1.आसियान शिखर सम्मेलन : पीएम ने आसियान बिजनेस फोरम में भारत को निवेश के लिए बताया आकर्षक
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान के मंच से भारत को निवेश के लिहाज से आकर्षक देश के तौर पर पेश करने की पुरजोर कोशिश की है।
• पीएम ने सोमवार को आसियान बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अभूतपूर्व तरीके से बदल रहा है। अर्थव्यवस्था के अधिकतर क्षेत्रों को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) के लिए खोला जा चुका है। भारतीय अर्थव्यवस्था अब वैश्विक स्तर पर एकीकृत हो चुकी है।
• मोदी ने नोटबंदी, जीएसटी, जनधन योजना, आधार, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की छलांग और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) का उल्लेख कर बताया कि कैसे इन योजनाओं के जरिये आर्थिक गतिविधियां पहले के मुकाबले ज्यादा आसान हुई हैं।
• मोदी ने आर्थिक मंच से बताया कि एफडीआइ का 90 फीसद हिस्सा ऑटोमेटिक अप्रूवल रूट में शामिल हो चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत सरकार प्रशासन को और बेहतर (गुड गवर्नेस) बनाने के लिए दिन-रात काम कर रही है।
• भारत ने इस साल विश्व बैंक के ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सूचकांक में 30 स्थान की छलांग लगाया है। इस वर्ष यह किसी भी देश द्वारा सबसे लंबी छलांग है, जो दीर्घकालीन सुधार को लेकर भारत द्वारा उठाए गए कदम की पुष्टि करता है। दुनिया अब इसका संज्ञान ले रही है। विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूची में पिछले दो वर्षो में भारत 32 स्थान ऊपर चढ़ा है।’
• नोटबंदी, मुद्रा और आधार की तारीफ : मोदी ने नोटबंदी से अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से के औपचारिक दायरे में शामिल होने की बात कही है। उन्होंने कहा, ‘तकनीक का इस्तेमाल कर जिम्मेदारी बढ़ाई जा रही है और भ्रष्टाचार को कम किया जा रहा है। वित्तीय लेनदेन और कर से जुड़े मामलों में विशिष्ट पहचान पत्र (आधार) प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ज्यादा मूल्य के नोट को वापस लेने से अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा औपचारिक दायरे में आ रहा है।
• आयकर देने वालों की तादाद दोगुनी हुई और डिजिटल लेनदेन में 34 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। जीएसटी से केंद्र और राज्य स्तरीय कर बड़ी संख्या में कम हो गए हैं। इसके अलावा मुद्रा योजना के तहत नौ करोड़ से ज्यादा लोगों को कर्ज दिए गए हैं।’
• मोदी ने आसियान-इंडिया कनेक्टिविटी समिट (दिसंबर) और आसियान-इंडिया कामेमोरेटिव समिट (जनवरी 2018) के भारत में आयोजित होने की भी जानकारी दी।
• भारत का बड़ा व्यापारिक साझीदार है आसियान क्षेत्र : आसियान क्षेत्र भारत के बड़े व्यापारिक साझीदारों में से एक है। पिछले 17 वर्षो में क्षेत्र के देशों ने भारत में 70 अरब डॉलर (4.58 लाख करोड़ रुपये) का निवेश किया है। यह भारत में हुए कुल एफडीआइ का 17 फीसद है। इसे देखते हुए मोदी ने आसियान के सदस्य देशों को भारत से जोड़ने के लिए वायु, जल और सड़क मार्ग और विकसित करने की पुरजोर वकालत की।

2. चीन को उम्मीद, चारों देश उसे नहीं बनाएंगे निशाना

• भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया की पहली चतुष्कोणीय बैठक पर सीधी टिप्पणी से बचते हुए चीन ने इससे उसे अलग रखने पर सवाल उठाया है। चीन ने उम्मीद जताई है कि ‘हिन्द प्रशांत’ का नया विचार उसके खिलाफ नहीं जाएगा।
• चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने सोमवार को कहा, ‘कोई भी प्रस्ताव खुला और समग्र होना चाहिए। अपराजेय सहयोग के लिए सकारात्मक हो और राजनीतिकरण एवं प्रासंगिक व्यवहार को दरकिनार करने से बचना चाहिए।’
• असल में चीन अपने राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बेल्ट एंड रोड पहल को समर्थन देने में व्यस्त है। विस्तृत बुनियादी ढांचा के विकास से प्राचीन सिल्क रोड को फिर से तैयार करने की योजना है।
• सिल्क रोड से चीन एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ना चाहता है। आलोचक इसे चीन के प्रभाव का विस्तार देने के रूप में देख रहे हैं। चीन इसे साधारण विकास परियोजना बता रहा है जिसमें कोई भी देश शामिल हो सकता है।
• दूसरी तरफ रणनीतिक क्षेत्र में चीन की सैन्य ताकत बढ़ने को ध्यान में रखते हुए अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया ने मनीला में आसियान बैठक से पहले रविवार को पहली आधिकारिक स्तर की बैठक की।
• चारों देशों ने क्षेत्र को मुक्त और खुला रखने पर जोर दिया है। वास्तव में यह पूर्व के एशिया-प्रशांत की जगह हिन्द -प्रशांत विचार को आकार दिया गया है।
• इस कदम को इलाके में चीन के आक्रामक व्यवहार के मुकाबले के रूप में देखा जा रहा है। चारों देश मुक्त, खुला, समृद्ध और समग्र हिन्द -प्रशांत क्षेत्र पर सहमत हैं। दीर्घ काल में क्षेत्र के सभी देशों और वृहत्तर परिप्रेक्ष्य में दुनिया के हितों की यह रक्षा कर सकेगा।
• भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया की मनीला बैठक पर सीधी टिप्पणी नहीं की

3. मोदी-ट्रंप मुलाकात : बात दोस्ती से आगे की
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते परस्पर हित से कहीं आगे बढ़कर हैं। इन्हें एशिया और एक तरह से मानवता के लिये भी लाभप्रद कहा जा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने मोदी को ऐसा दोस्त बताया जो शानदार काम कर रहा है।
• मोदी की यह टिप्पणी आसियान शिखर सम्मेलन से इतर ट्रंप के साथ उनकी द्विपक्षीय मुलाकात से पहले आई। द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने रक्षा और सुरक्षा समेत कई अहम मुद्दों पर र्चचा की। मोदी ने कहा, भारत और अमेरिका के बीच संबंध बढ़ रहे हैं और मुझे यह भी लगता है कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते सिर्फ परस्पर हित के लिये नहीं हैं। यह उससे आगे जाते हैं।
• हम एशिया के हित और भविष्य तथा कुल मिलाकर पूरी दुनिया में मानवता के लिए साथ काम कर रहे हैं। मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने एशिया दौरे के दौरान अवसर मिलने पर भारत की जब भी मौका मिला, प्रशंसा की।

4. भारतनेट परियोजना का दूसरा चरण शुरू हुआ

• भारतनेट परियोजना का दूसरा चरण सोमवार को शुरू हुआ इस परियोजना का कुल परिव्यय करीब 31,000 करोड़ रपए है। इस परियोजना के तहत मार्च 2019 तक देश की सभी ग्राम पंचायतों तक हाई स्पीड वाला ब्राडबैंड उपलब्ध करवाना है।
• दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा, आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर तथा बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां एक कार्यक्र म में इसकी शुरुआत की घोषणा की। मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो ने 30,000 ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए 13 करोड़ रूपये का सर्वाधिक अग्रिम ग्राहकी शुल्क चुकाया है। कंपनी ने सरकार से हर पंचायत में बैंडविड्थ खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है।
• रिलायंस जियो के निदेशक महेंद्र नाहटा ने उक्त राशि का चैक सिन्हा को सौंपा। इस अवसर पर उन्होंने कहा, हमने भारतनेट से बैंडविड्थ खरीदने के लिए जीएसटी सहित 13 करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान किया है। शुरू में हम 30,000 ग्राम पंचायतों को कवर करेंगे तथा आगे चलकर हर पंचायत में एक नोड स्थापित करेंगे।
• भारती एयरटेल ने 30,500 ग्राम पंचायतों के लिए बैंडविड्थ खरीद हेतु पांच करोड़ रूपये जबकि वोडाफोन ने 11 लाख रपए व आइडिया सेल्यूलर ने पांच लाख रूपये का भुगतान किया है।
• सिन्हा ने कहा कि सरकार ने भारतनेट परियोजना के तहत बैंडविड्थ की कीमत 75 प्रतिशत तक कम की है जिससे दूरसंचार कंपनियों को किफायती दरों पर सेवाएं उपलब्ध करवाने में मदद मिलेगी। मंत्री ने कहा कि भारतनेट का पहला चरण साल के आखिर तक पूरा कर लिया जाएगा।
• सिन्हा ने कहा 48000 से अधिक गांवों में ब्राडबैंड सेवाएं पहले ही शुरू की जा चुकी है जबकि 75000 से अधिक गांव इस सेवा के लिए तैयार हैं।
• उल्लेखनीय है कि पहले इस परियोजना को नेशनल आप्टिकल फाइबर नेटवर्क के नाम से जाना जाता था जिसे अक्टूबर 2011 में पिछली सरकार ने मंजूरी दी थी। मौजूदा सरकार ने इसका नाम भारतनेट कर दिया था इसमें गति लाने के लिए कई बदलावों को मंजूरी दी।
• सरकार को उम्मीद है कि 42000 करोड़ रूपये के निवेश के साथ समूची भारतनेट परियोजना को मार्च 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा।

5. भारत के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर नोटबंदी की लगाम

• नोटबंदी का एक सकारात्मक असर अब सामने आया है। 2017 की ग्लोबल कार्बन बजट रिपोर्ट बताती है कि बीते तीन वर्षो की तुलना में इस वर्ष कहीं अधिक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन हुआ है, लेकिन इसमें भारत का योगदान पिछले वर्षो की तुलना में काफी कम है।
• इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधार को दिए जा रहे हैं। हालांकि देश में बढ़ते सौर ऊर्जा के प्रयासों को भी एक कारक बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, भारत के कार्बन उत्सर्जन में भी तेजी से इजाफा होगा।
• यह रिपोर्ट सोमवार को नेचर क्लाइमेट चेंज सहित कई जर्नल में प्रकाशित हुई है।पिछले एक दशक से देश का कार्बन उत्सर्जन छह फीसद के औसत से बढ़ रहा था।
• 2016 में वृद्धि दर 6.7 फीसद हो गया। इस साल देश के कार्बन उत्सर्जन में सिर्फ दो फीसद की वृद्धि अनुमानित है। यानी2.5 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होगी।
• सौर ऊर्जा भी मददगार:- 2016 में देश की सौर ऊर्जा क्षमता बढ़कर 12 गीगावॉट हो गई। इससे भी जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी हुई और ग्रीन हाउस उत्सर्जन कम हुआ।
• इस साल सर्वाधिक उत्सर्जन:- पिछले तीन वर्षो से वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में कोई वृद्धि या कमी नहीं हुई थी। इस साल जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल और उद्योगों के चलते वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में दो फीसद तक इजाफा होने की संभावना है।
• रिपोर्ट के मुताबिक साल के अंत तक 37 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होगी, जो अब तक सर्वाधिक है।
• चीन सबसे बड़ा उत्सर्जक:- चीन के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में इस साल 3.5 फीसद इजाफा होने का अनुमान है। वह तकरीबन 10.5 गीगाटन उत्सर्जन करेगा। इसके बाद अमेरिका (5.3 गीगाटन) और यूरोपीय संघ (3.5 गीगाटन) का स्थान होगा। शेष दुनिया 15.1 गीगाटन का उत्सर्जन करेगा।
• आर्थिक सुधारों का असर :- नवंबर, 2016 में नोटबंदी और जुलाई, 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत सुस्त पड़ गई। नोटबंदी के चलते निर्यात में कमी आई, जीडीपी में औद्योगिक व कृषि उत्पादों की हिस्सेदारी कम हुई। बाजार में नकदी न होने के कारण उपभोक्ता मांग में गिरावट हो गई। लिहाजा उत्सर्जन कम हुआ।

6. जूनो ने भेजी बृहस्पति ग्रह के बादलों की तस्वीर
• अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जूनो यान ने सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के दक्षिणी गोलार्ध की तस्वीरें भेजी हैं। इन तस्वीरों में रंग-बिरंगे बादल दिखाई दे रहे हैं जो ग्रह का चक्कर लगा रहे आठ बड़े बादलों का हिस्सा हैं।
• जूनो ने ये तस्वीरें पिछले माह नौवीं बार बृहस्पति के बेहद करीब जाकर जानकारी इकट्ठा करने के दौरान ली थीं। इन तस्वीरों को लेते वक्त जूनो बृहस्पति ग्रह के बादलों के ऊपर 33,115 किलोमीटर की दूरी पर था। नासा ने जूनो अंतरिक्ष यान को 5, अगस्त 2011 को लांच किया था।
• करीब पांच साल बाद इसने जुलाई 2016 में बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश किया था। जूनो का मुख्य काम बृहस्पति ग्रह की उत्पत्ति और विकास का अध्ययन करना है।
• घने बादलों से ढके होने के कारण इस ग्रह की उत्पत्ति रहस्य बनी हुई है। जूनो द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से अन्य तारों की ग्रह प्रणाली का पता भी लग सकता है।

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