दैनिक समसामयिकी

 

1.मनीलांड्रिंग, आतंकवाद से मिलकर निपटेंगे G-20 : 2022 में भारत करेगा मेजबानी
• अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में हो रहे जी-20 सम्मेलन का समापन सदस्य देशों के बहुपक्षीय व्यापार पण्राली और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सुधार के आह्वान के साथ हो गया। अंतिम घोषणा पत्र में कहा गया, ‘‘वर्तमान प्रणाली पण्राली अपने मकसद को पूरा नहीं कर पा रही है और इसमें सुधार की गुंजाइश है। इसलिए हम विश्व व्यापार संगठन के आवश्यक सुधारों का समर्थन करते हैं।
• ’सदस्य देशों ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश विकास, उत्पादकता, उन्नयन, रोजगार के महत्वपूर्ण इंजन हैं। हम इसमें बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के दिये जा रहे महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करते हैं।’
• जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में जी-20 नेताओं के घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘पेरिस समझौते के हस्ताक्षरकर्ता एक बार फिर इस बात की पुष्टि करते है कि पेरिस समझौता अपरिवर्तनीय है और इसके पूर्ण क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन सदस्य देशों की क्षमता के अनुरूप जिम्मेदारी भिन्न-भिन्न हैं।
• अर्जेंटीना के राष्ट्रपति मौरिसियो मैक्री ने जी-20 सम्मेलन में सभी नेताओं के समर्थन वाले घोषणापत्र का सार प्रस्तुत किया और अज्रेंटीना को अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा दिये जा रहे सहयोग पर जोर दिया। मैक्री ने कहा, ‘‘हम सभी ने नवीकरणीय ऊर्जा को सशक्त सहयोग प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता जारी रखने पर सहमति वयक्त की है।
• ’दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन में सभी राष्ट्रों ने पेरिस समझौते का समर्थन किया लेकिन अमेरिका ने इस समझौते से बाहर रहने की बात को दोहराया।
• ब्राजील के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने भी कहा कि वह देश के कृषि उद्योग को क्षति पहुंचाने वाले किसी भी ऐसे पर्यावरण समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।’ अंतिम घोषणापा में जी-20 नेताओं ने पिछले वर्ष जर्मनी के हैम्बर्ग में हुए जी-20 सम्मेलन के आतंकवाद निरोधक बयान पर प्रतिबद्धता व्यक्त की।
• वैश्विक नेताओं ने आतंकवाद, धनशोधन से निपटने और वित्तीय क्षेत्र का विस्तार करने के प्रयासों को तेज करने का संकल्प लिया।
• नेताओं ने आंतकवाद फैलाने के लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट के इस्तेमाल के खिलाफ डिजिटल उद्योग को मिलकर लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर लगभग यथापूर्व स्थिति बनी हुई है लेकिन पीछे हटने का सवाल नहीं है।
• भारत 2022 में वार्षिक जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। उस वर्ष भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ भी मनाएगा। मोदी ने शनिवार को दो दिन के जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में यह घोषणा की।
• वर्ष 2022 में जी 20 सम्मेलन की मेजबानी इटली को करनी थी।मोदी ने भारत को इसकी मेजबानी मिलने के बाद इसके लिए इटली का शुक्रिया अदा किया। साथ ही, उन्होंने जी-20 समूह के नेताओं को 2022 में भारत आने का न्योता दिया। प्रधानमंत्री ने घोषणा के बाद ट्वीट किया, ‘‘वर्ष 2022 में भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। उस विशेष वर्ष में, भारत जी-20 शिखर सम्मेलन में विश्व का स्वागत करने की आशा करता है।
• विश्व की सबसे तेजी से उभरती सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में आइए। भारत के समृद्ध इतिहास और विविधता को जानिए और भारत के गर्मजोशी भरे आतिय का अनुभव लीजिए।’ जी-20 दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह है।जी 20 शिखर बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि समूह ने 10 साल पूरे कर लिए हैं।
• उन्होंने 2008 के आर्थिक संकट के बाद इन समूह के सदस्यों के बीच सहयोग का जिक्र किया जिसकी वजह से वृद्धि को फिर पटरी पर लाया जा सका।
• भारत के शेरपा शक्तिकान्त दास ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) में 14वें साधारण कोटा समीक्षा में जी-20 की भूमिका का जिक्र किया। इसके अलावा उन्होंने बेस इरोजन एंड प्राफिट शिफ्टिंग (बीईपीएस) को परिचालन में लाने के लिए जी-20 की भूमिका का जिक्र किया। यह व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कराधान और कर मामलों पर सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान से जुड़ी है।

2. जी-20 सम्मेलन में प्रोत्साहन के साथ पोलैंड में जलवायु वार्ता शुरू
• जलवायु परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिये रविवार को दुनिया भर से आए वार्ताकारों ने दो हफ्तों तक चलने वाली बातचीत शुरू की। यह वार्ता पेरिस में तीन साल पहले ऐतिहासिक करार पर मुहर लगने के बाद हो रही है जिसमें वैश्विक तापमान में इजाफे को दो डिग्री सेल्सियस (3.6 डिग्री फारेनहाइट) से नीचे रखने का लक्ष्य निर्धारित करने पर सहमति बनी थी।
• संयुक्त राष्ट्र की बैठक के लिये करीब 200 देशों के प्रतिनिधि पोलैंड के दक्षिणी शहर कातोवित्स में एकत्र हुए हैं। यह मूल रूप से तय कार्यक्रम से एक दिन पहले हो रहा है और इसके 14 दिसम्बर तक चलने की उम्मीद है।
• मंत्रियों और कुछ राष्ट्र प्रमुखों के सोमवार को यहां आने की उम्मीद है जब मेजबान पोलैंड यह सुनिश्चित करने के लिये एक संयुक्त घोषणापत्र का दबाव डालेगा कि कोयला उत्पादक जैसे जीवाश्म ईंधन उद्योग उचित ढंग से अपनी राह बदल सकें जो हरित गैसों के उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों के तहत बंदी का सामना कर रहे है।
• जलवायु परिवर्तन को विश्व के समक्ष वर्तमान समय की सबसे गंभीर चुनौती मानते हुए दुनिया के विभिन्न देशों ने रविवार को जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करने, कार्बन उर्त्सजन पर रोक लगाने, प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग करने सहित जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते का पालन करने का संकल्प व्यक्त किया।
• एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन, नेपाल 2018 में विभिन्न देशों एवं संगठनों ने ‘‘जलवायु परिवर्तन पर काठमांडू घोषणापत्र’ का अनुमोदन किया और उम्मीद जताई कि इस घोषणापत्र के सुझाव पोलैंड में जलवायु परिवर्तन पर शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सहयोगी भूमिका निभाएंगे।
• जलवायु परिवर्तन पर पेरिस घोषणापत्र के अनुमोदन का स्वागत करते हुए किरिबाती के राष्ट्रपति एंनोते टॉग ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक दक्षिणी क्षेत्र और छोटे छोटे द्वीपों को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है। समुद्री जल स्तर के बढ़ने, हिमनदों के पिघलने, चक्रवात, तटीय क्षेत्रों के क्षरण के कारण द्वीपीय देशों के समक्ष बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
• उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान वृद्धि को किसी एक देश की समस्या नहीं मानना चाहिए । हमें नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग पर जोर देना चाहिए, जीवाश्म ईधन का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए और ऊर्जा के उपयोग संबंधी कचरे का विवेकपूर्ण तरीके से निपटारा करना चाहिए।’
• समारोह को संबोधित करते हुए नेपाल के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव डॉ विश्वनाथ ओली ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर काठमांडू घोषणापत्र ऐसे समय में जारी किया गया है जब पोलैंड में जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर सम्मेलन शुरू हुआ है। हमें यह समझने की जरूरत है कि जलवायु परिवर्तन से मुकाबला हमारी साझी जिम्मेदारी है क्योंकि इससे आज मानव के समक्ष अतुलनीय खतरा उत्पन्न हो गया है।
• उन्होंने कहा कि हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्चिक तापमान में आधा डिग्री की वृद्धि होने का विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन के बारे में पेरिस समझौते पर अमल के लिये राजनीतिक इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करना होगा।
• जीडी ग्लोबल तुर्की की गोजडे डिजडर ने कहा कि पिछले 150 वर्षो में हमने पृवी के स्वरूप को बदल दिया और जीवाश्म ईधन के उपयोग, वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के कारण स्थिति बहुत खराब हुई है। आज हमें जलवायु परिवर्तन और नियंतण्र तापमान वृद्धि की दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। सइबेरिया, कनाडा समेत कई देशों में जंगली आग गंभीर रूप ले रही है।
• यूनिवर्सल पीस फेडेरेशन की ओर से आयोजित शिखर सम्मेलन में अंगीकार किये गए जलवायु परिवर्तन पर काठमांडू घोषणापत्र में कहा गया है कि यह घोषणापत्र पोलेंड में हो रहे जलवायु परिवर्तन संबंधी सम्मेलन के लिए महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करेगा।

3. चीन ने घरेलू मुद्राओं में व्यापार के भारत के प्रस्ताव को ठुकराया
• चीन ने घरेलू मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार के भारत के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। इस प्रस्ताव का लक्ष्य पड़ोसी देश के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को कम करना था। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने चीन को 13.4 अरब डालर का निर्यात किया था। वहीं इस दौरान चीन से कुल आयात 76.4 अरब डालर रहा था। इस तरह चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 63 अरब डालर का रहा था।
• वित्त वर्ष 2016-17 में यह आंकड़ा 51.11 अरब डालर का रहा था। भारत ने अपने निर्यात को बढ़ावा देने और बढते व्यापार घाटे के समाधान के लिए चीन को युआन-रपए में व्यापार का सुझाव दिया था।
• अधिकारी ने बताया, ‘‘‘‘उन्होंने प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।’ अक्टूबर में एक अंतर-मंत्रालयी बैठक के दौरान इस मुद्दे पर र्चचा हुई थी। बैठक में यह कहा गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक और आर्थिक मामलों का विभाग चीन के साथ युआन-रुपये में व्यापार की संभावनाओं की तलाश करेंगे।
• भारत ने रूस, ईरान, वेनेजुएला सहित कई देशों से घरेलू मुद्रा में व्यापार का प्रस्ताव दिया है। इन देशों के साथ भी भारत का व्यापार घाटा है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) के अध्यक्ष गणोश कुमार गुप्ता ने कहा कि सरकार को घरेलू मुद्रा में भारत से निर्यात को बढावा देना चाहिए।

4. मैक्सिको में लोपेज नए राष्ट्रपति बने, बोले- अब बदलाव आएगा
• मैक्सिको में वामपंथी नेता आंद्रेज मैनुएल लोपेज ओब्राडोर नए राष्ट्रपति बन गए हैं। रविवार को उन्होंने पद की शपथ ली। पांच महीने पहले चुनावों में उन्होंने एकतरफा जीत दर्ज की थी।
• उन्होंने कहा, ‘आज नई सरकार की शुरुआत नहीं, बल्कि ये राजनीतिक शासन में परिवर्तन की शुरुआत है।’ इससे पहले मैक्सिको के गुआडालाजरा में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में बम हमला हुआ

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