_*21 April 2018(Saturday)*_

*1.चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति को सौंपा नोटिस*
• कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों के सांसदों ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर पद के दुरुपयोग एवं कदाचार के पांच गंभीर आरोप लगाते हुए राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस सौंपा।
• नायडू को उनके आवास पर जाकर नोटिस सौंपने के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने पद की मर्यादा का उल्लंघन किया है और उनके खिलाफ महाभियोग का नोटिस देने के अलावा विपक्षी दलों के पास कोई विकल्प नहीं बचा था।
• सिब्बल ने कहा कि ऐसा करके उन्हें कोई खुशी नहीं है, लेकिन वे संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा के अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं और इसका राजनीति से कोई लेना -देना नहीं है। दोनों नेताओं ने बताया कि नोटिस पर कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों के कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें सात सेवानिवृत्त हो चुके हैं जबकि 64 अभी राज्यसभा के सदस्य हैं।
• सात दलों के अलावा कुछ अन्य दलों की भी नोटिस के लिए सहमति है। मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस के लिए राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है।
• नोटिस पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम के हस्ताक्षर नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि डा. सिंह के हस्ताक्षर जानबूझकर नहीं कराए गए हैं, क्योंकि वह प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उनके अलावा कुछ अन्य के भी हस्ताक्षर नहीं कराए गए हैं, क्योंकि न्यायालय में उनके मामले चल रहे हैं।
• आजाद ने कहा कि विपक्षी दल महाभियोग प्रस्ताव के जरिए मुख्य न्यायाधीश को हटाना चाहते हैं और उम्मीद है कि सभापति इस प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार कर लेंगे, क्योंकि आरोप बहुत गंभीर हैं। सिब्ब्ल ने स्पष्ट किया कि महाभियोग नोटिस का जज लोया मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से कोई लेना देना नहीं है और नोटिस में इसका जिक्र भी नहीं किया गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों ने 12 जनवरी को जनता के समक्ष आकर मुख्य न्यायाधीश की कार्यपण्राली पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और मुख्य न्यायाधीश का यह रवैया जारी रहा तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा ।
• कांग्रेस नेता ने कहा, हम उस समय चुप रहे, क्योंकि हमारा मानना था कि मुख्य न्यायाधीश न्यायाधीशों की बात पर गौर करेंगे और समाधान निकल जाएगा, लेकिन आज तक कोई हल नहीं निकला। उन्होंने कहा कि देश में संविधान सर्वोच्च है और सभी पद उसके अधीन हैं। उन्होंने कहा, हमारे सामने यह भी विकल्प था कि हम अब भी चुप रहते लेकिन हमने संविधान की शपथ ली है और संविधान के हर ढांचे की रक्षा करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है।
• आजाद ने कहा कि उन्होंने महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले सात राजनीतिक दलों तथा हस्ताक्षर न करने वाले दलों की ओर से भी नोटिस नायडू को सौंपा है।
*2. राष्ट्रमंडल : प्रिंस चार्ल्स होंगे महारानी के उत्तराधिकारी*
• ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स राष्ट्रमंडल प्रमुख के पद पर अपनी मां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की जगह लेंगे। दरअसल, राष्ट्रमंडल देशों का शासनाध्यक्ष संगठन अगले प्रमुख के रूप में प्रिंस चार्ल्स का समर्थन करने के लिए शुक्रवार को सहमत हो गए।
• गौरतलब है कि एक दिन पहले ही महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने कहा था कि उनकी हार्दिक इच्छा है कि उनका बेटा आगे चल कर उनकी भूमिका निभाए। ब्रिटिश मीडिया की खबरों के मुताबिक ¨वडसर कासल में राष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) रीट्रीट में संगठन के नेता 69 वर्षीय चार्ल्स को इसका अगला प्रमुख बनाने के लिए सहमत हुए हैं।
• भारत के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘अगले प्रमुख के रूप में ¨प्रस चार्ल्स के नाम पर भारत को कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि उन्होंने इस संगठन के लिए कड़ी मेहनत की है। हालांकि, हम इस बारे में स्पष्ट हैं कि इस पद को संस्थागत नहीं किया जाना चाहिए।
• प्रिंस चार्ल्स ने बकिंघम पैलेस में अपने स्वागत भाषण में कहा, जहां तक मुझे याद है, मेरे लिए राष्ट्रमंडल मेरे जीवन में एक मूलभूत चीज है। मैं जब पांच साल का था, तब मैंने माल्टा की यात्रा की थी।
• राष्ट्रमंडल के ज्यादातर सदस्य देश कभी ब्रिटेन का उपनिवेश हुआ करते थे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने संकेत दिया है कि इस मुद्दे पर एक फैसला आज विंडसर कासल में रीट्रीट में उनके स्वागत भाषण में होने की संभावना है।
*3. मोदी ने राष्ट्रमंडल के छोटे द्वीपीय देशों के विकास का दिया भरोसा*
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रमंडल देशों के राष्ट्राध्यक्षों की सालाना बैठक में भारत की ओर से कई बड़े फैसले लिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रमंडल के छोटे द्वीपीय देशों के विकास में मदद करने का भरोसा दिया है। मोदी ने राष्ट्रमंडल सम्मेलन में क्रिकेट कूटनीति पर भी जोर दिया।
• उन्होंने राष्ट्रमंडल देशों के 60 अंडर-16 क्रिकेटर्स को प्रशिक्षण देने की भी बात कही। इन 60 क्रिकेटर्स को बीसीसीआइ की मदद से प्रशिक्षण दिया जाएगा।
• विदेश मंत्रलय (पश्चिम) की सचिव रुचि घनश्याम ने शुक्रवार को बताया कि राष्ट्रमंडल देशों के राष्ट्राध्यक्षों की सालाना बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रमंडल के छोटे द्वीपीय देशों को उनकी जरूरत के अनुरूप सहायता देने का भी एलान किया। भारत इन छोटे द्वीपीय देशों और तटीय देशों को गोवा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी में प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए क्षमतावान बनाएगा।
• मोदी ने यह भी एलान किया कि न्यूयार्क के स्थाई मिशन के तौर पर भारत राष्ट्रमंडल देशों की मदद के लिए छोटी परियोजनाओं में भी हिस्सा लेगा। उन्होंने राष्ट्रमंडल के कोष में भारत का तकनीकी सहयोग दोगुना करने की घोषणा करते हुए इसे 20 लाख पौंड (18 करोड़ रुपये से अधिक) कर दिया है।
• उन्होंने बताया कि गुरुवार को हुई बैठक में लोकतंत्र को और मजबूत करने, अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी), पर्यावरण के लिए कार्रवाई और राष्ट्रमंडल देशों की सुरक्षा के मुद्दों पर मुख्य रूप से बातचीत हुई।
• बंद कमरे में अनौपचारिक वार्ता : बंद कमरे में हुई इस बैठक की खास बात यह भी थी कि यह पूरी तरह अनौपचारिक रही। यहां नेताओं ने बिना किसी पूर्व निर्धारित एजेंडे के बातचीत की और इस वार्ता के दौरान उनके करीबी सहायक तक उनके साथ मौजूद नहीं थे। वैश्विक मुद्दों के अलावा राष्ट्रमंडल में सुधारों को लेकर भी चर्चा हुई।
• आठ साल बाद भारतीय पीएम बैठक में शामिल : साल 2010 के बाद पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री राष्ट्रमंडल की बैठक में शामिल हुए। दरअसल, साल 2017 में प्रिंस चाल्र्स ने अपने भारत दौरे पर पीएम मोदी को राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए न्योता दिया था।
• विदित हो कि विश्व के ब्रिटिश उपनिवेश रहे 53 देश राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं और यह संगठन की 11वीं शिखर बैठक है। इस बैठक का विषय ‘साझा विकास’ रखा गया है। ये शिखर सम्मेलन लंदन के शाही महल ¨वडसर कैसल में हुआ।
• सम्मेलन छोड़ द.अफ्रीकी राष्ट्रपति लौटे : जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा देश में हिंसक प्रदर्शनों के कारण लंदन में राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन बीच में छोड़कर वापस लौट गए।
• दक्षिण अफ्रीका के उत्तरी पश्चिम प्रांत में हिंसक झड़पें हो रही हैं। प्रदर्शनकारी रोजगार, सस्ते आवास और भ्रष्टाचार के खात्मे की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को दुकानें लूट लीं। पड़ोसी देश बोत्सवाना ने उत्तर पश्चिम प्रांत से सटी सीमा के निकासी मार्गो को बंद कर दिया है। रामफोसा ने शांति बनाए रखने रखने का आह्वान किया है और पुलिस को संयम बरतने का आदेश दिया है।
*4. भारत ने की ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी की वकालत*
• भारत ने ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका) की एक स्वतंत्र रेटिंग संस्था स्थापित करने की वकालत की है। गुरुवार को आयोजित आइएमएफ/वल्र्ड बैंक स्प्रिंग मीटिंग्स के मौके पर ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्रियों और उनके केंद्रीय बैंक के गवर्नर की पहली बैठक के दौरान भारत ने यह प्रस्ताव रखा।
• बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने ब्रिक्स देशों की अपनी रेटिंग एजेंसी स्थापित करने के प्रस्ताव पर बाकी देशों से सहमति का आग्रह किया।1वित्त मंत्रलय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘सचिव ने अध्यक्ष से यह प्रस्ताव स्वीकार करने का आग्रह किया। सचिव ने स्वतंत्र रेटिंग एजेंसी की व्यवहार्यता के अध्ययन के लिए ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल के तहत गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार की जाने वाली रिपोर्ट को आगे बढ़ाने का भी आग्रह किया है।’
• वर्तमान में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी बाजार में पश्चिमी जगत की तीन कंपनियों स्टैंडर्डस एंड पूअर्स (एसएंडपी), मूडीज व फिच का 90 फीसद से ज्यादा कब्जा है। उभरते बाजारों की अर्थव्यवस्था की रेटिंग पर इन एजेंसियों के आधिपत्य से पड़ने वाले दुष्प्रभावों के समाधान के लिए सबसे पहले भारत ने ही ब्रिक्स की अपनी स्वतंत्र रेटिंग एजेंसी के गठन का प्रस्ताव रखा था।
• ब्रिक्स अधिकारियों की बैठक के दौरान न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) का दायरा बढ़ाने और सभी सदस्य देशों में एनडीबी के तहत परियोजनाओं के समान विस्तारीकरण पर भी चर्चा हुई। गर्ग ने एनडीबी की सदस्यता बढ़ाने के लिए भारत द्वारा लगातार रचनात्मक भागीदारी निभाते रहने पर बल दिया।
• गौरतलब है कि ब्रिक्स देशों द्वारा गठित एनडीबी का परिचालन वर्ष 2015 में शुरू हुआ। इसका मकसद सदस्य देशों की वित्तीय जरूरतें पूरी करना है।
*5. चीन का सैन्य अभ्यास क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा : ताइवान*
• ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल ने शुक्रवार को कहा कि हमारे जहाज दक्षिण चीन सागर से गुजरेंगे। अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार ऑस्ट्रेलियाई नौसेना को दक्षिण चीन सागर से गुजरने का पूरा अधिकार है। टर्नबुल की यह प्रतिक्रिया उस मीडिया रिपोर्ट पर आई थी जिसमें कहा गया था कि चीन ने इस महीने विवादित दक्षिण चीन सागर में ऑस्ट्रेलिया के तीन जहाजों को चुनौती दी थी। ये जहाज वियतनाम जा रहे थे। इनमें दो युद्धपोत और एक तेल टैंकर शामिल है।
• ब्रिटेन के दौरे पर गए टर्नबुल ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हम दुनियाभर में नौवहन और विमानों की आवाजाही की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक दक्षिण चीन सागर समेत विश्व के किसी भी सागर में हमारे जहाज जा सकते हैं।’
• ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्रलय ने हालांकि इस घटना पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है। गुरुवार को ये तीनों जहाज वियतनाम के तटीय शहर हो ची मिन्ह पहुंच गए। एक ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक के कार्यकारी निदेशक नील जेम्स के अनुसार, पहले चरण में चीन की नौसेना ने रेडियो पर ऑस्ट्रेलियाई जहाजों को चेतावनी दी कि आप चीन के जलक्षेत्र में हैं और उनकी पहचान मांगी।
• जवाब में ऑस्ट्रेलियाई जहाजों ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में हैं। दूसरे चरण में चीनी नौसेना ने जांच के लिए एक विमान और युद्धपोत भेजा था।
*6. 200 साल बाद धरती पर गाय होगी सबसे बड़ी स्तनधारी*
• पृथ्वी से यदि बड़े आकार के जानवरों व विलुप्ति की कगार पर पहुंचे चुके जंतुओं का लुप्त होने भविष्य में भी जारी रहा तो 200 साल बाद सबसे बड़ा स्तनधारी केवल गाय ही बचेगी। इसका मतलब है कि आने वाले सालों में धीरे-धीरे हाथी, जिराफ और दरियाई घोड़े जैसे जीव धरती से खत्म हो जाएंगे। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मेक्सिको के शोधकर्ताओं के अनुसार इसका सबसे कारण जलवायु परिवर्तन नहीं बल्कि मनुष्य हैं।
• वैज्ञानिकों का कहना है कि जानवरों का लुप्त होना कोई आकस्मिक घटना नहीं है। यह प्रक्रिया करीब 125 हजार सालों से चली आ रही है। जब अफ्रीका के मूल निवासी प्राचीन मनुष्यों जैसे निएंडरथल ने अन्य महादेशों में फैलना शुरू किया था तब से ही बड़े आकार वाले स्तनधारियों के विलुप्त होने की घटना में तेजी आई। पूर्व में भी मानवीय क्रियाकलापों के कारण बड़े जानवर विलुप्त हुए थे और वर्तमान में भी ऐसा ही हो रहा है।
• शोधकर्ता फेलिसा स्मिथ ने कहा, 125 हजार साल पहले अफ्रीका के स्तनधारी जीवों का औसत आकार अन्य महादेश के जीवों से 50 फीसद कम था। हमें आशंका है कि प्लेस्टोसीन काल के अंत से ही प्राचीन मानवों ने स्तनधारियों की विविधता और उनके आकार को प्रभावित करना शुरू कर दिया था।’
• प्लेस्टोसीन 26 लाख साल पहले से 11,760 साल पहले तक का काल था। समय के साथ जैसे-जैसे मानवों ने पूरे विश्व में फैलना शुरू किया ऊनी गैंडे, मैमोथ, ऊंट, जमीन पर रहने वाले विशालकाय स्लॉथ, छोटे मुंह वाले भालू व जंगली बिल्लियों की कई प्रजाति विलुप्त हो गई।
*7. राजेन्द्र सच्चर*
• जानेमाने मानवाधिकारवादी और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र सच्चर का आज पूर्वाह्न यहां निधन हो गया।वह 94 वर्ष के थे। उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं।
• न्यायमूर्ति सच्चर का जन्म 22 दिसंबर 1923 को लाहौर में हुआ था। उनके दादा जी लाहौर उच्च न्यायालय के जाने माने फौजदारी वकील थे। वह 1970 में दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए थे।
• वह एकमात्र न्यायाधीश थे जिन्होंने आपातकाल में सरकार के आपातकाल संबंधी निर्देशों को मानने से इनकार किया था। वह अगस्त 1985 से दिसंबर 1985 तक दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे।
• वह समाजवादी विचारधारा के थे और मानवाधिकारों के दृढ़ पैरोकार थे।
*8. जिम ब्रिडेंस्टाइन*
• अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप द्वारा नामित प्रतिनिधि जिम ब्रिडेंस्टाइन के अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का प्रमुख होने पर मुहर लगा दी है।
• सीनेट में बृहस्पतिवार को ब्रिडेंस्टाइन के पक्ष में 50 मत और प्रतिपक्ष में 49 मत पड़े। ब्रिडेंस्टाइन नासा के 13वें प्रमुख होंगे।
• अमेरिकी नौसेना रिजर्व में पायलट रहे और टुलसा एयर एंड स्पेस म्यूजियम के पूर्व कार्यकारी निदेशक रह चुके ब्रिडेंस्टाइन 2012 में ओकलाहोमा के पहले कांग्रेस डिले का प्रतिनिधित्व करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस में चुने गए।

 

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