दैनिक समसामयिकी

03 June 2018(Sunday)

1.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस्रइल मुद्दे पर वोटिग : अलग-थलग पड़ा अमेरिका
• संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फिलिस्तीन पर दो प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान इस्रइल के बचाव में अमेरिका पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गया। इनमें से एक प्रस्ताव कुवैत ने पेश किया जबकि अमेरिका ने उसके विरोध में प्रस्ताव पटल पर रखा। सुरक्षा परिषद में इन दोनों प्रस्तावों पर वोटिंग हुई।इस दौरान अमेरिका के निकटतम सहयोगियों ने भी अमेरिका का साथ छोड़ दिया जबकि संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थाई प्रतिनिधि निकी हेली ने कुवैत की ओर से पेश प्रस्ताव पर वीटो कर दिया और उसके विरोध में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे सिर्फ एक ही वोट मिला।
• इस दौरान सुरक्षा परिषद में हमास का मुद्दा छाया रहा। निकी ने कहा, गाजा में हिंसा के लिए हमास की ¨नदा की जानी चाहिए। कुवैत के मसौदा प्रस्ताव में पिछले महीने गाजा सीमा के पास फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों पर इजरायली सेना द्वारा बलप्रयोग की ¨नदा करने की मांग की गई। इस प्रस्ताव के पक्ष में 10 वोट पड़े जबकि अमेरिका ने इसके विरोध में वीटो कर दिया। वहीं, इथियोपिया, नीदरलैंड्स, पोलैंड और ब्रिटेन वोटिंग से दूर रहे।
• हेली ने गाजा में संघर्ष के लिए ‘‘आतंकी संगठन हमास’ को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह प्रस्ताव एकतरफा है क्योंकि इसमें सिर्फ इस्रइल को जिम्मेदार ठहराया गया है।हेली ने कुवैत के प्रस्ताव के विरोध में प्रस्ताव पेश किया, जिसमें हमास का आतंकी संगठन के तौर पर उल्लेख किया गया और गाजा में फिलिस्तीनी सेना द्वारा इस्रइल की ओर अंधाधुंध रॉकेट दागे जाने की निंदा की गई।
• अमेरिका के इस प्रस्ताव के पक्ष में सिर्फ खुद उन्होंने ही वोट दिया जबकि कुवैत, रूस और बोलीविया ने इसके विरोध में वोट किया और बाकी 11 देश इससे दूर रहे। हेली ने कहा, यह अब स्पष्ट है कि संयुक्त राष्ट्र इजरायल को लेकर पक्षपाती है। अमेरिका इस तरह के पक्षपात की अनुमति नहीं देगा।संयुक्त राष्ट्र में कुवैत के स्थाई प्रतिनिधि मंसूर अय्यद अलोतैबी ने इस प्रस्ताव को पेश करने से पहले परिषद के सदस्यों के साथ कई दिनों तक र्चचा की थी। हालांकि, वह इस प्रस्ताव को लेकर पर्याप्त समर्थन बटोरने में कामयाब रहे थे लेकिन वह अमेरिका को इस पर वीटो करने से नहीं रोक सके।
• इसके विपरीत हेली ने अमेरिकी प्रस्ताव पेश करने से पहले सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों से र्चचा नहीं की थी। परिषद में फ्रांस के स्थाई प्रतिनिधि फ्रांसिस डेलाट्रे ने कहा कि अमेरिकी प्रस्ताव बिना किसी र्चचा के पेश हुआ और इसमें फिलीस्तीन संघर्ष को लेकर संतुलित रुख नहीं झलकता।

2. मैटिस मिले मोदी से, हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर हुई बात
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से शनिवार को यहां मुलाकात की और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा हालात के साथ ही पारस्परिक एवं नियंतण्र हितों के मुद्दों पर र्चचा की। मैटिस यहां‘‘शांगरी ला डॉयलॉग’में भाग लेने आए हैं। इस दौरान उन्होंने मोदी से अलग से मुलाकात की।
• मोदी ने एक दिन पहले एशिया की सुरक्षा को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य व्याख्यान में एशिया में नियम आधारित व्यवस्था तथा एक खुले एवं समावेशी हिन्द प्रशांत क्षेत्र की वकालत की थी जिसके केंद्र में आसियान हो। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया, मोदी और मैटिस की बातचीत हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर प्रधानमंत्री के व्याख्यान के संदर्भ में हुई है।
• उन्होंने बताया कि करीब एक घंटे तक एकांत में हुई बातचीत के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे। मैटिस ने यहां अपने व्याख्यान में मोदी के भाषण और भारत के महत्व का उल्लेख किया और कहा कि वह प्रधानमंी के दृष्टिकोण का पूरा समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, अमेरिका, भारत, आसियान, अपने अन्य साझेदारों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर ऐसा हिन्द प्रशांत क्षेा बनाना चाहता है जहां संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता सुरक्षित हो, स्वतंत्रता का वादा पूरा होता हो तथा सबकी समान समृद्धि हो। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणियों ने शुक्रवार शाम हिन्द प्रशांत क्षेा में एक नेता और जिम्मेदार प्रबंधक के रूप में भारत की भूमिका को रेखांकित किया है।
• उन्होंने कहा, अमेरिका क्षेत्रीय एवं नियंतण्र सुरक्षा में भारत की भूमिका को महत्व देता है। हम भारत-अमेरिका संबंधों को रणनीतिक हितों, समान मूल्यों एवं एक नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की समान सोच के आधार पर विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच एक प्राकृतिक साझेदारी के रूप में देखते हैं।

3. लघु जलविद्युत परियोजनाओं से जैव विविधता को नुकसान
• लघु जलविद्युत परियोजनाओं को स्वच्छ ऊर्जा का स्नोत माना जाता है, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नवीन से पता लगाया है कि इन परियोजनाओं के कारण पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता को लगातार नुकसान हो रहा है।1वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसायटी ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों द्वारा पश्चिमी घाट में किए गए इस में लघु जलविद्युत परियोजनाओं के प्रभाव का मूल्यांकन किया गया है। से पता चला है कि लघु जलविद्युत परियोजनाओं के कारण जल की गुणवत्ता, प्रवाह ज्यामिति और मछली समूहों में बदलाव हो रहा है।
• बेंगलुरु स्थित वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसायटी ऑफ इंडिया, नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज, अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड एंवायरमेंट और फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल रिसर्च एडवोकेसी एंड लनिर्ंग के शोधकर्ताओं द्वारा यह किया गया है। के नतीजे शोध पत्रिका ‘एक्वेटिक कंजर्वेशन’ में प्रकाशित किए गए हैं। नेत्रवती नदी के ऊपरी हिस्से में यह किया गया है, जो पश्चिमी घाट में जैव विविधता का एक प्रमुख क्षेत्र है। बांध वाली दो सहायक नदियों और पश्चिम की ओर बहने वाली नेत्रवती नदी की बांध रहित एक सहायक नदी को में शामिल किया गया है।
• प्रमुख शोधकर्ता सुमन जुमानी के अनुसार, बांधों के कारण लंबी दूरी तक नदी का जलप्रवाह परिवर्तित होता है। इससे शुष्क मौसम में नदी का विस्तृत हिस्सा लगभग जल रहित हो जाता है। ऐसे नदी क्षेत्रों के जल में ऑक्सीजन का स्तर कम और जल का तापमान अधिक हो जाता है। जलीय आवास में इस तरह के परिवर्तन का असर मछलियों पर पड़ता है।
• किसी लघु जलविद्युत परियोजना में मुख्य रूप से चार भाग होते हैं। इनमें नदी की जलधारा को बाधित कर जलाशय निर्माण तथा जल प्रवाह मोड़ने के लिए बनाया जाने वाला बंध या बंधिका, टरबाइन युक्त पावरहाउस, पेनस्टॉक पाइप और विसर्जन जलमार्ग शामिल हैं। बंध पर परिवर्तित किए गए प्रवाह का जल पाइपों के जरिये पावरहाउस में बिजली उत्पादन के लिए भेजा जाता है और फिर विसर्जन मार्ग के जरिये इसे दोबारा नदी के निचले हिस्से में छोड़ दिया जाता है।
• शोधकर्ताओं ने पाया कि लघु जलविद्युत परियोजनाओं में बांध के निचले हिस्से में जलप्रवाह कम होने से नदी का सामान्य प्रवाह प्रभावित होता है और बिजली उत्पादन के बाद नदी में जब पानी वापस भेजा जाता है तो जल प्रवाह में उतार-चढ़ाव भी होता है। इन दोनों परिस्थितियों का असर मछलियों पर पड़ता है, जिससे मछली समूहों की संरचना में बदलाव हो रहा है और मछली प्रजातियों की संख्या कम हो रही है।

Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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