किसी भी वर्ष में आर्थिक वृद्धि या तो मौजूदा क्षमता के बेहतर उपयोग या नए निवेश की वज़ह से हो सकती है। हालाँकि, मध्यम से दीर्घ अवधि तक  विकास का मुख्य चालक निवेश है। उच्च निवेश दर के बिना, उच्च वृद्धि दर को बनाए रखना मुश्किल है। कॉर्पोरेट  क्षेत्र के बजाय हाउसहोल्ड 2011-12 और 2016-17 के बीच निवेश दर में गिरावट के लिये ज़िम्मेदार है|

आय और निवेश के हालिया रुझान

आय और निवेश पर हाल के रुझानों का एक विश्लेषण दो चीजों को इंगित करता है। पिछले चार वर्षों में विकास दर को उचित स्तर पर बनाए रखा गया है। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की औसत वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही है।
हालाँकि, परेशान करने वाली प्रवृत्ति में गिरावट आई है।  2015-16 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत थी। अगले वर्ष यह 7.1 प्रतिशत तक पहुँच गई जबकि 2014-15 में यह 6.7 प्रतिशत थी।
एक और परेशान करने वाली बात जो रही है, वह है निवेश दर में गिरावट। 2011-12 में सकल नियत पूंजी निर्माण दर (Gross Fixed Capital Formation Rate) सकल घरेलू उत्पाद का 34.31 प्रतिशत थी। 2016-17 तक  यह 28.53 प्रतिशत नीचे आ गई थी।
इसलिये  नियत पूंजी निर्माण के विभिन्न घटकों के व्यवहार पर नज़दीक से  नज़र डालना आवश्यक है और यह इस लेख का उद्देश्य है।
बचत का व्यवहार

चूँकि वित्तपोषण हेतु निवेश का प्रमुख स्रोत घरेलू बचत है, इसलिये पिछले छह वर्षों की बचत प्रवृत्ति को देखना सबसे उपयोगी है। 2011-12 में सकल घरेलू बचत दर सकल घरेलू उत्पाद के 34.65 प्रतिशत से घटकर 2016-17 में 29.98 प्रतिशत हो गई है।
बचत कम होने से पता चलता है कि घरेलू क्षेत्र के संबंध में सबसे ज्यादा गिरावट आई है जहाँ कुल बचत 2011-12 में GDP का 23.6 प्रतिशत था, से गिरकर 2016-17 में 16.2 प्रतिशत हो गई|
जीडीपी के अनुपात के रूप में निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र की बचत वास्तव में लगभग 2.5 प्रतिशत अंक बढ़ी है। सरकार समेत सार्वजनिक क्षेत्र की बचत दर में कोई बदलाव नहीं दिखता है।
घरेलू मामले में भौतिक संपत्तियों में वित्तीय बचत और बचत दोनों में छह साल की अवधि में काफी तेज़ी से गिरावट आई है।
भारतीय रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में प्रदान किया गया डाटा विशेष रूप से 2016-17 के लिये वित्तीय बचत में कुछ अंतर दिखाता है। हालाँकि प्रवृत्ति वैसी ही है।
निवेश का व्यवहार

निवेश (सकल पूंजी निर्माण) में तीन तत्त्व, सकल नियत पूंजी निर्माण, स्टॉक और क़ीमती सामान (सोना) में परिवर्तन शामिल हैं।
सबसे महत्त्वपूर्ण घटक सकल नियत पूंजी निर्माण है, अर्थात मशीनरी,  उपकरणों और आवासों पर पूंजीगत व्यय।
सकल नियत पूंजी निर्माण दर 2011-12 में 34.31 प्रतिशत से घटकर 2016-17 में 28.53 हो गई। सरकार समेत सार्वजनिक क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं आया।
सकल नियत पूंजी निर्माण जीडीपी के 7 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर रहा। निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र के निवेश में वास्तव में 2011-12 में 11.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो 2016-17 में 12.29 प्रतिशत थी।
इसलिये निवेश में गिरावट के लिये एकमात्र ज़िम्मेदार घरेलू क्षेत्र है। छः वर्ष की अवधि में घरेलू क्षेत्र की नियत पूंजी निर्माण दर में गिरावट के चलते यह 15.75 प्रतिशत से 9.1 प्रतिशत दर्ज की गई है।

ये संख्याएँ क्यों लुभावनी प्रतीत होती हैं?

सबसे पहले आधार वर्ष 2011-12 के साथ नई श्रृंखला के अनुसार निवेश अनुपात 2004-05 के साथ पुरानी श्रृंखला की तुलना में बहुत अधिक दर दिखाता है।
उदाहरण के लिये  2007-08 में  जब भारतीय अर्थव्यवस्था 9.4 प्रतिशत बढ़ी, सकल नियत पूंजी निर्माण दर केवल 32.9 प्रतिशत थी।
2011-12 के लिये  डाटा के साथ-साथ पुरानी श्रृंखलाओं के लिये डाटा भी उपलब्ध है। पुरानी श्रृंखला के अनुसार, 2011-12 के लिये सकल नियत पूंजी निर्माण दर 31.8 प्रतिशत थी। उसी वर्ष  नई श्रृंखला के अनुसार, यह 34.3 प्रतिशत थी।
हालाँकि, नई श्रृंखला के मुताबिक, 2011-12 से निवेश दर घट रही है।
दूसरा दिलचस्प कारक यह है कि 2011-12 से 2016-17 के बीच सकल नियत पूंजी निर्माण दर में गिरावट घरेलू क्षेत्र के बजाय कॉर्पोरेट क्षेत्र के कारण हुई है।
विकास में मंदी को लेकर ज़्यादातर चर्चा कॉर्पोरेट क्षेत्र द्वारा कमज़ोर निवेश मांग के आसपास केंद्रित है। कई विश्लेषकों ने स्थगित परियोजनाओं की संख्या पर ध्यान दिया है।
निवेश की भावना को कमज़ोर करने के लिये कॉर्पोरेट क्षेत्र की निवेश में विफलता के रूप में व्याख्या की गई है लेकिन ऐसा नहीं लगता है।
यह सच है कि 2007-08 में कॉर्पोरेट निवेश दर, जब हमारी सबसे ज्यादा वृद्धि दर थी, सकल घरेलू उत्पाद का 14.3 प्रतिशत थी। निश्चित रूप से उस स्तर से गिरावट आई है। लेकिन छह साल की अवधि में कोई गिरावट नहीं आई है। वास्तव में  एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
भौतिक संपत्तियों में घरेलू क्षेत्र की बचत जो निवेश के समान है,  आमतौर पर आवास के रूप में होती है। केवल आवास निवेश में कमी को तेज़ गिरावट का श्रेय देना मुश्किल है।
आँकड़े बताते हैं कि 2011-12 से 2015-16 के बीच घरेलू आवास दरों में निवेश दर 4 प्रतिशत कम थी।
शायद, स्पष्टीकरण का एक हिस्सा इस तथ्य में भी निहित है कि ‘हाउसहोल्ड’ शब्द में न केवल व्यक्तिगत हाउसहोल्ड बल्कि गैर-कॉर्पोरेट व्यवसाय भी शामिल हैं।
दरअसल, परिभाषा के अनुसार सरकार और निजी कॉर्पोरेट हाउसहोल्ड की श्रेणी में नहीं आते हैं|
मशीनरी और उपकरण में घरेलू निवेश 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद के 2.96 प्रतिशत से घटकर 2015-16 में 1.90 प्रतिशत हो गया। इसलिये  कुछ हिस्सों में छोटे व्यवसायों को अधिक नुकसान हुआ है और निवेश कम हुआ है।
व्यापार क्षेत्र में  गैर-कॉर्पोरेट व्यवसाय ने एक बड़ा बोझ पैदा किया है।
स्रोत : बिज़नेस लाइन

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