27 January 2018(Saturday)

1.रणनीतिक साझेदार बन चुके हैं भारत-आसियान : मोदी
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत और आसियान के संबंध बातचीत करने वाले साझेदारों से आगे बढ़कर रणनीतिक साझेदार के बन चुके हैं। मोदी ने आसियान देशों के अलग-अलग समाचार पत्रों में एक लेख लिखा है जो आज प्रकाशित हुआ है।
• इसमें उन्होंने कहा है गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर 10 आसियान देशों के नेताओं की एक साथ मौजूदगी उनकी ओर से अभूतपूर्व शुभेच्छा का प्रतीक है। यह कोई सामान्य घटना नहीं है। यह भारत और आसियान की साझेदारी और मजबूत बनाने वाली उनके 190 करोड़ लोगों की उम्मीदों से भरी उल्लेखनीय यात्रा में ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
• उन्होंने आगे लिखा है कि दो दशक से कुछ पहले ही भारत ने नियंतण्र तानेबाने में हो रहे बदलावों के लिए अपने द्वार खोले थे और सहज प्रवृत्ति वश उसने पूरब का रुख किया। उन्होंने कहा समय के साथ आसियान और भारत सिर्फ बातचीत करने वाले साझेदार से रणनीतिक साझेदार बन चुके हैं।
• हर आसियान सदस्य के साथ हमारी कूटनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी बढ़ रही है। हम हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हमारा आपसी कारोबार और निवेश कई गुना बढ़ चुका है। आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत आसियान का सातवां।
• भारतीयों निवेशकों के विदेशों में होने वाले निवेश का 20 प्रतिशत आसियान में है। सिंगापुर के नेतृत्व में आसियान भारत में निवेश का अग्रणी स्रोत है। आसियान देशों में थाईलैंड, वियतनाम, म्यांमार, सिंगापुर, फिलिपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, लाओ, इंडोनेशिया और कंबोडिया शामिल हैं।
• मोदी ने कहा है कि भारत-आसियान संबंध भले महज 25 साल पुराना है, लेकिन दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत के संबंध दो हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं। शांति और मैत्री, धर्म और संस्कृति, कला और वाणिज्य, भाषा और साहित्य में रचे-बसे ये संबंध भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया की वृहद विविधता के हर पहलू में परिलक्षित होते हैं।
• आसियान के संबंध में उन्होंने आगे कहा है कि आसियान के नेतृत्व वाले संस्थानों जैसे पूर्वी एशिया सम्मेलन, आसियान रक्षा मंत्री स्तरीय बैठक प्लस और आसियान क्षेीय फोरम क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता को मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं।

2. आसियान देशों से भारत सीखेगा आतंक की जड़ काटने का हुनर
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आसियान रजत जयंती शिखर बैठक के दौरान इंडोनेशिया और मलेशिया के प्रमुखों के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक में इस मुद्दे पर खास तौर पर बात हुई है।
• विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) प्रीति सरन ने बताया है कि मलेशिया, इंडोनेशिया और ब्रुनेई ने समाज में बढ़ रही कट्टरता को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं। ये देश अपना अनुभव भारत के साथ साझा करने को तैयार हैं।
• भारत खास तौर पर इन देशों से यह सीखने की कोशिश करेगा कि कट्टरता पर लगाम लगाने के लिए कानूनी तौर पर क्या कदम उठाए गए हैं।
• इंडोनेशिया एक समय इस्लामिक आतंकवाद का केंद्र बनने की कगार पर था। अल कायदा ने वहां पैर जमाने शुरू कर दिए थे। बाली में कई बार आतंकी हमले हुए। लेकिन वहां की सरकार ने दो तरह से कट्टरवाद पर प्रहार किया।
• एक तरफ युवकों को कट्टरता से प्रभावित होने से रोकने के लिए विशेष स्कीम चलाई तो दूसरी तरफ आतंकियों की गतिविधियों को लेकर बेहद सख्त रुख अख्तियार किया।
• इसी तरह मलेशिया ने भी एक सख्त कानून बना कर वहां इस्लामिक धार्मिक नेताओं के भाषणों आदि की निगरानी शुरू की। इससे आतंकवादी संगठनों को जड़ जमाना मुश्किल हो गया है।

3. ओबोर को आर्कटिक तक ले जाएगा चीन
• चीन ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना वन बेल्ट एंड वन रोड (ओबोर) के का खाका पेश किया है। इसमें ओबोर को आर्कटिक तक ले जाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए ग्लोबल वार्मिग के कारण खुले नए रास्तों का जहाजों की आवाजाही के लिए विकास किया जाएगा।
• चीन ने शुक्रवार को अपनी आर्कटिक नीति को लेकर आधिकारिक तौर पर पहला श्वेत पत्र जारी किया। इसमें कहा गया है, चीन विभिन्न उद्यमों को बुनियादी ढांचों के निर्माण और प्रायोगिक व्यावसायिक यात्रओं के लिए प्रोत्साहित करेगा। इससे ‘पोलर सिल्क रोड’ आकृति लेगा। चीन आशा करता है कि सभी पक्ष आर्कटिक शिपिंग मार्गो के विकास के माध्यम से ‘पोलर सिल्क रोड’ का निर्माण करेंगे।
• अपने हितों का कर रहा : चीन के सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ के अनुसार, इस क्षेत्र में चीन अपने हितों का कर रहा है। आर्कटिक में रूस की यमाल तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) परियोजना में चीन की बड़ी हिस्सेदारी भी है। इससे चीन को हर साल 40 लाख टन एलएनजी मिलने की उम्मीद है।
• आवाजाही में बचेंगे 20 दिन : ‘चाइना डेली’ ने बताया कि उत्तरी समुद्र मार्ग से जहाजों की आवाजाही होने से पारंपरिक स्वेज नहर म

ार्ग की अपेक्षा करीब 20 दिनों की बचत होगी।
• तेल, गैस, खनिज संसाधनों पर नजर : श्वेत पत्र में कहा गया है कि चीन की क्षेत्र में तेल, गैस, खनिज संसाधनों, गैर जीवाश्म ऊर्जा और पर्यटन के विकास पर भी नजर है। यह सब आर्कटिक देशों की परंपराओं और संस्कृति का सम्मान करने के साथ उनके साथ संयुक्त रूप से किया जाएगा।
• क्या है ओबोर परियोजना : चीन वन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना के माध्यम से यूरोप और पश्चिम एशिया के दर्जनों देशों से जुड़ना चाहता है। ओबोर परियोजना के तहत ही चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का भी निर्माण किया जा रहा है। सीपीईसी से पश्चिमी चीन के काशगर को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को जोड़ा जाना है।

4. पेमेंट बैंकों में भी मिलेगी अटल पेंशन योजना
• हाल ही में शुरू किए गए लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक भी अब अटल पेंशन योजना की सुविधा दे सकेंगे। सरकार ने अटल पेंशन योजना को दूरदराज के इलाकों के लोगों के लिए सुगम बनाने के मद्देनजर यह फैसला किया है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक अब अटल पेंशन योजना की सुविधा दे सकेंगे। ये नए युग के बैंक हैं और इनकी विशेषज्ञता तथा पहुंच को देखते हुए योजना के ग्राहकों तक इसे पहुंचाने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
• मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि अटल पेंशन योजना के मौजूदा चैनल को और मजबूत बनाने के लिए यह महसूस किया गया कि नए भुगतान बैंक और लघु वित्त बैंक ग्राहकों तक पहुंच बढ़ाने में मददगार होंगे।योजना में लोगों की भागीदारी से न सिर्फ पेंशन प्राप्त सुरक्षित समाज बनता है, बल्कि बैंकों को भी शुल्क के रूप में बड़ी मात्रा में आमदनी प्राप्त होती है।
• उसने बताया कि 23 जनवरी 2018 तक अटल पेंशन योजना से 84 लाख लोग जुड़ चुके हैं। इस योजना के तहत अब तक 3,194 करोड़ रूपये की अभिदान राशि प्राप्त हो चुकी है।
• इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 मई 2015 को की थी। योजना के तहत हर ग्राहक को एक निश्चित राशि हर साल जमा करानी होती है और 60 साल की उम्र के बाद राशि के अनुरूप उसे पेंशन दी जाएगी। पेंशन की राशि पेंशन खाता खोलते समय ही तय हो जाती है।
• प्रत्येक खाते पर बैंकों को 120 से 150 रूपये तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।रिजर्व बैंक ने वर्ष 2015 में 11 भुगतान बैंकों और 10 लघु वित्त बैंकों को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी जिनमें से नौ लघु वित्त बैंकों और चार भुगतान बैंक अस्तित्व में आ चुके हैं।
• पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने गत 15 जनवरी को भुगतान तथा नये वित्त बैंकों के अधिकारियों के साथ एक बैठक कर उन्हें योजना के संचालन के बारे में जानकारी दी और योजना के बारे में विचार-विमर्श किया। इसके बाद उन्हें योजना का हिस्सा बनाया गया है।

5. ‘‘अमेरिका फर्स्ट का मतलब ‘‘केवल अमेरिका’ नहीं
• अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वह मुक्त व्यापार का समर्थन करते हैं लेकिन इसे न्यायोचित होना चाहिए। उन्होंने ‘‘अमेरिका फर्स्ट की नीति पर जोर देते हुए कहा कि इसका मतलब ‘‘केवल अमेरिका’ नहीं है।
• विश्व आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका फिर से कारोबार के लिए खुला और प्रतिस्पर्धी हो गया है। मंच में कई नेताओं ने ट्रंप को उनकी संरक्षणवादी नीतियों के लिए निशाना बनाया है।ट्रंप ने इस मौके पर कहा कि अमेरिका विश्व भर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगा और अफगानिस्तान को आतंकवादियों का शरणगाह नहीं बनने देगा।
• उन्होंने कहा, मैं यहां अमेरिकी लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करने और बेहतर विश्व के लिए प्रतिबद्धता जताने आया हूं। मंच के आयोजन स्थल के सबसे बड़ा हॉल ट्रंप के संबोधन के मद्देनजर एक घंटे पहले ही पूरी तरह से भर गया था। हालांकि कुछ अफ्रीकी नेताओं ने ट्रंप के भाषण का बहिष्कार भी किया।
• ट्रंप ने अमेरिका तथा अपने विभिन्न फैसलों का जिक्र करते हुए कहा, शेयर बाजार एक एक कर रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं और मेरे चुनाव के बाद अब तक सात हजार अरब डॉलर से अधिक का धन जुड़ चुका है। मैं यहां यह कहने आया हूं कि अमेरिका फिर से कारोबार के लिए खुला हो गया है। यह आपके कारोबार, रोजगार और निवेश को अमेरिका लाने का सबसे अच्छा समय है।
• उन्होंने कहा, हम ऐसा माहौल तैयार कर रहे हैं जो प्रोत्साहित करता है। आप अमेरिका आएं। मैं अमेरिका में यकीन करता हूं और अमेरिका के राष्ट्रपति के नाते अमेरिका फर्स्ट में यकीन करता हूं।
• सभी वैश्विक नेताओं को अपने देश के बारे में ऐसा ही महसूस करना चाहिए। लेकिन ‘‘अमेरिका फस्र्ट’ का मतलब ‘‘केवल अमेरिका’ नहीं है।उन्होंने कहा कि यदि कुछ देश नियमों को नहीं मानेंगे तब मुक्त और खुला व्यापार नहीं हो सकता है।
• उन्होंने कहा, हम मुक्त व्यापार का समर्थन करते हैं पर इसे न्यायोचित और पारस्परिक होना चाहिए। ट्रंप ने कहा कि राष्ट्रपति के नात

े वह हमेशा अपने देश, अपने श्रमिक और अपनी कंपनियों के हितों की रक्षा करेंगे।
• उन्होंने कहा, क्या हम ऐसा तंत्र नहीं बना सकते जो किसी एक देश के बजाय सभी के लिए काम करे। हमारा कई देशों के साथ अनुबंध है और कई देशों के साथ बातचीत चल रही है।

6. श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा कार्ड
• देश के 47 करोड़ से ज्यादा असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा तंत्र में लाने के लिए उन्हें अनऑर्गनाइज्ड वर्कर इंडेक्स नंबर यानी यूडब्ल्यूआइएन कार्ड जारी किया जाएगा। केंद्रीय श्रम मंत्रलय इसके लिए अप्रैल से अभियान शुरू करेगा।
• मंत्रालय अगले वित्त वर्ष के अंत तक यह काम पूरा कर लेना चाहता है ताकि 2019 में आम चुनाव से पहले उन्हें मंत्रलय के प्रस्तावित सामाजिक सुरक्षा संबंधी श्रम संहिता के दायरे में लाया जा सके। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि मंत्रालय अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से इसके लिए पंजीकरण पूरे देश में शुरू कर देगा। इसमें पंजीकरण के बाद श्रमिकों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआइसी) की योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
• यूडब्ल्यूआइएन कार्ड यूनिक नंबर होगा जो आधार से साथ जुड़ा होगा ताकि श्रमिकों को एक ही जगह पर सभी सुविधाएं मिल सकें।
• सामाजिक सुरक्षा के लिए श्रम संहिता : सूत्र के अनुसार मंत्रलय में सामाजिक सुरक्षा व कल्याण पर श्रम संहिता पर अभी विचार किया जा रहा है। अनौपचारिक श्रमिकों का पंजीकरण पूरा होने के बाद श्रम संहिता लागू की जाएगी। मंत्रालय ने यूडब्ल्यूआइएन कार्ड का असर जांचने के लिए इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया है। इसके नतीजे संतोषजनक रहे हैं।
• सूत्र ने बताया कि इस मुद्दे पर फैसला किया जाना बाकी है कि ईपीएफओ और ईएसआइसी की स्कीमों में श्रमिक के योगदान के बराबर अंशदान करने की जिम्मेदारी किसकी होगी। स्कीमों में संगठन क्षेत्र के कर्मचारी के अलावा सेवायोजक को बराबर का अंशदान करना होता है।
• सरकार को असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के मामले में कोई तंत्र विकसित करना होगा क्योंकि इसमें योगदान करने के लिए कोई सेवायोजक नहीं होता है। नई श्रम संहिता में इस मसले पर फैसला होने की संभावना है।
• अप्रैल से 47 करोड़ श्रमिकों के पंजीकरण के लिए अभियान
• इन श्रमिकों को भी मिलेगी पीएफ व पेंशन की सुविधाएं

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