनहीन लेकिन परमाणु हथियार संपन्न उत्तर कोरिया से युद्ध का खतरा दिन पर दिन बढ़ रहा है।
• समस्या खत्म करने का एक तरीका युद्ध का भी है, जिसकी आशंका दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। चार दिसंबर से शुरू होकर आठ दिसंबर तक चलने वाला यह वायुसैनिक अभ्यास उत्तर कोरिया के लंबी दूरी के बैलेस्टिक मिसाइल परीक्षण से छह दिन बाद शुरू हो रहा है। इस बैलेस्टिक मिसाइल से अमेरिकी शहरों पर परमाणु हमला करने की उत्तर कोरिया ने धमकी दी है।
• उत्तर कोरिया की सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी के अखबार रोडोंग सिनमुन ने इस अभ्यास की निंदा की है। कहा है कि यह उत्तर कोरिया को भड़काने की कार्रवाई है। इसके चलते किसी भी क्षण परमाणु युद्ध भड़क सकता है। अखबार में कहा गया है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के नेताओं को समझ लेना चाहिए कि युद्ध भड़कने की स्थिति में उत्तर कोरिया केवल सैन्य ठिकाने पर ही निशाना नहीं लगाएगा बल्कि उसके निशाने पर और भी बहुत सी चीजें होंगी।
• उल्लेखनीय है कि शनिवार को उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रलय ने कहा था कि अमेरिका परमाणु युद्ध पर आमादा है। इसके लिए सहयोगी देशों से भीख मांग रहा है।

5. पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नैरोबी में जुटेंगे 193 देशों के प्रतिनिधि
• पर्यावरण पर फैसले लेने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण असेंबली की बैठक केन्या की राजधानी नैरोबी में सोमवार से शुरू होगी। तीन दिन तक चलने वाले तीसरे सम्मेलन में प्रदूषण स्तर कम करने की कार्रवाई के संकल्प के साथ 193 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
• संयुक्त राष्ट्र संगठन, विशेषज्ञ एजेंसियां, अंतर सरकारी संगठन, प्रमुख हस्तियां व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सीईओ भी शामिल होंगे।
• संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के प्रवक्ता ने बताया कि इस बार सम्मेलन का मकसद वायु, जमीन, नदी और समुद्र के प्रदूषण को खत्म करने लिए कई ठोस प्रतिबद्धताओं को पूरा करना है। इसके अलावा रसायन और कचरे का सुरक्षित प्रबंध करना भी है।
• सम्मेलन में विभिन्न तरीके से प्रदूषण से निपटने वाले कार्यक्रम दिखाए जाएंगे। प्रदूषण को लेकर राजनीतिक घोषणापत्र को मंजूरी दी जा सकती है। घोषणापत्र सतत विकास लक्ष्य से जुड़ा होगा।
• इसमें यह संकेत दिया जाएगा कि प्रदूषण और पृथ्वी के विनाश के खतरे को खत्म करने के लिए इंसान मिलकर काम कर सकता है। सम्मेलन में बड़े नेता और कॉरपोरेट जगत के दिग्गज पर्यावरण को बढ़ावा देने वाली अपनी नीतियों और कारोबार मॉडल के अनुभव को साझा करेंगे।
• पूर्व भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा, पूर्व अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री माय जेमिसन, नासा के मुख्य जलवायु वैज्ञानिक पॉल न्यूमैन, बॉलीवुड अभिनेत्री दिया मिर्जा, चीन के अरबपति एवं पर्यावरण कार्यकर्ता वैंग वेनबियाओ और यूएन जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कंवेंशन की प्रमुख पैटिशिया एस्पियोना इसमें शामिल होंगे।
• सम्मेलन से पहले यूएनईपी के प्रमुख एरिक सोलहेम ने संदेश में कहा है कि प्रदूषण से निपटना मौजूदा और भावी पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण बीमा पॉलिसी होगी।
• उन्होंने कहा कि शहरों में रहने का मतलब यह नहीं कि लोग खराब स्वास्थ्य और समय पूर्व मौत के शापित हों। दुनिया के कई शहरों में आज जो हो रहा है, वह अपराध है। लोग बेहतर पाने के हकदार हैं।

6. चीनी तानाशाही के खिलाफ सड़कों पर उतरे हांगकांग के लोग

• चीन के बढ़ते दबदबे से परेशान हांगकांग के सैकड़ों लोगों ने रविवार को सड़क पर मार्च निकाल विरोध जताया। इसे ‘तानाशाही विरोधी’ मार्च का नाम दिया गया। इसमें जोशुआ वांग समेत बड़ी संख्या में लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। 21 साल के वांग ने ही 2014 में लोकतंत्र के समर्थन में चर्चित ‘अंब्रेला मूवमेंट’ चलाया था। इस मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा था। फिलहाल वह जमानत पर हैं।
• हांगकांग की जनता को यह चिंता सता रही है कि चीन लगातार ऐसे कानून प्रभावी कर रहा है जिससे आम लोगों की आजादी खतरे में पड़ जाएगी। वांग ने कहा, ‘कोई भी कैद की सजा नहीं चाहता है लेकिन अगर आंदोलनों से न्याय और लोकतंत्र के लिए अधिकाधिक लोग सामने आ सकें तो वह इसकी कीमत चुकाने को तैयार हैं।’
• आंदोलनकारियों ने हाथों में ‘हांगकांग की भावना कैद नहीं की जा सकती’, ‘हमारे साथ आएं, तानाशाही शासन के खिलाफ लड़ें’ आदि लिखी तख्तियां ले रखी थीं।
• कुछ ने हांगकांग में चीनी राष्ट्रगीत के अनादर पर लागू नए कानून का मजाक भी उड़ाया। ज्ञात हो कि हांगकांग 1997 से चीन के अधीन है। इससे पूर्व यह ब्रिटेन शासन के अंतर्गत था।

7. यूएन वैश्विक शरणार्थी समझौते से अलग हुआ अमेरिका

• अमेरिका ने अब संयुक्त राष्ट्र (यूएन) वैश्विक शरणार्थी समझौते से अलग होने की घोषणा की है। उसका कहना है कि ओबामा के कार्यकाल में हुए इस समझौते के कई प्रावधान अमेरिका की अप्रवासन एवं शरणार्थी नीतियों और ट्रंप प्रशासन के अप्रवासन सिद्धांतों के खिलाफ हैं।
• गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन यूनेस्को और पेरिस जलवायु समझौता समेत कई वैश्विक प्रतिबद्धताओं से अलग हो चुका है।
• यूएन में अमेरिकी दूतावास ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समझौते की प्रक्रिया से अलग होने के लिए कृतसंकल्प हैं।
• इससे पहले यूएन महासचिव को अमेरिका के इस फैसले की जानकारी दी गई। शरणार्थी के संबंध में यूएन के न्यूयार्क घोषणा में शामिल होने के ओबामा प्रशासन के फैसले के बाद 2016 में अमेरिका समझौते की प्रक्रिया में शामिल हुआ।
• यूएन में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका को दुनिया भर में शरणार्थियों को मदद देने पर अपनी अप्रवासी विरासत और लंबे समय से चले आ रहे नैतिक नेतृत्व पर गर्व है।
• इस मामले में अमेरिका से ज्यादा किसी और देश ने नहीं किया है। अमेरिका की उदारता बनी रहेगी। लेकिन अप्रवासी नीतियों पर हमारे फैसले केवल अमेरिकियों द्वारा ही किए जाने चाहिए। यह हम तय करेंगे कि कितनी अच्छी तरह से सीमा पर नियंत्रण करेंगे और किसे हमारे देश में प्रवेश की इजाजत मिले।
• उन्होंने कहा कि न्यूयार्क घोषणा में वैश्विक दृष्टिकोण अमेरिकी संप्रभुता के अनुकूल नहीं है।

8. वैज्ञानिकों ने बनाया ‘‘दिव्य नयन
• वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने दृष्टिहीनों और निरक्षरों की मदद के लिए एक ऐसा यंत्र विकसित किया है जो अखबार, चिट्ठी-पत्री और अन्य दस्तावेजों को पढ़कर सुना सकता है। सीएसआईआर के अधिकारियों ने बताया कि इस यंत्र का नाम दिव्य नयन रखा गया है और इसका प्रदर्शन काफी शानदार है।
• उन्होंने कहा कि दृष्टिहीनों और निरक्षरों की मदद करने के उद्देश्य से सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने इस यंत्र को विकसित किया है। उन्होंने बताया कि यह यंत्र लिखी हुई सामग्री को स्कैन कर लेता है और फिर उसे पढ़कर सुना देता है।
• इसके जरिए अखबार, चिट्ठी-पत्री या किसी भी दस्तावेज को स्कैन कर ऑडियो के रूप में सुना जा सकता है। यह यंत्र सीएसआईआर के तहत सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (सीएसआईओ) ने ईजाद किया है। अधिकारियों ने कहा कि यह दृष्टिहीनों तथा निरक्षरों को काफी लाभ पहुंचाने वाला होगा।
• इस यंत्र को किसी लिखित दस्तावेज के ऊपर घुमाना होता है और फिर यह लिखी हुई चीजों को स्कैन करने के बाद उन्हें पढ़कर सुना देता है। इस यंत्र को कहीं भी ले जाया जा सकता है और इस्तेमाल किया जा सकता है।
• विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने हाल में गोवा में एक कार्यक्र म के इतर बताया कि जब इस यंत्र का प्रदर्शन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने किया गया तो वह आश्र्चयचकित रह गए।
• उन्होंने कहा कि यह यंत्र वैज्ञानिकों का एक बड़ा आविष्कार है। मंत्री ने कहा कि दिव्य नयन दृष्टिहीनों और निरक्षरों के लिए काफी मददगार होगा और उन्हें लिखी चीजों को पढ़कर सुनाएगा। हर्षवर्धन ने कहा कि सीएसआईआर की प्रयोगशालाएं इस समय लगभग 250 उत्पादों पर काम कर रही हैं।

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