_*05 May 2018(Saturday)*_

*1.जीएसटीएन बनेगी सरकारी कंपनी*
• जीएसटीएन परिषद को सरकारी कंपनी बनाए जाएगा। कंपनी की शेयरधारिता में बदलाव के लिए जीएसटी परिषद की बैठक में मुहर लगा दी गई। इस कंपनी में केंद्र और राज्यों की 50-50 फीसद हिस्सेदारी होगी।
• वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की शुक्रवार को यहां हुई बैठक में यह फैसला लिया कि जीएसटीएन की 51 फीसद हिस्सेदारी जो फिलहाल गैर सरकारी संस्थानों के पास है, उसे केंद्र और राज्य सरकार को दिया जाएगा। जीएसटीएन का गठन एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में 28 मार्च, 2013 को कंपनी अधिनियम की धारा आठ के तहत किया गया था।
• इस उद्देश्य देश में जीएसटी लागू करने में केंद्र एवं राज्यों सरकारों के साथ करदाताओं और अन्य हितधारकों को साझी आईटी संरचना और सेवा उपलब्ध कराना है।फिलहाल जीएसटीएन में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के पास 24.5-24.5 फीसद की बराबर हिस्सेदारी है और शेयर 51 फीसद हिस्सेदारी गैर सरकारी संस्थानों की है।
• जीएसटीएन पंजीकरण, रिटर्न फाइलिंग, कर भुगतान, रिफंड प्रक्रिया को देखती है और लाखों कारोबारों के आयात-निर्यात समेत कई आंकड़े इसकी निगरानी में हैं जिसे देखते हुए जीएसटी परिषद ने इसे पूर्णत: सरकारी कंपनी बनाने को अपनी मंजूरी दी है।
• परिषद् ने कहा कि जीएसटीएन बोर्ड मौजूदा कर्मचारियों को मौजूदा नियमों एवं शतरें के आधार पर पांच साल तक के लिए रख सकती है। पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए परिषद् की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की।
• परिषद ने रिटर्न भरने के लिए नया सरल फार्म जारी किया है जिसके तहत करदाता को एक महीने में एक ही रिटर्न भरना होगा। हालांकि इस प्रक्रिया को अस्तित्व में आने में छह महीने लग जाएंगे।
*2. एक्ट ईस्ट नीति में पूर्वोत्तर में प्रगति की समीक्षा*
• विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक्ट ईस्ट नीति में पूर्वोत्तर के राज्यों में नीतिगत समन्वय सुनिश्चित करने तथा भारत एवं आसियान देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के तहत ढांचागत विकास को गति देने के उद्देश्य से क्षेत्र के सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ विचार मंथन किया।
• पूर्वोत्तर के विचारों का एक्ट ईस्ट नीति में एकीकरण के एजेंडे पर आयोजित स्वराज की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव देव, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, नगालैंड के मुख्यमंत्री नेउफिउ रियो, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनार्ड संगमा, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और मिजोरम के मुख्यमंत्री लाल थनहवला उपस्थित थे।
• सोनोवाल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों ने एक्ट ईस्ट नीति को लेकर अपने-अपने विचार रखे और अपने-अपने राज्यों में कनेक्टिविटी, संचार, जलमार्ग, ढांचागत विकास आदि को लेकर उठाये जा रहे कदमों एवं प्रगति की जानकारी साझा की। पर्यटन, चिकित्सा, पर्यावरण आदि क्षेत्रों में विकास के लिए भी बात हुई।
• आने वाले दिनों में पूर्वोत्तर किस तरह से एकरूपता से काम करे, इसकी रूपरेखा पर भी बात हुई।उन्होंने कहा कि यह एक सार्थक एवं व्यावहारिक र्चचा हुई। बैठक में संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को भी राज्यों की जरूरतों के हिसाब से तेजी से कदम उठाने के लिए निर्देशित किया गया।
• उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि पूर्वोत्तर के राज्यों के माध्यम से ही आसियान देशों के साथ भारत के कारोबारी संबंध माबूत होंगे। बैठक में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह, विदेश सचिव विजय गोखले, सचिव (पूर्व) प्रीति सरन के अलावा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, पर्यटन एवं पूर्वोत्तर विकास परिषद के सचिवों को आमंत्रित किया गया है।
• बैठक में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, वाणिज्य एवं उद्योग, नागरिक उड्डयन, गृह मंत्रालय एवं विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में मुख्यमांियों के साथ उनके राज्यों के शीर्ष अधिकारी भी उपस्थित थे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 25 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आयोजित भारत आसियान मैत्री शिखर सम्मेलन के बाद हुई इस बैठक में भारत की एक्ट ईस्ट नीति और पूर्वोत्तर क्षेत्र की भूमिका को लेकर प्रधानमंत्री के विजन को रेखांकित किया गया।
*3. जजों की नियुक्ति पर सरकार और न्यायपालिका फिर आमने-सामने*
• न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और सरकार के बीच चल रहा परोक्ष टकराव शुक्रवार को खुलकर सामने आ गया। हाई कोर्टो में जजों के रिक्त पड़े पदों के लिए दोनों एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते नजर आए। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति की कोलेजियम की सिफारिशें लंबित रखने पर सरकार से सवाल किया तो सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि कोलेजियम रिक्तियों के अनुपात में कम नामों की सिफारिश करता है, उसे भी एडवांस में सिफारिश करनी चाहिए। अगर कोलेजियम की सिफारिश ही नहीं होगी तो कुछ नहीं किया जा सकता।
• सरकार व न्यायपालिका के बीच यह खुला वाद-विवाद शुक्रवार को जस्टिस मदन बी. लोकुर व दीपक गुप्ता की अदालत में उस समय हुआ जब उत्तर पूर्वी राज्यों के हाई कोर्टो में जजों की कमी और खाली पड़े पदों का मामला उठा।
• अभी जस्टिस केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नति का मामला ठंडा नहीं पड़ा है। सरकार ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत करने की कोलेजियम की सिफारिश पुनर्विचार के लिए वापस कर दी है। गत बुधवार को कोलेजियम उस पर पुनर्विचार के लिए बैठा भी था, लेकिन फैसला टाल दिया गया।
• जस्टिस मदन बी. लोकुर कोलेजियम के सदस्य हैं। कोलेजियम के न्यायाधीश पहले भी सरकार द्वारा सिफारिशें दबाकर बैठ जाने के रवैये पर प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर एतराज जता चुके हैं। हालांकि प्रधान न्यायाधीश पद से टीएस ठाकुर के सेवानिवृत्त होने के बाद यह पहला मौका था जब शीर्ष अदालत ने जजों की नियुक्ति संबंधी कोलेजियम की सिफारिशों पर सरकार से खुली अदालत में हिसाब मांगा है।
• शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा, कोलेजियम से भेजे गए कितने नामों की सिफारिश सरकार के पास लंबित है। वेणुगोपाल ने कहा,उन्हें पता करना होगा। इस पर कोर्ट का जवाब था, जब बात सरकार पर आती है तो कहा जाता है कि पता करेंगे। वेणुगोपाल ने कहा, कोलेजियम को भी व्यापक नजरिया रखना चाहिए। उसे एडवांस में ज्यादा नामों की सिफारिश भेजनी चाहिए।
• कुछ हाई कोर्टो में 40 रिक्तियां हैं जबकि कोलेजियम ने तीन-चार नामों की ही सिफारिश की है। इसके बाद कहा जाता है कि सरकार रिक्तियां भरने में सुस्ती दिखा रही है। वेणुगोपाल के इन जवाबों पर कोर्ट ने कहा, कोलेजियम ने 19 अप्रैल को जस्टिस एम. याकूब मीर और जस्टिस रामलिंगम सुधाकर को मेघालय और मणिपुर हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी। उसका क्या हुआ।
• सरकार ने अभी तक उसे मंजूरी नहीं दी है। वेणुगोपाल ने कहा,उस पर जल्द ही फैसला करके आदेश जारी होगा, लेकिन नाराज पीठ ने कहा, जल्दी का क्या मतलब है? क्या तीन महीने लगेंगे।
• यह मामला एक स्थानांतरण याचिका का था जिसमें एक व्यक्ति ने मणिपुर हाई कोर्ट से मामला गुवाहाटी स्थानांतरित करने की मांग की है। कोर्ट ने पाया कि उत्तर पूर्वी राज्यों मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा की हाई कोर्टो में जजों की कमी के चलते स्थिति विकट बनी हुई है। मणिपुर हाई कोर्ट में जजों के सात पद हैं जिनमें से सिर्फ दो भरे हैं। मेघालय में चार के मुकाबले और त्रिपुरा में चार के बजाए सिर्फ दो पद भरे हैं।
• सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने मणिपुर के एडीशनल जज सांगखुपोंग सेरतो का मुद्दा उठाया जिन्हें कोलेजियम ने स्थायी जज नियुक्त करने की सिफारिश की है, लेकिन कहा है कि वह गुवाहाटी हाई कोर्ट में स्थानांतरण पर काम करते रहेंगे। वेणुगोपाल ने कहा,यह बहुत अजीब सिफारिश है।
• सेरतो को मणिपुर भेजा जाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा, समस्या सिर्फ मणिपुर में नहीं है। मेघालय और त्रिपुरा में भी यही हाल है। कोर्ट ने सरकार से 10 दिनों में हलफनामा दाखिल कर मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा की रिक्तियों पर जवाब मांगा है।
*4. कारोबारी संधि की राह पर अमेरिका-चीन*
• ट्रेड वार को लेकर अमेरिका-चीन समझौते की राह पर आगे बढ़ते दिख रहे हैं। खबरों के मुताबिक, दो दिन की बातचीत के बाद दोनों देशों में कुछ आर्थिक और कारोबारी मुद्दों पर सहमति बन गई हैं। हालांकि अब भी कई मसले अनसुलङो हैं।
• अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीवन न्यूचिन की अगुआई में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने चीनी पक्ष से दो दिन चर्चा की। न्यूचिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष राजदूत भी हैं। चीनी पक्ष की अगुआई उप प्रधानमंत्री लियु ही ने की। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, चीन और अमेरिका कुछ आर्थिक और कारोबारी मसलों को सुलझाने पर सहमत हो गए हैं। दोनों पक्षों ने बेहतर संवाद के लिए कार्यप्रणाली विकसित करने पर भी सहमति जताई है। हालांकि अब भी बहुत से ऐसे मसले हैं, जिन पर दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बनी है।
• साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट ने एक आधिकारिक बयान के हवाले से बताया कि दोनों पक्षों ने चीन में अमरिकी निर्यात, द्विपक्षीय निवेश, बौद्धिक संपदा संरक्षण और आयात पर शुल्क लगाने जैसे मसलों पर चर्चा की। चीन के वाणिज्य मंत्रलय ने एक बयान में कहा कि चर्चा के दौरान चीन की कंपनी जेडटीई पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध पर विरोध भी जताया गया।
• महीनेभर पहले डोनाल्ड ट्रंप की ओर से चीन से आयातित इस्पात और एल्युमीनियम पर भारी-भरकम शुल्क लगाने की घोषणा के बाद से दोनों देशों में तनातनी का माहौल है। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका से आयात किए जाने वाले 128 उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने का एलान कर दिया था।
• इस तनातनी के बाद से ही दोनों देश बातचीत से मसले को हल करने का प्रयास कर रहे हैं। चीन के साथ कारोबार में अमेरिका का व्यापार घाटा करीब 500 अरब डॉलर का है। अमेरिका 2020 के अंत तक इसे 200 अरब डॉलर तक समेटने के लिए चीन पर दबाव बना रहा है। अमेरिका ने चीन को निर्यातकों को दी जा रही सब्सिडी रोकने को भी कहा है।
*5. एक्सोप्लैनेट के आस-पास पहली बार हीलियम गैस का पता चला*
• ब्रह्माण्ड अनंत रहस्यों को खुद में समेटे हुए है। खगोलविद निरंतर इसके रहस्यों पर से पर्दा उठाने का प्रयास करते रहते हैं। इसी कड़ी में इस बार उन्हें एक अहम जानकारी हाथ लगी है। दरअसल, हमारे सौर मंडल से बहुत दूर स्थित एक तारे की कक्षाओं में मौजूद एक ग्रह के वातावरण में हीलियम गैस का पता चला है।
• यह पहली बार है, जब खगोलविदों को किसी एक्सोप्लैनेट के आस-पास हीलियम गैस के होने की जानकारी प्राप्त हुई है।1ब्रिटेन स्थित एक्सेटर यूनिवर्सिटी की जेसिका स्पेक के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने यह खोज की है। इस दल को धरती से 200 प्रकाश वर्ष दूर कन्या नक्षत्र में मौजूद सुपर नेपच्यून एक्सोप्लैनेट डब्ल्यूएएसपी-107बी पर इस निष्क्रिय गैस के सुबूत मिले हैं।
• नेचर नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, हबल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से इस एक्सोप्लैनेट पर हीलियम गैस की प्रचुर मात्र होने का पता 2017 में लगा था। जांच के बाद अब इसके पुष्टि हुई है। एक्सेटर यूनिवर्सिटी के टॉम इवांस के मुताबिक, हमने पाया कि हीलियम ग्रह के चारों और हल्के बदलों की तरह दूर तक फैली हुई है।
• क्यों अहम है खोज : शोधकर्ताओं के मुताबिक, ब्रह्माण्ड में हीलियम दूसरा सामान्य तत्व है। हमेशा से अनुमान लगाया जाता रहा है कि विशाल एक्सोप्लैनेट्स के आस-पास यह गैस मौजूद होगी। हालांकि यह पहली बार है जब वैज्ञानिक किसी एक्सोप्लैनेट के वातावरण में इसका पता लगाने में सफल हुए हैं। अब इस विधि से इस गैस के जरिये और एक्सोप्लैनेट का पता लगाया जा सकेगा। इतना ही नहीं उनके ऊपरी वातावरण की जानकारी भी हो सकेगी।

 

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