_*26 April 2018(Thursday)*_

1.फुल कोर्ट मीटिंग बुलाने की मांग : सीजेआई को पत्र लिखा
• सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों-जस्टिस रंजन गोगोई और मदन लोकुर ने उच्चतर न्यायपालिका के समक्ष संस्थागत मुद्दों पर र्चचा करने के लिए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से पूर्ण अदालत की बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। यह पत्र सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए विपक्ष की ओर से दिए गए नोटिस को राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू के खारिज करने के एक दिन पहले लिखा गया।
• ऐसा समझा जाता है कि पत्र में उठाए गए मुद्दों पर सोमवार को चाय पर बुलाई गई बैठक में र्चचा हुई। इस बैठक में सभी न्यायाधीशों ने हिस्सा लिया था। इसकी वजह से अदालत की कार्यवाही 15 मिनट की देरी से शुरू हुई थी।
• सूत्रों ने बताया कि जस्टिस गोगोई और जस्टिस लोकुर ने 22 अप्रैल को दो लाइन के संयुक्त पत्र पर हस्ताक्षर किए। इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सभी 24 न्यायाधीशों की बैठक बुलाने की बात कही थी।
• इसी मुद्दे को 21 मार्च को जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर ने पहली दफा उठाया था। इसके बाद जस्टिस कुरियन जोसफ ने नौ अप्रैल को इसी तरह का पत्र लिखा था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए सात सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीशों की बेंच बनाने की मांग की थी।
• जस्टिस गोगोई और जस्टिस लोकुर द्वारा लिखे गए संक्षिप्त पत्र में सीजेआई से सांस्थानिक मुद्दों और सुप्रीम कोर्ट के भविष्य पर र्चचा करने के लिए न्यायिक पक्ष की तरफ से पूर्ण अदालत की बैठक बुलाने का अनुरोध किया गया। परम्परा के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण अदालत की बैठक में सभी न्यायाधीश शामिल होते हैं।
• इस तरह की बैठक सीजेआई आम तौर पर न्यायपालिका से संबंधित सार्वजनिक महत्व के मामलों पर र्चचा के लिए बुलाते हैं। सोमवार की सुबह चाय पर बैठक नायडू द्वारा महाभियोग नोटिस को खारिज करने की घोषणा किए जाने के तुरंत बाद बुलाई गई थी।
• सूत्रों ने बताया कि सीजेआई ने बैठक के नतीजे और खासतौर पर पूर्ण अदालत की बैठक के संबंध में कुछ भी नहीं कहा।
*2. भारत, मंगोलिया आतंकवाद से निपटने पर सहमत*
• विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को अपने मंगोलियाई समकक्ष दमदिन सोगतबातर के साथ आतंकवाद पर र्चचा की। दोनों नेताओं ने आतंकी समूह बनाने और उनका समर्थन करने वालों से मिलकर मुकाबला करने पर सहमति जताई।सुषमा चीन का दौरा पूरा करने के बाद मंगलवार को मंगोलिया की राजधानी पहुंचीं।
• सुषमा ने देश के व्यापारिक समुदाय को भारत के विकास से आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह किया। वह यहां भारत-मंगोलिया संयुक्त परामर्श समिति (आईएमजेसीसी) के छठे संस्करण की सह-अध्यक्षता करेंगी, जिसमें आर्थिक, ऊर्जा, राजनीतिक, रणनीतिक, शिक्षा और सांस्कृतिक संबंधों समेत विभिन्न मुद्दों पर र्चचा होगी। सुषमा 42 सालों में मंगोलिया का दौरा करने वाली भारत की पहली विदेशमंत्री हैं।
• नरेंद्र मोदी 2015 में इस एशियाई देश की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। उनके दौरे से चीन की व्याकुलता बढ़ गई थी। सोगतबातर के साथ बातचीच के बाद सुषमा ने कहा, हमने विशेष रूप से आतंकवाद और मानवता को प्रभावित करने वाली नियंतण्र चुनौतियों पर र्चचा की और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस बुराई को जड़ से उखाड़ने के लिए द्विपक्षीय सहयोग पर हम सहमत हुए हैं।
• भारत मंगोलिया को पूर्वी एशिया में स्थिरता के एक कारक के रूप में देखता है। देश का सामाजिक और आर्थिक विकास क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए जरूरी है। भारत वर्तमान में मंगोलिया को उसकी पहली तेल रिफाइनरी के निर्माण में एक अरब डॉलर की मदद कर रहा है।सुषमा ने कहा, उन्होंने तेल रिफाइनरी परियोजना और जारी अन्य परियोजनाओं की समीक्षा की है।
• उन्होंने कहा, भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। अपने विशाल प्राकृतिक संसाधनों और विकास की मजबूत अकांक्षा के साथ मंगोलिया भारत की विकास की कहानी में एक अहम साझेदार हो सकता है। दोनों देशों ने आईटी, आधारभूत संरचना, ऊर्जा और सेवा समेत नए क्षेत्रों में सहयोग की पहचान की है।
• दोनों देश व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत और तार्किक बाधाएं दूर करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने भारत का दौरा करने वाले और बौद्ध अध्ययन क्षेत्र में शामिल होने वाले मंगोलियाई विद्यार्थियों को नई छात्रवृत्ति देने की घोषणा की।
*3. ईरान संग नया परमाणु करार संभव : ट्रंप, मैक्रॉन*
• ईरान के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका अगर 2015 के परमाणु समझौते से अलग होने का फैसला लेता है तो ऐसी स्थिति में उनका देश भी प्रतिक्रियास्वरूप परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) तोड़ने के कदम पर विचार कर सकता है।
• ईरान के सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शमखानी ने कहा, एनपीटी के मुताबिक, इस समझौते में शामिल देशों को अगर यह लगता है कि यह संधि उनके हित में नहीं है तो वे इससे अलग हो सकते हैं और ईरान के लिए भी यह विकल्प खुला है। शमखानी ने यह टिप्पणी एक अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होने के लिए रूस रवाना होने से पहले की। ईरान को संयुक्त व्यापक कार्य योजना के नाम से प्रसिद्ध जनवरी 2016 से प्रभावी परमाणु समझौते से कोई लाभ नहीं हो रहा।
• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व उनके फ्रांस के समकक्ष इमैन्युअल मैक्रॉन ने कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर एक नया समझौता हो सकता है।समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, दौरे पर आए फ्रांस के राष्ट्रपति ने मंगलवार को अन्य कई मुद्दों पर द्विपक्षीय असहमति के बीच नए समझौते को तैयार करने के लिए अन्य पक्षों के साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव रखा।
• ट्रंप के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मैक्रॉन ने कहा, मौजूदा ईरान परमाणु समझौता ‘‘पर्याप्त’ नहीं है। ईरान परमाणु समझौते को अंतर्राष्ट्रीय तौर पर जेसीपीओए के नाम से जाना जाता है और इस पर 2015 में हस्ताक्षर हुआ था। हालांकि उन्होंने कहा, यह फिर भी हमें 2025 तक उसकी परमाणु गतिविधियों पर कुछ नियंतण्ररखने में समर्थ बनाता है।
• उन्होंने कहा, इसलिए हम अब से ईरान के साथ नए समझौते पर काम करना चाहते हैं।बीबीसी के मुताबिक, वार्ता के बाद ट्रंप ने भी बहुत बड़ा समझौता करने की बात कही। ट्रंप 2015 के समझौते पर अविास रखते हैं। मैक्रॉन ने कहा, नए समझौते में ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम व मध्य-पूर्व में इसकी भूमिका शामिल होनी चाहिए।
• ईरान ने अमेरिका द्वारा समझौते से हटने पर गंभीर परिणाम की चेतावनी दी है। ईरान 2015 में तेहरान पर आर्थिक प्रतिबंधों में ढील देने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रमों में कटौती पर सहमति जताई थी। बीबीसी के मुताबिक, ट्रंप 12 मई की समय सीमा वाली ईरान व विश्व शक्तियों के बीच बराक ओबामा के काल में हुए परमाणु समझौते के विस्तार को खारिज करने की धमकी दे रहे हैं।
*4. प्रेस की स्वतंत्रता मामले में भारत 138वें स्थान पर*
• प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में भारत पहले के मुकाबले दो पायदान नीचे खिसक कर 138वें स्थान पर पहुंच गया है। रैंकिंग जारी करने वाली एक प्रहरी संस्था ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इस गिरती रैंकिंग के लिए पत्रकारों के खिलाफ होने वाली हिंसा और घृणा अपराध को जिम्मेदार ठहराया।
• रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, भारत की इस गिरती रैंकिंग के लिए घृणा अपराध भी एक बड़ा कारण है। जब से नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने हैं , ¨हदु चरमपंथी पत्रकारों से बहुत ¨हसक तरीके से पेश आ रहे हैं। इसमें कहा गया, कोई भी खोजपरक रिपोर्ट जो सत्तारूढ़ पार्टी को नागवार गुजरती है या फिर हिंदुत्व की किसी प्रकार की आलोचना जैसे मामलों में लेखक या रिपोर्टर को ऑनलाइन अपमानित करने और उनको जान से मारने जैसी धमकियों की बाढ़ आ जाती है। इनमें से ज्यादातर प्रधानमंत्री की ट्रोल सेना की तरफ से आती है।
• आरएसएफ ने इसके लिए पत्रकार और कार्यकर्ता गौरी लंकेश का उदाहरण दिया, जिनकी पिछले साल सितम्बर में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट में कहा गया, समाचारपत्र संपादक गौरी लंकेश को उनके घर के बाहर गोली मार दी गई थी। ¨हदु प्रधानता, जाति व्यवस्था और महिलाओं के खिलाफ होने वाले भेदभाव की आलोचना के बाद वह घृणित भाषणों की शिकार हो गई थीं और उन्हें हत्या की धमकी मिलने लगी थी।
• आरएसएफ के मुताबिक, भारत की गिरती रैंकिंग के लिए पत्रकारों के खिलाफ होने वाली हिंसा बहुत हद तक जिम्मेदार है। ज्यादातर मामलों में अस्पष्ट स्थितियों में उनकी मौत हुई और अक्सर ऐसे मामले ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलते हैं जहां संवाददाताओं को बहुत कम मेहनताना मिलता है।
*5. रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध से बचने की कोशिश में लगा भारत*
• रूस पर अमेरिका के नेतृत्व में प्रतिबंध लगाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। ट्रंप प्रशासन रूस पर और ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने की तैयारियां कर रहा है। ऐसे में भारत ने अमेरिका से साफ तौर पर कह दिया है कि अगर प्रतिबंध की वजह से वह रक्षा उपकरण नहीं खरीद पाता है, तो यह अमेरिकी हितों के लिए भी नुकसानदेह साबित होगा।
• भारत की मंशा है कि रूस पर लगे प्रतिबंधों से उसे अलग रखा जाए। भारत की चिंता इस बात से है कि अब भी वह अपने तकरीबन 60 फीसद सैन्य साजो-सामान के लिए रूस पर निर्भर है। इसके साथ-साथ भारत एक ही देश से अधिकांश सैन्य उपकरण खरीदने की अपनी पुरानी नीति को भी तेजी से बदलने जा रहा है।
• विदेश मंत्रलय के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका को भारतीय रुख से पूरी तरह से अवगत करा दिया गया है। असल में भारत की तरफ से अमेरिकी प्रतिनिधियों के सामने तीन पहलू रखे गए हैं। सबसे पहले तो यह बताया गया है कि भारत रूस से सैन्य उपकरणों की खरीद तेजी से कम कर रहा है। भारत एक ही देश पर अपनी रक्षा जरूरतों की निर्भरता खत्म कर रहा है और इसका सबसे ज्यादा फायदा अमेरिका को हो रहा है।
• आंकड़ों में देखें तो एक दशक पहले भारत अपनी जरूरत का 80 फीसद सैन्य उपकरण रूस से खरीदता था। आज 60 फीसद के करीब कर रहा है। अमेरिकी साजो-सामान का भारत सबसे बड़े खरीदार के तौर पर उभरा है। पिछले एक दशक में भारत तकरीबन 15 अरब डॉलर के रक्षा उपकरण अमेरिका से खरीद चुका है। अमेरिका की तरफ से वर्ष 2016 में भारत को अहम सैन्य साझीदार देश घोषित करने के बाद रक्षा क्षेत्र में सहयोग और तेजी से बढ़ रहा है।
• अमेरिकी कंपनियों से बेहद आधुनिक युद्धक विमान खरीदने और उन्हें भारत में बनाने को लेकर बातचीत चल रही है। इसके अलावा अमेरिकी सहयोग से युद्धक विमान वाहक जहाज, ड्रोन तकनीक आदि भी खरीदने की वार्ता हो रही है। भारत की तरफ से ये सारी बातें अमेरिका को बताई गई हैं।1भारत की तरफ से दूसरा पक्ष यह रखा गया है कि अगर वह रूस से सैन्य उपकरण या आयुध नहीं खरीद पाएगा तो उसका असर अमेरिकी हितों पर भी पड़ेगा। क्योंकि अफगानिस्तान, हिन्द -प्रशांत क्षेत्र में भारत व अमेरिका आपसी हितों के लिए कई मोर्चे पर काम कर रहे हैं।
• विदेश मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक, तीसरा पक्ष यह रखा जा रहा है कि भारत भले ही रूस से हथियार खरीदे लेकिन वह उसका इस्तेमाल अमेरिकी हितों के खिलाफ नहीं करने वाला है। दूसरी तरफ अमेरिका से हथियार खरीदने वाले कुछ देश सीधे तौर पर भारत के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब देखना होगा कि भारत के इन तर्को का अमेरिकी प्रशासन या वहां की संसद पर कुछ असर होता है या नहीं।
*6. सरकारी योजनाओं पर खर्च होगा पीएसयू का सीएसआर फंड*
• चुनावी साल में सार्वजनिक उपक्रम अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंड की अधिकतम राशि सरकार की वरीयता के मुताबिक खर्च करेंगे। इनमें स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाओं के साथ-साथ देश के विकास में पीछे रह गए वैसे जिले शामिल हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री ने आस्पिरेशनल जिलों का नाम दिया है।
• सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों से कहा है कि उन्हें राष्ट्र निर्माण की सरकार की वरीयता के मुताबिक अपने सीएसआर फंड के खर्च का समन्वय बनाना चाहिए।1नियमों के मुताबिक मुनाफा अर्जित करने वाले प्रत्येक सार्वजनिक उपक्रम के लिए मुनाफे का दो फीसद सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य है। यह नियम निजी कंपनियों पर भी लागू होता है।
• अभी तक सभी कंपनियां इस फंड के इस्तेमाल की रूपरेखा का निर्धारण और नियोजन खुद करती रही हैं। किंतु सूत्रों के मुताबिक साल 2018-19 में सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों से एक तयशुदा अंदाज में इस फंड का इस्तेमाल करने को कहा है।1सूत्रों के मुताबिक भारी उद्योग मंत्रलय के सार्वजनिक उपक्रम विभाग ने सभी कंपनियों से कहा है कि वे अपने सीएसआर फंड का निर्धारण इस प्रकार करें कि उसके 50 फीसद का उपयोग सरकार की सालाना थीम वाली योजनाओं के लिए हो।
• इसके तहत ये कंपनियां स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाओं से जुड़ी परियोजनाओं पर राशि खर्च कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त कुल फंड की 30 फीसद राशि को 115 आस्पिरेशनल या अति पिछड़े जिलों के विकास पर खर्च करने को कहा गया है।
• डीपीई के मुताबिक फंड की शेष 20 फीसद राशि का इस्तेमाल केंद्रीय उपक्रम अपनी तरफ से चलायी जा रही परियोजनाओं पर खर्च कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि 10 अप्रैल को पीएसयू डे के आयोजन के अवसर पर डीपीई सचिव सीमा बहुगुणा ने कार्यक्रम में उपस्थित पीएसयू प्रमुखों के समक्ष इस एजेंडे को रखा।
• संसद में पेश पीएसयू सर्वे के मुताबिक साल 2016-17 में कंपनियों ने सीएसआर के तहत 3,336.50 करोड़ रुपये की राशि खर्च की थी। जबकि पिछले वित्त वर्ष में पीएसयू के पास खर्च करने के लिए 4,933.10 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध थी। इस राशि में पिछले साल की बची हुई राशि भी शामिल है।
• बीते साल सरकारी कंपनियों को 1,27,602 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। इसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में कंपनियों को सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करने के लिए करीब 2,552 करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे। बीते वर्ष की राशि जोड़कर यह रकम 4,000 करोड़ रुपये से अधिक बैठती है।
*7. इसरो ने जीसैट-11 का प्रक्षेपण टाला*
• भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अतिरिक्त तकनीकी जांच के लिए भारत में बने अपने सबसे भारी अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट -11 के फ्रेंच गुयाना के कोरू से प्रक्षेपण के कार्यक्रम में फेरबदल किया है। इसरो ने यह फैसला ऐसे समय लिया जब कुछ सप्ताह पहले सैन्य एप्लीकेशन वाला उसका संचार उपग्रह जीसैट -6 ए सटीक प्रक्षेपण के बाद लापता हो गया था।
• जीसैट -11 की 25 मई को एरियाने अंतरिक्ष रॉकेट के साथ अपने मिशन पर रवाना होने की योजना थी। इसमें 5700 किलोग्राम से अधिक का भार उठाने की क्षमता है। इसरो ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, मई 2018 में फ्रेंच गुयाना के कोरू से जीसैट -11 के प्रक्षेपण के कार्यक्रम में फेरबदल किया गया है।
• प्रक्षेपण की संशोधित तारीख बाद में बताई जाएगी। इसरो ने प्रक्षेपण की तारीख में बदलाव का कोई कारण नहीं बताया। हालांकि यूरोपीय अंतरिक्ष ट्रांसपोर्टर ‘‘एरियानेस्पेस’ ने अपनी वेबसाइट पर बयान में कहा कि ‘‘ वीए 243’ संख्या वाले एरियाने 5 के प्रक्षेपण को उपग्रह की अतिरिक्त तकनीकी जांच के लिए स्थगित किया गया है।
• इसमें कहा गया कि एरियाने 5 का प्रक्षेपण पहले 25 मई को होना था। जीसैट -11 30 मार्च को दक्षिण अमेरिका के फ्रेंच गुयाना के यूरोपीय अंतरिक्ष केन्द्र पर पहुंचा था।
• गौरतलब है कि इसरो ने हाल में कहा था कि उसने 29 मार्च को प्रक्षेपित जीसैट -6 ए से संपर्क खो दिया है और वह इससे जुड़ने का प्रयास कर रहा है।

 

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