_*23 April 2018(Monday)*_

*1.तनाव खत्म करने की राह पर भारत और चीन*
• भारत और चीन के रिश्तों में पिछले कुछ समय से बढ़ रहे तनाव को दूर करने के लिए दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के स्तर पर एक नई शुरुआत होने जा रही है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी हफ्ते 27 व 28 अप्रैल को चीन जाएंगे जहां वह राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ एक अनौपचारिक बैठक करेंगे।
• मोदी और चिनफिंग के बीच होने वाली इस बैठक के खास मायने बताए जा रहे हैं। बताते हैं कि दोनों नेता अगले डेढ़ दशक के लिए द्विपक्षीय रिश्तों का एजेंडा तय करेंगे। इसकी अहमियत इससे भी समझी जा सकती है कि मोदी जून में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शीर्षस्तरीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए भी चीन जाने वाले हैं, लेकिन उसके पहले दोनों देशों ने केंद्रीय चीन के वुहान शहर में एक अलग बैठक करने का फैसला किया है।
• इस बैठक की तैयारियों के लिए रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। सुषमा एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बीजिंग में हैं। उन्होंने वहीं मोदी की आगामी यात्र की घोषणा की। सुषमा और चीनी विदेश मंत्री के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी है जो रिश्तों में तनाव के खत्म होने के संकेत हैं।
• ऐतिहासिक होगी मोदी-चिनफिंग वार्ता : डोकलाम के बाद यह पहला मौका होगा जब भारत और चीन के बीच शीर्षस्तरीय द्विपक्षीय वार्ता होगी। वैसे दोनों नेताओं के बीच डोकलाम विवाद के दौरान और बाद में मुलाकात हुई है, लेकिन बड़े एजेंडे वाली बैठक पहली बार हो रही है। कई जानकार इसकी तुलना राजीव गांधी की वर्ष 1988 में की गई बीजिंग यात्र से कर रहे हैं जब दोनों देशों ने वर्ष 1962 की लड़ाई के साये से निकलने की शुरुआत की थी। माना जा रहा है कि दोनों नेता अगले डेढ़ दशक का द्विपक्षीय रिश्तों का एजेंडा तय करेंगे।
• मोदी की यह यात्रा इस बात का भी सुबूत होगी कि विदेश नीति को लेकर राजग सरकार किसी तीसरे देश के दबाव में नहीं है। तभी वह अमेरिका के साथ भी बेहतरीन रिश्ते बना रही है और चीन के साथ भी संबंधों को खासी तवज्जो दे रही है।
• इस मुलाकात में वह हर मुद्दा उठेगा जो अभी द्विपक्षीय रिश्तों को ठेस पहुंचा रहा है। मसलन, एनएसजी में भारत का प्रवेश, पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से में चीन का सड़क निर्माण आदि। सुषमा स्वराज के मुताबिक, ‘दोनों नेताओं के बीच बैठक बहुत महत्वपूर्ण होगी जिसमें द्विपक्षीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के अलावा लंबी अवधि में आपसी रिश्तों के भविष्य का मुद्दा भी अहम होगा।
*2. कचरे के असुरक्षित निपटारे से बिगड़े हालात*
• वैश्विक आबादी का करीब 60 फीसद बोझ उठाने वाले एशिया-प्रशांत क्षेत्र में खुले स्थानों पर ठोस कचरे के भंडारण और निपटारे से आबो-हवा और जन-जीवन पर दिनों-दिन खतरा बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय विकास केंद्र (यूएनसीआरडी) की हालिया रिपोर्ट में इस विषय पर गहरी चिंता जाहिर की गयी है।
• यह रिपोर्ट इंदौर में नौ से 12 अप्रैल के बीच संपन्न एशिया-प्रशांत क्षेत्र की आठवीं’ 3 आर फोरम’ के अध्यक्षीय सार के रूप में जारी की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि खुले स्थानों पर कचरे के ढेर लगाने और इसे खुले में ही जलाने से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के कई देशों में मिट्टी की सेहत गिरते-गिरते गंभीर स्थिति में पहुंच गई है।
• अपशिष्ट निपटान की इस अनुचित प्रवृत्ति से मनुष्यों, जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के साथ समूचे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है । रिपोर्ट में कहा गया, रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि (दुनिया में) ठोस कचरे के 50 सबसे बड़े भराव क्षेत्रों मंज से 35 प्रतिशत से ज्यादा स्थल अकेले एशिया-प्रशांत इलाके में हैं। बहरहाल, रिपोर्ट में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि ठोस कचरे की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए 3 आर (रिड्यूज, रीयूज और रीसाइकिल) फॉमरूले के आधार पर भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान और कोरिया गणराज्य में उम्दा उदाहरण पेश किए गए हैं।
• ‘‘3 आर’ फोर्मुले से आशय कचरे के उत्पादन को घटाने, पुराने सामान को अलग-अलग तरीकों से दोबारा इस्तेमाल करने लायक बनाने और रीसाइकिलिंग के जरिए पुरानी चीजों से नए उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा देने से है।
• आठवीं 3 आर फोरम के मेजबान मुल्क के प्रयासों का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में बताया गया कि ‘‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत नगरीय और कस्बाई क्षेत्रों में शत प्रतिशत ठोस कचरे का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन करने के लक्ष्य की दिशा में कदम बढाया जा रहा है।
• रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के नगरीय निकायों के 73 प्रतिशत से ज्यादा वॉडरें में घर-घर से कचरा जमा किया जा रहा है। इन निकायों के 36 प्रतिशत से ज्यादा वॉडरें में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जा रहा है, ताकि इसके निपटारे में सुविधा हो।
• आठवीं 3 आर फोरम के विशेष सत्र के दौरान एशिया-प्रशांत क्षेत्र के महापौरों ने एक ऐतिहासिक घोषणा पत्र को भी अपनाया। इसके जरिए संकल्प लिया गया कि पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील जगहों और पर्यटन स्थलों में प्लास्टिक से बनी चीजों के अवैध निपटान पर ‘‘पूर्ण प्रतिबंध’ की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा।
• मिट्टी, हवा और पानी को स्वच्छ बनाने के लिए जरूरी कदमों पर आधारित इस 11 सूत्रीय दस्तावेज को ‘‘इंदौर 3 आर घोषणापत्र’ नाम दिया गया। एशिया-प्रशांत क्षेत्र की आठवीं 3 आर फोरम में 45 देशों के करीब 300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
• भारत का आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय, जापान का पर्यावरण मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय विकास केंद्र (यूएनसीआरडी) इसके आयोजन में सहभागी थे।
*3. गांवों में छोटे-छोटे कोल्ड स्टोरेज बनाने की सिफारिश*
• कृषि से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने तैयार फलों एवं सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए दूरदराज के गांवों में सहकारी क्षेत्र में छोटे स्तर पर कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कराने की सिफारिश की है।
• हुक्मदेव नारायण यादव की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने हाल में पेश एक रिपोर्ट में फलों एवं सब्जियों को नष्ट होने से बचाने के लिए बड़े स्तर के कोल्ड चेन परियोजनाओं के साथ ही सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में सहकारिता के माध्यम से छोटे स्तर का कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने की सिफारिश की गई है।
• एक अध्ययन के अनुसार कृषि फसलों के तैयार होने के बाद खाद्यान्न, तिलहन, फलों एवं सब्जियों में चार से 16 प्रतिशत तक का नुकसान होता है, जिसकी कीमत 2014 के मूल्य सूचकांक पर करीब एक लाख करोड़ रपए सालाना है। इसमें से अधिकांश नुकसान फलों एवं सब्जियों का ही है।
• कृषि मंत्रालय के नेशनल सेंटर फार कोल्ड चेन डेवलपमेंट ने देश में केवल फलों एवं सब्जियों के लिए कोल्ड चेन सुविधाओं को लेकर एक अध्ययन कराया था। इस में कहा गया कि फलों एवं सब्जियों के लिए तीन करोड़ 51 लाख 662 टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज की जरूरत है जबकि देश में इस समय तीन करोड़ 18 लाख 23 हजार 700 टन क्षमता के ही कोल्ड स्टोरेज हैं यानी 32 लाख 77 हजार टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज की कमी है।
• बागान या खेत से फलों एवं सब्जियों को एक निश्चित तापमान पर कोल्ड स्टोरेज तक लाने के लिए 61,826 रिफर वाहनों की जरूरत है जबकि ऐसे नौ हजार वाहन ही उपलब्ध हैं।
• फलों को वैज्ञानिक तरीके से पकाने के लिए 9,131 राइप¨नग चैम्बर की जरुरत है जबकि ऐसे 812 चैम्बर ही हैं। कृषि मंत्रालय ने 238 कोल्ड चेन परियोजनाओं को सहायता उपलब्ध कराई है। इनमें से 113 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं।

 

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