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* 12December 2017*

1.आतंक के खिलाफ मिले रूस, भारत व चीन

• भारत, रूस और चीन ने आतंकवाद को वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया है। तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की यहां हुई बैठक में आतंकवाद का मुद्दा छाया रहा। हालांकि, बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में किसी अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन का नाम नहीं दिया गया। लेकिन अपने भाषण में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान में पनाह पाए आतंकी संगठनों का नाम लेकर साफ कर दिया कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत की प्राथमिकता क्या होगी।
• सुषमा ने कहा कि आइएस, अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के कृत्यों में बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को प्रभावित करती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की कोशिशों को धक्का पहुंचता है।
• नई दिल्ली में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ सुषमा की यह बैठक तकरीबन ढाई घंटे चली।
• इस बैठक की एक अन्य अहमियत यह है कि भारत ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दिखाया है कि उसकी विदेश नीति पूरी तरह स्वतंत्र है। तीनों देशों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में भारतीय कूटनीति की यह सोच दिखती है कि वह गुटबाजी के पक्ष में नहीं है।
• अमेरिका के साथ गहराते संबंधों के साथ ही हाल के दिनों में भारत ने जिस तरह जापान, आस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ एक चौतरफा गठबंधन बनाने पर बातचीत शुरू की है उससे भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लेकिन अमेरिका के दो विरोधी देशों चीन और रूस के साथ सालाना बैठक आयोजित कर भारत ने कूटनीतिक स्तर पर अपना संदेश दे दिया है।
• तीनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ मजबूत संबंध बनाने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय कारोबार में भी अपने रिश्तों को बहुत महत्वपूर्ण बताया है।1सुषमा ने किया व्यापक नीति बनाने का प्रस्ताव : जहां तक आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की बात है तो सुषमा ने भारत की तरफ से आतंकवाद से निपटने के लिए एक व्यापक नीति बनाने का प्रस्ताव किया।
• चीन और रूस का रूख बेहद सकारात्मक रहा है। उन्होंने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ काम करने की बात कही है। इस बयान में आतंकवाद के खिलाफ कुछ और बातें हैं जिन पर भारत संतोष कर सकता है।
• मसलन, चीन और रूस भारत के इस रुख से सहमत हैं कि अंतरराष्ट्रीय आतंकियों व संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए देशों के बीच और मजबूत सहयोग स्थापित किया जाना चाहिए। इसमें दूसरे देशों से आतंकियों को लाने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का मामला भी शामिल होना चाहिए।

2. डब्ल्यूटीओ में खाद्य सुरक्षा पर सहमति बनना मुश्किल

• विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर विकसित और विकासशील देश अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं। इसे देखते हुए दोनों पक्षों के बीच किसी साझा एजेंडे पर सहमति बनने की संभावना कम है। रविवार को यहां 164 सदस्य देशों की चार दिवसीय 11वीं मंत्रिस्तरीय बैठक शुरू हुई। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु कर रहे हैं।
• प्रभु का जोर सार्वजनिक खाद्यान्न भंडारण सीमा के मुद्दे का स्थायी समाधान निकाले जाने पर है। भारत में खाद्य सुरक्षा के लिहाज से यह मुद्दा बेहद अहम है।
• इस बैठक में विकासशील देश विकसित मुल्कों के उन प्रयासों का खुलकर विरोध करेंगे, जिनके जरिये वे दोहा डेवलपमेंट एजेंडे (डीडीए) को औपचारिक तौर पर एक किनारे रख देना चाहते हैं। विकसित देश ई-कॉमर्स जैसे नए मुद्दों को वार्ता की मेज पर लाने की तैयारी में हैं।
• प्रभु ने इसके खिलाफ विकसित देशों को चेताया है। उन्होंने कहा कि ये मुद्दे न तो व्यापार से संबंधित हैं और न ही इन पर विस्तार में कोई चर्चा हुई है। उन्होंने अमेरिका के इस रवैये का भी विरोध किया जिसके तहत वह डब्ल्यूटीओ से भारत जैसे विकासशील देशों को मिलने वाली तरजीह को खत्म कराना चाहता है।
• प्रभु के मुताबिक भले ही भारत की विकास दर काफी तेज है, फिर भी उसकी 60 करोड़ आबादी गरीबी की रेखा के नीचे गुजर-बसर करती है। मौजूदा विश्व व्यापार नियमों के तहत किसी सदस्य देश का खाद्य सब्सिडी बिल उत्पादन के कुल मूल्य के 10 फीसद से ज्यादा नहीं होना चाहिए। प्रभु ने यहां सार्वजनिक खाद्यान्न भंडारण सीमा और विशेष सुरक्षा उपाय (एसएसएम) जैसे मुद्दों पर समर्थन जुटाने के लिए द्विपक्षीय बैठकों व विचार-विमर्श को तेज कर दिया है।
• उन्होंने यूरोपीय संघ, दक्षिण अफ्रीका के प्रतिनिधियों से मिलने के साथ ही विकासशील देशों के समूह जी-33 की बैठकों में हिस्सा लिया। 1मजबूत बने विश्व व्यापार संगठन : बैठक में अमेरिका अलग ही सुर निकाल रहा है। उसका कहना है कि व्यापार वार्ताओं के मामले में विश्व व्यापार संगठन अपना फोकस गंवा रहा है। जबकि चीन और यूरोप ने डब्ल्यूटीओ को मजबूत बनाने पर जोर दिया है।
• इसकी मजबूती से ही दुनिया में नियम-कानून आधारित बहुपक्षीय व्यापार तंत्र को संरक्षण दिया जा सकता है।
• दुनिया में संपन्नता लाने में मददगार बना संगठन : डब्ल्यूटीओ की व्यवस्था ने दुनिया भर में संपन्नता लाने में खासी मदद पहुंचाई है। इसकी वजह से एक ही पीढ़ी में विश्व के करीब एक अरब लोग गरीबी से बाहर आने में सफल रहे हैं।
• डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक रॉबटरे एजेवेडो ने यह दावा किया है। यह संगठन अब दुनिया के 98 फीसद व्यापार को कवर करता है।

3. नेपाल में भारी जीत की ओर बढ़ा वाम दलों का गठबंधन

• नेपाल के संसदीय और प्रांतीय चुनावों में वाम गठबंधन भारी जीत की ओर बढ़ चला है। उसकी सरकार बननी तय मानी जा रही है। अब तक की मतगणना में वाम दलों के खाते में 106 सीटें आ चुकी हैं। वहीं सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस पार्टी महज 20 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर है। पिछले चुनाव में नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। अभी कई सीटों की मतगणना हो रही है।
• ज्ञात हो कि पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली की अगुआई वाली सीपीएन-यूएमएल और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड की पार्टी सीपीएन-माओवादी ने संसदीय और प्रांतीय चुनावों के लिए हाथ मिलाया है। इस गठबंधन को पिछले दो दशकों से राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे नेपाल के लिए अहम माना जा रहा है।
• चुनाव के नतीजों से इस हिमालयी देश में स्थिरता की उम्मीद की जा रही है। यह देश पिछले एक दशक में 10 प्रधानमंत्रियों को देख चुका है। चुनाव आयोग ने सोमवार को बताया कि पहले चरण की 165 सीटों में से सीपीएन-यूएमएल सबसे ज्यादा 74 सीटें जीत चुकी है। इसकी सहयोगी सीपीएन-माओवादी 32 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है।
• वाम गठबंधन 275 सदस्यीय संसद में स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ रहा है। ओली को प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के उत्तराधिकारी के तौर पर पेश किया जा रहा है। ओली ने झापा-5 सीट से नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार खगेंद्र अधिकारी को 28 हजार से ज्यादा मतों से हराया है।
• प्रचंड चितवन-3 सीट से निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने राष्ट्रीय प्रजातंत्र के उम्मीदवार बिक्रम पांडे को 10 हजार से ज्यादा मतों से परास्त किया। नेपाल में संसदीय और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए दो चरणों में मतदान हुआ था।
• बीते गुरुवार को दूसरे चरण का मतदान खत्म होने के बाद से ही वोटों की गिनती का काम चल रहा है।
• मधेशी दलों की झोली में 19 सीटें : संसदीय चुनावों में दो मधेशी दल 19 सीटों पर जीत दर्ज कर चुके हैं। राष्ट्रीय जनता पार्टी नेपाल के खाते में 10 और फेडरल सोशलिस्ट फोरम नेपाल की झोली में नौ सीटें आई हैं।

4. विदेशी कंपनियों ने तैयार किया सरकारी सायबर सुरक्षा का ढांचा
• केन्द्र सरकार ने सरकारी सायबर सिस्टम की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाया है। एनआईसी-सीईआरटी की मदद से दिल्ली से लेकर देश के हर जिले तक एनआईसी के माध्यम से हो रही सरकारी प्रक्रिया पर निगरानी रखी जा सकेगी। साथ ही इनकी सुरक्षा को लेकर नया सेटअप नेशनल डाटा सेंटर में तैयार किया गया है।
• करीब एक दर्जन देशी-विदेशी कंपनियों की मदद से इसका पूरा सेटअप तैयार किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्रालय ने एनआईसी के सरकारी सायबर सिस्टम को और सुरक्षित करने के लिए एनआईसी-सीईआरटी की शुरुआत की है।
• यह दिल्ली से लेकर ब्लॉक स्तर पर एनआईसी के माध्यम से सरकारी गतिविधियों को सुरक्षित रखेगा। इसके लिए एक दीवार पर दो दर्जन से ज्यादा मॉनीटर से इसकी निगरानी होगी। इस सेटअप को लगाने में अमेरिका की ईवाय, भारत की विप्रो जैसी दर्जन भर कंपनियों की मदद से इसका सेटअप तैयार किया गया है।
• इस सेटअप में सिक्योरिटी इन्फॉर्मेशन एंड ईवेंट मैनेजमेंट (एसआईईएम) जैसे सायबर सिक्योरिटी डिवाइज की मदद ली गई है।
• सूचना मंत्रालय संभाल रहे रवि शंकर ने बताया कि सायबर अटैक होने के पहले हमें इसके संकेत मिलने लगेंगे कि सरकार वेब सिस्टम को हैक कर रहा है। इसके बाद हमारी एनआईसी-सीईआरटी टीम तुरंत उस पर कार्रवाई कर हैकिंग रोक लेगी। एनआईसी-सीईआरटी के टीम के सदस्यों ने बताया कि यह भारत का ऐसा पहला सेटअप होगा जिसमें यह सरकारी सायबर सिस्टम को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पूरा सेटअप तैयार किया जाएगा।
• उन्होंने यह भी बताया कि इस सेटअप से देश के एक साथ दस लाख से ज्यादा कम्प्यूटर सिस्टम को किसी भी बाहरी सायबर अटैक से बचाया जा सकता है। इसके अलावा आधार कार्ड, डिजिटल ट्रांजेक्शन जैसी सुविधाएं जो सरकारी सिस्टम से चल रही हैं, उन्हें भी सायबर सुरक्षा दी जाएगी।

5. मोबाइल इंटरनेट स्पीड में 109वें स्थान पर भारत

• मोबाइल इंटरनेट स्पीड के मामले में दुनिया में भारत का स्थान 109वां है तथा फिक्स्ड ब्राडबैंड के मामले में 76वां नंबर हैं। हालांकि इसमें 15 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ऊकला के नवम्बर के स्पीडटेस्ट नियंतण्र सूचकांक से यह जानकारी मिली है।
• यहां जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘2017 की शुरुआत में, भारत में औसत मोबाइल डाउनलोड स्पीड 7.65 एमबीपीएस थी लेकिन साल के अंत तक यह बढ़कर 8.80 फीसद हो गई जोकि 15 फीसद की बढ़ोतरी है।’बयान में कहा गया, ‘‘हालांकि मोबाइल की स्पीड में मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन फिक्स्ड ब्राडबैंड की स्पीड में नाटकीय वृद्धि हुई है।
• जनवरी में फिक्स्ड ब्राडबैंड की औसत स्पीड 12.12 एमबीपीएस थी, जबकि नवम्बर में बढ़कर यह 18.82 एमबीपीएस हो गई जो कि करीब 50 फीसद की छलांग है।’नवम्बर में दुनिया में सबसे ज्यादा मोबाइल स्पीड नॉव्रे में दर्ज की गई, जो 62.66 एमबीपीएस रही। फिक्स्ड ब्राडबैंड में सिंगापुर सबसे आगे रहा, जहां 153.85 एमबीपीएस की औसत डाउनलोड स्पीड दर्ज की गई।
• ऊकला का मानना है, ‘‘भारत में मोबाइल और फिक्स्ड ब्राडबैंड दोनों की स्पीड में तेजी से सुधार हो रहा है। यह सभी भारतीय ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है, चाहे वे किसी भी ऑपरेटर का कोई भी प्लान क्यों न लें। हालांकि भारत को स्पीड के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों तक पहुंचने में काफी समय लगेगा।’

6. माउंट होप बनी ब्रिटेन के अंटार्कटिक क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी

• ब्रिटेन के अंटार्कटिक क्षेत्र में अब माउंट होप को सबसे ऊंची चोटी घोषित किया गया है। इससे पहले 10,446 फीट ऊंचे माउंट जैक्सन को इस इलाके की सर्वाधिक ऊंची चोटी माना जाता था। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (बीएएस) में सामने आया कि माउंट जैक्सन से 160 फीट ऊंची माउंट होप है। इसकी ऊंचाई 10,626 फीट है।
• बीएएस ने यह सर्वे पायलटों की सुरक्षा के लिहाज से कराया था। पीटर फ्रेटवेल ने बताया कि अंटार्कटिक क्षेत्र में एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए विमान का ही उपयोग करना होता है।
• पुराने नक्शे में यहां के पहाड़ और उनकी चोटियों की ऊंचाई के बारे में कई जानकारियां गलत थीं। इस कारण अक्सर विमान दुघर्टनाग्रस्त हो रहे थे। सर्वे में सबसे ऊंची चोटी की खोज के साथ कई अन्य पर्वत श्रृंखलाओं और चोटियों की भी जानकारी मिली है।
• बीएएस में मैपिंग और जियोग्राफिक इनफॉर्मेशन के प्रमुख एडरायन फॉक्स ने कहा, ‘विमान उड़ाते समय पर्वत शिखरों की उचित जानकारी पायलटों की सुरक्षा के अहम है। नए डाटा की मदद से पायलट इस क्षेत्र में आसानी से विमान उड़ा पायेंगे।
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