_*27 April 2018(Friday)*_

*1.लंबी अवधि के लक्ष्यों पर पीएम मोदी और चिनफिंग की नजर*
• शुक्रवार और शनिवार को मध्य चीन के औद्योगिक शहर वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की वार्ता की सारी तैयारियां मुकम्मल है। मोदी की गुरुवार शाम को रवानगी से पहले दोनों देशों के अधिकारियों ने शीर्ष नेताओं के बीच वार्ता की रूपरेखा तैयार कर ली। उड़ान भरने से पहले मोदी ने भी ट्वीट कर वार्ता का एजेंडा तय करने में अहम भूमिका निभाई।
• उन्होंने कहा ‘रणनीतिक व लंबी अवधि के लक्ष्यों को लेकर होगी यह बातचीत।’1मोदी और चिनफिंग के बीच अगले दो दिनों तक कई दौर में बातचीत होगी। दोनों नेताओं के बीच कम से कम दो बार द्विपक्षीय मुद्दों पर अकेले में बात होगी, जबकि एक बार शीर्ष स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता होगी। दोनों देशों ने इसे एक अनौपचारिक वार्ता का नाम दिया है जिसमें आपसी रिश्तों से जुड़े हर मुद्दे को उठाया जाएगा और अहम समस्याओं का स्थायी समाधान निकालने पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। मोदी ने भी इसके संकेत दिए।
• उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं और राष्ट्रपति चिनफिंग द्विपक्षीय और वैश्विक महत्व के तमाम विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। हम खास तौर पर मौजूदा वैश्विक परिवेश के संदर्भ में राष्ट्रीय विकास के मुद्दों पर अपनी प्राथमिकताओं के बारे में भी बात करेंगे। हम रणनीतिक व लंबी अवधि के परिप्रेक्ष्य में भारत-चीन रिश्तों पर बात करेंगे।’
• बैठक से पहले चीन से भी बेहद सकारात्मक संकेत मिले। चीन की सरकारी मीडिया ने जहां मोदी व चिनफिंग की मुलाकात को ऐतिहासिक बताया, वहीं चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने उम्मीद जताई कि बैठक के बाद सैन्य स्तर पर भी भारत व चीन के रिश्तों में स्थिरता आएगी व सीमा पर शांति बनाने में मदद मिलेगी।
• विदेश मंत्रलय के सूत्रों ने बताया कि वार्ता का माहौल कुछ वैसा ही होगा जैसा 2014 में राष्ट्रपति चिनफिंग की अहमदाबाद यात्र के दौरान था। तब मोदी ने महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में चिनफिंग का स्वागत किया था। दोनों ने काफी देर तक द्विपक्षीय मसलों पर खुले माहौल में बात की थी। इस बार भी दोनों नेताओं के बीच कई दौर में वार्ता होगी।
• वुहान में चीन के पूर्व क्रांतिकारी नेता माओ से जुड़ी कई इमारतें हैं। संभव है कि चिनफिंग मोदी को उन इमारतों की सैर कराएं। चीन की सरकार कह चुकी है कि मोदी का उनकी उम्मीद से भी बेहतर तरीके से स्वागत किया जाएगा। वैसे, अहमदाबाद में चिनफिंग के स्वागत का भारत-चीन के रिश्तों पर बहुत सकारात्मक असर नहीं पड़ा था।
• असलियत में उसके बाद रिश्तों में काफी उतार देखा गया, लेकिन इस बार दोनों पक्ष उम्मीद लगा रहे हैं कि हाल के महीनों में बने तानातनी के माहौल को दूर किया जा सकेगा।
• मोदी ने जिन लंबी अवधि के लक्ष्यों की बात कही है उसमें रणनीतिक और आर्थिक दोनों होंगे। इसमें चीन की महत्वाकांक्षी बॉर्डर रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ- विभिन्न देशों को इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से जोड़ने की योजना), भारत-चीन सीमा का स्थाई समाधान निकालना, भारत के साथ व्यापार घाटे को कम करने जैसे मुद्दे भी होंगे।
• ये तीन ऐसे मसले हैं, जिनकी वजह से आपसी रिश्तों में सबसे ज्यादा तल्खी है। माना जाता है कि उन तीनों मुद्दों पर जितना ज्यादा ये देश आपसी सहमति विकसित करेंगे रिश्तों को सामान्य बनाने में उतनी ही मदद मिलेगी।
*2. भारत में बढ़ते निवेश से चीन खुश, 532 अरब के पार पहुंच चुका है कारोबार*
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वुहान दौरे से पहले चीन ने भारत में बढ़ते अपने निवेश को लेकर खुशी जताई है। उसने जानकारी दी है कि साल 2017 के अंत तक भारत में चीन का निवेश करीब 532 अरब रुपये (आठ अरब डॉलर) का आंकड़ा पार कर गया है। चीन के वाणिज्य मंत्रलय के प्रवक्ता गाओ फेंग ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
• उन्होंने भारत में बढ़ते निवेश को दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने वाला कदम बताया। फेंग ने गुरुवार को कहा कि चीनी कंपनियों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश के लिए भारत एक अहम बाजार बनता जा रहा है। चीन के लिए भारत निवेश की खातिर सबसे मुफीद साबित हो रहा है।
• उन्होंने कहा कि दोनों ही देश तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था हैं। चीन और भारत, दोनों का काफी बड़ा घरेलू बाजार है। फेंग ने कहा कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए सबसे बेहतर माध्यम है।1फेंग ने आगे कहा कि इस साल की पहली तिमाही में दोनों देशों के बीच व्यापार 15.4 फीसद बढ़ा है। इस बढ़त के साथ दोनों देशों के बीच कारोबार 22.1 अरब डॉलर (करीब 1469.65 अरब रुपये) पर पहुंच गया है।
• हालांकि यह सिर्फ आधी ही तस्वीर है, क्योंकि वित्तीय घाटा काफी ज्यादा है। इसके अलावा भारत का निर्यात सिर्फ 4.6 अरब डॉलर (करीब 305 अरब रुपये) का है। पिछले साल भारत ने चीन से 68 अरब डॉलर (करीब 4522 अरब रुपये) का सामान आयात किया।
• इसमें साल-दर-साल 16.5 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। दोनों देशों के बीच दो तरफा व्यापार 2014 में 70 अरब डॉलर से बढ़कर पिछले साल 84.4 अरब डॉलर (करीब 5612 अरब रुपये) पर पहुंच गया। इस दौरान इसमें 20 फीसद की बढ़त देखने को मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय चीन दौरे पर हैं।
• इस दौरान वह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ व्यापारिक असंतुलन और चीन में भारत के निर्यात को बढ़ावा देने को लेकर बात कर सकते हैं। वैसे दोनों नेताओं के बीच क्या और किन मुद्दों को लेकर बात होगी, इसका कोई एजेंडा तय नहीं है। उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के साथ ही कई वैश्विक मुद्दों को लेकर बात करेंगे।
*3. जोसेफ की नियुक्ति पर सियासी जंग*
• सरकार ने उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को शीर्ष अदालत में न्यायाधीश बनाने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने को कहकर न्यायपालिका के साथ नए टकराव को बृहस्पतिवार को जन्म दे दिया। सरकार ने कहा कि न्यायमूर्ति जोसफ को उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत करना उचित नहीं होगा।
• सरकार को कॉलेजियम के मुखिया प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा से तुरंत समर्थन मिला। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि कार्यपालिका को न्यायमूर्ति जोसफ का नाम पुनर्विचार के लिए वापस भेजने और दूसरे नाम को स्वीकार करने का पूरा हक है। भले ही दोनों नामों की सिफारिश एकसाथ कॉलेजियम ने की थी।
• वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति जोसफ की उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए सिफारिश कॉलेजियम ने इस साल जनवरी में की थी।न्यायमूर्ति मिश्रा को लिखे पत्र में केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि न्यायमूर्ति जोसफ का नाम सरकार की ओर से पुनर्विचार के लिए भेजने को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मंजूरी हासिल है। साथ ही पत्र में यह भी कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय में लंबे समय से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व नहीं है।
• प्रसाद ने पत्र में कहा है, इस मौके पर जोसफ की उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति का प्रस्ताव उचित नहीं लगता है।पत्र में कहा गया है, यह विभिन्न उच्च न्यायालयों के अन्य वरिष्ठ, उपयुक्त और योग्य मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ भी उचित और न्यायसंगत नहीं होगा। सैद्धांतिक तौर पर कॉलेजियम सरकार के प्रस्ताव को अब भी खारिज कर सकती है और विधि मंत्रालय को न्यायमूर्ति जोसफ का नाम दोबारा भेज सकती है।
• विधि मंत्रालय उसके बाद भावी कार्रवाई पर फैसला कर सकता है।प्रसाद ने अपने पत्र में न्यायमूर्ति मिश्रा से कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय की सिफारिश को अलग करने पर मजबूर है। पहले भी उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में कई प्रस्तावों को अलग किया गया है।
• प्रधान न्यायाधीश को बृहस्पतिवार सुबह भेजे गए अपने छह पन्नों के पत्र में केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में न्यायमूर्ति जोसफ 42 वें नंबर पर आते हैं। उन्होंने कहा, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में फिलहाल विभिन्न उच्च न्यायालयों के 11 मुख्य न्यायाधीश हैं, जो उनसे वरिष्ठ हैं।
• पत्र में कहा गया है कि न्यायमूर्ति जोसफ के मूल उच्च न्यायालय केरल उच्च न्यायालय का शीर्ष अदालत और अन्य उच्च न्यायालयों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व है।
*4. शांत और स्थिर पड़ोस पाक की विदेश नीति की प्राथमिकता : लोधी*
• संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राज दूत मलीहा लोधी ने कहा है कि शांतिपूर्ण और स्थिर पड़ोस पाकिस्तान की विदेश नीति की प्राथमिकता है और इसके लिए भारत के साथ स्थाई आधार पर संबंधों को सामान्य करने की आवश्यकता है।
• संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी मिशन की ओर से जारी बयान के अनुसार, मलीहा लोधी ने ‘‘यूएस वॉर कॉलेज’ के प्रतिनिधिमंडल को बताया कि विदेश नीति के मोर्चे पर अन्य देशों के साथ पाकिस्तान के संबंध और उसकी रणनीति अहम राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर तय होती है।
• उन्होंने कहा, लंबे समय के लिए शांति स्थापित करने के लिए ना सिर्फ आतंकवाद एवं चरमपंथ का खात्मा करना बल्कि ऐसा माहौल तैयार करना भी जरूरी है जहां ¨हसक चरमपंथी सांस ना ले सके।विज्ञप्ति में उनके हवाले से कहा गया कि विदेश नीति की अन्य महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में शांतिपूर्ण पड़ोस का निर्माण भी शामिल है।
• उन्होंने कहा, लंबे विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे के लिये अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता को बढावा देना और टिकाऊ आधार पर भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की आवश्यकता है। अन्य अहम प्राथमिकता में क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण एवं संपर्क को बढावा देना शामिल है।
• उन्होंने कहा कि सुरक्षा के मोर्चे पर पाकिस्तान एक व्यापक रणनीति के तहत सभी आतंकवादी समूहों का सफाया करने की मांग करता है। इसमें कानून प्रवर्तन की सख्त कार्रवाई एवं लक्षित सैन्य अभियानों के साथ साथ ‘‘¨हसक चरमपंथ एवं इसके नफरत फैलाने वाले बयानों’ से निपटने के लिये कार्रवाई शामिल है।
*5. पाक के विदेशमंत्री संसद के लिए अयोग्य करार*
• इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को पाकिस्तान के विदेशमंत्री ख्वाजा आसिफ को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य करार दे दिया। आसिफ पर आरोप है कि उन्होंने 2013 में चुनाव लड़ते वक्त संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अपने ‘‘इकामा’ (वर्क परमिट) का ब्योरा छुपाया।
• हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता उस्मान डार की याचिका पर यह फैसला सुनाया। डार ने यूएई का ‘‘इकामा’ रखने के मामले में संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के तहत विदेशमंत्री आसिफ को अयोग्य करार देने की मांग की थी। साल 2013 में आसिफ के खिलाफ चुनाव हार चुके डार ने संसद सदस्य के रूप में आसिफ (68) की योग्यता को चुनौती दी थी। आसिफ ने चुनाव लड़ते वक्त कथित तौर पर अपनी नौकरी और अपने वेतन की घोषणा नहीं की थी।
• पीठ ने एकमत से फैसला सुनाया कि आसिफ ‘‘सच्चे’ और ‘‘ईमानदार’ नहीं थे। इस फैसले के बाद आसिफ किसी सार्वजनिक पद या पार्टी में किसी पद पर नहीं रह पाएंगे। पीटीआई के नेता डार ने अदालत से आसिफ को अयोग्य करार देने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि अपने बेटों की कंपनी में काम करने का ‘‘इकामा’ रखने और अपने ‘‘प्राप्त किए जा रहे वेतन’ की घोषणा नहीं करने पर उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल ही नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दे दिया था।
• याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इंटरनेशनल मेकेनिकल एंड एलेक्ट्रिकल कंपनी (इमेको) के साथ आसिफ का असीमित कार्यकाल के रोजगार का अनुबंध था।
• उन्हें जुलाई 2011 में पूर्णकालिक कर्मी के तौर पर नियुक्त किया गया था और वे विभिन्न पदों पर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि अनुबंध के तहत आसिफ को 35,000 एईडी मासिक वेतन और 15,000 एईडी मासिक भत्ते के तौर पर मिलने थे जिसकी उन्होंने घोषणा नहीं की। सुनवाई के दौरान आसिफ ने कंपनी का एक पत्र सौंपा था कि वह पूर्णकालिक कर्मी नहीं हैं और उन्होंने महज परामर्शदाता के रूप में सेवाएं दी थी जिनकी मौजूदगी यूएई में जरूरी नहीं थी।
• न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह, न्यायमूर्ति आमेर फारूक और न्यायमूर्ति मोहसीन अख्तर कल्याणी की पीठ ने 10 अप्रैल तक के लिए फैसले को सुरक्षित रखा था। आसिफ सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के शीर्ष नेताओं में से हैं और जून के बाद होने जा रहे चुनावों से पहले उन्हें अयोग्य करार दिया जाना पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
*6. बीजों के व्यापार के लिए पोर्टल लांच*
• एक सरकारी बयान में कहा गया है कि व्यापार प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए बीजों के आयात-निर्यात पोर्टल को विकसित किया गया है। सिंह ने कहा कि बीजों की सभी विभिन्न फसलों के किस्मों के निर्यात पर लगी पाबंदियों को बीज निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हटा लिया गया है।
• उन्होंने कहा कि इस पोर्टल के शुरु होने से सभी बीजों का आयात-निर्यात करने वाली संस्थाओं को आवेदन पत्र की 20 प्रतियों में जमा करने की आवश्यकता नही होगी। बयान में कहा गया है कि विभाग के कर्मचारियों को भी आयात-निर्यात आवेदनों के निपटान की प्रक्रिया में सुगमता होगी।
*7. कृषि में निजी क्षेत्र को शामिल करने का सुझाव*
• भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के नवनियुक्त अध्यक्ष राकेश भारती मित्तल का मानना है कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए खेती में निजी क्षेत्र को लाना और कृषि कारोबार में निवेश बढ़ाना जरूरी है।
• मित्तल ने विशेष बातचीत में कहा, ‘‘किसान उच्च नकदी फसलों, खेती के विविधीकरण में जाने को तैयार नहीं है, क्योंकि पहले वह सुरक्षा कवच चाहता है। ऐसे में यदि सरकार वास्तव में किसानों की आय को दोगुना करना चाहती है और यह प्रधानमंत्री का विजन और मिशन है, तो कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी महत्वपूर्ण हो जाती है।इसके साथ ही मित्तल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए नीति आयोग को प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए राज्यों के बीच कृषि कारोबार सुगमता रैंकिंग तय करनी चाहिए।
• कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिये उन्होंने भूमि, बिजली, पानी के क्षेत्र में नीतियों में सुधार लाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब तक केवल उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की बात की जाती रही है, पहली बार किसानों की आय बढ़ाने की बात की गई है। सरकार ने पांच साल में किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए एमएसपी को फसलों की लागत के डेढ़ गुना पर तय करने का फैसला किया गया है।
• मित्तल ने कहा कि किसानों की आय में वृद्धि के लिए किसानों की जमीन कंपनियों को लंबी अवधि के लिए पट्टे पर देने की शुरुआत होनी चाहिए। इसमें जमीन का मालिना हक भूमिधारी के ही पास रहेगा। मित्तल ने कहा कि भूमि को कम से कम छह साल अथवा इससे अधिक समय तक पट्टे पर देने की सुविधा मिलने पर किसानों की आय में 50% वृद्धि होगी।
*8. जीडीपी में योगदान के मामले में राष्ट्रीय औसत से भी आगे हैं हिमाचल की घरेलू महिलाएं*
• अपने घर में पूरे साल बिना वेतन और अवकाश के परिवार के काम में जुटी रहने वाली हिमाचल प्रदेश की महिलाओं का प्रदेश के वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 12.80 फीसद योगदान है। देश के जीडीपी में ऐसी घरेलू महिलाओं का योगदान 9.83 फीसद है, लेकिन हिमाचल प्रदेश की महिलाएं इस मामले में राष्ट्रीय औसत से भी आगे हैं।
• हिमाचल प्रदेश पहला राज्य है जहां आर्थिकी एवं सांख्यिकी विभाग ने बिना वेतन कार्य करने वाली घरेलू महिलाओं की आय व प्रदेश की आर्थिकी में उनके योगदान पर सर्वे किया है। सर्वे में घरेलू महिलाओं की बिना वेतन किए जा रहे कार्यो की कीमत 9479 रुपये मासिक आंकी गई है। प्रदेश के आर्थिकी एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा घरेलू महिलाओं के योगदान को अनुमान लगाने के लिए सर्वे वर्ष 2015-16 में किया गया।
• इसके लिए घरेलू व शहरी क्षेत्र की महिलाओं के कार्यो को आंका गया। सर्वे में 80 फीसद ग्रामीण व 20 फीसद शहरी महिलाओं को शामिल किया गया। प्रदेश की आय में शहरी घरेलू महिलाओं की अपेक्षा कृषि कार्य में जुटी घरेलू महिलाओं का ज्यादा योगदान है। सर्वे में 15 वर्ष से अधिक आयु की युवतियों और महिलाओं के योगदान का आकलन किया गया।
• सर्वे के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में बिना वेतन घरेलू कार्य में लगी महिलाओं के कार्यो की कीमत ज्यादा, जबकि शहरी घरेलू महिलाओं के कार्यो की कीमत कम आंकी गई है। इसका अर्थ है कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं शहरी क्षेत्रों की घरेलू महिलाओं से ज्यादा कार्य कर रही हैं। वे बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के कार्यो के साथ खेतीबाड़ी व पशुपालन भी करती हैं।
• क्या है जीडीपी : जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद में किसी प्रदेश या देश को होने वाली आय को शामिल किया जाता है। यह अर्थव्यवस्था की मजबूती का पैमाना माना जाता है। इसमें कृषि, बागवानी, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, पर्यटन सहित अन्य क्षेत्रों से होने वाली आय को शामिल किया जाता है।

 

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